प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए निकले हैं। इस बार का दौरा खास है क्योंकि यह उनकी अब तक की सबसे लंबी कूटनीतिक यात्रा है — 5 देश, 8 दिन और दर्जनों उच्च-स्तरीय बैठकें। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य अटलांटिक क्षेत्र में भारत के रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी रिश्तों को और सशक्त बनाना है।
🔷 दौरे का उद्देश्य:
भारत की विदेश नीति में हाल के वर्षों में विस्तारवादी दृष्टिकोण और रणनीतिक संतुलन प्रमुख रहा है। यह यात्रा उसी नीति का विस्तार है। प्रधानमंत्री मोदी इस दौरे के तहत जिन 5 देशों का दौरा कर रहे हैं, वे हैं:
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फ्रांस
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जर्मनी
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कनाडा
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ब्राज़ील
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यूके (ब्रिटेन)
इन देशों के साथ भारत के व्यापार, रक्षा, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी सहयोग और वैश्विक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर समझौते और वार्ताएं होंगी।
🇫🇷 फ्रांस — रक्षा और स्पेस तकनीक में साझेदारी
फ्रांस भारत का पुराना और विश्वसनीय रक्षा साझेदार है। पीएम मोदी के पेरिस दौरे के दौरान राफेल के नए बैच पर बातचीत, संयुक्त नौसेना अभ्यास, और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग की संभावना है। ISRO–CNES स्पेस मिशन पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
🇩🇪 जर्मनी — हरित ऊर्जा और टेक्नोलॉजी
बर्लिन में भारत-जर्मनी हाई-लेवल इंटरगवर्नमेंटल कंसल्टेशन होगा। मुख्य फोकस रहेगा – ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ऑटो सेक्टर में निवेश, और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन।
🇨🇦 कनाडा — राजनयिक ठंडक के बाद पुनर्संवाद
हाल ही में भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आई थी, लेकिन यह दौरा दोनों देशों के बीच संवाद की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण हो सकता है। भारत प्रवासी और आर्थिक सहयोग को पुनर्संतुलित करने की दिशा में पहल कर सकता है।
🇧🇷 ब्राज़ील — ग्लोबल साउथ की साझेदारी
ब्राज़ील में मोदी ‘ग्लोबल साउथ’ सहयोग को लेकर नए कार्यक्रम की शुरुआत कर सकते हैं। साथ ही, खाद्य सुरक्षा, कृषि तकनीक और ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी के रास्ते भी खुल सकते हैं। G20 में भारत और ब्राज़ील की साझेदारी भी अहम विषय होगा।
🇬🇧 यूके — FTA और प्रवासी भारतीय
ब्रिटेन दौरे के दौरान Free Trade Agreement (FTA) को लेकर नई घोषणाएं संभव हैं। इसके अलावा ब्रिटिश पार्लियामेंट में पीएम मोदी का संबोधन भी चर्चा में है। UK में बसे भारतीयों से संवाद भी इस यात्रा का भावनात्मक और कूटनीतिक हिस्सा होगा।
🔷 कूटनीतिक संकेत और वैश्विक संदेश:
यह दौरा केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका का प्रमाण भी है। अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच बढ़ते तनावों के बीच भारत की तटस्थ और रणनीतिक भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
🔷 आर्थिक और तकनीकी परिणाम:
इस दौरे के दौरान निम्नलिखित क्षेत्रों में समझौते या घोषणाएं होने की उम्मीद है:
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मल्टी-बिलियन डॉलर निवेश प्रस्ताव
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रक्षा साझेदारी विस्तार
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ग्रीन टेक्नोलॉजी में ज्वाइंट वेंचर
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स्टार्टअप एक्सचेंज प्रोग्राम
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डिजिटल इंडिया के लिए सहयोग
🔷 आलोचना और चिंताएं:
जहां मोदी समर्थक इस दौरे को ‘भारत की विदेश नीति की जीत’ बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दलों का मानना है कि घरेलू समस्याओं से ध्यान हटाने की यह रणनीति है। कुछ कूटनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि कई मुद्दों पर केवल ‘घोषणाएं’ होंगी, ठोस कार्यान्वयन की ज़रूरत होगी।
🟨 दौरे की पृष्ठभूमि और वैश्विक संदर्भ
