पुणे। भारत के केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज पुणे स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) परिसर में मराठा वीर योद्धा पेशवा बाजीराव प्रथम की अश्वारोही प्रतिमा का भव्य अनावरण किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उन्होंने कहा कि “NDA, जो थलसेना, नौसेना और वायुसेना के भावी सेनानायकों की प्रशिक्षण भूमि है, वह स्थान पेशवा बाजीराव जैसे राष्ट्रनायक की प्रतिमा के लिए सबसे उपयुक्त है।”
इस गरिमामय समारोह में केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोळ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री श्री अजीत पवार और श्री एकनाथ शिंदे, दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ और अन्य विशिष्ट सैन्य तथा असैन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
सैन्य परंपरा
अपने उद्बोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि पेशवा बाजीराव का जीवन सैन्य नेतृत्व, अनुशासन और अद्वितीय रणनीतिक कौशल का प्रतीक है। “पेशवा ने अपने जीवन में 41 युद्धों का नेतृत्व किया और सभी में विजय प्राप्त की। उन्होंने जो विजयों का इतिहास रचा, वह न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि हमारे सेनानायक कैडेटों के लिए प्रेरणा स्रोत भी है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे जोड़ा कि “देशभक्ति, समर्पण और बलिदान – ये युद्ध के मूलभूत सिद्धांत हैं जो समय के साथ कभी भी अप्रासंगिक नहीं होते। NDA के कैडेट जब इस प्रतिमा को देखेंगे, तो वे पेशवा बाजीराव से प्रेरणा लेंगे और उसी भावना से देश की सेवा करेंगे।”
वीरता की विरासत
श्री शाह ने अपने भाषण में कहा कि हमें अपने इतिहास के ऐसे महान योद्धाओं की विरासत को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाना होगा। “आज जब हम इस प्रतिमा का अनावरण कर रहे हैं, हम केवल इतिहास को याद नहीं कर रहे हैं, बल्कि भावी भारत के सिपाहियों को यह संदेश भी दे रहे हैं कि वीरता, न्याय और राष्ट्रसेवा की भावना कभी नहीं मरती।”
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि बाजीराव ने जिन चुनौतियों और असाधारण परिस्थितियों में युद्ध लड़े, वह आज के युग में भी सैन्य प्रशिक्षण के लिए प्रासंगिक हैं। “ऐसी महान विभूतियों का जीवन NDA जैसे संस्थानों में विद्यार्थियों को आंतरिक रूप से मजबूत और अनुशासित बनाता है।”
इतिहास से भविष्य
पेशवा बाजीराव I, जिन्होंने केवल 20 वर्षों के अल्प काल में अपने सैन्य कौशल और रणनीति से मराठा साम्राज्य को उत्तरी भारत तक विस्तारित किया, उनकी भूमिका केवल योद्धा के रूप में ही नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और दूरदर्शी नेता के रूप में भी महत्वपूर्ण रही है।
श्री शाह ने कहा, “बाजीराव की जीवनगाथा हमें यह सिखाती है कि विजयी होने के लिए केवल शस्त्र नहीं, बल्कि निष्ठा, दूरदृष्टि और जनकल्याण की भावना भी आवश्यक है। आज के कैडेट जब उनकी प्रतिमा के समक्ष सलामी देंगे, वे केवल एक प्रतिमा को नहीं, बल्कि एक विचारधारा को सम्मान देंगे।”
शिवाजी महाराज
गृह मंत्री ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि “यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा देखे गए भारत के स्वप्न को साकार करें। ऑपरेशन सिंदूर उस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें भारत को सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक श्रेष्ठता की ओर ले जाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों को केवल युद्ध कौशल तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें संस्कृति, इतिहास और राष्ट्रभक्ति की चेतना से भी पोषित करना चाहिए। “NDA न केवल सेना के अधिकारी गढ़ता है, बल्कि भारत के भविष्य का निर्माण करता है,” उन्होंने जोर देकर कहा।
पेशवा बाजीराव: एक सेनापति, एक विचार
