रूसी तेल से न केवल भारत को लाभ, बल्कि वैश्विक स्थिरता को भी बल हरदीप सिंह पुरी

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Correspondent: GT Express | 12.07.2025 | Ghar Tak Express |

एक वैश्विक ऊर्जा संकट के बीच, भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के फैसले की आलोचना करने वालों को केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट और तथ्यों पर आधारित जवाब दिया है। अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने यह दावा किया कि अगर रूस को वैश्विक तेल बाजार से पूरी तरह बाहर कर दिया गया होता, तो तेल की कीमतें 120 से 130 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चली जातीं और दुनिया को एक असहनीय आपूर्ति संकट का सामना करना पड़ता।

भारत की रणनीति ने किया वैश्विक संकट का समाधान

पुरी ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की ऊर्जा नीति तीन प्रमुख स्तंभों — उपलब्धता, किफायत, और सततता — पर आधारित रही है। इस नीति के तहत भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल खरीद कर न केवल अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा किया, बल्कि वैश्विक मांग-आपूर्ति श्रृंखला में संतुलन भी बनाए रखा। उन्होंने बताया कि भारत ने हमेशा निर्धारित मूल्य सीमा (Price Cap) के अंतर्गत रहते हुए खरीददारी की और यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं था।

रूस की भूमिका और वैश्विक प्रभाव

पुरी के अनुसार, रूस प्रतिदिन लगभग 90 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है, जो वैश्विक आपूर्ति के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है। वैश्विक खपत लगभग 9.7 करोड़ बैरल तक पहुंच सकती थीं। इसका असर न केवल विकासशील देशों पर पड़ता, बल्कि विकसित अर्थव्यवस्थाएं भी भारी दबाव में आ जातीं,” उन्होंने कहा।

आलोचना पर मंत्री का प्रहार

केंद्रीय मंत्री ने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि कुछ लोग, जिन्हें ऊर्जा बाजार की वास्तविक समझ नहीं है, भारत की नीतियों की अनावश्यक आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारी रणनीति ने न केवल देश को ऊर्जा सुरक्षा दी है, बल्कि दुनिया को एक बड़ी आपूर्ति संकट से भी बचाया है।” पुरी ने यह भी कहा कि भारत किसी भी वैधानिक या नैतिक बाधा का उल्लंघन नहीं कर रहा है। रूस पर कोई वैश्विक प्रतिबंध नहीं था, और भारत ने जो भी तेल खरीदा, वह विश्व व्यापार नियमों के अंतर्गत था।

रसोई गैस में भी भारत का रिकॉर्ड ऐतिहासिक

पुरी ने रसोई गैस की बात करते हुए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की सफलता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे कम कीमत पर स्वच्छ रसोई गैस उपलब्ध  जो सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत के ऊर्जा अन्वेषण का विस्तार

अपने बयान में पुरी ने यह भी बताया कि भारत अब अपनी ऊर्जा आत्मनिर्भरता को और बढ़ाने के लिए आक्रामक रुख अपना रहा है। ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के 10वें दौर के तहत सरकार ने 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नए तेल और गैस भंडारों की खोज का लक्ष्य रखा है। उनका कहना है कि सरकार 2025 तक 0.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर और 2030 तक 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अन्वेषण के दायरे में लाना चाहती है। इससे देश में घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता घटेगी।

वैश्विक भूमिका में उभरता भारत

पुरी ने अपने इंटरव्यू में कहा कि भारत अब केवल ऊर्जा आयातक ही नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक ऊर्जा संरचना को स्थिर और न्यायसंगत बनाए रखने में एक निर्णायक भागीदार बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने पारंपरिक और नवीकरणीय दोनों प्रकार की ऊर्जा में निवेश करके एक संतुलित मॉडल प्रस्तुत किया है। साथ ही, भारत ने अफ्रीका, मध्य एशिया और दक्षिण अमेरिका में भी ऊर्जा सहयोग बढ़ाया है।

वैश्विक संस्थाओं में भारत की भूमिका

 विकासशील देशों की जरूरतों के साथ जुड़ी है। भारत अब नीति निर्धारण की परिधि में नहीं, बल्कि केन्द्रीय भूमिका में है,” उन्होंने कहा।

