राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जा रही खाद्य सुरक्षा योजनाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और वास्तविक पात्र व्यक्तियों तक लाभ सुनिश्चित करने हेतु राज्य सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा लगातार गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को राज्य के खाद्य मंत्री श्री सुमित गोदारा ने कोटपुतली–बहरोड़ कलेक्ट्रेट सभागार में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर ‘गिव अप राशन’ अभियान की प्रगति की समीक्षा की और योजनाओं की सुचारू क्रियान्वयन के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए।
गिव अप अभियान की समीक्षा: पारदर्शिता की ओर बड़ा कदम
बैठक में श्री गोदारा ने ‘गिव अप राशन’ अभियान के तहत अपात्र लाभार्थियों—जैसे कि आयकरदाता, सरकारी कर्मचारी, चौपहिया वाहन मालिक और एक लाख से अधिक वार्षिक आय वाले परिवार—द्वारा खाद्य सुरक्षा योजना से स्वेच्छा से हटने की उपखंडवार समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह अभियान मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की मंशा के अनुरूप अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका उद्देश्य वास्तविक पात्र लोगों को लाभ दिलाना है।
उन्होंने अधिकारियों को 31 अगस्त 2025 तक अभियान के तहत लक्ष्य हासिल करने का स्पष्ट निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इस तिथि के बाद भी यदि कोई अपात्र योजना में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जन-जागरूकता अभियान को मजबूती देने के निर्देश
खाद्य मंत्री ने कहा कि इस अभियान को केवल कागज़ों में सीमित न रखते हुए इसे प्रत्येक ग्राम पंचायत, नगरीय निकाय और वार्ड स्तर तक प्रचारित किया जाए। इसके लिए जन-जागरूकता अभियान, रैली, नुक्कड़ नाटक, बैनर, पोस्टर, सोशल मीडिया और स्थानिय रेडियो स्टेशन का भी उपयोग किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि गांव-गांव जाकर लोगों को स्वेच्छा से योजना छोड़ने के लाभ समझाए जाएं और यह बताया जाए कि इससे किसी और जरूरतमंद को लाभ मिल सकता है।
फील्ड स्तर पर सक्रियता की आवश्यकता: मंत्री गोदारा
मंत्री श्री गोदारा ने अधिकारियों से कहा कि वह केवल बैठकों और रिपोर्टों तक सीमित न रहें, बल्कि फील्ड में जाकर स्वयं जमीनी हकीकत देखें। एनएफएसए योजना का लाभ वास्तविक पात्रों तक पहुंच रहा है या नहीं, इसकी निगरानी स्वयं करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि प्रत्येक उचित मूल्य की दुकान पर “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना” और अन्य योजनाओं की जानकारी स्पष्ट रूप से चस्पा की जाए ताकि सभी उपभोक्ताओं को जानकारी मिल सके।
रेण्डम सत्यापन प्रणाली को मिले बल
श्री गोदारा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत स्वीकृत आवेदनों का जिला स्तरीय रेण्डम सत्यापन (Random Verification) किया जाए। उन्होंने कहा कि रेण्डम सत्यापन से अपात्र प्रविष्टियों की पहचान कर उन्हें योजना से हटाया जा सकता है। इससे न केवल योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।
उन्होंने 2022 और 2025 के एनएफएसए पोर्टल पर लंबित आवेदनों के निस्तारण की भी समीक्षा की और स्पष्ट कहा कि सभी प्रकरणों की जांच रिपोर्ट समय पर प्राप्त की जाए और अपात्र आवेदनों को फिल्टर कर केवल योग्य लाभार्थियों को योजना में शामिल किया जाए।
डिजिटल सत्यापन प्रणाली को प्राथमिकता
खाद्य मंत्री ने आधार लिंकिंग और ई-केवाईसी की प्रगति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो भी लाभार्थी अभी तक ई-केवाईसी नहीं करवा पाए हैं, उनकी सूची संबंधित उचित मूल्य दुकानदारों को उपलब्ध करवाई जाए और उन्हें निर्देशित किया जाए कि वह लाभार्थियों से शीघ्र ई-केवाईसी करवाएं। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल सत्यापन ही योजनाओं की पारदर्शिता और लक्षित वितरण को सुनिश्चित कर सकता है।
बकाया भुगतान शीघ्र करें, वितरण में न हो बाधा
