प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राजील यात्रा को निर्यात संगठन ने बताया ऐतिहासिक मोड़

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Correspondent : GT Express | 09.07.2025 | Ghar Tak Express |

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राजील यात्रा को भारत-ब्राजील रणनीतिक और व्यापारिक संबंधों में एक निर्णायक मोड़ बताया है। एफआईईओ ने कहा है कि यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का अवसर प्रदान करेगी, बल्कि वैश्विक दक्षिण में भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ करेगी। एफआईईओ अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने इस यात्रा को व्यापार, वाणिज्य और निवेश के क्षेत्र में ‘नई ऊर्जा का संचार’ बताया।

इस उच्च स्तरीय यात्रा के दौरान भारत और ब्राजील ने जिन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया, वे हैं: कृषि एवं कृषि-तकनीक, जैव ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, तेल एवं गैस, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, अंतरिक्ष और रक्षा विनिर्माण। एफआईईओ का मानना है कि ये सभी क्षेत्र भारत और ब्राजील दोनों की आर्थिक जरूरतों और क्षमताओं को परस्पर पूरक बनाते हैं। रल्हन के अनुसार, “इन क्षेत्रों में सहयोग से न केवल निर्यात में वृद्धि होगी, बल्कि भारत को अपनी तकनीकी विशेषज्ञता के जरिए वैश्विक बाजारों में नई पहुंच भी मिलेगी।”

एफआईईओ ने यह जानकारी भी दी कि भारत और ब्राजील ने एक विशेष ‘मंत्रिस्तरीय तंत्र’ स्थापित करने पर सहमति जताई है, जो व्यापार, वाणिज्य और निवेश सहयोग को एक रणनीतिक और संस्थागत आधार देगा। यह तंत्र नियमित निगरानी, प्रगति की समीक्षा, व्यापार संबंधित बाधाओं का समाधान और नई पहल शुरू करने में सहायक होगा। इससे न केवल द्विपक्षीय व्यापार में गति आएगी, बल्कि पारदर्शिता और पूर्वानुमेयता भी सुनिश्चित होगी।

एफआईईओ अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि संगठन इस तंत्र को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सरकार और अन्य व्यापारिक संगठनों के साथ मिलकर काम करेगा। “हमारी कोशिश है कि ब्राजील में भारतीय निर्यातकों और निवेशकों को आने वाली चुनौतियों को दूर किया जाए और उन्हें स्थानीय बाजार में मजबूत उपस्थिति स्थापित करने में मदद दी जाए,” उन्होंने कहा। एफआईईओ का मानना है कि यह तंत्र केवल व्यापार को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह द्विपक्षीय व्यापार नीति में समन्वय और स्थायित्व लाने का भी कार्य करेगा।

एफआईईओ ने ब्राजील के बाजार को ‘गतिशील और नवाचार समर्थक’ बताया है, जहाँ भारतीय उत्पादों और तकनीकों के लिए गहरा आकर्षण है। कृषि मशीनरी, सोलर तकनीक, फार्मा उत्पाद और आईटी सेवाओं जैसी श्रेणियों में भारत के लिए ब्राजील में नई संभावनाएं बन रही हैं। साथ ही, ब्राजील के स्टार्टअप और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में भागीदारी भारत को तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में आगे ले जा सकती है।

एफआईईओ ने यह भी रेखांकित किया कि ब्राजील का विशाल भू-क्षेत्र और विविधतापूर्ण क्षेत्रीय बाजार भारतीय उत्पादों के लिए अवसरों का विशाल भंडार हैं। उत्तर भारत के कृषि उत्पाद, दक्षिण भारत के फार्मास्यूटिकल्स, पश्चिम भारत की ऑटो-इंजीनियरिंग और पूर्वोत्तर की जैविक वस्तुएं—सभी के लिए ब्राजील में उपयुक्त खपत बाजार मौजूद हैं।

“यदि सही रणनीति के साथ प्रवेश किया जाए, तो भारतीय निवेशक ब्राजील में न केवल निर्यात बढ़ा सकते हैं, बल्कि संयुक्त उद्यम और स्थानीय उत्पादन के जरिए दीर्घकालिक आधार भी तैयार कर सकते हैं,” रल्हन ने जोड़ा।

दोनों देशों ने डिजिटल परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियों पर भी साझेदारी को बढ़ाने की मंशा जताई है। भारत के डिजिटल इंडिया अभियान और ब्राजील की डिजिटल समावेशन नीति के बीच सहयोग की संभावनाएं स्पष्ट हैं। ई-कॉमर्स, फिनटेक और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाएं व्यापारिक संबंधों को अगले स्तर पर ले जा सकती हैं।

जैव ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा में साझेदारी से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत और ब्राजील केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी उत्तरदायित्व निभा रहे हैं। दोनों देश पेरिस जलवायु समझौते के प्रति प्रतिबद्ध हैं और ग्रीन हाइड्रोजन, एथनॉल आधारित ईंधन तथा सौर ऊर्जा में सहयोग के जरिए वैश्विक सतत विकास में योगदान दे सकते हैं।

भारत और ब्राजील के बीच हालिया राजनयिक संवाद के बाद जिन व्यापारिक क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं उभरकर सामने आई हैं, वे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की पूरकता को दर्शाते हैं। एफआईईओ ने विशेष रूप से जिन क्षेत्रों को रणनीतिक सहयोग के रूप में चिन्हित किया है, उनके संभावित योगदान और परिप्रेक्ष्य को निम्नानुसार विस्तार से समझा जा सकता है:

ब्राजील, जो लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है, और भारत, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है—दोनों देशों में कृषि सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। भारत की “स्मार्ट खेती” तकनीकें जैसे सटीक सिंचाई, ड्रोन आधारित फसल निरीक्षण, और जलवायु-लचीले बीज—ब्राजील के बड़े भू-भाग में अत्यंत लाभदायक हो सकती हैं। वहीं, ब्राजील की सोया, कॉफी और मक्का जैसी फसलों की तकनीकी जानकारी भारत के किसानों को लाभ पहुंचा सकती है। दोनों देश खाद्य प्रसंस्करण और जैविक कृषि के क्षेत्र में भी संयुक्त अनुसंधान एवं व्यापारिक साझेदारी को गहरा कर सकते हैं।

ब्राजील जैव ईंधन, विशेषकर एथनॉल उत्पादन और उपयोग में वैश्विक अग्रणी देश है, जबकि भारत अपने ऊर्जा मिश्रण में एथनॉल को 20% तक लाने की दिशा में कार्य कर रहा है। दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में सहयोग से भारत को स्थायी ऊर्जा स्रोत विकसित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, ग्रीन हाइड्रोजन जैसी भविष्य की ऊर्जा तकनीकों पर संयुक्त अनुसंधान एवं उत्पादन केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं, जो भारत-ब्राजील ऊर्जा संबंधों को दीर्घकालिक स्थायित्व प्रदान करेंगे।

भारत की आईटी सेवाएं वैश्विक रूप से अपनी दक्षता और लागत-प्रभावशीलता के लिए जानी जाती हैं। ब्राजील, जो लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था है, अपने डिजिटलीकरण प्रयासों में भारतीय कंपनियों से तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकता है। विशेष रूप से, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में सहयोग से दोनों देशों के स्टार्टअप, फिनटेक और ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म को नई ऊर्जा मिलेगी। इसके अलावा, भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसे आधार, यूपीआई मॉडल को ब्राजील में लागू करने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।

भारत विश्व का “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” कहलाता है, और ब्राजील अपने विशाल सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए किफायती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की मांग रखता है। इस दिशा में जेनेरिक दवाओं और वैक्सीन निर्माण में भारत-ब्राजील सहयोग से न केवल दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अन्य देशों को भी सस्ती चिकित्सा सुविधाएं मिल सकेंगी। दोनों देश नैदानिक परीक्षण, अनुसंधान केंद्रों की स्थापना और फार्मा उत्पादन में संयुक्त निवेश की संभावनाओं पर भी चर्चा कर रहे हैं।

ब्राजील और भारत दोनों ही वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार बनने की ओर अग्रसर हैं। ब्राजील की रक्षा कंपनियां हल्के हथियारों, पनडुब्बी और सैन्य परिवहन विमानों में दक्ष हैं, जबकि भारत ने रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए ‘मेक इन इंडिया’ जैसी नीतियां अपनाई हैं। इस दिशा में दोनों देशों के बीच संयुक्त उत्पादन, तकनीकी हस्तांतरण, और प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे उपायों पर काम किया जा सकता है। इससे रक्षा निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा और दोनों देश वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भागीदार बन सकते हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और ब्राजील की अंतरिक्ष एजेंसी AEB पहले भी सफलतापूर्वक सहयोग कर चुकी हैं—जैसे कि 2021 में Amazonia-1 उपग्रह का भारतीय रॉकेट से प्रक्षेपण। अब यह सहयोग नई ऊंचाइयों पर पहुँच सकता है। उपग्रह डिजाइन, पृथ्वी अवलोकन डेटा का साझा उपयोग, मौसम पूर्वानुमान और अंतरिक्ष-आधारित संचार प्रणालियाँ दोनों देशों को न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ देंगी, बल्कि कृषि, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा के क्षेत्रों में भी परिवर्तनकारी प्रभाव डालेंगी।

Source : DD News

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रधानमंत्री मोदी की ब्राजील यात्रा और एफआईईओ की प्रतिक्रिया पर आधारित

1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राजील यात्रा को एफआईईओ ने कैसे देखा?

उत्तर: फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) ने इस यात्रा को भारत-ब्राजील व्यापार और रणनीतिक संबंधों में एक निर्णायक मोड़ बताया है। एफआईईओ के अनुसार, यह यात्रा वैश्विक दक्षिण में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करेगी और द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी।

2. किन क्षेत्रों में भारत और ब्राजील ने सहयोग पर विशेष जोर दिया?

उत्तर: दोनों देशों ने कृषि एवं कृषि-तकनीक, जैव ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, तेल और गैस, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, अंतरिक्ष और रक्षा विनिर्माण जैसे परस्पर पूरक क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी है।

3. ‘मंत्रिस्तरीय तंत्र’ क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

उत्तर: भारत और ब्राजील ने एक विशेष मंत्रिस्तरीय तंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है जो व्यापार, निवेश और वाणिज्य सहयोग की निगरानी करेगा। इसका उद्देश्य प्रगति की समीक्षा, बाधाओं को दूर करना और व्यापारिक पहलों को गति देना है।

4. एफआईईओ भारत-ब्राजील व्यापार में कैसे योगदान देगा?

उत्तर: एफआईईओ दोनों देशों की सरकारों और व्यापार निकायों के साथ मिलकर कार्य करेगा, ताकि भारतीय निर्यातकों और निवेशकों को ब्राजील के बाजार में आने वाली चुनौतियों से निपटने और दीर्घकालिक साझेदारियाँ स्थापित करने में मदद मिल सके।

5. ब्राजील भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

उत्तर: ब्राजील एक गतिशील, नवाचार समर्थक और खुला बाजार है, जिसमें भारतीय तकनीकों, उत्पादों और सेवाओं के लिए व्यापक संभावनाएं हैं। इसके अलावा, ब्राजील का भौगोलिक आकार, संसाधन और रणनीतिक स्थिति भारत के लिए दीर्घकालिक व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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