हर भारतीय के लिए ऊर्जा न्याय

ऊर्जा मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में उज्ज्वला योजना से महिला सशक्तिकरण को भी नया बल मिला है। चूल्हे के धुएं से होने वाली बीमारियों में भारी गिरावट आई है और एलपीजी के उपयोग से स्वच्छता और जीवनस्तर में सुधार हुआ है। पुरी ने कहा कि ऊर्जा तक पहुंच केवल आर्थिक मसला नहीं है, यह सामाजिक न्याय का भी विषय है।

आगे की राह और चुनौतियाँ

हालांकि भारत ने वैश्विक संकट को टालने में प्रभावशाली भूमिका निभाई है, लेकिन आने वाले वर्षों में ऊर्जा मांग और पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होगी। भारत ने 2070 तक नेट-ज़ीरो का लक्ष्य रखा है, और उसके लिए पारंपरिक ऊर्जा के साथ-साथ हरित ऊर्जा में निवेश जारी रहेगा।

10.3 करोड़ से अधिक परिवार लाभान्वित

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की शुरुआत वर्ष 2016 में गरीब और वंचित तबके की महिलाओं को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। 2025 तक वाला देश बना दिया है।

केवल 0.4 डॉलर प्रति किलोग्राम में एलपीजी उपलब्ध

सरकार की सब्सिडी और कुशल वितरण प्रणाली के चलते उज्ज्वला लाभार्थियों को एलपीजी केवल 0.4 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम की दर पर उपलब्ध कराई जा रही है। यह वैश्विक मानकों के अनुसार सबसे कम दरों में से एक है, जिससे यह योजना आर्थिक रूप से अत्यंत प्रभावी साबित हो रही है।

सिर्फ 7-8 सेंट प्रतिदिन की लागत

यदि दैनिक उपयोग की औसत गणना की जाए, तो उज्ज्वला योजना के अंतर्गत एलपीजी पर होने वाला खर्च प्रति परिवार केवल 7 से 8 सेंट प्रतिदिन है। यह लागत इतनी कम है कि यह गरीब से गरीब परिवार के बजट में भी सहज रूप से समाहित हो जाती है, जिससे उन्हें जीवन की गुणवत्ता सुधारने का अवसर मिलता है।

महिलाओं को चूल्हे के धुएं से राहत, स्वास्थ्य में सुधार

उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण और पिछड़े इलाकों की महिलाओं को पारंपरिक चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाई है। अनुसंधान दर्शाते हैं कि धुएं से जुड़ी श्वसन समस्याएं, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में, अब पहले की तुलना में काफी कम हुई हैं। इससे न केवल स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, बल्कि घरेलू कार्यों में लगने वाला समय भी बचा है।

पर्यावरणीय सुधार में निर्णायक भूमिका

एलपीजी जैसे स्वच्छ ईंधन के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है और जैविक ईंधनों (लकड़ी, गोबर, कोयला) पर निर्भरता घटी है। इससे न केवल वनों की कटाई कम हुई है, बल्कि वायु प्रदूषण में भी स्थायी गिरावट आई है। उज्ज्वला योजना अब भारत के जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के साथ सीधा मेल खाती है।

Source : DD News

Q1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) क्या है?

उत्तर: यह भारत सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2016 में गरीब और वंचित तबके की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने के उद्देश्य से की गई थी, ताकि उन्हें पारंपरिक चूल्हे के धुएं से राहत मिले और स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़े।

Q2. अभी तक कितने परिवार उज्ज्वला योजना से लाभान्वित हुए हैं?

उत्तर: जुलाई 2025 तक इस योजना के तहत 10.3 करोड़ से अधिक परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिए जा चुके हैं।

Q3. उज्ज्वला योजना के अंतर्गत एलपीजी कितनी कीमत पर मिलती है?

उत्तर: लाभार्थियों को रसोई गैस केवल 0.4 डॉलर प्रति किलोग्राम (लगभग ₹33-₹34/किग्रा) की रियायती दर पर उपलब्ध कराई जाती है।

Q4. उज्ज्वला योजना का दैनिक खर्च कितना आता है?

उत्तर: एक औसत परिवार को उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गैस पर सिर्फ 7 से 8 सेंट (₹6-7) प्रति दिन का खर्च आता है।

Q5. उज्ज्वला योजना से महिलाओं को क्या लाभ हुआ है?

उत्तर: पारंपरिक ईंधनों के धुएं से होने वाली श्वसन और नेत्र संबंधी बीमारियों में कमी आई है। महिलाओं को रसोई में कम समय लगने के साथ-साथ स्वच्छता और सुरक्षा भी मिली है।

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