Correspondent: GT Express | 11.07.2025 | Ghar Tak Express |
भारत का सबसे छोटा राज्य सिक्किम अब कृषि और पर्यटन के साथ-साथ मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी तेजी से अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ‘गोले’ ने जानकारी दी कि आज राज्य में 2000 से अधिक परिवार मत्स्य पालन से जुड़ चुके हैं। यह राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देने के साथ-साथ स्वरोजगार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का संकेत है। उन्होंने बताया कि सिक्किम के युवा वर्ग तेजी से आधुनिक जलीय कृषि तकनीकों को अपनाने में रुचि दिखा रहा है, जो आने वाले वर्षों में राज्य को मत्स्य पालन के मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिला सकता है।
मत्स्य पालन – रोजगार, पोषण और प्रगति का आधार
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज मत्स्य पालन केवल एक परंपरागत पेशा नहीं, बल्कि यह स्वरोजगार, पोषण सुरक्षा और आर्थिक मजबूती का स्रोत बन चुका है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिक्किम जैसे पर्वतीय राज्य में जल संसाधनों का सतत और स्मार्ट उपयोग ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का उल्लेख करते हुए बताया कि इस योजना ने देशभर में मछुआरा समुदायों को संकट के समय, विशेषकर मंदी के मौसम में, आर्थिक सहारा प्रदान किया है। मत्स्य पालन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में 5,94,538 परिवार इस योजना से लाभान्वित हुए हैं।
जैविक मछली पालन की ओर अग्रसर सिक्किम
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की सहायता से जैविक मछली पालन की शुरुआत करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य पर्यावरण-अनुकूल विधियों से उत्पादन को बढ़ाना और किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “इस पहल से सिक्किम के ग्रामीण क्षेत्रों में हरित आय स्रोत तैयार होंगे और स्थायी कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा।” उन्होंने बताया कि मछली पालन को पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप विकसित करना राज्य की प्राथमिकता है। इससे स्वस्थ भोजन, रोजगार के अवसर और सतत विकास – तीनों ही लक्ष्यों को साथ में साधा जा सकेगा।
राष्ट्रीय मत्स्य क्षेत्र की प्रगति – एक सफलता गाथा
भारत सरकार के ₹38,500 करोड़ के निवेश ने देश के मत्स्य क्षेत्र को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। वित्त वर्ष 2013-14 में देश का कुल मत्स्य उत्पादन 95.79 लाख टन था, जो 2024-25 में बढ़कर 195 लाख टन हो गया – यानी 104% की वृद्धि। इसके अलावा, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में 140% की बढ़ोतरी हुई है, जो भारत के जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग और केंद्रित नीतिगत पहलों की सफलता को दर्शाता है।
झींगा उत्पादन में भारत की वैश्विक बढ़त
270% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसने भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान किया है। यह प्रगति न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित करने का माध्यम बनी है, बल्कि इससे मछुआरा समुदायों को सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गति भी प्राप्त हुई है।
सिक्किम की नई पीढ़ी और तकनीकी कृषि
मुख्यमंत्री तमांग ने युवाओं को खास तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि आज के युवाओं के पास जैविक मत्स्य पालन, बायोफ्लॉक तकनीक, री-सर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) जैसे आधुनिक विकल्प हैं, जिन्हें अपनाकर वे न केवल आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकते हैं। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सब्सिडी आधारित मत्स्य बीज वितरण, और मछली आहार अनुदान योजना की भी जानकारी दी।
जलवायु परिवर्तन और मत्स्य पालन में संतुलन की आवश्यकता
तमांग ने यह भी कहा कि हिमालयी राज्य होने के नाते सिक्किम को जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जल प्रबंधन, मछली के स्वास्थ्य की निगरानी, और पर्यावरण-संवेदनशीलता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि “हमारी योजनाएं केवल उत्पादन पर नहीं, बल्कि जैव विविधता के संरक्षण और पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता पर भी केंद्रित हैं।”
भारत में मत्स्य पालन की ताजा झलक (विश्लेषणात्मक रिपोर्ट)
भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र बीते एक दशक में अभूतपूर्व गति से विकसित हुआ है। केंद्र और राज्य सरकारों की सक्रिय नीतियों, योजनाओं और निवेशों ने इसे स्वरोजगार, पोषण सुरक्षा, और विदेशी मुद्रा अर्जन का मजबूत आधार बना दिया है। आइए, भारत में मत्स्य क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख उपलब्धियों और आंकड़ों पर एक विस्तृत नज़र डालते हैं:
