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TDB ने BatX Energies को दी ₹18 करोड़ की सहायता: स्वदेशी बैटरी रीसाइक्लिंग तकनीक को मिलेगा नया विस्तार

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भारत में स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के बढ़ते कदमों के साथ-साथ अब प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने एक और बड़ा प्रयास किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन कार्यरत इस बोर्ड ने गुरुग्राम स्थित बैटएक्स एनर्जीज प्राइवेट लिमिटेड (BatX Energies Pvt. Ltd.) को स्वदेशी बैटरी रीसाइक्लिंग तकनीक के व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है।

यह सहायता कंपनी की उस परियोजना के लिए दी गई है, जिसका शीर्षक है – “क्लोज्ड-लूप के माध्यम से बैटरी ग्रेड सामग्री के उत्पादन और मूल्य संवर्धन की प्रौद्योगिकी”। इस परियोजना का उद्देश्य ऐसी लिथियम-आयन बैटरियों से उच्च शुद्धता वाले खनिज निकालना है जो अपने जीवन चक्र के अंत तक पहुंच चुकी हैं। यह भारत को आत्मनिर्भर, टिकाऊ और तकनीक-आधारित ऊर्जा इकोसिस्टम की दिशा में आगे ले जाने वाला एक क्रांतिकारी कदम है।


बैटरी रीसाइक्लिंग की चुनौती और भारत की ज़रूरत

भारत में तेजी से बढ़ रही इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्रांति, सौर ऊर्जा भंडारण और मोबाइल उपकरणों की संख्या के कारण लिथियम-आयन बैटरियों की मांग अभूतपूर्व गति से बढ़ रही है। हालांकि, इन बैटरियों में प्रयुक्त होने वाले लिथियम, कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज जैसे खनिजों का अधिकांश हिस्सा आज भी भारत को आयात करना पड़ता है।

दूसरी ओर, इन बैटरियों के निस्तारण (disposal) से पर्यावरणीय प्रदूषण और संसाधन हानि की गंभीर समस्या उत्पन्न होती है। ऐसे में रीसाइक्लिंग ही एकमात्र ऐसा समाधान है जो पर्यावरण संरक्षण, संसाधन पुनः उपयोग और आर्थिक आत्मनिर्भरता – तीनों उद्देश्यों को साथ लेकर चलता है।


बैटएक्स की स्वदेशी और टिकाऊ तकनीक

बैटएक्स एनर्जीज द्वारा विकसित की गई रीसाइक्लिंग तकनीक पूरी तरह से स्वदेशी, कम तापमान और कम दबाव आधारित हाइड्रोमेटलर्जिकल प्रक्रिया है, जो परंपरागत तरीकों से बेहतर है। इस तकनीक की खासियतें हैं:

  • डुअल-मोड (गीला और सूखा) ब्लैक मास रिकवरी तकनीक, जो 97-99% तक धातु रिकवरी की दक्षता सुनिश्चित करती है।

  • एंड-टू-एंड प्रोसेस जिसमें संग्रह, श्रेडिंग, धातु निक्षालन और शुद्धिकरण शामिल हैं, पूरी तरह स्वदेशी और पेटेंटेड है।

  • कोई आयातित उपकरण या तकनीक की आवश्यकता नहीं, जिससे विदेशी निर्भरता कम होती है।

  • विभिन्न बैटरी केमिस्ट्री को प्रोसेस करने की क्षमता, जिससे तकनीक अधिक लचीली और व्यापक बनती है।


परियोजना का विस्तार और संभावित प्रभाव

टीडीबी से मिली सहायता के जरिए कंपनी अपनी पायलट परियोजना को बढ़ाकर वाणिज्यिक स्तर पर ले जाएगी। इसका अर्थ है कि अब यह तकनीक बड़े पैमाने पर उपयोग में लाई जा सकेगी, जिससे:

  • भारत में बैटरी ग्रेड यौगिकों का घरेलू उत्पादन संभव हो सकेगा।

  • विदेशी खनिजों पर निर्भरता घटेगी और करोड़ों रुपये की बचत होगी।

  • सर्कुलर इकोनॉमी को बल मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

  • भारत में ग्रीन जॉब्स और स्थानीय रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।


नेतृत्व की प्रतिक्रिया

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने इस परियोजना को भारत की ऊर्जा भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा:

“इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव के साथ-साथ समान रूप से मजबूत रीसाइक्लिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर भी होना चाहिए। बैटएक्स जैसी स्वदेशी तकनीकों का समर्थन करने से हमारी स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होती है, रणनीतिक खनिज स्वतंत्रता बढ़ती है और भारत को टिकाऊ औद्योगिक नवाचार में अग्रणी स्थान मिलता है।”

वहीं बैटएक्स एनर्जीज के सह-संस्थापक और सीईओ श्री उत्कर्ष सिंह ने कहा:

“टीडीबी का समर्थन हमारे लिए एक बड़ा मोड़ साबित होगा। यह भारत में बैटरी रीसाइक्लिंग के लिए एक वास्तविक स्वदेशी समाधान को स्थापित करने में मदद करेगा। हम न केवल खनिजों के आयात पर निर्भरता घटाएंगे, बल्कि भारत को स्वच्छ-तकनीक नवाचार के वैश्विक मानचित्र पर एक नई ऊंचाई पर भी पहुंचाएंगे।”


अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और पेटेंट सुरक्षा

बैटएक्स द्वारा पुनः प्राप्त किए जा रहे यौगिक – जैसे लिथियम कार्बोनेट, कोबाल्ट सल्फेट, निकेल सल्फेट आदि – अंतरराष्ट्रीय स्तर के गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं। इससे ये यौगिक भारत में घरेलू बैटरी विनिर्माताओं के लिए उपयोगी साबित होंगे और साथ ही निर्यात योग्य भी होंगे।

कंपनी ने अब तक सात पेटेंट दायर किए हैं, जिनमें से दो को मंजूरी मिल चुकी है। पूरी प्रक्रिया का विकास कंपनी की इन-हाउस आरएंडडी टीम ने किया है, जिससे तकनीकी आत्मनिर्भरता को और मजबूती मिलती है।


आत्मनिर्भर भारत और सस्टेनेबल ग्रोथ की दिशा में

यह परियोजना भारत सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” अभियानों के अनुकूल है। स्वदेशी तकनीक के जरिए बैटरियों का पुनर्चक्रण न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा, बल्कि हरित विकास (Green Growth) के वैश्विक लक्ष्य की पूर्ति में भी योगदान देगा।

बैटरी रीसाइक्लिंग जैसे नवाचारों से ई-कचरे की समस्या में भी काफी कमी आएगी, जो आज के डिजिटल युग में एक विकराल चुनौती बनती जा रही है।


🔹 क्या है BatX Energies?

BatX Energies एक नोएडा आधारित ग्रीन स्टार्टअप है, जो अपशिष्ट बैटरियों से कीमती धातुएं (लिथियम, कोबाल्ट, निकल आदि) निकालने के लिए उन्नत हाइड्रोमेटलर्जिकल तकनीक का उपयोग करता है। कंपनी की यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ पारंपरिक पद्धतियों की तुलना में अधिक प्रभावी और सस्ती है।


🔹 TDB से मिली वित्तीय सहायता

TDB ने BatX Energies को लगभग ₹18 करोड़ की सहायता दी है, जिसमें से ₹8.96 करोड़ अनुदान के रूप में और बाकी रियायती ऋण के रूप में दिए गए हैं। इस फंड का उपयोग कंपनी उत्तर प्रदेश के सोनीपत में एक अत्याधुनिक बैटरी रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित करने के लिए करेगी, जिसकी सालाना क्षमता 2,500 मीट्रिक टन अपशिष्ट बैटरियों की प्रोसेसिंग की होगी।


🔹 क्यों है यह पहल अहम?

  1. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान: भारत अब भी लिथियम, कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण धातुओं के लिए चीन और अफ्रीकी देशों पर निर्भर है। BatX की यह तकनीक भारत को इन धातुओं की घरेलू स्तर पर पुनर्प्राप्ति में सक्षम बनाएगी।

  2. पर्यावरण संरक्षण: बैटरियों का गलत तरीके से निष्पादन पर्यावरण के लिए खतरनाक होता है। इस तकनीक से अपशिष्ट को दोबारा संसाधित करके प्रदूषण को कम किया जा सकेगा।

  3. सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा: अपशिष्ट से संसाधन पुनः प्राप्त कर एक चक्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना में मदद मिलेगी।


🔹 सरकार की सक्रिय भागीदारी

TDB ने इस परियोजना को “उच्च संभावनाओं वाली स्वदेशी तकनीक” करार दिया है। सरकार की योजना है कि EV (इलेक्ट्रिक व्हीकल) क्षेत्र के विकास के साथ-साथ रीसाइक्लिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत किया जाए, ताकि भारत बैटरी कचरे के प्रबंधन में वैश्विक नेतृत्व कर सके।


🔹 भविष्य की दिशा

BatX Energies का लक्ष्य है कि वह आने वाले 3 वर्षों में देशभर में कई मिनी और मेगा रीसाइक्लिंग प्लांट्स स्थापित करे। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।


निष्कर्ष

टीडीबी द्वारा बैटएक्स एनर्जीज को दी गई वित्तीय सहायता न केवल एक कंपनी का समर्थन है, बल्कि स्वदेशी नवाचार, प्रौद्योगिकी-संचालित आत्मनिर्भरता, और सतत विकास की दिशा में भारत के दृढ़ संकल्प का परिचायक है। यह परियोजना भारत को न केवल खनिज संसाधनों में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी हरित नवाचार राष्ट्र के रूप में भी स्थापित करने में मदद करेगी।

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