नेहल मोदी गिरफ्तार: नीरव मोदी के भाई को अमेरिका में पकड़ा गया, भारत मांगेगा प्रत्यर्पण
भारत के सबसे चर्चित आर्थिक अपराधों में से एक, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) धोखाधड़ी मामले में अब एक और बड़ा मोड़ आ गया है। नीरव मोदी के छोटे भाई नेहल दीपक मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी उस वक्त हुई जब भारत की जांच एजेंसियाँ – प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई (CBI) – संयुक्त रूप से नेहल मोदी के प्रत्यर्पण (Extradition) की मांग कर रही थीं।
यह गिरफ्तारी न केवल नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के नेटवर्क को कानूनी शिकंजे में कसने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और न्यायिक कूटनीति का भी प्रमाण है।
मोदी कौन नेहल हैं?
नेहल मोदी पेशे से हीरा व्यापारी रहे हैं और अमेरिका, बेल्जियम और हांगकांग जैसे देशों में लंबे समय तक सक्रिय रहे। वह न केवल अपने भाई नीरव मोदी के साथ व्यापारिक लेनदेन में शामिल थे, बल्कि उनपर आरोप है कि उन्होंने PNB घोटाले में मिले धन को विदेशों में शेल कंपनियों और छद्म खातों में ट्रांसफर किया।
उनका नाम Firestar Diamond Inc, Diamond R US और अन्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से जुड़ा हुआ है, जिनका इस्तेमाल कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया।
गिरफ्तारी की पुष्टि
शुक्रवार को अमेरिकी अधिकारियों ने नेहल मोदी को न्यू जर्सी (New Jersey) में उनके घर से गिरफ्तार किया। इसके तुरंत बाद अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को इस गिरफ्तारी की औपचारिक सूचना दी। गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया, और अब 17 जुलाई 2025 को उनकी बेल याचिका पर सुनवाई होगी।
संभावना है कि यूएस न्याय विभाग उनकी जमानत का विरोध करेगा क्योंकि उनके फरार होने का खतरा है और उन पर अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी के गंभीर आरोप हैं।
नेहल मोदी पर लगे प्रमुख आरोप
भारत सरकार और जांच एजेंसियों द्वारा पेश किए गए आरोप इस प्रकार हैं:
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धन शोधन (Money Laundering) – ₹13,000 करोड़ से अधिक की रकम को शेल कंपनियों के ज़रिए विदेशों में घुमाने का आरोप है।
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अपराध साजिश (Criminal Conspiracy) – नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी रचने की साजिश।
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सबूत नष्ट करना – डिजिटल दस्तावेज, लैपटॉप व मोबाइल फोन से सबूत हटाने के निर्देश देना।
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पूर्व धोखाधड़ी का इतिहास – 2020 में अमेरिका की LLD Diamonds से 2.6 मिलियन डॉलर की ठगी, जिसमें 2022 में उन्हें दोषी पाया गया था।
इसलिए, भारत के अनुरोध पर Interpol ने उनके खिलाफ Red Corner Notice भी जारी किया था।
अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रत्यर्पण
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) है, जिसके अंतर्गत यदि भारत किसी व्यक्ति के खिलाफ पर्याप्त सबूत और केस प्रस्तुत करता है, तो अमेरिका प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पूरी कर सकता है।
प्रत्यर्पण प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होंगे:
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भारत की ओर से अमेरिका को औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा जाएगा।
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अमेरिकी अदालत में नेहल की बेल पर सुनवाई और भारत से सबूत की समीक्षा होगी।
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यदि अदालत संतुष्ट हुई, तो अमेरिकी सरकार उन्हें भारत को सौंपने की मंजूरी दे सकती है।
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प्रत्यर्पण के बाद नेहल पर PMLA और IPC के तहत मुकदमा चलेगा।
यह प्रक्रिया कई सप्ताह या महीनों तक चल सकती है, लेकिन नीरव मोदी के मामले से सीखते हुए ED ने तेजी से तैयारी कर ली है।
मामला कितना गंभीर?
PNB घोटाला भारत में अब तक के सबसे बड़े बैंकिंग धोखाधड़ी मामलों में से एक है। इसमें PNB के अधिकारियों की मिलीभगत से नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने फर्जी LoUs (Letter of Undertaking) के ज़रिए विदेशी बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का लोन लिया, जिसे वापस नहीं किया गया।
अब नेहल मोदी की भूमिका इस मामले को वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग केस के रूप में स्थापित करती है, जिसमें कई देशों में संपत्तियाँ, खाते और कारोबारी संबंध जांच के घेरे में आ चुके हैं।
जांच एजेंसियों की तैयारियाँ
CBI और ED ने नेहल मोदी के खिलाफ दर्जनों पन्नों का चार्जशीट और गोपनीय रिपोर्ट्स तैयार की हैं। इसमें उनके बैंक लेन-देन, विदेश यात्रा विवरण, ईमेल, व्हाट्सएप चैट और डिजिटल सबूत शामिल हैं।
ED का दावा है कि:
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नेहल ने 50 किलो सोने की अवैध डील की थी।
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उन्होंने Mehul Choksi के लिए संपत्तियों की कागजी खरीद-फरोख्त में भी मदद की।
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Interpol के सहयोग से यह कार्रवाई संभव हुई।
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अमेरिका जैसे देश से प्रत्यर्पण का प्रयास करना भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है।
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इससे उन देशों को भी संदेश जाता है जहां भारत के अन्य आर्थिक भगोड़ों ने पनाह ले रखी है — जैसे मेहुल चोकसी (एंटिगुआ), विजय माल्या (UK)।
नीरव मोदी को सबूत डिलीट करने के लिए निर्देश दिए।
नेहल मोदी की गिरफ्तारी: क्या अब PNB घोटाले में आखिरी पर्दा उठेगा?
भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में नया मोड़
नेहल दीपक मोदी, जो PNB घोटाले के मास्टरमाइंड नीरव मोदी के छोटे भाई हैं, को अमेरिका के न्यू जर्सी में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी भारत की आर्थिक जांच एजेंसियों — CBI और ED — के लगातार दबाव और इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस के परिणामस्वरूप हुई है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या नेहल मोदी को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा और क्या उनकी गिरफ्तारी से इस घोटाले के अन्य पात्रों पर भी शिकंजा कसेगा?
आरोपों की सूची लंबी और गंभीर
नेहल मोदी पर सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप नहीं है, बल्कि वो नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी सिंडिकेट का हिस्सा रहे हैं। आरोपों में शामिल हैं:
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₹13,000 करोड़ की अवैध राशि को विदेशी खातों में भेजना
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दुबई, बेल्जियम, हांगकांग में फर्जी कंपनियों के ज़रिए ट्रांजैक्शन
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डिजिटल सबूत नष्ट करना और झूठी जानकारियाँ देना
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अमेरिका में पहले से ही डायमंड धोखाधड़ी मामले में दोषी सिद्ध होना
यह सभी तथ्य भारत के लिए प्रत्यर्पण प्रक्रिया में मजबूत आधार बनाते हैं।
प्रत्यर्पण प्रक्रिया: आसान नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं
प्रत्यर्पण कोई साधारण प्रक्रिया नहीं होती। भारत और अमेरिका के बीच 1997 की Extradition Treaty के अंतर्गत प्रत्यर्पण संभव है, लेकिन इसमें कई कानूनी और कूटनीतिक चरण होते हैं:
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भारतीय दूतावास और ED/CBI अमेरिकी अदालत को औपचारिक प्रत्यर्पण दस्तावेज़ सौंपेंगे।
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अमेरिकी अदालत यह जांचेगी कि क्या भारत में दर्ज केस, अमेरिकी कानून के अनुसार “extraditable offense” की श्रेणी में आता है।
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आरोपी की ओर से वकील यह तर्क दे सकते हैं कि भारत में उसे न्यायपूर्ण सुनवाई नहीं मिलेगी (जो आमतौर पर प्रत्यर्पण में रोड़ा बनता है)।
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यदि अदालत संतुष्ट हुई, तो US State Department अंतिम निर्णय देगा।
इससे पहले नीरव मोदी के प्रत्यर्पण में भी इसी प्रक्रिया के तहत ब्रिटेन की अदालत ने मंजूरी दी थी, लेकिन कानूनी अपीलों के कारण वह अभी तक भारत नहीं लौटे।
जांच एजेंसियों की रणनीति
भारत की प्रवर्तन एजेंसी ED ने नेहल मोदी के खिलाफ एक पुख्ता केस तैयार किया है। इसमें ED ने निम्नलिखित सबूत जमा किए हैं:
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मनी ट्रेल रिपोर्ट्स
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विदेशी ट्रांजैक्शनों का विवरण
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डिजिटल कम्युनिकेशन (ईमेल, व्हाट्सएप चैट)
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नकदी और सोने की अवैध हेराफेरी के सबूत
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गवाहों के बयान जो नेहल की भूमिका की पुष्टि करते हैं
इन सबके आधार पर, ED और CBI अमेरिका के सामने यह सिद्ध करने की कोशिश करेंगे कि नेहल मोदी की भारत में सजा और पूछताछ अत्यावश्यक है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि
नेहल मोदी की गिरफ्तारी से भारत ने एक बार फिर दुनिया को यह संदेश दिया है कि आर्थिक अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे देश के भीतर हों या विदेश में छिपे हों।
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आगे क्या हो सकता है?
17 जुलाई 2025 – बेल याचिका पर सुनवाई
यह तय करेगा कि नेहल मोदी हिरासत में रहेंगे या नहीं। ED और DOJ इसका विरोध करेंगे।
प्रत्यर्पण प्रक्रिया – भारत प्रत्यर्पण का दस्तावेज सौंपेगा। अमेरिका की अदालत इसे स्वीकार या खारिज कर सकती है।
भारत वापसी – अगर प्रत्यर्पण मंजूर होता है, तो भारत में उन्हें PMLA, IPC 120-B, 201 और Fraud Act के तहत मुकदमे का सामना करना होगा।
संपत्ति जब्ती – भारत में उनकी चल-अचल संपत्तियाँ ED पहले से ही फ्रीज़ कर चुकी है, अब विदेश में संपत्तियों की जब्ती की तैयारी हो रही है।