राष्ट्रीय मत्स्य उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि
यह 104% की शानदार वृद्धि दर्शाता है, जो सरकार की योजनाओं, जल संसाधनों के प्रभावशाली उपयोग, और तकनीकी नवाचारों का परिणाम है।
इस वृद्धि में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण, फिश बीज वितरण, मछली आहार पर सब्सिडी और कोल्ड चेन सपोर्ट जैसे कार्यक्रमों ने भी प्रमुख भूमिका निभाई है।
अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में 140% की छलांग
देश में पारंपरिक समुद्री मत्स्य उत्पादन के साथ-साथ अंतर्देशीय जल स्रोतों – जैसे तालाब, झीलें, जलाशय और कृत्रिम टैंकों – में मत्स्य पालन को जबरदस्त बढ़ावा मिला है।
बीते एक दशक में इस क्षेत्र में 140% की वृद्धि दर्ज की गई है।
यह न केवल पर्यावरणीय रूप से अनुकूल है, बल्कि कृषक समुदायों को कृषि के साथ एक वैकल्पिक आय का साधन भी प्रदान करता है।
बायोफ्लॉक तकनीक, री-सर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) और इंटीग्रेटेड फिश फार्मिंग जैसे नवाचारों ने उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ाई हैं।
झींगा उत्पादन में 270% की रिकॉर्डतोड़ वृद्धि
भारत का झींगा उत्पादन पिछले 10 वर्षों में 270% तक बढ़ा है, जिससे देश ने वैश्विक झींगा निर्यात के क्षेत्र में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका स्थापित कर ली है।
यह वृद्धि विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों में देखी गई है।
झींगा निर्यात ने लाखों परिवारों को रोजगार और आर्थिक स्थायित्व प्रदान किया है।
एक्वा लैब नेटवर्क, क्लीन हैचरी, और बीमारियों से मुक्त बीज (SPF Prawn Seed) की नीतियों ने झींगा उद्योग को सतत और वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाया है।
समुद्री खाद्य निर्यात ₹60,500 करोड़ के पार
भारत का समुद्री खाद्य निर्यात (Marine Products Export) अब ₹60,500 करोड़ से अधिक हो चुका है।
यह देश के विदेशी मुद्रा भंडार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
अमेरिका, जापान, चीन, यूरोपीय संघ और मध्य पूर्व जैसे बाजारों में भारतीय समुद्री उत्पादों की भारी मांग है।
इस निर्यात में फ्रोजन झींगा, फ्रोजन फिश, और ड्राईड फिश की सबसे अधिक हिस्सेदारी है।
केंद्र सरकार ने इसके लिए मेगा फूड पार्क, बंदरगाह आधारित प्रोसेसिंग यूनिट्स और रोजगार केंद्रित इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता दी है।
5.94 लाख परिवारों को राहत:
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत मछुआरों को मंदी के मौसम (फिशिंग ऑफ़ सीजन) के दौरान भी आर्थिक सहायता दी जाती है।
हाल के आंकड़ों के अनुसार, देश में 5,94,538 परिवारों को इस योजना के अंतर्गत लाभ मिला है।
इसमें डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से भुगतान, बीमा, ऋण सब्सिडी, और जीविकोपार्जन सहायता शामिल है।
इससे मछुआरा समुदायों की आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य सुरक्षा, और शिक्षा-संबंधी खर्चों में सहायता मिली है।
मछली पालन में नई ऊर्जा और तकनीकी उत्साह:
भारत का सबसे छोटा पर्वतीय राज्य सिक्किम, अब मत्स्य पालन में भी उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है।
राज्य में 2000 से अधिक परिवार अब इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से जुड़ चुके हैं।
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने बताया कि आधुनिक जलीय कृषि, स्थायी जल संसाधन उपयोग, और जैविक मछली पालन के जरिए राज्य नई संभावनाएं खोल रहा है।
युवा वर्ग विशेष रूप से बायोफ्लॉक तकनीक, फिश हैचरी, और मोबाइल फिश वैन जैसे उपक्रमों में रुचि ले रहा है।
राज्य सरकार द्वारा प्रशिक्षण शिविर, मछली बीज वितरण केंद्र, और सहकारी मॉडल से उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
Source: DD News
भारत में मत्स्य पालन से संबंधित FAQs
1. राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस मनाया जाता है। यह मछुआरा समुदाय, मछली पालकों और मत्स्य वैज्ञानिकों के योगदान को Ans सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
2. भारत का वर्तमान मत्स्य उत्पादन कितना है?
Ans वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल मत्स्य उत्पादन 195 लाख टन हो चुका है, जो कि 2013-14 के 95.79 लाख टन से 104% अधिक है।
3. अंतर्देशीय मत्स्य पालन में किस प्रकार की वृद्धि हुई है?
Ans अंतर्देशीय जल संसाधनों पर आधारित मत्स्य पालन और जलीय कृषि में 140% वृद्धि दर्ज की गई है।
4. झींगा उत्पादन में भारत ने क्या प्रगति की है?
Ans भारत में पिछले 10 वर्षों में झींगा उत्पादन में 270% की वृद्धि हुई है। इससे भारत वैश्विक झींगा निर्यात में अग्रणी देश बन गया है।
5. भारत के समुद्री खाद्य निर्यात का वर्तमान मूल्य क्या है?
Ans भारत का समुद्री उत्पाद निर्यात ₹60,500 करोड़ से अधिक का हो चुका है।