प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में महात्मा गांधी और गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित कर भारतीय संस्कृति और विश्व बंधुत्व के प्रतीकों को श्रद्धांजलि दी। यह दौरा भारत और अर्जेंटीना के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों और सांस्कृतिक कूटनीति का प्रतीक बन गया है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दोनों महापुरुषों के विचारों को याद किया और उन्हें आधुनिक युग के लिए प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का सनातन दृष्टिकोण और शांति का संदेश आज भी पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शक है, जबकि गुरुदेव टैगोर की शिक्षा और संस्कृति में गहराई से जुड़ी सोच आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्यूनस आयर्स में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें “मानवता के लिए शाश्वत प्रकाश” बताया। उन्होंने कहा,
“बापू के विचार पूरी दुनिया में गूंजते हैं। उनके सिद्धांत आज भी करोड़ों लोगों को शक्ति और आशा प्रदान करते हैं।”
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर यह भी दोहराया कि उनकी सरकार गांधीजी के मूल्यों को ध्यान में रखते हुए एक न्यायपूर्ण और करुणामयी विश्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस यात्रा के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को सशक्त करते हुए गांधीजी के अहिंसा और सत्याग्रह के संदेश को विश्व समुदाय के समक्ष दोहराया।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया और बताया कि गुरुदेव ने 1924 में अर्जेंटीना की यात्रा की थी, जिसने यहां के छात्रों, विद्वानों और बुद्धिजीवियों के बीच गहरी छाप छोड़ी थी। उन्होंने कहा:
“भारत गुरुदेव टैगोर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदानों पर गर्व करता है। उनकी शिक्षा और आत्म-ज्ञान पर आधारित दृष्टिकोण आज भी उतना ही प्रासंगिक है।”
प्रधानमंत्री ने टैगोर के “विश्वभारती” दर्शन को भारत और विश्व के बीच सांस्कृतिक सेतु बताया। उन्होंने कहा कि टैगोर का जीवन दर्शन भारत की धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है और आज भी विश्व को शांति, कला और समावेशिता की शिक्षा देता है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को ‘Key to the City of Buenos Aires’ नामक सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान ब्यूनस आयर्स शहर सरकार के प्रमुख जॉर्ज मैक्रि (Jorge Macri) द्वारा दिया गया, जो इस बात का प्रतीक है कि मोदी के नेतृत्व में भारत-अर्जेंटीना संबंधों को नई ऊंचाई प्राप्त हुई है।
इस समारोह में जॉर्ज मैक्रि ने कहा:
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर जो सम्मान प्राप्त किया है, वह अद्वितीय है। उनके नेतृत्व में भारत और अर्जेंटीना के संबंध केवल राजनयिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और मानवीय आधार पर भी गहरे हुए हैं।
हाल के वर्षों में भारत और अर्जेंटीना के बीच रणनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, फार्मास्युटिकल, कृषि तकनीक, अंतरिक्ष अनुसंधान और स्टार्टअप क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने अर्जेंटीना को भारत का प्राकृतिक सहयोगी बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी सिर्फ भू-राजनीतिक हितों तक सीमित नहीं, बल्कि यह मानवता और सतत विकास के साझा मूल्यों पर आधारित है।
सांस्कृतिक संबंधों की नींव तब पड़ी जब गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय कवि, दार्शनिक और शिक्षाविद, 1924 में अर्जेंटीना पहुंचे। टैगोर की यह यात्रा मात्र एक शारीरिक उपस्थिति नहीं थी, बल्कि दो सभ्यताओं – पूर्व और पश्चिम – के बीच संवाद और समझ का आरंभ थी।
इस यात्रा के दौरान टैगोर की भेंट हुई विक्टोरिया ओकैम्पो (Victoria Ocampo) से, जो उस समय की प्रख्यात अर्जेंटीनी लेखिका, बुद्धिजीवी और संस्कृति संरक्षक थीं। टैगोर की तबीयत खराब होने के कारण वह ब्यूनस आयर्स के पास सान इसिद्रो क्षेत्र में ओकैम्पो के निवास स्थान पर कुछ सप्ताह ठहरे। यहीं से उनके बीच एक गहरी बौद्धिक और आत्मीय मित्रता की शुरुआत हुई, जो वर्षों तक बनी रही।
