अमेरिका यात्रा 2025
अमेरिका यात्रा 2025, 21वीं सदी के तीसरे दशक में भारत की विदेश नीति एक निर्णायक मोड़ पर आ पहुँची है। वैश्विक मंचों पर भारत की भागीदारी केवल एक विकासशील राष्ट्र की नहीं रही, बल्कि एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में उसका कद दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। डॉ. एस. जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री, इस कूटनीतिक बदलाव के सबसे सशक्त प्रतिनिधि हैं। उनकी हालिया अमेरिका यात्रा न केवल भारत-अमेरिका संबंधों में नई ऊर्जा का संचार करती है, बल्कि वैश्विक राजनीति में भारत की सक्रियता और नेतृत्व की पुष्टि भी करती है।
यात्रा का आरंभ: नई दिल्ली से न्यूयॉर्क तक
26 जून 2025 को डॉ. एस. जयशंकर तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर अमेरिका रवाना हुए। यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य दो था—संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में “आतंकवाद की मानवीय कीमत” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का उद्घाटन करना और वॉशिंगटन डीसी में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेना। यात्रा के आरंभिक चरण में डॉ. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात की, जहाँ उन्होंने वैश्विक आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता जैसे मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
आतंकवाद की मानवीय कीमत: एक वैश्विक दृष्टिकोण
प्रदर्शनी की पृष्ठभूमि
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित इस प्रदर्शनी का शीर्षक था “The Human Cost of Terrorism”। यह भारत की ओर से एक कूटनीतिक प्रयास था, जिसके माध्यम से वैश्विक समुदाय को यह याद दिलाया गया कि आतंकवाद केवल राजनीतिक संकट नहीं है, बल्कि मानवीय त्रासदी भी है। प्रदर्शनी का उद्देश्य यह दिखाना था कि आतंकवाद की पीड़ा और इसके परिणाम कैसे आम नागरिकों को प्रभावित करते हैं।
प्रदर्शनी की मुख्य विशेषताएँ
- दृश्य और श्रव्य माध्यम: मुंबई, पुलवामा, ब्रसेल्स, नैरोबी, न्यूयॉर्क और पेरिस जैसे हमलों के पीड़ितों की कहानियाँ, तस्वीरें और वीडियो साक्षात्कार।
- आँकड़ों का विश्लेषण: डिजिटल इन्फोग्राफिक्स के माध्यम से यह बताया गया कि आतंकवाद ने विभिन्न क्षेत्रों में कितना नुकसान पहुँचाया।
- भारत की भूमिका: FATF में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की भारत की सक्रियता, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क के विरुद्ध वैश्विक समर्थन जुटाने की रणनीति।
डॉ. जयशंकर का उद्घाटन वक्तव्य
“यह प्रदर्शनी केवल आँकड़ों की प्रस्तुति नहीं है, यह उन मासूम जिंदगियों की गाथा है जो आतंकवाद की निर्दयता की शिकार हुईं। भारत का यह संदेश स्पष्ट है—आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और जो इसे बढ़ावा देते हैं उन्हें वैश्विक समुदाय में कोई स्थान नहीं मिलना चाहिए।”
संयुक्त राष्ट्र में द्विपक्षीय बैठकें: सुधार और समावेशिता की मांग
न्यूयॉर्क प्रवास के दौरान डॉ. जयशंकर ने अनेक महत्वपूर्ण नेताओं और प्रतिनिधियों से मुलाकात की:
- एंटोनियो गुटेरेस (संयुक्त राष्ट्र महासचिव): संयुक्त राष्ट्र में सुधार, जलवायु न्याय और वैश्विक दक्षिण की भूमिका पर चर्चा।
- G4 सदस्य राष्ट्रों के स्थायी प्रतिनिधि: भारत, जापान, जर्मनी और ब्राज़ील की ओर से सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग को दोहराया गया।
- अफ्रीकी यूनियन, यूरोपीय संघ और ASEAN के प्रतिनिधि: विकासशील देशों की जरूरतों और वैश्विक वित्तीय सहायता पर विचार-विमर्श।
प्रमुख मुद्दे
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी।
- आतंकवाद के विरुद्ध कठोर वैश्विक नीति निर्माण।
- सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर सहयोग।
वॉशिंगटन डीसी: क्वाड बैठक का केंद्र
क्वाड का स्वरूप और उद्देश्य
