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रामपुर की ऐतिहासिक चौपाल: शिवराज सिंह चौहान ने खेत में बैठकर किसानों से सीधा संवाद किया

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रामपुर उत्तर प्रदेश

रामपुर उत्तर प्रदेश भारत के ग्रामीण परिदृश्य में जब कोई केंद्रीय मंत्री सीधे खेतों में बैठकर किसानों से संवाद करता है, तो यह केवल एक राजनीतिक उपस्थिति नहीं होती, बल्कि यह उस लोकनीति की पुनर्स्थापना होती है, जहां नीति निर्माता सीधे जन से संवाद करता है। ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिला उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले के मोगा ढाबा गांव में, जहाँ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने “चौपाल पर चर्चा” के तहत किसानों से सीधे संवाद कर न केवल उनकी समस्याएं सुनीं, बल्कि नीति निर्धारण की प्रक्रिया को जनआधारित बनाने का संकल्प भी दोहराया।


🔷 1. चौपाल की शुरुआत: जमीन से जुड़ने की पहल

सुबह की धूप के साथ ही ग्रामीण चौपाल की सजीवता बढ़ गई थी। खेतों के किनारे, आम के पेड़ की छांव में, ग्रामीण परिवेश में सजी यह चौपाल एक अनौपचारिक लेकिन प्रभावशाली संवाद का मंच बन चुकी थी। श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन की शुरुआत धान रोपाई की परंपरागत और वैज्ञानिक विधियों की चर्चा से की। उन्होंने किसानों से पूछा कि वे कौन-कौन सी किस्में लगा रहे हैं और उन्हें किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि भारत के इतिहास में यह पहली बार है जब 60,000 से अधिक गांवों में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत वैज्ञानिकों ने सीधे किसानों से संवाद स्थापित किया है। इस अभियान का उद्देश्य “लैब टू लैंड” (Lab to Land) के विजन को ज़मीनी स्तर पर उतारना है, जहां अनुसंधान संस्थान किसानों की स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं के अनुरूप काम करें।


🌾 2. धान की 1509 किस्म पर रोग का संकट: वैज्ञानिकों को त्वरित निर्देश

चर्चा के दौरान किसानों ने चिंता जताई कि धान की लोकप्रिय किस्म 1509 में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण उपज प्रभावित हो रही है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने तुरंत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और अन्य अनुसंधान संस्थानों को नई रोग प्रतिरोधी किस्मों के विकास पर कार्य करने और मौजूदा समस्याओं को लेकर जमीन पर त्वरित रिस्पॉन्स टीम भेजने के निर्देश दिए।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसान चाहते हैं तो वैज्ञानिक मोबाइल वैन के माध्यम से गांवों में आकर प्रशिक्षण और समाधान कार्यशालाएं कर सकते हैं।


☀️ 3. सौर ऊर्जा पर किसानों की जिज्ञासा: सोलर पंप और पैनल योजना में बढ़ेगा विस्तार

कई किसानों ने सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई की सुविधा की मांग उठाई। उनका कहना था कि बिजली कटौती और डीज़ल की महंगाई ने उन्हें संकट में डाल दिया है। इस पर श्री चौहान ने बताया कि कुसुम योजना (PM-KUSUM) के तहत सरकार सौर पंपों की संख्या बढ़ा रही है और समूह आधारित सोलर पैनल मॉडल भी विकसित किया जा रहा है, जिससे छोटे किसान मिलकर सौर संयंत्र स्थापित कर सकें और बिजली भी बेच सकें


📦 4. चावल निर्यात पर प्रतिबंध हटा: किसान अब वैश्विक बाज़ार में बेच सकेंगे उपज

किसानों को यह जानकारी दी गई कि भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध समाप्त कर दिया है। साथ ही न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) भी हटा दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब किसान दुनिया के किसी भी हिस्से में बेहतर मूल्य मिलने पर अपना उत्पाद बेच सकते हैं।

“अब हमारे किसान केवल स्थानीय मंडियों तक सीमित नहीं रहेंगे। वे वैश्विक किसान बनेंगे।” — शिवराज सिंह चौहान


🧪 5. मृदा स्वास्थ्य कार्ड और पोषण जांच प्रयोगशालाएं गांव स्तर तक

एक किसान ने सवाल उठाया कि मिट्टी की जांच की प्रयोगशालाएं केवल तहसील या ज़िला मुख्यालयों तक सीमित हैं। इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार अब ऐसी पोर्टेबल और मोबाइल प्रयोगशालाओं को बढ़ावा दे रही है, जिनसे 15 मिनट में मृदा जांच के परिणाम मिल सकते हैं।

प्रमुख घोषणाएं:

  • हर ब्लॉक में मृदा जांच केंद्र की स्थापना

  • पोर्टेबल मृदा परीक्षण किट्स का मुफ्त वितरण

  • किसानों को मृदा पोषण प्रबंधन पर डिजिटल प्रशिक्षण


🌾 6. गेहूं और मक्का उत्पादक किसानों की मांगें: उचित एमएसपी और समर्थन मूल्य प्रणाली

