Correspondent: GT Express | 11.07.2025 | Ghar Tak Express |
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश की लॉजिस्टिक्स प्रणाली को स्वच्छ, सुदृढ़ और दीर्घकालिक बनाने के लिए एक नई ऐतिहासिक योजना की शुरुआत की है। भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना के अंतर्गत ‘पीएम ई-ड्राइव’ पहल के तहत अब इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) को सीधे वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। यह पहली बार है जब भारत सरकार ने ई-ट्रकों को लक्षित कर इस प्रकार की प्रत्यक्ष सहायता दी है। इसका उद्देश्य देश में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, ट्रांसपोर्ट लागत घटाना और 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण में योगदान देना है।
केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने इस योजना की घोषणा करते हुए बताया कि डीज़ल ट्रक भारत में कुल वाहनों का मात्र 3 प्रतिशत हैं, लेकिन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में इनका योगदान 42 प्रतिशत है। इससे वायु प्रदूषण में भारी इजाफा होता है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है। श्री कुमारस्वामी ने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह योजना न केवल पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी बड़ा कदम है।
यह योजना केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR) के तहत एन2 और एन3 श्रेणी के ट्रकों पर लागू होगी। एन2 श्रेणी में 3.5 टन से 12 टन तक के ट्रक जबकि एन3 श्रेणी में 12 टन से 55 टन तक के भारी ट्रक शामिल हैं। आर्टिकुलेटेड वाहनों के मामले में, सहायता केवल पुलर ट्रैक्टर पर लागू होगी। योजना की विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु बैटरी, मोटर और वाहन की वारंटी को अनिवार्य किया गया है। बैटरी पर 5 वर्ष या 5 लाख किलोमीटर, और मोटर व वाहन पर 5 वर्ष या 2.5 लाख किलोमीटर (जो भी पहले हो) की वारंटी आवश्यक होगी।
वित्तीय प्रोत्साहन की राशि ट्रक के कुल वजन (GVW) के आधार पर तय की गई है, जिसमें अधिकतम 9.6 लाख रुपये प्रति वाहन तक की सहायता उपलब्ध होगी। यह सहायता ई-ट्रक की खरीद कीमत में अग्रिम कटौती के रूप में दी जाएगी। योजना ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर कार्य करेगी, जिसमें मूल उपकरण निर्माता (OEM) को पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के माध्यम से भुगतान किया जाएगा।
देशभर में 5600 ई-ट्रक, दिल्ली के लिए विशेष प्रावधान
नई योजना के तहत देश में अनुमानित 5,600 इलेक्ट्रिक ट्रकों को मार्ग में लाने का लक्ष्य है। विशेष रूप से राजधानी दिल्ली के लिए 1,100 ई-ट्रकों हेतु 100 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। दिल्ली की विषम वायु गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए, इस विशेष सहायता से राजधानी के परिवहन में बदलाव की उम्मीद की जा रही है। इसका उद्देश्य दिल्ली की जहरीली हवा में सुधार लाना और ट्रकों से होने वाले प्रदूषण को कम करना है।
योजना की मुख्य बातें
योजना नाम: पीएम ई-ड्राइव – ई-ट्रक प्रोत्साहन योजना
संचालक मंत्रालय: केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय
प्रोत्साहन राशि: अधिकतम ₹9.6 लाख प्रति वाहन
लागू वर्गीकरण: एन2 (3.5 टन – 12 टन) व एन3 (12 टन – 55 टन)
वारंटी शर्तें:
बैटरी: 5 वर्ष/5 लाख किमी
वाहन/मोटर: 5 वर्ष/2.5 लाख किमी
पंजीकरण प्राथमिकता: पहले आओ, पहले पाओ
पात्रता: पुराने प्रदूषणकारी ट्रकों का हटाना अनिवार्य
ओईएम कंपनियाँ: वोल्वो आयशर, टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड
ई-ट्रक निर्माता कंपनियों की भागीदारी और बाजार प्रतिक्रिया
वोल्वो आयशर, टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड जैसे भारत के प्रमुख ट्रक निर्माता पहले से ही इलेक्ट्रिक ट्रकों के निर्माण में लगे हुए हैं। पीएम ई-ड्राइव योजना से उन्हें अब तकनीकी निवेश का प्रतिफल मिलेगा और बाज़ार में प्रतिस्पर्धा के साथ लागत में कमी आने की संभावना है। इन कंपनियों ने भारत सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा है कि यह योजना उनके नवाचार को पंख देगी और घरेलू निर्माण में तेजी लाएगी।