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया कई तरह की भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रही है — रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की विस्तारवादी नीति, वैश्विक मंदी, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे वैश्विक मंच पर छाए हुए हैं। इन परिस्थितियों में भारत की भूमिका और भी अधिक अहम हो जाती है।
भारत अब केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक वैश्विक रणनीतिक भागीदार के रूप में देखा जा रहा है। मोदी सरकार की ‘एक्ट वेस्ट’ नीति के तहत यह यात्रा पश्चिमी देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
🟩 व्यापार समझौते और आर्थिक दृष्टिकोण
✅ यूके के साथ FTA की उम्मीद
भारत और ब्रिटेन के बीच Free Trade Agreement (FTA) को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। मोदी की यात्रा के दौरान इसपर अंतिम सहमति बनने की संभावना है। इससे भारत को ब्रिटेन के बाजारों तक बेहतर पहुंच मिलेगी और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी बल मिलेगा।
✅ फ्रांस और जर्मनी के साथ व्यापार सहयोग
फ्रांस के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग के अलावा रेलवे, शहरी विकास, और स्मार्ट सिटी मिशनों में भागीदारी बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाएगा। जर्मनी के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, स्किल डेवलपमेंट और ऑटोमोबाइल सेक्टर में निवेश आकर्षित करने की योजना है।
✅ ब्राज़ील में कृषि और खाद्य सुरक्षा पर सहयोग
भारत और ब्राज़ील के बीच कृषि क्षेत्र में तकनीकी सहयोग, बीज बैंक और जैविक खेती पर संयुक्त अनुसंधान जैसे समझौते संभावित हैं। इससे भारत के किसानों को भी नई तकनीकें मिल सकती हैं।
🟦 प्रवासी भारतीयों से संवाद और ‘भारत ब्रांडिंग’
पीएम मोदी की विदेश यात्राओं का एक मुख्य अंग हमेशा प्रवासी भारतीयों से जुड़ना रहा है। इस यात्रा में भी लंदन, पेरिस और टोरंटो जैसे शहरों में भारतीय समुदाय के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य केवल भावनात्मक संबंध ही नहीं, बल्कि ‘ब्रांड इंडिया’ की वैश्विक पहचान को सशक्त बनाना भी है।
इन आयोजनों में मोदी सरकार की उपलब्धियों — जैसे डिजिटल इंडिया, G20 अध्यक्षता, और Chandrayaan-3 की सफलता को वैश्विक मंच पर उजागर किया जाएगा।
🟨 सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक समर्थन
भारत वर्षों से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन की मांग करता रहा है। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी Global Counter-Terrorism Forum में भागीदारी की संभावनाएं तलाश सकते हैं। फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा के साथ डेटा शेयरिंग, काउंटर-साइबर आतंकवाद, और सीमापार आतंकी नेटवर्क पर भी चर्चा होगी।
🟩 मीडिया कवरेज और राजनीतिक मायने
भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पीएम मोदी की पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय यात्रा है, जो विपक्ष की आलोचनाओं के बीच अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर उनकी छवि को सुदृढ़ करती है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस यात्रा को ‘India’s Renewed Push for Atlantic Diplomacy’ के रूप में देख रहा है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. पीएम मोदी किन देशों की यात्रा कर रहे हैं?
👉 फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, ब्राज़ील और ब्रिटेन।
Q2. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
👉 व्यापार, रक्षा, तकनीकी सहयोग और अटलांटिक देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना।
Q3. क्या भारत-यूके FTA पर कोई निर्णय होगा?
👉 संभावना है कि कुछ अहम घोषणाएं इस दिशा में की जाएंगी।
Q4. क्या यह यात्रा घरेलू राजनीति को प्रभावित कर सकती है?
👉 हां, इससे पीएम मोदी की वैश्विक छवि और विदेश नीति की साख को बल मिल सकता है।
Q5. क्या कनाडा के साथ तनाव कम होगा?
👉 यह यात्रा दोनों देशों के बीच संवाद की बहाली में सहायक हो सकती है।
📌 निष्कर्ष (Updated)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह 5 देशों की 8 दिन की यात्रा केवल विदेश नीति की औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षा, रणनीतिक संतुलन और अटलांटिक सहयोग की ओर बढ़ते कदम की प्रतीक है। यह यात्रा आने वाले वर्षों में भारत को Global Power Balancer के रूप में स्थापित कर सकती है।
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