Correspondent: GT Express | 26.07.2025 | Ghar Tak Express |
देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति तय करने हेतु आठवां राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) सम्मेलन-2025 शुक्रवार को राजधानी नई दिल्ली में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा उद्घाटित किया गया। दो दिवसीय यह सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित हुआ जिसमें देशभर से लगभग 800 अधिकारी प्रत्यक्ष और वर्चुअल माध्यमों से सम्मिलित हुए।
सम्मेलन की शुरुआत से पहले केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने शहीद स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन जांबाजों को याद किया जिन्होंने देश की सुरक्षा व अखंडता हेतु अपने प्राणों की आहुति दी।
सम्मेलन में गृह सचिव, डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA), केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) और केंद्रीय पुलिस संगठनों (CPOs) के प्रमुख दिल्ली में मौजूद रहे। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक (DGPs), जिला स्तर पर कार्यरत युवा पुलिस अधिकारी और विषय विशेषज्ञ वर्चुअल माध्यम से राज्य मुख्यालयों से जुड़े रहे।
पहले दिन के विचार-विमर्श में देश के समक्ष मौजूद बाह्य खतरों और उनके आंतरिक सहयोगियों की भूमिका पर गहन चर्चा हुई। नशीले पदार्थों के व्यापार, एनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन ऐप्स के दुरुपयोग, भीड़ प्रबंधन में तकनीक का प्रयोग और निर्जन द्वीपों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रस्तुति और मंथन हुआ।
गृह मंत्री ने निर्देश दिए कि आतंकवादियों और तस्करी से जुड़े भगोड़े अपराधियों को भारत वापस लाने के लिए केंद्रीय व राज्य एजेंसियों के बीच तालमेल को सशक्त किया जाए। इसके साथ ही, आंतरिक नेटवर्क और अपराध-आतंक गठजोड़ को ध्वस्त करने के लिए रणनीति पुनः निर्धारित करने का भी सुझाव दिया गया।
एनक्रिप्टेड संचार माध्यमों जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम, और सिग्नल जैसे ऐप्स के आतंकी नेटवर्क द्वारा उपयोग को रोकने के लिए गृह मंत्रालय को एक फोरम गठित करने का निर्देश दिया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और तकनीकी जानकारों को शामिल किया जाएगा।
आर्थिक अनियमितताओं के आधार पर आतंकी मॉड्यूल का पता लगाने की रणनीति पर भी गहन मंथन हुआ। गृह मंत्री ने निर्देश दिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा में स्वदेशी तकनीक को ही प्राथमिकता दी जाए और पुलिस संगठनों द्वारा केवल देश में विकसित तकनीक का उपयोग किया जाए।
सम्मेलन के दूसरे दिन, नागरिक उड्डयन सुरक्षा, बंदरगाह सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी उपाय, वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) और नारकोटिक्स तस्करी की रोकथाम जैसे विषयों पर मंथन होगा। विभिन्न राज्य और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत केस स्टडी, इंटेलिजेंस रिपोर्ट और नई पहल का भी मूल्यांकन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2016 में डीजीपी/आईजीपी सम्मेलन के दौरान इस प्रकार के सम्मेलनों को प्रतिवर्ष आयोजित करने की दिशा में निर्देश दिए गए थे, ताकि नीतिगत निर्णयों में जमीनी स्तर के अनुभवों और विशेषज्ञता का उपयोग किया जा सके। इस परिप्रेक्ष्य में, 2021 से यह सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है, ताकि अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन (NSS) क्या है?
इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्रालय, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक (DGP), केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs), खुफिया एजेंसियों, नीति आयोग, साइबर विशेषज्ञ, आतंकवाद विरोधी टीमें, सीमावर्ती सुरक्षा विशेषज्ञ और विषय विशेषज्ञों की भागीदारी होती है।
NSS का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जमीनी स्तर पर काम कर रहे अधिकारियों और राष्ट्रीय स्तर की नीतियों के बीच मजबूत समन्वय स्थापित हो, जिससे सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ और समय के अनुसार उत्तरदायी बन सके।
प्रमुख मुद्दे 2025 सम्मेलन में कौन से रहे?