किसानों ने गेहूं और मक्का की फसल के संबंध में मंडी कीमतों की अनिश्चितता पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बाजारों में दलालों की भूमिका से उन्हें पर्याप्त मूल्य नहीं मिलता। इस पर केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि:

  • सरकार ई-नाम (e-NAM) प्लेटफॉर्म को मजबूत कर रही है

  • किसानों को एफपीओ (FPO) के माध्यम से सीधा बाज़ार उपलब्ध कराया जाएगा

  • समर्थन मूल्य पर डिजिटल भुगतान और ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा


🐞 7. कीटनाशक नियंत्रण और बागवानी में वायरस संकट पर मंत्री का रुख

बातचीत के दौरान किसानों ने कीटनाशकों के अत्यधिक मूल्य, नकली उत्पादों और बीमारी से फलों की फसल के प्रभावित होने की बात कही। श्री चौहान ने स्पष्ट किया कि:

  • नकली बीज और कीटनाशकों के उत्पादकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी

  • बागवानी फसलों के लिए संरक्षित खेती (Protected Cultivation) को प्रोत्साहन दिया जाएगा

  • कीटनाशक संतुलन पर जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा


📉 8. उर्वरक संकट और डीएपी की अनुपलब्धता पर किसानों की चिंता

कई किसानों ने बताया कि खरीफ सीजन के लिए DAP और यूरिया की आपूर्ति में कमी है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को समय पर उर्वरक आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही:

  • एक राष्ट्रीय उर्वरक ट्रैकिंग मोबाइल ऐप लॉन्च किया जाएगा

  • किसान सहकारी समितियों को प्राथमिकता से उर्वरक दिया जाएगा


🚜 9. कृषि यंत्रीकरण और यांत्रिक सहायता पर संवाद

किसानों ने बताया कि छोटे जोत वाले किसानों के पास ट्रैक्टर या मशीनें नहीं होतीं। श्री चौहान ने कहा कि:

  • प्रत्येक ब्लॉक में कृषि यंत्र कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए जा रहे हैं

  • फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें सब्सिडी पर दी जाएंगी

  • महिला किसानों को कृषि यंत्र प्रशिक्षण दिया जाएगा


🎓 10. कृषि शिक्षा, नवाचार और युवाओं की भूमिका

श्री चौहान ने युवाओं से कहा कि अब सरकार कृषि को केवल खेती नहीं, बल्कि एक समग्र उद्यम के रूप में देख रही है। उन्होंने बताया कि:

  • कृषि स्टार्टअप्स को 50 लाख रुपये तक अनुदान

  • AI आधारित कृषि तकनीक पर R&D सहयोग

  • “ग्राम कृषि नवोन्मेष केंद्र” की स्थापना का प्रस्ताव


🧑‍🌾 11. ग्रामीण विकास और मनरेगा का समन्वय

चर्चा के दौरान ग्रामीणों ने मनरेगा योजनाओं में कृषि से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देने की मांग की। मंत्री ने बताया कि:

  • मनरेगा के तहत खेत तालाब, मेडबंधी, और ड्रेनेज निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा

  • स्वयं सहायता समूहों को डेयरी, बागवानी और प्रसंस्करण में शामिल किया जाएगा


🛡️ 12. किसानों की सुरक्षा, बीमा और सामाजिक सरंक्षण

श्री चौहान ने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पुनर्गठित किया है। अब:

  • दावा राशि सीधे किसान के खाते में

  • मोबाइल ऐप से बीमा क्लेम की ट्रैकिंग

  • प्राकृतिक आपदा के दौरान तत्काल राहत फंड की व्यवस्था


🧭 13. मंत्री का वादा: सप्ताह में दो दिन खेतों में बिताऊंगा

चर्चा के समापन पर श्री शिवराज सिंह चौहान ने भावुक स्वर में कहा:

“मैं दिल्ली की वातानुकूलित दीवारों के भीतर नहीं बैठूंगा। अब हर सप्ताह दो दिन मैं खेतों में किसानों के साथ बिताऊंगा — उनकी मिट्टी की खुशबू में समाधान की राह मिलेगी।”


📸 14. चौपाल की झलकियाँ: संवाद, समाधान और संकल्प

  • खेत में बैठकर चाय और गुड़ के साथ हुई चौपाल

  • महिला किसान समूहों ने मंत्री को स्थानीय बीज भेंट किए

  • वैज्ञानिकों ने现场 प्रदर्शन से धान और मक्का के मॉडल दिखाए

  • युवाओं ने “डिजिटल कृषि” पर प्रस्तुतिकरण किया


📜 निष्कर्ष: चौपाल से निकले संवादों से बनेगी नई कृषि नीति की दिशा

यह चौपाल केवल एक कार्यक्रम नहीं थी — यह नीति निर्माण की जनकेंद्रित प्रक्रिया की पुनर्स्थापना थी। किसानों की आवाज़, वैज्ञानिकों का समाधान, और एक मंत्री की संवेदनशील उपस्थिति — इन तीनों ने मिलकर यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की कृषि अब केवल उपज नहीं, बल्कि सम्मान, उद्यम और नवाचार का आधार बन चुकी है।

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