Correspondent: GT Express | 22.07.2025 | Ghar Tak Express |
देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगाने वाले वीर सेनानियों को भारत सरकार द्वारा जारी “स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना (एसएसएसवाई)” के अंतर्गत आज तक कुल 1,71,689 स्वतंत्रता सेनानियों एवं उनके आश्रितों को केंद्रीय पेंशन स्वीकृत की जा चुकी है। लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में 13,212 पेंशनभोगी जीवित हैं, जिनमें स्वतंत्रता सेनानी, उनके जीवनसाथी एवं पुत्रियाँ शामिल हैं।
इस योजना के तहत अब भी 9,778 विधवाएँ/आश्रित महिलाएँ पेंशन प्राप्त कर रही हैं। राज्यवार आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि सबसे अधिक जीवित पेंशनभोगी तेलंगाना (3017), पश्चिम बंगाल (1799), है, बल्कि उनके बलिदान की पीढ़ियों तक स्मृति बनाए रखना भी है।
साल 1980 में शुरू हुई इस योजना के अंतर्गत पात्रता के सख्त मापदंड निर्धारित हैं। इनमें छह महीने से अधिक की कैद, भूमिगत जीवन, नज़रबंदी, संपत्ति की जब्ती, गोली लगने से स्थायी विकलांगता, सरकारी नौकरी का नुकसान इत्यादि शामिल हैं। महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के सेनानियों के लिए पात्रता में छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त, आश्रितों के लिए भी योजना विस्तारित है—जहाँ जीवनसाथी की मृत्यु के बाद अधिकतम तीन अविवाहित पुत्रियों, माता या पिता को पेंशन मिल सकती है।
पिछले पाँच वर्षों में इस योजना हेतु बजट आवंटन एवं वितरण की बात करें, तो सरकार ने कुल ₹3316 करोड़ रुपये आवंटित किए, जिनमें से ₹3115.39 करोड़ रुपये वितरित किए गए। वर्ष 2020-21 में ₹760 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि 2024-25 में यह राशि ₹600 करोड़ रुपये निर्धारित की गई। योजना का क्रियान्वयन भले ही केंद्रीकृत हो, परंतु राज्यवार आंकड़ों के अनुसार विभिन्न प्रदेशों में लाभार्थियों की संख्या में व्यापक विविधता देखी गई है।
सर्वाधिक पेंशन प्राप्त करने वाले राज्य:
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बिहार एवं झारखंड: 24,905
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आईएनए (आजाद हिंद फौज): 22,472
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पश्चिम बंगाल: 22,523
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आंध्र प्रदेश: 15,286
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महाराष्ट्र: 17,974
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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड: 18,004
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तमिलनाडु: 4,147
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केरल: 3,429
सबसे कम संख्या वाले राज्य/संघ राज्य क्षेत्र:
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नगालैंड: 3
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मिजोरम: 4
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अंडमान-निकोबार: 3
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दादरा नगर हवेली: 83
सेनानियों का रिकॉर्ड संकलित कर रही है। यह दस्तावेज़ स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पेंशन हेतु दस्तावेजी आवश्यकताएँ और प्रक्रियाएँ
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कारावास प्रमाणपत्र: जेल अधिकारी या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी
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दो सह-कैदी प्रमाणपत्र: जब अभिलेख अनुपलब्ध हों
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भूमिगत प्रमाण: सरकारी आदेश या स्वतंत्रता सेनानी से पीकेसी
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नजरबंदी आदेश, संपत्ति जब्ती आदेश, विकलांगता प्रमाण, आदि
स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना (SSSY)
स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक केंद्रीय पेंशन योजना है, जिसका उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले वीर सेनानियों और उनके परिजनों को आर्थिक सहायता व सम्मान प्रदान करना है। यह योजना उन सेनानियों के बलिदान का सम्मान करती है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
वर्ष 1980
इस योजना की शुरुआत वर्ष 1980 में की गई थी, जब सरकार ने महसूस किया कि स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों के प्रति एक स्थायी, नियमित आर्थिक समर्थन आवश्यक है। इसका मूल उद्देश्य स्वतंत्रता सेनानियों को वृद्धावस्था में गरिमा के साथ जीवन जीने में सहायता प्रदान करना था।
स्वतंत्रता सेनानियों/उनके आश्रितों को आर्थिक सहायता एवं सम्मान
यह योजना केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है। इसका उद्देश्य है कि स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों को जीवन की अंतिम साँस तक यह अनुभव हो कि देश उनके योगदान को भूला नहीं है।
जीवित पेंशनभोगी: 13,212