18 अगस्त 1700 को पुणे में जन्मे बाजीराव ने केवल 20 वर्षों की अल्पायु में भारतीय उपमहाद्वीप के युद्ध मानचित्र को बदल कर रख दिया। उन्हें 1720 में मराठा साम्राज्य का पेशवा नियुक्त किया गया और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
श्री शाह ने उनके सैन्य नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा, “बाजीराव ने 41 अभियानों का नेतृत्व किया और एक भी युद्ध नहीं हारा। उनकी युद्ध रणनीति आज भी दुनिया के सैन्य संस्थानों में पढ़ाई जाती है। वह केवल तलवार चलाने वाले योद्धा नहीं थे, बल्कि दूरदर्शी रणनीतिकार और राष्ट्र निर्माता भी थे।”
NDA परिसर
श्री शाह ने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, जहाँ से देश की तीनों सेनाओं के अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, वहां इस महान योद्धा की प्रतिमा का स्थापित होना एक ऐतिहासिक निर्णय है। “यह प्रतिमा NDA के कैडेट्स को न केवल युद्ध कौशल में उत्कृष्टता के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित और अनुशासित बनाएगी,” उन्होंने कहा।
इस समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री श्री अजीत पवार और श्री एकनाथ शिंदे, केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोळ तथा वरिष्ठ सैन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
छत्रपति का सेवक
पेशवा बाजीराव का एक ऐतिहासिक संवाद आज भी युवाओं के दिलों को प्रेरित करता है – “मैं छत्रपति का सेवक हूं, सम्राटों का नहीं।” यह वाक्य केवल एक सैन्य अधिकारी की निष्ठा का प्रतीक नहीं, बल्कि मराठा आत्मसम्मान, स्वतंत्रता और स्वराज की अवधारणा का जीवंत उदाहरण है।
श्री शाह ने कहा कि बाजीराव की यह भावना आज के युग में भी प्रासंगिक है – जब देश को ऐसे ही दृढ़ संकल्प और निष्ठा वाले नेताओं और सेनानायकों की आवश्यकता है।
पेशवा बाजीराव
नाम पेशवा बाजीराव बल्लाल
जन्म 18 अगस्त 1700, पुणे
पद मराठा साम्राज्य के पेशवा (1720–1740)
प्रमुख युद्ध दिल्ली, मालवा, बुंदेलखंड, गुजरात अभियान
युद्धों की संख्या 41 युद्ध, शत-प्रतिशत विजय
खास बात किसी भी युद्ध में पराजित नहीं हुए
रणनीति:तेज़ गति से घेराबंदी, दुश्मन के लॉजिस्टिक्स को काटना
उक्तियाँ मैं छत्रपति का सेवक हूं, सम्राटों का नहीं।
ऑपरेशन सिंदूर
गृह मंत्री ने इस मौके पर ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया और इसे छत्रपति शिवाजी महाराज के सपनों के भारत को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने कहा, “बाजीराव की भांति आज भी हमें रणनीतिक बढ़त, साहस और राष्ट्र के प्रति समर्पण की आवश्यकता है।”
1. पेशवा बाजीराव प्रथम की प्रतिमा कहां स्थापित की गई है?
उत्तर: यह प्रतिमा पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) परिसर में स्थापित की गई है।
2. प्रतिमा का अनावरण किसने किया?
उत्तर: भारत के केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने इस प्रतिमा का अनावरण 2025 में एक भव्य समारोह में किया।
3. पेशवा बाजीराव कौन थे?
उत्तर: पेशवा बाजीराव प्रथम मराठा साम्राज्य के एक महान सेनापति और रणनीतिकार थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में 41 युद्ध लड़े और सभी में जीत हासिल की। वे 1720 से 1740 तक पेशवा रहे।
4. पेशवा बाजीराव की सबसे प्रसिद्ध रणनीति क्या थी?
उत्तर: उनकी सबसे प्रसिद्ध रणनीति थी – तेज़ गति से दुश्मन की घेराबंदी करना और उनकी लॉजिस्टिक सप्लाई को काट देना, जिससे बिना भारी क्षति के युद्ध जीता जा सके।
5. इस समारोह में और कौन-कौन से गणमान्य लोग उपस्थित थे?
उत्तर: इस समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और एकनाथ शिंदे, केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोळ, और दक्षिणी कमान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ भी उपस्थित थे।