🌍 USAID कटौती: 2030 तक 14 मिलियन से अधिक अतिरिक्त मौतें? अध्ययन चेतावनी
🔍 परिचय
अमेरिका विदेश सहायता एजेंसी USAID (United States Agency for International Development) द्वारा किये गये भारी फंड कटौती से वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र और विकासशील देशों में “प्रवर्तनीय (avoidable)” मौतों का डर पैदा हो गया है। चिकित्सा जर्नल The Lancet में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन के अनुसार, 2025 के दौरान गहराई से लागू हुई USAID प्रोग्राम कटौती और एजेंसी की संभावित विघटन ने वैश्विक स्वास्थ्य को ऐसे संकट में धकेल दिया है जिससे 2030 तक अनुमानतः 14 मिलियन अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं—जिसमें लगभग 4.5 मिलियन पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं।
📈 क्या कहता है अध्ययन?
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2001–2021 की अवधि में USAID की मदद से कुल अनुमानित 91 मिलियन जानें बचाई गईं, जिनमें लगभग 30 मिलियन सिर्फ बच्चों की थीं।
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2025 से 2030 के बीच कटौती अगर अनवरत बनी रही, तो हर वर्ष 1.8–2.5 मिलियन अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं—जो कुल मिलाकर 14 मिलियन से ऊपर जा सकती हैं ।
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अधिकतर प्रभावित देशों में HIV/AIDS, मलेरिया, आंतरिक संक्रामक बीमारियाँ और श्वसन संक्रमण के कारण होने वाली मृत्यु दर में तेज़ी से वृद्धि का अनुमान है ।
🧒 विशेष रूप से बच्चों पर गंभीर असर
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पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अतिरिक्त 4.5 मिलियन मौतें दर्ज की जाएंगी—लगभग साढ़े सात लाख बच्चों की मौत प्रतिवर्ष ।
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अध्ययन दिखाता है कि राज्यों के भीतर बच्चों की मृत्यु दर में अनुपातिक वृद्धि अधिक होती है—15 % समग्र मृत्यु दर में कमी और 32 % बच्चे-विशिष्ट मृत्यु दर में कमी तक USAID ने असर डाला था ।
🧩 USAID की क्या भूमिका थी?
USAID दुनिया की सबसे बड़ी मानवतावादी सहायता एजेंसी रही है:
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23–40 बिलियन डॉलर वार्षिक सहायता (2023 तक) ।
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HIV/AIDS, मलेरिया, टीबी, पोषण, साफ पानी, शिक्षा–स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार आदि से जुड़ी महामारी रोकने की गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान ।
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USAID समर्थित President’s Malaria Initiative ने 2000–2019 में मलेरिया से लगभग 7.6 मिलियन जीवन बचाये ।
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PEPFAR (AIDS राहत कार्यक्रम) भी USAID संसाधनों पर निर्भर है, जिसकी अचानक फंडिंग बंद होने पर लाखों हत्याओं का जोखिम बताया गया है ।
🗓️ कटौती का सिलसिला और वर्तमान स्थिति
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जनवरी 2025 में राष्ट्रपति ट्रम्प और विदेश सचिव मार्को रुबियो द्वारा USAID के 80–83 % कार्यक्रम स्थगित या विघटित कर दिए गए ।
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शेष प्रोग्राम US State Department आवश्यकतानुसार पुनर्गठित करेगा ।
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इससे अन्य प्रमुख दाता देशों—जैसे UK, फ्रांस, जर्मनी—ने भी सहायता में कटौती की घोषणा शुरू कर दी है।
🌐 वैश्विक स्वास्थ्य और विकास पर प्रभाव
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जीवन रक्षक सेवाओं का विघटन
जैसे टीकाकरण, HIV जाँच और इलाज, मलेरिया निरोधक दवाएं—इनमें कटौती से भारी नुकसान । -
स्वास्थ्य प्रणाली का कमजोर होना
लैब सुविधाएँ, रोग निगरानी, मानव संसाधन, आपदा तैयारी—समस्त संरचनाएँ प्रभावित होने लगता है । -
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
कुपोषण, शिक्षा एवं लिंग समानता कार्यक्रमों पर संकट; गरीबी चक्र तेज़ी से बढ़ता है । -
डोमिनो प्रभाव
USAID कटौती का असर अन्य देशों द्वारा सहायता रुकावट और वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के विघटन की ओर ले जाता है ।
🛑 विशेषज्ञों और नेताओं की प्रतिक्रिया
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ISGlobal के Davide Rasella कहते हैं:
“यदि फंड कटौती जारी रही, तो यह दो दशकों की स्वास्थ्य प्रगति को पलट सकती है—आर्थिक आघात महामारी या युद्ध जैसा”।
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अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति Barack Obama ने इसे “colossal error” बताया ।
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Kevin Watkins (Save the Children UK):
“यह दर्शाता है कि White House में सहानुभूति का अभाव है, घोर त्रुटि है”।
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António Guterres (UN SG):
“फंडिंग विकास का इंजन है; यह अब दम तोड़ रही है”
📉 सामाजिक असमानता और वैश्विक उत्तरदायित्व
USAID जैसी एजेंसियाँ न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देती हैं, बल्कि गरीब और विकसित देशों के बीच की खाई को पाटने का भी कार्य करती हैं। जब इनकी फंडिंग में कटौती होती है, तो सामाजिक असमानता और बढ़ जाती है:
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गरीब देश अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके पास पहले से ही सीमित संसाधन होते हैं।
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बड़े दाता देश, खासकर अमेरिका, का यह नैतिक और वैश्विक उत्तरदायित्व है कि वे कमजोर देशों की मदद करते रहें।
यदि वैश्विक नेतृत्व इस दिशा में विफल रहा, तो इसका असर न केवल विकासशील देशों में, बल्कि वैश्विक स्थिरता, आप्रवासन, और शरणार्थी संकट जैसे मुद्दों पर भी पड़ेगा।