वर्तमान में 13212 पेंशनभोगी जीवित हैं, जिनमें स्वतंत्रता सेनानी स्वयं, उनके जीवनसाथी, पुत्रियाँ आदि शामिल हैं। ये सभी पात्र लाभार्थी हर माह सम्मान राशि के रूप में केंद्रीय पेंशन प्राप्त करते हैं।
जीवित विधवाएँ/आश्रित जीवनसाथी: 9,778
इनमें से 9778 महिलाएँ ऐसी हैं जो अपने स्वर्गीय सेनानी जीवनसाथी के आश्रित के रूप में पेंशन प्राप्त कर रही हैं। यह पेंशन जीवनसाथी की मृत्यु के उपरांत पारिवारिक पेंशन के रूप में दी जाती है।
अब तक पेंशन प्राप्त करने वाले: 1,71,689
इस योजना के आरंभ से अब तक 1,71,689 स्वतंत्रता सेनानियों एवं उनके आश्रितों को पेंशन स्वीकृत की जा चुकी है। यह संख्या दर्शाती है कि योजना का देशभर में व्यापक प्रभाव रहा है।
तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र
राज्यवार आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना (3017), पश्चिम बंगाल (1799), और महाराष्ट्र (1543) ऐसे राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा पेंशनभोगी आज भी जीवित हैं। यह दर्शाता है कि इन राज्यों से स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी व्यापक रूप में रही थी।
6 माह की जेल, नजरबंदी, गोली से विकलांगता, संपत्ति जब्ती आदि
योजना में शामिल होने के लिए निम्नलिखित मानदंड तय किए गए हैं:
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छह माह या अधिक जेल की सजा, महिलाओं एवं अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए 3 माह।
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भूमिगत जीवन (वांछित अपराधी घोषित या गिरफ्तारी के आदेश लंबित)।
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घरेलू नजरबंदी या निर्वासन छह माह या उससे अधिक।
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गोलीबारी या लाठीचार्ज में स्थायी विकलांगता।
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सरकारी नौकरी से निष्कासन स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के कारण।
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संपत्ति की जब्ती या कुर्की स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की वजह से।
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बेंत या कोड़े की सजा।
प्रत्येक मामले में उचित दस्तावेजों एवं प्रमाण-पत्रों के माध्यम से पात्रता की पुष्टि आवश्यक है।
जीवनसाथी, अधिकतम 3 अविवाहित पुत्रियाँ, माता/पिता
स्वतंत्रता सेनानी की मृत्यु के बाद उनके जीवनसाथी को पारिवारिक पेंशन दी जाती है।
यदि जीवनसाथी भी नहीं रहते, तो अधिकतम तीन अविवाहित पुत्रियाँ, अथवा माता या पिता इस योजना के अंतर्गत पेंशन के पात्र होते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को भी सम्मान के साथ जीवन यापन का अवसर मिले।
₹600 करोड़
वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार ने इस योजना हेतु ₹600 करोड़ का बजट आवंटित किया है। विगत वर्षों में भी सरकार ने औसतन ₹600-760 करोड़ प्रति वर्ष इस योजना के लिए सुनिश्चित किए हैं, जो योजना की निरंतरता और स्थायित्व को दर्शाता है।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय
इस योजना का नोडल मंत्रालय गृह मंत्रालय है। हालांकि राज्यवार वितरण गृह मंत्रालय द्वारा नहीं किया जाता, परंतु पेंशन की मंजूरी, पात्रता की जांच, बजट आवंटन इत्यादि पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन होती है। इसके अतिरिक्त, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) स्वतंत्रता सेनानियों की सूची को संग्रहित करने का कार्य करती है।
Source : PIB
1. यह योजना किसके लिए है?
उत्तर:
यह योजना भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों (जीवनसाथी, अविवाहित पुत्रियाँ, माता-पिता) के लिए है।
2. योजना कब शुरू हुई थी?
उत्तर:
यह योजना साल 1980 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
3. इस योजना का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों को आर्थिक सहायता, सम्मान और राष्ट्र की कृतज्ञता प्रदान करना।
4. योजना का क्रियान्वयन कौन करता है?
उत्तर:
यह योजना भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती है।
सूचियाँ और ऐतिहासिक रिकॉर्ड ICHR (भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद) द्वारा संकलित किए जाते हैं।
5. योजना के तहत कौन-कौन पात्र है?
उत्तर:
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जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने कम से कम 6 माह की जेल काटी हो (SC/ST और महिलाओं के लिए 3 माह)।
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भूमिगत रहे हों।
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संपत्ति जब्त हुई हो या नजरबंद रहे हों।
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गोली लगने से स्थायी विकलांगता हुई हो।
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स्वतंत्रता संग्राम के कारण सरकारी नौकरी से निकाले गए हों।
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मृत्यु के बाद जीवनसाथी, फिर तीन अविवाहित पुत्रियाँ, या माता-पिता।
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