बैठक के दौरान राशन डीलरों के बकाया कमीशन और परिवहनकर्ताओं के लंबित भुगतान की उपखंडवार समीक्षा की गई। श्री गोदारा ने अधिकारियों से कहा कि इस प्रकार के भुगतान में अनावश्यक विलंब से वितरण प्रणाली बाधित होती है, जिससे आमजन को परेशानी होती है। उन्होंने सभी बकाया भुगतान मामलों का नियमानुसार निपटारा शीघ्र करने के निर्देश दिए।
जिलेवार प्रगति रिपोर्ट: एक विश्लेषण
जिला रसद अधिकारी श्री शशि शेखर शर्मा ने बताया कि जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के अंतर्गत कुल 2,10,442 परिवार और 9,11,589 लाभार्थी हैं। उन्होंने कहा कि विभागीय निर्देशों के अनुसार 2% लाभार्थियों का जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा रेण्डम सत्यापन करवाया जा रहा है।
वर्ष 2022 में जब एनएफएसए पोर्टल शुरू किया गया, तब जिले में कुल 26,645 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 25 जून 2025 तक 12,249 परिवारों को योजना में शामिल कर लिया गया है। वहीं, खाद्य सुरक्षा योजना—2025 के तहत अब तक 8,219 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 3,249 आवेदन स्वीकृत कर योजना में जोड़े जा चुके हैं, जबकि शेष आवेदन सत्यापन के लिए प्रक्रियाधीन हैं।
गिव अप अभियान: आंकड़ों में प्रगति
जिले में अब तक गिव अप अभियान के तहत कुल 49,912 यूनिट स्वयं स्वेच्छा से हटाई गई हैं। इसके अलावा ई-केवाईसी नहीं करवाने के कारण 46,457 यूनिट को हटाया गया है। इस प्रकार कुल 96,369 यूनिट इस अभियान के तहत योजना से बाहर की गई हैं। इसके विपरीत, 26 जनवरी 2025 के बाद 78,716 नई यूनिट को योजना में शामिल किया गया है। इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि योजना को अधिक पारदर्शी और लक्षित बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
शिकायत निवारण में गुणवत्ता हो प्राथमिकता
खाद्य मंत्री ने बैठक में अधिकारियों से यह भी कहा कि आमजन की शिकायतों का त्वरित और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं सीधे जनता की जरूरतों से जुड़ी हैं और इनकी उपेक्षा किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।
श्री गोदारा ने कहा कि शिकायत निवारण तंत्र को और अधिक मजबूत बनाया जाए, जहां शिकायतकर्ता को उसकी शिकायत की स्थिति की जानकारी ऑनलाइन या एसएमएस के माध्यम से मिल सके। प्रत्येक जिले में एक विशेष मॉनिटरिंग टीम गठित कर जनशिकायतों की समीक्षा प्रतिमाह की जाए।
बैठक में रहे प्रमुख जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित
बैठक में कोटपूतली विधायक श्री हंसराज पटेल, विराटनगर विधायक श्री कुलदीप धनखड़, बहरोड़ विधायक श्री जसवंत सिंह, अलवर जिला प्रमुख श्री बलबीर छिल्लर, जिला कलक्टर श्रीमती प्रियंका गोस्वामी, एडीएम श्री ओमप्रकाश सहारण, एसडीएम श्री बृजेश चौधरी, जिला रसद अधिकारी श्री शशि शेखर शर्मा और विभाग के उपखंड स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
खाद्य मंत्री ने की विभागीय प्रयासों की सराहना
अंत में मंत्री श्री सुमित गोदारा ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और अधिकारियों को प्रेरित किया कि वे राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप हर पात्र व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने में कोई कसर न छोड़ें। उन्होंने कहा कि ‘गिव अप राशन’ अभियान के माध्यम से राज्य एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है, जहां अपात्र लोग खुद आगे आकर योजना छोड़ें और जरूरतमंदों को उनका हक मिल सके।
निष्कर्ष
खाद्य मंत्री श्री सुमित गोदारा द्वारा की गई यह बैठक राज्य की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही और वास्तविकता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। ‘गिव अप राशन’ अभियान न केवल सामाजिक संवेदनशीलता का परिचायक है, बल्कि इससे राज्य में प्रशासनिक सुधार और संसाधनों का न्यायोचित वितरण सुनिश्चित हो सकेगा। यदि इस अभियान को पूरे राज्य में प्रभावी रूप से लागू किया जाए, तो यह न केवल अपात्र लाभार्थियों की पहचान में सहायक होगा, बल्कि हजारों जरूरतमंद परिवारों के लिए संजीवनी सिद्ध होगा।
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