Correspondent: GT Express | 26.07.2025 | Ghar Tak Express |
कोयला मंत्रालय ने डिजिटल इंडिया और विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए 25 जुलाई 2025 को “एक ही स्थान पर मंजूरी प्रणाली” (Single Window Clearance System – SWCS) के अन्वेषण मॉड्यूल पर एक विशेष व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला और संवादात्मक सत्र का आयोजन किया। यह आयोजन नई दिल्ली स्थित स्कोप कॉम्प्लेक्स के टैगोर चैंबर में संपन्न हुआ। इसका उद्देश्य हितधारकों को अन्वेषण मॉड्यूल की कार्यप्रणाली की गहन समझ प्रदान करना और प्रस्तुतीकरण एवं अनुमोदन प्रक्रियाओं के डिजिटल रूपांतरण को प्रोत्साहन देना था।
इस कार्यशाला में कोयला मंत्रालय, सीएमपीडीआईएल (CMPDIL), मान्यता प्राप्त अन्वेषण एजेंसियां, कोयला ब्लॉक आवंटी और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी रही। इसमें डिजिटल पारदर्शिता, त्वरित कार्यप्रवाह, और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने वाली प्रणाली को विस्तार से समझाया गया, जिससे कोयला क्षेत्र में अनुमोदन प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी, सरल और समयबद्ध बनाया जा सके।
नेतृत्व और दृष्टिकोण
कार्यशाला की अध्यक्षता अपर सचिव एवं नामित प्राधिकारी (एएस एवं एनए) सुश्री रूपिंदर बरार ने की। उन्होंने इस अवसर पर डिजिटल प्रणाली की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर देते हुए कहा, “कोयला क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही के नए मानदंड स्थापित करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म अनिवार्य हैं। एसडब्ल्यूसीएस जैसे प्लेटफॉर्म प्रक्रियाओं को स्वचालित, कुशल और तेज़ बनाते हैं।” उन्होंने सभी हितधारकों से SWCS पोर्टल के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने और इसके उपयोग को अपनाने का आग्रह किया।
इसके साथ ही मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भी सत्र को संबोधित किया और अन्वेषण मॉड्यूल के परिचालन ढांचे से संबंधित प्रतिभागियों के प्रश्नों के समाधान दिए।
अन्वेषण मॉड्यूल का व्यावहारिक प्रदर्शन
सीएमपीडीआईएल के तकनीकी सहयोग से आयोजित इस सत्र में अन्वेषण मॉड्यूल का व्यापक प्रदर्शन किया गया। मॉड्यूल के माध्यम से भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (जीआर) योजनाएं, प्रगति अद्यतन, अनुपालन दाखिले, और अंतिम जीआर की प्रस्तुतीकरण, मूल्यांकन और अनुमोदन की प्रक्रिया का लाइव डेमो प्रस्तुत किया गया। इससे प्रतिभागियों को यह समझने में सहायता मिली कि किस प्रकार यह डिजिटल प्रणाली मैन्युअल प्रक्रिया की जगह लेकर अनुमोदन की गति और गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।
प्रशिक्षण के दौरान, हितधारकों को मॉड्यूल की यूज़र-फ्रेंडली इंटरफेस और डिजिटल वर्कफ़्लो की व्यावहारिक जानकारी दी गई, जिससे वे इसके उपयोग में आत्मनिर्भर बन सकें।
संवाद और सहयोग की दिशा में बड़ा कदम
कार्यशाला का एक और महत्वपूर्ण पहलू था इसका संवादात्मक स्वरूप, जिसमें हितधारकों को सीधे मंत्रालय के अधिकारियों और विशेषज्ञों से संवाद करने का अवसर मिला। इस सत्र में उठाए गए मुद्दों में प्रणाली की तकनीकी कार्यप्रणाली, डेटा सुरक्षा, अनुमोदन की समयसीमा और इंटर-मंत्रालयी समन्वय प्रमुख रहे।
प्रतिभागियों ने मॉड्यूल की उपयोगिता, प्रक्रिया की पारदर्शिता और सरलता की सराहना की। कई अन्वेषण एजेंसियों ने इसे ‘सिस्टमेटिक डिजिटलीकरण का उत्कृष्ट उदाहरण’ बताया। संवाद से उत्पन्न सहयोगी माहौल ने कार्यान्वयन में सुगमता सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
डिजिटल प्रशासन की दिशा में नई पहल
अन्वेषण मॉड्यूल, SWCS का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो पहले से ही राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (NSWS) से एकीकृत है और परिवेश 2.0 से जुड़कर अंतर-मंत्रालयी समन्वय को और अधिक प्रभावी बना रहा है।
1. भूवैज्ञानिक रिपोर्टों की ऑनलाइन प्रस्तुति और मूल्यांकन (Online Submission & Evaluation of Geological Reports):