विक्टोरिया ओकैम्पो ने टैगोर की रचनाओं का स्पेनिश में अनुवाद करवाया, और उनके विचारों को लैटिन अमेरिका में पहुंचाया। इसके बदले टैगोर ने उन्हें “वि.ओ.” उपनाम से कई पत्र लिखे, जो आज भी साहित्यिक धरोहर हैं। टैगोर की इस यात्रा ने अर्जेंटीना के लोगों के मन में भारतीय दर्शन, आत्मा और साहित्य के प्रति सम्मान और जिज्ञासा को जन्म दिया।
15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद अर्जेंटीना उन प्रारंभिक देशों में से एक था जिसने भारत की संप्रभुता को स्वीकारा और 1949 में भारत-अर्जेंटीना के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए। यह संबंध राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर आरंभ हुए, लेकिन जल्द ही इसमें शैक्षिक और सांस्कृतिक आयाम भी जुड़ गए।
इस दौरान भारत ने ब्यूनस आयर्स में भारतीय दूतावास स्थापित किया और अर्जेंटीना ने नई दिल्ली में अपना राजनयिक मिशन शुरू किया। दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शन कला, संगीत, साहित्य, फिल्म और नृत्य के माध्यम से संवाद प्रारंभ किया।
1950 और 60 के दशक में भारतीय फिल्में अर्जेंटीना में दिखाई जाने लगीं और टैगोर, गांधी और विवेकानंद जैसे भारतीय विचारकों की रचनाएं अर्जेंटीनी पुस्तकालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ी जाने लगीं।
2019 में भारत और अर्जेंटीना के संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब अर्जेंटीना सरकार ने भारत को “Strategic Partner” (रणनीतिक साझेदार) के रूप में मान्यता दी। यह महज कूटनीतिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि दोनों देशों की साझा आकांक्षाओं, वैश्विक दृष्टिकोण और आर्थिक हितों का प्रतिबिंब थी।
इस समझौते में ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि तकनीक, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान, और सबसे प्रमुख रूप से सांस्कृतिक और शैक्षणिक सहयोग को बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
इसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति के बीच हुई बैठक में यह सहमति बनी कि दोनों देश सांस्कृतिक एक्सचेंज प्रोग्राम्स, छात्रों के अध्ययन-अवसर, और संयुक्त शैक्षिक शोध को बढ़ावा देंगे। इसके अंतर्गत भारत ने अर्जेंटीना में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (Indian Cultural Centre) स्थापित करने की दिशा में कार्य शुरू किया।
भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ कूटनीति में योग, आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली की बड़ी भूमिका रही है। 2023 में भारत ने अर्जेंटीना में विशेष रूप से योग, आयुर्वेद, और सिद्ध चिकित्सा जैसे पारंपरिक उपचार पद्धतियों के प्रचार-प्रसार के लिए संस्थानिक और तकनीकी सहायता प्रदान की।
अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स, कोर्डोबा और रोसारियो जैसे शहरों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बड़े स्तर पर मनाया गया। भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित इन कार्यक्रमों में हजारों अर्जेंटीनी नागरिकों ने भाग लिया।
साथ ही, आयुष मंत्रालय के सहयोग से अर्जेंटीना में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रशिक्षण केंद्र, वेलनेस क्लिनिक, और आयुर्वेद पर आधारित वर्कशॉप्स आयोजित की गईं, जिनमें अर्जेंटीना के डॉक्टर्स, वैद्य और हेल्थ प्रैक्टिशनर्स ने भाग लिया।
इन प्रयासों के तहत भारत ने अर्जेंटीना को आयुर्वेदिक उत्पादों के नियामक ढांचे, गुणवत्ता मानक और शिक्षण-सामग्री उपलब्ध कराई, जिससे यह वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ समन्वय स्थापित कर सके।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल एक राजनीतिक या औपचारिक पहल नहीं थी, बल्कि यह भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ कूटनीति का उत्कृष्ट उदाहरण है। गांधी और टैगोर जैसे सांस्कृतिक प्रतीकों को केंद्र में रखकर भारत अपने लोकतांत्रिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का वैश्विक विस्तार कर रहा है।
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