क्वाड (Quadrilateral Security Dialogue) एक रणनीतिक मंच है, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्रता, समावेशिता और नियम आधारित व्यवस्था को बनाए रखना है। वर्ष 2025 की इस बैठक का आयोजन वॉशिंगटन डीसी में किया गया।
प्रतिभागी और एजेंडा
- भारत: डॉ. एस. जयशंकर
- अमेरिका: विदेश मंत्री मार्को रुबियो
- जापान: विदेश मंत्री योको कामिकावा
- ऑस्ट्रेलिया: विदेश मंत्री पेनी वोंग
बैठक के मुख्य एजेंडा बिंदु:
- समुद्री सुरक्षा: हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में संयुक्त गश्त, समुद्री आपात संकेत प्रणाली की स्थापना।
- प्रौद्योगिकी सहयोग: क्वाड एआई मिशन (Q-AIM), क्वांटम टेक्नोलॉजी फोरम।
- आतंकवाद निरोधक रणनीति: “Quad Counter-Terror Task Force” की स्थापना, आतंक वित्त निगरानी नेटवर्क।
- जलवायु परिवर्तन: हाइड्रोजन ईंधन पर संयुक्त अनुसंधान, द्वीपीय देशों के लिए स्वच्छ ऊर्जा कोष।
डॉ. जयशंकर का वक्तव्य
“हमें एक ऐसा हिंद-प्रशांत चाहिए जो स्वतंत्र, समावेशी और समृद्ध हो। क्वाड न केवल भू-राजनीतिक, बल्कि मानवीय सहयोग का भी मंच बन चुका है।”
प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद
न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में भारतीय समुदाय से मुलाकात
डॉ. जयशंकर ने अमेरिका में बसे भारतीय प्रवासी समुदाय से मुलाकात की। इस संवाद के दौरान उन्होंने भारत सरकार की उपलब्धियों, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत की नीतियों को साझा किया। प्रवासी भारतीयों ने भी शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में भारत में हो रहे परिवर्तनों की सराहना की।
प्रमुख विषय
- भारतीय युवाओं के लिए स्टार्टअप वीज़ा पहल
- भारत में निवेश के अवसर
- अमेरिका में भारतीयों की सामाजिक भूमिका
अमेरिकी सांसदों और थिंक टैंकों से संवाद
वॉशिंगटन डीसी में डॉ. जयशंकर ने भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों और प्रमुख थिंक टैंक संस्थानों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी साझेदारी, साइबर सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक नीति पर विस्तृत चर्चा हुई।
पाकिस्तान को घेरेबंदी: आक्रामक कूटनीति का संदेश
संयुक्त राष्ट्र में डॉ. जयशंकर ने पाकिस्तान के आतंकवाद पोषण के इतिहास को उजागर किया और मांग की कि वैश्विक मंच पर ऐसे देशों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई की जाए। भारत ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की सूची को UN के समक्ष प्रस्तुत किया और FATF में उसके खिलाफ सख्ती बरतने की अपील की।
अमेरिकी मीडिया और विश्लेषकों की प्रतिक्रिया
डॉ. जयशंकर की यात्रा को अमेरिकी मीडिया ने भारत की परिपक्व विदेश नीति का प्रतीक बताया। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय अखबारों और विश्लेषकों ने इसे भारत की सशक्त कूटनीतिक उपस्थिति और वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर एक कदम के रूप में देखा।
दीर्घकालिक प्रभाव और निष्कर्ष
डॉ. एस. जयशंकर की अमेरिका यात्रा ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दी, बल्कि वैश्विक कूटनीति में भारत की भूमिका को भी मजबूत किया। आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक अभियान में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका, क्वाड जैसे मंचों पर उसका सक्रिय सहयोग, और संयुक्त राष्ट्र में उसकी स्थायी सदस्यता की दावेदारी—इन सभी पहलुओं ने यह साबित किया कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था का पुनर्निर्माता बन चुका है।
भारत की विदेश नीति अब केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं रही, बल्कि वह सक्रिय, आत्मविश्वासपूर्ण और दूरदर्शी हो चुकी है। आने वाले वर्षों में यह स्पष्ट होता जाएगा कि भारत का यह कूटनीतिक उदय न केवल विश्व राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि एक नई विश्व व्यवस्था की नींव रखेगा।
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