नेपाल के ऊर्जा और खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई पहल: पीएम ओली ने दैलेख और धौवादी परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन के दिए निर्देश
काठमांडू, 23 जून 2025 — नेपाल में ऊर्जा और खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश की दो प्रमुख परियोजनाओं — दैलेख पेट्रोलियम अन्वेषण परियोजना और धौवादी लौह खनन परियोजना — के त्वरित क्रियान्वयन के लिए संबंधित मंत्रालयों और विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
यह निर्देश हाल ही में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में दिए गए, जिसमें प्रधानमंत्री ने इन परियोजनाओं को “नेपाल की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन की कुंजी” बताया।
🔹 दैलेख: नेपाल का पहला पेट्रोलियम केंद्र
दैलेख जिला, जो पश्चिम नेपाल में स्थित है, देश के पहले पेट्रोलियम अन्वेषण स्थल के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। वर्षों से चल रहे सर्वेक्षणों और अन्वेषणों में यह पुष्टि हुई है कि इस क्षेत्र में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार मौजूद हैं।
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि इस परियोजना के सफल होने पर नेपाल को विदेशों से ईंधन आयात पर अपनी निर्भरता काफी हद तक कम करनी पड़ेगी, जिससे सालाना अरबों नेपाली रुपये की बचत होगी।
उन्होंने पेट्रोलियम विभाग और चीनी साझेदार कंपनियों को तकनीकी प्रक्रिया में तेजी लाने और स्थानिक नागरिकों को रोजगार देने के भी निर्देश दिए।
🔹 धौवादी परियोजना: लौह अयस्क की संभावनाओं को मिलेगा नया बल
गंडकी प्रदेश के नवलपुर जिले में स्थित धौवादी क्षेत्र में मौजूद लौह अयस्क के विशाल भंडार को लेकर सरकार आशान्वित है। धौवादी परियोजना का उद्देश्य नेपाल को लौह और इस्पात उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। यह परियोजना विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र को सस्ते और स्थायी संसाधन प्रदान कर सकती है।
ओली ने नेपाल के भूगर्भ विभाग को निर्देश दिए कि वह इस परियोजना के लिए आवश्यक पर्यावरणीय और तकनीकी अध्ययन को जल्द पूरा करे, ताकि खनन का कार्य समय पर आरंभ किया जा सके।
🔹 आत्मनिर्भर नेपाल: पीएम ओली की प्राथमिकता
प्रधानमंत्री ओली ने बैठक में कहा,
“अब वह समय आ गया है जब नेपाल को प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में आत्मनिर्भर होना होगा। हमारे पास जो कुछ है, उसे इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। हम दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ आयात घटाना नहीं, बल्कि स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन, रोजगार सृजन और विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करना भी है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश की ऊर्जा और औद्योगिक संरचना को मजबूत करने की दिशा में दो अहम परियोजनाओं — दैलेख गैस निष्कर्षण और धौवादी लौह एवं इस्पात उत्पादन — के त्वरित और समन्वित क्रियान्वयन के आदेश दिए हैं। यह निर्देश उन्होंने उद्योग, वाणिज्य तथा आपूर्ति मंत्रालय और संबंधित एजेंसियों द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय सिंहदरबार में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में दिए।
प्रधानमंत्री को इन दोनों परियोजनाओं की अद्यतन प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें संबंधित मंत्रालयों ने अब तक हुए सर्वेक्षण, पर्यावरणीय मूल्यांकन, प्रौद्योगिकी विकल्पों, निवेश प्रस्तावों और संभावित उत्पादन क्षमता से संबंधित बिंदुओं को साझा किया।
दैलेख में गैस निष्कर्षण: देश की ऊर्जा सुरक्षा की नींव