सीपीएसई कंपनियों की भूमिका: स्टील सेक्टर से मजबूत शुरुआत
भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) ने घोषणा की है कि वह अगले दो वर्षों में देश के विभिन्न स्थलों पर 150 इलेक्ट्रिक ट्रकों को अपने कार्य में शामिल करेगा। साथ ही, सेल ने आंतरिक लक्ष्य रखा है कि उसकी सभी इकाइयों में किराए पर लिए गए वाहनों में कम से कम 15% इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। यह कदम ना सिर्फ योजना की सफलता में योगदान देगा, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगा।
कार्बन उत्सर्जन घटाने और लॉजिस्टिक्स को आधुनिक बनाने की दिशा में प्रभाव
नया ट्रक सिर्फ जोड़ नहीं बल्कि प्रतिस्थापन बने। इससे लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री के संचालन में बड़ा सुधार आएगा।
2047 तक विकसित भारत, 2070 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य के लिए समर्पित प्रयास
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निर्धारित 2047 तक विकसित भारत और 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने की दिशा में यह योजना मील का पत्थर बन सकती है। ई-ट्रकों का समावेश लॉजिस्टिक्स की ऊर्जा संरचना में परिवर्तन लाएगा और नवीकरणीय ऊर्जा को मुख्यधारा में लाएगा।
लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए दीर्घकालिक लाभ
-
परिचालन लागत में कमी – डीज़ल की तुलना में बिजली सस्ती, और मेंटेनेंस भी कम।
-
स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग – ग्रिड से चार्ज होने वाले वाहनों में रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग।
-
शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण – खासकर दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में भारी ट्रकों से होने वाले प्रदूषण में कमी।
-
स्वदेशी निर्माण को बल – इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण और बैटरी तकनीक के क्षेत्र में घरेलू उद्योगों को बढ़ावा।
Source :PIB
पीएम ई-ड्राइव – ई-ट्रक प्रोत्साहन योजना से संबंधित एक विस्तृत FAQ (Frequently Asked Questions)
सामान्य जानकारी
Q1. पीएम ई-ड्राइव योजना क्या है?
उत्तर: यह भारत सरकार की एक नई योजना है, जिसके तहत भारी इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) को खरीदने पर प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता (सब्सिडी) दी जाती है। यह योजना लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को स्वच्छ और टिकाऊ बनाने के लिए शुरू की गई है।
Q2. यह योजना किस मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही है?
उत्तर: यह योजना केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित की जा रही है।
Q3. योजना का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
-
इलेक्ट्रिक ट्रकों को अपनाने को प्रोत्साहित करना
-
डीज़ल ट्रकों से होने वाले प्रदूषण को कम करना
-
2047 तक विकसित भारत और 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करना
-
लॉजिस्टिक्स सेक्टर की परिचालन लागत घटाना
पात्रता और वाहन श्रेणियाँ
Q4. किन ट्रकों को इस योजना के अंतर्गत सहायता मिलेगी?
उत्तर:
-
एन2 श्रेणी: 3.5 टन से 12 टन तक के इलेक्ट्रिक ट्रक
-
एन3 श्रेणी: 12 टन से 55 टन तक के इलेक्ट्रिक ट्रक
-
आर्टिकुलेटेड वाहनों में केवल एन3 श्रेणी के पुलर ट्रैक्टर पात्र हैं।
Q5. प्रोत्साहन पाने के लिए कोई शर्तें हैं क्या?
उत्तर: हाँ, निम्नलिखित शर्तें अनिवार्य हैं:
-
बैटरी पर 5 वर्ष/5 लाख किमी की वारंटी
-
वाहन/मोटर पर 5 वर्ष/2.5 लाख किमी की वारंटी
-
पुराने प्रदूषणकारी ट्रकों को हटाना अनिवार्य है (स्क्रैपिंग)
1 thought on “प्रधानमंत्री मोदी की ‘पीएम ई-ड्राइव’ योजना से इलेक्ट्रिक ट्रकों को मिलेगी नई रफ्तार”