कम नमक

कम नमक ज्यादा जीवन भारत में शुरू हुई ICMR-NIE की अभिनव नमक-नियंत्रण परियोजना

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Correspondent: GT Express | 13.07.2025 | Ghar Tak Express |

भारतीय थाली में नमक एक ऐसा घटक है जिसे स्वाद का राजा माना जाता है, पर यही नमक यदि मात्रा में अधिक हो जाए तो गंभीर स्वास्थ्य संकट का कारण भी बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्पष्ट किया है कि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति अधिकतम 5 ग्राम से कम नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है। ग्रामीण क्षेत्रों में 5.6 ग्राम नमक का रोज़ सेवन हो रहा है, जो इस सीमा से कहीं अधिक है।

कम्युनिटी-लीड सॉल्ट रिडक्शन” पहल की शुरुआत

इसी गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए ICMR-NIE ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना “कम्युनिटी-लीड सॉल्ट रिडक्शन” की शुरुआत की है। फिलहाल इस पहल को पंजाब और तेलंगाना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है, जिसमें अगले तीन वर्षों के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को कम नमक सेवन के लिए प्रेरित किया जाएगा।

उच्च रक्तचाप और नमक की भूमिका

नमक का अत्यधिक सेवन मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) का प्रमुख कारण है। हाई ब्लड प्रेशर एक ‘साइलेंट किलर’ है जो स्ट्रोक, दिल का दौरा और किडनी खराब होने जैसी समस्याओं की जड़ बन सकता है। ICMR-NIE के मुताबिक, भारत में हर चार में से एक वयस्क को हाइपरटेंशन है, लेकिन अधिकतर लोगों को इसका पता ही नहीं होता। विशेषज्ञों का मानना है कि नमक की खपत में थोड़ी सी भी कटौती (जैसे प्रतिदिन एक चुटकी) से रक्तचाप में औसतन 7/4 mmHg तक की कमी लाई जा सकती है।

 डॉ. शरण मुरली की अगुवाई में पहल

इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे डॉ. शरण मुरली के अनुसार, “यह सिर्फ एक स्वास्थ्य परियोजना नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक सुधार की दिशा में कदम है।” उन्होंने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता गांवों में जाकर नमक के सेवन के वास्तविक पैटर्न को समझ रहे हैं, और लोगों को कम सोडियम नमक के लाभ समझा रहे हैं। इसके साथ ही, लोगों को खाने में स्वाद बनाए रखते हुए मसालों और जड़ी-बूटियों से स्वाद को समृद्ध करने की तरकीबें भी सिखाई जा रही हैं।

कम सोडियम नमक क्या है?

कम सोडियम नमक (Low Sodium Salt – LSS) एक प्रकार का वैकल्पिक नमक है जिसमें पारंपरिक सोडियम क्लोराइड की मात्रा कम होती है और उसे पोटैशियम क्लोराइड या मैग्नीशियम जैसे अन्य तत्वों से आंशिक रूप से बदला जाता है। यह विशेष रूप से हृदय रोगियों, उच्च रक्तचाप के मरीजों और वृद्ध व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। इसका नियमित सेवन रक्तचाप नियंत्रण में मदद करता है और सामान्य नमक की तुलना में शरीर पर कम बोझ डालता है।

LSS की उपलब्धता और चुनौतियां

ICMR-NIE द्वारा चेन्नई के 300 रिटेल स्टोर्स में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, LSS की उपलब्धता फिलहाल सीमित है। सुपरमार्केट में यह 52% दुकानों में मौजूद था, जबकि छोटे किराना स्टोरों में केवल 4% स्थानों पर ही यह उपलब्ध पाया गया। कुल मिलाकर, केवल 28% स्टोर्स में ही कम सोडियम नमक की उपलब्धता थी। इस डेटा से स्पष्ट होता है कि इस उत्पाद की मांग और जागरूकता दोनों में कमी है।