अन्वेषण मॉड्यूल के माध्यम से अन्वेषण एजेंसियां एवं आवंटित पक्ष अब भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (Geological Report – GR) को पूरी तरह से डिजिटल रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। इसमें जीआर योजनाएं, प्रगति रिपोर्ट, अनुपालन दस्तावेज़ और अंतिम रिपोर्टें सम्मिलित हैं। यह प्रक्रिया पारंपरिक कागज़ी कार्यपद्धति की तुलना में अधिक तेज़, पारदर्शी और दस्तावेज़ प्रबंधन में सक्षम है।
2. तात्कालिक ट्रैकिंग और समयसीमा आधारित अनुमोदन (Real-Time Tracking & Time-Bound Approvals):
मॉड्यूल में ट्रैकिंग सुविधा अंतर्निहित है, जिससे हितधारक अपनी प्रस्तुतियों की स्थिति को वास्तविक समय में देख सकते हैं। साथ ही, प्रत्येक चरण के लिए एक निश्चित समयसीमा निर्धारित की गई है, जिससे अनुमोदन प्रक्रिया में अनावश्यक देरी को रोका जा सके और जवाबदेही सुनिश्चित हो।
3. उपयोगकर्ता अनुकूल इंटरफ़ेस (User-Friendly Interface):
इस मॉड्यूल का डिज़ाइन आधुनिक डिजिटल प्रथाओं के अनुसार बनाया गया है। सरल नेविगेशन, स्पष्ट टैब संरचना, और मार्गदर्शक टूलटिप्स इसे सभी तकनीकी पृष्ठभूमि के उपयोगकर्ताओं के लिए सहज बनाते हैं। इससे नए उपयोगकर्ताओं को भी प्रशिक्षण की न्यूनतम आवश्यकता होती है।
4. स्वचालित संवाद और अधिसूचना प्रणाली (Automated Communication & Notification System):
पोर्टल पर कार्य होने पर ईमेल और इन-पोर्टल नोटिफिकेशन के माध्यम से संबंधित पक्षों को स्वचालित रूप से सूचित किया जाता है। यह पारंपरिक हस्तचालित पत्राचार की आवश्यकता को समाप्त करता है और त्वरित निर्णय प्रक्रिया को संभव बनाता है।
5. डिजिटल फाइलिंग और सत्यापन (Digital Filing & Authentication):
समस्त दस्तावेज़ डिजिटल रूप में अपलोड और संग्रहीत किए जाते हैं। उपयोगकर्ताओं को डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणीकरण सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जिससे डेटा की वैधता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इसके अतिरिक्त, दस्तावेज़ों की ऑनलाइन समीक्षा और स्वीकृति भी पूर्णतः डिजिटल मोड में होती है।
6. एकीकृत प्रणाली – NSWS एवं अन्य मंत्रालयों से समन्वय (Integrated with NSWS and Other Regulatory Platforms):
अन्वेषण मॉड्यूल पहले से ही राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (NSWS) से एकीकृत है और अब इसे पर्यावरण मंत्रालय की परिवेश 2.0 प्रणाली से भी जोड़ा जा रहा है। यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न मंत्रालयों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान स्वतः हो, जिससे अनुमोदन की प्रक्रिया समन्वित और दक्ष बने।
लाभार्थी हितधारक (Beneficiary Stakeholders)
कोयला ब्लॉक आवंटी (Coal Block Allottees)
सरकारी और निजी कंपनियां जिन्हें कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, वे अन्वेषण मॉड्यूल के प्रमुख लाभार्थी हैं। यह प्लेटफॉर्म उन्हें अन्वेषण योजनाएं प्रस्तुत करने, जीआर फाइल करने और अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाता है।
मान्यता प्राप्त अन्वेषण एजेंसियां (Accredited Exploration Agencies)
ऐसी एजेंसियां जो कोयला क्षेत्र में भूवैज्ञानिक अन्वेषण कार्य करती हैं, उन्हें अब अन्वेषण रिपोर्टों को डिजिटल रूप में मंत्रालय को सौंपने, मूल्यांकन प्राप्त करने और प्रक्रिया की प्रगति को ट्रैक करने की सुविधा प्राप्त है। इससे उनकी व्यावसायिक दक्षता में सुधार हुआ है।
राज्य सरकारें और निजी कंपनियां (State Governments & Private Sector Entities)
राज्य सरकारों की खनन एजेंसियां तथा निजी निवेशक अब अन्वेषण अनुमोदनों और मंजूरियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अनुभव कर रहे हैं। यह प्रणाली उन्हें समयबद्ध जानकारी उपलब्ध कराती है, जिससे वे अपनी योजनाओं को रणनीतिक रूप से लागू कर सकें।
तकनीकी और प्रशासनिक अधिकारी (Technical & Administrative Officials)
मंत्रालय और संबद्ध संस्थाओं के अधिकारी, जो अनुमोदन प्रक्रियाओं से जुड़े होते हैं, उन्हें मॉड्यूल के माध्यम से एक समेकित और सुव्यवस्थित इंटरफ़ेस मिलता है। इससे फाइलों की समीक्षा, टिप्पणियां और अनुमोदन प्रक्रिया अधिक सटीक और दक्ष बन जाती है।
Source :PIB