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वक्फ बिल के खिलाफ बंगाल में प्रदर्शन: मुर्शिदाबाद हिंसा, 113 घर तोड़े गए, दुकानें जलीं

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वक्फ बिल के खिलाफ बंगाल में हुए प्रदर्शन: मुर्शिदाबाद हिंसा का विश्लेषण

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों ने न केवल राज्य की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को गरमा दिया। यह घटना 11 अप्रैल 2025 को जुमे की नमाज के बाद शुरू हुई, जब प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन तेज हो गया।

पश्चिम बंगाल पुलिस ने मुर्शिदाबाद के जाफराबाद में अप्रैल में हुई हिंसा में पिता-बेटे के डबल मर्डर मामले में शुक्रवार को 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। राज्य में 11-12 अप्रैल को नए वक्फ बोर्ड कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ उग्र हो गई थी। इसके बाद हिंसा भड़क गई थी। इसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे

इस हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट की तरफ से जांच समिति गठित की गई थी। पिछले महीने समिति ने गंभीर खुलासे किए थे।

इसमें कहा गया है कि हिंसा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के स्थानीय नेता की भूमिका थी। हमलों का नेतृत्व स्थानीय पार्षद महबूब आलम ने किया।

रिपोर्ट के अनुसार हिंसा में खासतौर पर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया। इस दौरान स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय रही। पीड़ितों ने कई बार पुलिस को कॉल किया, लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची।

दरअसल, 17 अप्रैल को हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एक-एक सदस्य शामिल थे।

वक्फ संशोधन अधिनियम: विवाद का कारण

वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025, केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया था, जिसमें वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति का प्रावधान था। इससे मुस्लिम संगठनों में असंतोष फैल गया, क्योंकि उनका मानना था कि यह उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून के खिलाफ ‘वक्फ बचाव अभियान’ की शुरुआत की, जो 87 दिनों तक चलने वाला था। इस अभियान के तहत 1 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का लक्ष्य रखा गया था, जिन्हें प्रधानमंत्री को भेजा जाना था।

मुर्शिदाबाद में हिंसा का आरंभ

11 अप्रैल 2025 को जुमे की नमाज के बाद मुर्शिदाबाद के जंगीपुर, सुती और शमशेरगंज इलाकों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगाई, पुलिस पर पथराव किया और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं। हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और दस पुलिसकर्मी घायल हुए।

आरोप और प्रतिक्रिया

कुछ राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया कि हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों का हाथ था और स्थानीय नेताओं की मदद से यह उकसाया गया। हालांकि, पुलिस ने इस आरोप की पुष्टि नहीं की है। राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा की और मुर्शिदाबाद, मालदा और दक्षिण 24 परगना जिलों के संवेदनशील इलाकों में उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

कानूनी और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ देशभर में विरोध हो रहा है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 15 अप्रैल 2025 को सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और महिलाओं व बच्चों को लाभ पहुँचाने के लिए है। वहीं, विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह कानून उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

निष्कर्ष

मुर्शिदाबाद हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया कि वक्फ संशोधन अधिनियम जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बिना व्यापक सहमति के निर्णय लेने से सामाजिक अशांति फैल सकती है। राज्य और केंद्र सरकार को इस मामले में संवेदनशीलता और समझदारी से काम लेना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

वक्फ बिल के खिलाफ बंगाल में हुए प्रदर्शन: 113 घर तोड़े गए, दुकानें जलाई गईं

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों ने न केवल राज्य की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को गरमा दिया। यह घटना 11 अप्रैल 2025 को जुमे की नमाज के बाद शुरू हुई, जब प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन तेज हो गया।

वक्फ संशोधन अधिनियम: विवाद का कारण

वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025, केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया था, जिसमें वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति का प्रावधान था। इससे मुस्लिम संगठनों में असंतोष फैल गया, क्योंकि उनका मानना था कि यह उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून के खिलाफ ‘वक्फ बचाव अभियान’ की शुरुआत की, जो 87 दिनों तक चलने वाला था। इस अभियान के तहत 1 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का लक्ष्य रखा गया था, जिन्हें प्रधानमंत्री को भेजा जाना था।

मुर्शिदाबाद में हिंसा का आरंभ

11 अप्रैल 2025 को जुमे की नमाज के बाद मुर्शिदाबाद के जंगीपुर, सुती और शमशेरगंज इलाकों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगाई, पुलिस पर पथराव किया और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं। हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और दस पुलिसकर्मी घायल हुए।

113 घरों का विध्वंस और दुकानों की आगजनी

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए 113 घरों को तोड़ा और कई दुकानों में आग लगा दी। इससे स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया और प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किया।

आरोप और प्रतिक्रिया

कुछ राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया कि हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों का हाथ था और स्थानीय नेताओं की मदद से यह उकसाया गया। हालांकि, पुलिस ने इस आरोप की पुष्टि नहीं की है। राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा की और मुर्शिदाबाद, मालदा और दक्षिण 24 परगना जिलों के संवेदनशील इलाकों में उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

कानूनी और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ देशभर में विरोध हो रहा है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 15 अप्रैल 2025 को सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और महिलाओं व बच्चों को लाभ पहुँचाने के लिए है। वहीं, विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह कानून उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

निष्कर्ष

मुर्शिदाबाद हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया कि वक्फ संशोधन अधिनियम जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बिना व्यापक सहमति के निर्णय लेने से सामाजिक अशांति फैल सकती है। राज्य और केंद्र सरकार को इस मामले में संवेदनशीलता और समझदारी से काम लेना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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