 कीमत का मुद्दा

उपलब्धता के साथ-साथ कीमत भी एक प्रमुख बाधा है। जहाँ सामान्य आयोडाइज्ड नमक ₹2.70 प्रति 100 ग्राम मिलता है, वहीं कम सोडियम नमक की कीमत लगभग ₹5.60 प्रति 100 ग्राम है। यह अंतर ग्रामीण और निम्न आयवर्ग के परिवारों के लिए इसे अपनाना कठिन बना देता है। डॉ. मुरली का मानना है कि यदि सरकारी प्रोत्साहन, सब्सिडी या सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से LSS को शामिल किया जाए तो इसकी स्वीकार्यता बढ़ सकती है।

PinchForAChange सोशल मीडिया अभियान

इन्फोग्राफिक्स, फैक्ट शीट्स, सरल संदेश, और छोटी वीडियो क्लिप्स के माध्यम से बताया जा रहा है कि कैसे “एक चुटकी कम नमक” भी सेहत में बड़ा बदलाव ला सकती है। यह अभियान खासतौर पर ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर सक्रिय है, जहां डॉक्टर, न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ इन्फ्लुएंसर्स इससे जुड़ रहे हैं।

 हेल्थ वेलनेस सेंटर्स की भूमिका

हेल्थ वेलनेस सेंटर्स (HWCs) इस पूरे अभियान की रीढ़ साबित हो रहे हैं। इन केंद्रों पर प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता न केवल लोगों को नमक सेवन के बारे में जानकारी दे रहे हैं, बल्कि उन्हें ब्लड प्रेशर की नियमित जांच, संतुलित आहार, और कम सोडियम विकल्पों की सूची भी प्रदान कर रहे हैं। HWCs में सामुदायिक किचन मॉडल और स्थानीय सामग्रियों से कम नमक युक्त व्यंजन बनाना सिखाया जा रहा है।

 सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियां

भारत में नमक का प्रयोग न केवल स्वाद के लिए, बल्कि संस्कृति का हिस्सा भी है। कई पारंपरिक व्यंजन बिना नमक के अधूरे माने जाते हैं। ऐसे में लोगों को नमक कम करने के लिए राज़ी करना एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन है। इसलिए परियोजना के तहत स्कूलों, आंगनबाड़ियों, स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडलों में लगातार संवाद व जागरूकता सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएं

यदि यह परियोजना पंजाब और तेलंगाना में सफल रहती है, तो इसे पूरे देश में चरणबद्ध रूप से लागू किया जा सकता है। इसके लिए नीति आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय और एफएसएसएआई जैसे संस्थानों से समन्वय स्थापित किया जा रहा है। इस परियोजना की सफलता से देश में एक स्थायी “डाइट काउंसलिंग मॉडल” विकसित किया जा सकता है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था का हिस्सा बनेगा।

Source : DD News

1. यह पहल किसने शुरू की है और इसका उद्देश्य क्या है

उत्तर:
इस पहल को ICMR-NIE (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान) ने शुरू किया है। इसका उद्देश्य भारत में लोगों द्वारा नमक की अत्यधिक खपत को कम करना है ताकि हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और किडनी समस्याओं जैसी बीमारियों की रोकथाम की जा सके।

2. WHO द्वारा नमक की कितनी मात्रा सुरक्षित मानी जाती है

उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 5 ग्राम (एक छोटा चम्मच) से कम नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।

3. वर्तमान में भारत में औसतन कितना नमक खाया जा रहा है

उत्तर:
भारत में औसतन:

  • शहरी क्षेत्रों में – 9.2 ग्राम/दिन

  • ग्रामीण क्षेत्रों में – 5.6 ग्राम/दिन
    जो कि WHO की सिफारिश से अधिक है।

4. कम सोडियम नमक (Low Sodium Salt – LSS) क्या होता है

उत्तर:
LSS एक ऐसा नमक है जिसमें सोडियम क्लोराइड की मात्रा कम होती है और उसकी जगह पोटैशियम या मैग्नीशियम जैसे तत्वों को मिलाया जाता है। यह हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अधिक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प माना जाता है।

5. LSS की उपलब्धता कितनी है

उत्तर:
ICMR-NIE द्वारा चेन्नई में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार:

  • केवल 28% रिटेल स्टोर्स में LSS उपलब्ध था।

  • सुपरमार्केट में – 52%

  • छोटे किराना स्टोर्स में – मात्र 4%

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