🏥 स्वास्थ्य ढांचे पर दीर्घकालिक असर
USAID की मदद से:
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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार हुआ,
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ग्रामीण क्षेत्रों तक दवाएं पहुँचीं,
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मातृ और शिशु मृत्यु दर में ऐतिहासिक गिरावट आई।
अब जब ये फंडिंग घट रही है, तो कई वर्षों की मेहनत पर पानी फिरता नज़र आ रहा है।
संभावित असर:
क्षेत्र वर्तमान स्थिति फंड कटौती के बाद असर टीकाकरण पोलियो, खसरा आदि पर नियंत्रण फिर से फैलने का खतरा HIV/AIDS निःशुल्क ARV दवाओं की उपलब्धता उपचार बंद होने से मौतें बढ़ेंगी मलेरिया कीटनाशक-treated मच्छरदानी का वितरण संक्रमण में उछाल मातृत्व देखभाल संस्थागत प्रसव बढ़े घर में प्रसव और जोखिम कुपोषण पोषण सप्लीमेंट्स का वितरण बाल मृत्यु दर में उछाल
🔄 दुष्चक्र का निर्माण
USAID की फंडिंग कटौती से केवल स्वास्थ्य नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वच्छता, पोषण, आजीविका, और लैंगिक समानता पर भी असर होता है। जब ये सभी क्षेत्र प्रभावित होते हैं, तब एक “दुष्चक्र” बनता है:
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कुपोषण और शिक्षा की कमी → कमजोर नागरिक
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स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव → उच्च मृत्यु दर
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रोजगार का संकट → गरीबी में वृद्धि
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गरीबी और बीमारी → देश की GDP घटती है
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सरकार की कर-आय कम होती है → स्वास्थ्य में निवेश और घटता है
यह सिलसिला अंततः एक स्थाई मानवीय और आर्थिक संकट बन जाता है।
🧭 PEPFAR और अन्य USAID कार्यक्रमों की स्थिति
PEPFAR (President’s Emergency Plan for AIDS Relief) एक ऐसा कार्यक्रम है जिसने पिछले दो दशकों में:
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25 मिलियन से अधिक लोगों को HIV की दवाएं दीं,
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अफ्रीका में AIDS महामारी को उलटने में भूमिका निभाई।
परंतु अब यह कार्यक्रम भी खतरे में है क्योंकि:
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USAID की भूमिका इसकी रीढ़ थी।
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अब उसके पास स्टाफ, संचालन ढांचा, और संसाधन नहीं बचे हैं।
इसी तरह के अन्य प्रमुख कार्यक्रम, जैसे:
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Feed the Future (खाद्य सुरक्षा)
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Global Health Security Agenda (महामारी रोकथाम)
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Water for the World (स्वच्छ पानी)
इन पर भी ताले लगने की स्थिति आ चुकी है।
📉 वैज्ञानिक नवाचार और अनुसंधान पर प्रभाव
USAID न केवल सेवाएँ प्रदान करती थी, बल्कि नवाचारों को भी बढ़ावा देती थी:
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नई वैक्सीन का विकास (जैसे RTS,S मलेरिया वैक्सीन)
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ज़ीरो-कॉस्ट डायग्नोस्टिक किट्स
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डिजिटल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम्स
इन सबपर अब ब्रेक लग गया है।
भारत, अफ्रीका, एशिया के कई स्टार्टअप जो USAID फंडिंग पर निर्भर थे—वे अब बंद होने की कगार पर हैं।
🌐 भारत जैसे देशों पर असर
भारत को 2000–2010 के बीच USAID से बहुत अधिक सहायता मिली थी, जो अब कम हो चुकी है। हालांकि भारत अब “मिडिल इनकम कंट्री” बन चुका है, फिर भी:
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उत्तर-पूर्वी राज्य, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार जैसे क्षेत्रों में अभी भी स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के लिए बाहरी मदद की ज़रूरत है।
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भारत में अभी भी HIV, टीबी, मलेरिया जैसी बीमारियाँ मौजूद हैं।
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USAID की नवाचार परियोजनाएँ जैसे Swachh Bharat Health Partnerships, TB Innovation Hub, अब अधर में लटक चुकी हैं।
📣 नागरिक संगठनों की चेतावनी
विश्वभर की स्वास्थ्य आधारित NGOs, CSOs और थिंक टैंक USAID फंडिंग कटौती को एक “मानवीय तबाही” बता रहे हैं:
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Médecins Sans Frontières (MSF): “कटौती का सबसे बुरा असर महिलाओं और बच्चों पर पड़ेगा।”
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Oxfam: “USAID की कटौती वैश्विक संकटों के खिलाफ पहली रक्षा पंक्ति को कमजोर कर रही है।”
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Bill & Melinda Gates Foundation ने कहा है कि “हमें फंडिंग स्थिरता के लिए एक नया वैश्विक फ्रेमवर्क चाहिए।”
📜 नीति विशेषज्ञों की सिफारिशें
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Global Aid Compact बनाया जाए, जिसमें G20 देश योगदान करें।
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स्वास्थ्य सहायता को रक्षा सहायता जितना महत्व मिले—यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है।
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USAID का पुनर्गठन हो, उसे राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाए।
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WHO, UNDP, GAVI जैसी एजेंसियों को USAID कटौती की भरपाई करने के लिए विशेष कोष दिया जाए।
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