बाह्य खतरे और आतंकी संरक्षक – सम्मेलन में उन अंतरराष्ट्रीय तत्वों पर चर्चा की गई जो भारत की आंतरिक शांति को बाधित करने के लिए आतंकवादियों और असामाजिक तत्वों को समर्थन प्रदान कर रहे हैं। ऐसे तत्व न केवल धन और संसाधन उपलब्ध कराते हैं, बल्कि भारत के भीतर नेटवर्क तैयार कर अस्थिरता फैलाने का प्रयास करते हैं।
नारकोटिक्स व्यापार और आतंकी फंडिंग – मादक पदार्थों की तस्करी को केवल एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि आतंकवाद के लिए धन जुटाने का एक साधन माना गया। इस संबंध में विशेष एजेंसियों ने इस व्यापार की कमर तोड़ने के लिए साझा प्रयासों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
एनक्रिप्टेड ऐप्स का दुरुपयोग – टेलीग्राम, सिग्नल, व्हाट्सएप आदि जैसे सुरक्षित संचार प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल आतंकी और अपराधी समूहों द्वारा संवाद और निर्देशों के आदान-प्रदान के लिए हो रहा है। इस प्रवृत्ति को रोकने हेतु तकनीकी रणनीतियों और निगरानी ढांचे पर मंथन किया गया।
निर्जन द्वीपों की सुरक्षा – देश के तटीय क्षेत्रों में स्थित निर्जन द्वीपों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई। ये द्वीप आतंकियों और तस्करों के लिए लॉजिस्टिक अड्डों के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं। ऐसे में उनके निगरानी तंत्र को विकसित करने की आवश्यकता जताई गई।
स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा – सुरक्षा संबंधी उपकरण, निगरानी प्रणाली, साइबर सुरक्षा तंत्र और संचार साधनों में स्वदेशी तकनीक के प्रयोग को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया। यह राष्ट्रीय सुरक्षा की आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
आतंकी वित्त पोषण की जांच हेतु वित्तीय डेटा विश्लेषण – गृह मंत्री ने निर्देश दिए कि एजेंसियां बैंकों, NBFCs, डिजिटल वॉलेट्स और क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से किए जा रहे संदिग्ध लेन-देन की गहन जांच करें, जिससे आतंकी गतिविधियों के आर्थिक स्रोतों की पहचान की जा सके।
केंद्रीय व राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच तालमेल – सुरक्षा व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए गृह मंत्रालय ने जोर दिया कि राज्यों और केंद्र की एजेंसियों के बीच सूचना-साझाकरण, संयुक्त ऑपरेशन और तकनीकी आदान-प्रदान को एकीकृत किया जाए।
स्वदेशी तकनीक का अनिवार्य उपयोग – पुलिस व खुफिया एजेंसियों को निर्देश दिए गए कि वे सुरक्षा उपकरणों और संचार प्रणाली में केवल भारत में निर्मित या भारत में विकसित तकनीकों का ही उपयोग करें, जिससे संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग या डेटा लीक की संभावना समाप्त हो सके।
टेलीकॉम निगरानी पर विशेषज्ञ समिति – आतंकी नेटवर्क द्वारा सुरक्षित संचार चैनलों के दुरुपयोग को रोकने हेतु गृह मंत्रालय द्वारा विभिन्न तकनीकी, कानूनी और खुफिया विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया है। यह समिति संचार निगरानी के आधुनिक और संवैधानिक उपाय सुझाएगी।
वामपंथी उग्रवाद पर क्या होगा फोकस
सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि केवल बल प्रयोग की नीति पर्याप्त नहीं है, बल्कि इन क्षेत्रों में विकास के इंजन को तेजी से बढ़ाया जाए। स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, सड़क, बिजली, इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाओं का निर्माण ही इन इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ सकता है।
इसके अतिरिक्त, स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर, व्यावसायिक प्रशिक्षण, जन-संवाद, और विश्वास बहाली की प्रक्रियाएं प्रमुख होंगी।
Source : PIB