नेपाल के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित दैलेख जिला, जहाँ पूर्व में भी हाइड्रोकार्बन की संभावना जताई जाती रही है, अब गैस निष्कर्षण परियोजना के तहत सक्रिय विकास के दौर में प्रवेश कर चुका है। भूवैज्ञानिक परीक्षणों और तकनीकी सर्वेक्षणों के अनुसार, इस क्षेत्र में मीथेन और प्राकृतिक गैस के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं, जिन्हें घरेलू ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यावसायिक स्तर पर उपयोग किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ओली ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि “एक वर्ष के भीतर दैलेख से निकलने वाली गैस को व्यावसायिक और घरेलू उपयोग के लिए तैयार किया जाए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि गैस का यह स्थानीय स्रोत न केवल ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों को ऊर्जा से जोड़ने में एक क्रांतिकारी भूमिका निभाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि गैस निष्कर्षण के साथ-साथ पाइपलाइन नेटवर्क, गैस प्रसंस्करण केंद्र और वितरण प्रणालियों का विकास भी समानांतर रूप से किया जाना चाहिए। साथ ही, प्रधानमंत्री ने गैस क्षेत्र के पास बसे स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश भी दिया।
धौवादी लौह परियोजना: नेपाल की सबसे बड़ी खनन परियोजना
बैठक में प्रधानमंत्री को गंडकी प्रदेश के नवलपुर जिले के धौवादी क्षेत्र में स्थित लौह अयस्क भंडार पर भी विस्तृत जानकारी दी गई। हाल ही में किए गए सर्वेक्षणों में यह स्पष्ट हुआ है कि धौवादी में मौजूद लौह अयस्क की गुणवत्ता और मात्रा वाणिज्यिक उत्पादन के लिए उपयुक्त है। इसे नेपाल की सबसे बड़ी संभावित खनन परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि “विक्रम संवत 2085 (2028-29 ई.) से पहले हमें धौवादी से लौह और इस्पात का उत्पादन शुरू करना होगा।” उन्होंने इस परियोजना को राष्ट्रीय गौरव परियोजना के रूप में चिह्नित करने का प्रस्ताव भी बैठक में रखा।
उनका कहना था कि यदि नेपाल अपने घरेलू लौह स्रोतों से इस्पात उत्पादन करने लगे, तो बिल्डिंग मटीरियल्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, पाइपलाइन, और मशीनरी निर्माण के क्षेत्रों में व्यापक आत्मनिर्भरता लाई जा सकती है। साथ ही, यह परियोजना देश में रोजगार सृजन, स्थानीय उद्यमिता, और प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए भी नए अवसर खोलेगी।
पारदर्शिता, पर्यावरण संतुलन और जनसंवाद की प्राथमिकता
प्रधानमंत्री ओली ने स्पष्ट किया कि इन दोनों परियोजनाओं को तेजी से, लेकिन पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्रीय परियोजना यदि स्थानीय जनता की भागीदारी और समर्थन के बिना आगे बढ़ती है, तो वह दीर्घकालिक रूप से सफल नहीं हो सकती। इसलिए उन्होंने निर्देश दिया कि संबंधित एजेंसियाँ स्थानीय सरकारों, समुदायों और हितधारकों के साथ लगातार संवाद बनाए रखें।
उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) पारदर्शी ढंग से किया जाए और उसमें जल, भूमि, वनों और जीव-जंतुओं पर संभावित असर को वैज्ञानिक आधार पर विश्लेषित किया जाए।
तकनीकी सहयोग और निवेश संरचना
बैठक में उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों ने जानकारी दी कि दोनों परियोजनाओं में सरकारी और निजी भागीदारी (PPP मॉडल) के विकल्प खुले रखे गए हैं। दैलेख गैस परियोजना में कुछ विदेशी तकनीकी सलाहकारों से भी संपर्क स्थापित किया गया है। वहीं, धौवादी लौह परियोजना में नेपाल की कुछ प्रमुख औद्योगिक समूहों ने निवेश रुचि पत्र (EOI) प्रस्तुत किए हैं।
प्रधानमंत्री ने इन प्रस्तावों की पारदर्शी समीक्षा और उचित मूल्यांकन के निर्देश दिए और कहा कि निवेशकों के चयन में किसी भी प्रकार की राजनीतिक सिफारिश को स्थान न दिया जाए। “यह परियोजनाएँ आने वाली पीढ़ियों की विरासत हैं, हमें इन्हें पूरी जिम्मेदारी से संभालना होगा,” उन्होंने कहा।
निष्कर्ष: आत्मनिर्भर नेपाल की ओर बढ़ता कदम
दैलेख और धौवादी परियोजनाओं को प्रधानमंत्री के स्तर से मिली सीधी प्राथमिकता इस बात का संकेत है कि नेपाल सरकार अब केवल योजनाओं को कागज़ों पर नहीं छोड़ना चाहती, बल्कि उन्हें जमीनी हकीकत में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। यह दोनों परियोजनाएं न केवल आर्थिक विकास, बल्कि रोजगार, प्रौद्योगिकी विकास, और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं |
1 thought on “नेपाल में ऊर्जा और खनन में आत्मनिर्भरता की नई शुरुआत: पीएम ओली की दैलेख और धौवादी परियोजनाओं पर बड़ी पहल”