विश्व राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल
विश्व राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल की स्थिति बन गई है। अमेरिका और ईरान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने शनिवार तड़के एक खतरनाक मोड़ ले लिया, जब अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर सटीक हवाई हमले किए। पेंटागन द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस सैन्य कार्रवाई का उद्देश्य ईरान की परमाणु हथियार निर्माण क्षमता को रोकना और वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करना था। इस हमले के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे “शानदार और निर्णायक सफलता” बताया।
▶️ हमले का विस्तृत विवरण
पेंटागन के अनुसार, अमेरिकी सेना ने जिन तीन प्रमुख स्थलों को निशाना बनाया, वे थे — नतांज, अराब, और फोर्दो। ये तीनों स्थान ईरान के परमाणु कार्यक्रम के केंद्र माने जाते हैं। अमेरिका ने इन ठिकानों पर अत्याधुनिक F-15 और F-22 लड़ाकू विमानों से लेजर-निर्देशित मिसाइलों से हमला किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन हमलों में यूरेनियम संवर्धन संयंत्रों, सेंट्रीफ्यूज गोदामों, प्रयोगशालाओं और डाटा विश्लेषण केंद्रों को भारी नुकसान पहुंचा है। स्वतंत्र सैटेलाइट विश्लेषण एजेंसियों द्वारा जारी चित्रों में इन क्षेत्रों में आगजनी और बड़े स्तर पर ध्वस्त ढांचे देखे गए हैं।
पेंटागन के प्रवक्ता मेजर जनरल पैट्रिक राइडर ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा:
“हमारा उद्देश्य युद्ध नहीं है, बल्कि परमाणु हथियारों के संभावित निर्माण को रोकना है। अमेरिका विश्व शांति के लिए प्रतिबद्ध है। यह हमला पूरी तरह सटीक और नियंत्रित था। किसी आम नागरिक के हताहत होने की सूचना नहीं है।”
🗣️ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनाव के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने हमले की सराहना करते हुए कहा:
“यह अमेरिका की सुरक्षा नीति की शानदार सफलता है! बाइडेन प्रशासन में ऐसा साहस कभी नहीं देखा गया। दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए यह ज़रूरी कदम था।”
ट्रंप के इस बयान को अमेरिका में राजनीतिक समीकरणों पर गहरा प्रभाव डालने वाला माना जा रहा है। ट्रंप ने ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था और अब इस सैन्य कार्रवाई को अपने पिछले रुख की ‘सही दिशा’ बताया है।
⚠️ ईरान की तीखी प्रतिक्रिया: “युद्ध की कार्यवाही”
ईरान ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे अपने राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ घोषित युद्ध की कार्यवाही करार दिया है। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने बयान जारी कर कहा:
“यह अमेरिकी आक्रामकता अस्वीकार्य है। ईरान इसका उत्तर देगा। हमारी सीमाओं और वैज्ञानिक कार्यक्रमों की रक्षा हर कीमत पर की जाएगी।”
ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर अमेरिका के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की है। तेहरान में अमेरिकी ध्वज को जलाया गया और हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए।
🏛️ संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक
ईरान की अपील के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपातकालीन बैठक बुलाने की घोषणा की है। इस बैठक में अमेरिका की सैन्य कार्रवाई, क्षेत्रीय शांति पर प्रभाव, और वैश्विक प्रतिक्रिया पर चर्चा की जाएगी। भारत, फ्रांस, जर्मनी और अन्य देशों ने इस बैठक को ‘संवेदनशील और निर्णायक’ करार दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की और कहा:
“अब समय युद्ध का नहीं, बल्कि कूटनीति का है। यह संकट पूरे विश्व की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।”
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
इस हमले के बाद वैश्विक मंच पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं:
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रूस ने अमेरिका की निंदा करते हुए इसे “गैर-जिम्मेदाराना सैन्य कार्रवाई” कहा।
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चीन ने संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता जताई।
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इज़राइल ने खुले तौर पर अमेरिका का समर्थन किया और कहा:
“यह हमला ईरान की परमाणु野क महत्वाकांक्षा पर करारा प्रहार है।”
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यूरोपीय संघ ने सभी पक्षों से तत्काल वार्ता शुरू करने का अनुरोध किया।
📜 परमाणु समझौते की पृष्ठभूमि
ईरान का परमाणु कार्यक्रम 2000 के दशक की शुरुआत से ही वैश्विक विवादों का विषय रहा है। 2015 में अमेरिका सहित छह देशों ने ईरान के साथ JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) नामक परमाणु समझौता किया था, जिसके तहत ईरान ने यूरेनियम संवर्धन सीमित करने पर सहमति दी थी।
हालांकि, 2018 में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में रहते हुए अमेरिका इस समझौते से बाहर हो गया। इसके बाद से ईरान ने अपने कार्यक्रम को पुनः सक्रिय कर दिया और संवर्धन की सीमा को कई गुना बढ़ा दिया। अमेरिका का आरोप है कि ईरान गुप्त रूप से हथियार बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
🔎 विश्लेषण: क्या बढ़ेगा संघर्ष?
अमेरिका की यह सैन्य कार्रवाई वैश्विक कूटनीति की असफलता के रूप में देखी जा रही है। जहां एक ओर अमेरिका इसे सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी मानता है, वहीं दूसरी ओर ईरान इसे संप्रभुता पर हमला मानता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईरान ने प्रतिउत्तर में हमला किया, तो यह पूरा क्षेत्र बड़े युद्ध की ओर बढ़ सकता है। अमेरिका के पश्चिम एशिया में मौजूद ठिकानों और नौसैनिक बेड़ों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
🔚 निष्कर्ष
ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किया गया हमला न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी गंभीर चुनौती बन गया है। जहां अमेरिका इसे सुरक्षा की मजबूरी बता रहा है, वहीं ईरान इसे अपनी संप्रभुता पर आघात मान रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस बात पर नजर रखे हुए है कि क्या यह विवाद कूटनीति से हल होगा या फिर दुनिया एक और युद्ध की ओर बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र की भूमिका, वैश्विक नेतृत्व की परिपक्वता और दोनों देशों की रणनीति अब आने वाले समय में विश्व राजनीति की दिशा तय करेगी।
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