Security cover of Digital India

Security cover of Digital India : डिजिटल भारत की सुरक्षा कवच साइबर अपराधों के विरुद्ध सरकार की रणनीति

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Correspondent: GT Express | 25.07.2025 | Ghar Tak Express |

भारत सरकार ने साइबर अपराधों से लड़ने और दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई तकनीकी और नीतिगत उपाय लागू किए हैं। गृह मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और अन्य संबद्ध एजेंसियों के समन्वय से एक व्यापक सुरक्षा ढांचा खड़ा किया गया है, जिसमें नागरिकों की भागीदारी, तकनीकी नवाचार और बहु-स्तरीय सहयोग को प्राथमिकता दी गई है।

 

संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने आज राज्यसभा में जानकारी दी कि कार्यकारी नियमों के अनुसार साइबर अपराध से संबंधित मामले गृह मंत्रालय के अधीन हैं, जबकि दूरसंचार विभाग दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कार्य करता है। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं, फिर भी केंद्र सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई अभिनव पहल की हैं।

 

गृह मंत्रालय ने एक विशेष संस्था – भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14सी) की स्थापना की है, जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक सहयोगी मंच के रूप में कार्य करती है।

 

दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अनेक तकनीकी उपाय किए हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्पूफ कॉल्स की पहचान और अवरोध के लिए एक प्रणाली तैयार की गई है जो विदेशी साइबर अपराधियों द्वारा भारत में स्पूफ कॉलिंग को नियंत्रित करती है। इसके अतिरिक्त एआई और बिग डेटा एनालिटिक्स आधारित टूल ‘एएसटीआर’ का विकास किया गया है, जो एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग नामों से लिए गए सिम कार्ड की पहचान कर सकता है।

 

नागरिकों की जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘संचार साथी ऐप/पोर्टल’ की पहल की गई है, जिसमें संदेहास्पद कॉल और मैसेज की रिपोर्टिंग आसान बनाई गई है। संचार मित्र स्वयंसेवक कार्यक्रम के माध्यम से छात्र स्वयंसेवक विश्वविद्यालय स्तर पर नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा और धोखाधड़ी से सुरक्षा के विषय में जागरूक कर रहे हैं। इसके अलावा राज्य-स्तरीय अभियानों, सोशल मीडिया कैंपेन, एसएमएस संदेशों और कार्यशालाओं के ज़रिए जागरूकता को जनांदोलन में बदलने का प्रयास किया गया है।

 

दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार किया गया डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) अब तक 620 से अधिक संगठनों को जोड़ चुका है, जिसमें केंद्रीय और राज्य पुलिस बल, 14सी, जीएसटीएन, बैंकिंग संस्थान और टेलीकॉम कंपनियाँ शामिल हैं। यह प्लेटफॉर्म धोखाधड़ी संबंधी डेटा साझा करने और कार्रवाई में तेजी लाने का काम करता है।

 

एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहल ‘वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक’ (एफआरआई) है, जो मोबाइल नंबरों को उनके संभावित धोखाधड़ी जोखिम के आधार पर वर्गीकृत करता है। इससे बैंक, एनबीएफसी और यूपीआई प्रदाताओं को उपयोगकर्ताओं की प्रोफाइलिंग में सहायता मिलती है और वे सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दे सकते हैं।

 

इन सभी पहलों का उद्देश्य साइबर अपराध के खतरे को कम करना, नागरिकों को जागरूक बनाना और वित्तीय प्रणाली को साइबर धोखाधड़ी से सुरक्षित करना है। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है – डिजिटल भारत को सुरक्षित बनाना और हर नागरिक को डिजिटल साक्षरता से लैस करना।

गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) – 14सी (I4C):

“इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर” (I4C) गृह मंत्रालय की प्रमुख पहल है। इसका कार्य राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना, साइबर अपराध की प्रवृत्तियों की निगरानी करना, तकनीकी समाधान उपलब्ध कराना और रणनीतिक दिशा देना है।
प्रमुख कार्य:

साइबर अपराध जांच में सहायता

प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करना

अपराध के ट्रेंड का डेटा विश्लेषण

राष्ट्रीय नीति निर्माण में योगदान

दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications – DoT):

यह विभाग साइबर धोखाधड़ी के लिए उपयोग किए जा रहे सिम कार्ड, मोबाइल कनेक्शन और नेटवर्क संसाधनों की पहचान करता है और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए तकनीकी ढांचा विकसित करता है।
प्रमुख कार्य:

सिम फर्जीवाड़ा रोकना

टेलीकॉम फ्रॉड ट्रैकिंग सिस्टम

दूरसंचार कंपनियों के साथ समन्वय

कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ (Law Enforcement Agencies – LEAs):

ये एजेंसियाँ प्राप्त शिकायतों की जांच करती हैं, अपराधियों की पहचान करती हैं और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती हैं।
प्रमुख कार्य:

एफआईआर दर्ज करना

तकनीकी और फॉरेंसिक जांच

न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग

प्रमुख प्लेटफॉर्म व तकनीकी पहल:

14सी (I4C):

यह समन्वय केंद्र देशभर की विभिन्न एजेंसियों, राज्यों और तकनीकी विशेषज्ञों को एक साझा मंच पर लाता है ताकि साइबर अपराधों से मिलकर निपटा जा सके।

एनसीआरपी (National Cybercrime Reporting Portal – NCRP):

यह एक ऑनलाइन पोर्टल है (www.cybercrime.gov.in) जहाँ नागरिक साइबर अपराधों जैसे ऑनलाइन ठगी, साइबर बुलिंग, महिला संबंधित अपराधों आदि की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

AI आधारित यह प्रणाली फर्जी या धोखाधड़ी वाले सिम कार्ड्स को पहचानने और ट्रैक करने में सक्षम है। इससे टेली-कॉलिंग और ओटीपी धोखाधड़ी जैसी समस्याओं पर नियंत्रण पाया जा रहा है।

डीआईपी (Digital Intelligence Platform – DIP):

यह एक उन्नत विश्लेषणात्मक प्रणाली है जो टेलीकॉम डेटा, बैंकिंग लेनदेन, और अन्य डिजिटल गतिविधियों का विश्लेषण कर संभावित धोखाधड़ी गतिविधियों की पहचान करती है।

एफआरआई (Fraud Risk Indicators – FRI):

यह प्रणाली वित्तीय लेन-देन, क्रेडिट कार्ड उपयोग और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को ट्रैक करके धोखाधड़ी की संभावना को पहले ही अलर्ट कर देती है, जिससे बैंक और संस्थाएँ सचेत रह सकें।

प्रमुख आँकड़े (2024):

कुल प्राप्त शिकायतें: 19.18 लाख (1.918 मिलियन)

अनुमानित खोई गई राशि: ₹22,811.95 करोड़ रुपये

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि साइबर अपराध अब केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी असर डालने लगे हैं। इतनी बड़ी धनराशि का नुकसान गंभीर चिंता का विषय है।

सहयोगी और सामुदायिक प्रयास:

संचार साथी ऐप (Sanchar Saathi App):

इस मोबाइल ऐप के ज़रिए कोई भी नागरिक यह जान सकता है कि उनके नाम पर कितने मोबाइल नंबर चालू हैं। साथ ही, वे अनधिकृत नंबरों को रिपोर्ट और ब्लॉक भी कर सकते हैं।

संचार मित्र अभियान (Sanchar Mitra Abhiyan):

यह एक जन-जागरूकता अभियान है, जिसके माध्यम से टेलीकॉम क्षेत्र में नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी से बचने की जानकारी दी जाती है।

सोशल मीडिया जागरूकता:

सरकारी संस्थाएं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर नियमित रूप से साइबर सुरक्षा टिप्स, अलर्ट और सूचना साझा करती हैं।

शैक्षणिक कार्यशालाएँ व स्वयंसेवक कार्यक्रम:

विद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों को प्रशिक्षित करने हेतु साइबर सुरक्षा पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। छात्र स्वयंसेवकों के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यापक जागरूकता फैलाई जाती है।

प्रमुख लाभार्थी वर्ग:

आम नागरिक:
साइबर अपराध से सुरक्षा, जानकारी का संरक्षण और सहायता प्रणाली में सुलभता।

छात्र और युवा वर्ग:
डिजिटल जागरूकता, करियर सुरक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण का लाभ।

बैंक और वित्तीय संस्थाएँ:
धोखाधड़ी की पूर्व चेतावनी, ट्रांजैक्शन सुरक्षा, ग्राहक विश्वास में वृद्धि।

टेलीकॉम सेवा प्रदाता:
फर्जी सिम की रोकथाम, ग्राहक डेटा की रक्षा।

राज्य और जिला पुलिस बल:
बेहतर केस ट्रैकिंग, तकनीकी सहायता, अपराध रोकथाम में तीव्रता।

Source : PIB

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