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मराठा सैन्य परिदृश्य को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में स्थान

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Correspondent: GT Express | 12.07.2025 | Ghar Tak Express |

भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली है। यूनेस्को (UNESCO) ने ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’ यानी ‘मराठा सैन्य परिदृश्य’ को अपनी विश्व धरोहर स्थलों (World Heritage Sites) की सूची में शामिल कर लिया है। इस सूची में 12 ऐतिहासिक किले शामिल किए गए हैं, जिनमें से 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में स्थित है। यह भारत के लिए न केवल सांस्कृतिक गर्व का विषय है, बल्कि ऐतिहासिक अध्ययन, पर्यटन और संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

एक ऐतिहासिक मान्यता

इस नामांकन के बाद भारत की विश्व धरोहर स्थलों की संख्या 44 हो गई है। यह भारत की समृद्ध परंपरा, स्थापत्य कला और सैन्य कौशल की विश्व स्तर पर स्वीकृति का प्रमाण है। यूनेस्को ने इन किलों को उनके ऐतिहासिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक योगदान के आधार पर चयनित किया है, जो 17वीं से 19वीं सदी के बीच मराठा साम्राज्य की सैन्य और स्थापत्य विरासत को दर्शाते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की भावनात्मक प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को लेकर गहरी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया –

पीएम मोदी ने यह भी लिखा कि ये किले न केवल भारत की राजनीतिक और सैन्य शक्ति के प्रतीक हैं, बल्कि ये संस्कृति और विरासत के अद्वितीय उदाहरण भी हैं। उन्होंने 2014 में रायगढ़ किले की अपनी यात्रा को याद करते हुए उसकी तस्वीरें साझा कीं और कहा कि यह क्षण उनके जीवन के अविस्मरणीय अनुभवों में से एक है।

महाराष्ट्र का गर्व

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“यह महाराष्ट्र और भारत के लिए एक अद्भुत क्षण है। मराठा इतिहास का वैश्विक मंच पर सम्मानित होना हमारे लिए गर्व का विषय है।”

उन्होंने केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपलब्धि संघीय और राज्य सरकारों के सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है।

 केंद्रीय संस्कृति मंत्री का वक्तव्य

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा:

“यह उपलब्धि भारत की प्राचीन सभ्यता और मराठा साम्राज्य की वास्तुकला की उत्कृष्टता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाती है। मराठों ने केवल एक राजनीतिक सत्ता नहीं बनाई, बल्कि उन्होंने स्थापत्य, युद्ध कौशल और पर्यावरण के साथ संतुलन का एक अद्वितीय मॉडल प्रस्तुत किया।”

उन्होंने बताया कि इन किलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने वर्षों की मेहनत की है।

ये हैं शामिल 12 किले

मराठा मिलिट्री लैंडस्केप में शामिल 12 किलों में से प्रमुख हैं:

  1. शिवनेरी किला – शिवाजी महाराज का जन्मस्थान

  2. तोरणा किला – मराठा साम्राज्य का पहला विजय चिह्न

  3. लोहगढ़ किला – प्राचीनतम दुर्ग जिसमें अजेय सुरक्षा व्यवस्था थी

  4. साल्हेर किला – समुद्र तल से सबसे ऊँचाई पर स्थित मराठा किला

  5. राजगढ़ किला

  6. सिंहगढ़ किला

  7. प्रतापगढ़ किला

  8. जंजीरा किला

  9. सुपेगड़ किला

  10. अलिबाग किला

  11. गिंगी किला (तमिलनाडु) – दक्षिण भारत में मराठों के सैन्य नियंत्रण का प्रमाण

मराठा स्थापत्य की विशिष्टता

 प्राकृतिक भौगोलिक रक्षा प्रणाली का भरपूर उपयोग करते हैं।

पर्यटन को मिलेगा नया बल

इन किलों की वैश्विक मान्यता से महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में पर्यटन को नया आयाम मिलेगा। राज्य सरकार ने पहले ही ‘मराठा विरासत सर्किट’ नाम से एक विशेष पर्यटन परियोजना की घोषणा कर रखी है, जिसे अब यूनेस्को की मान्यता मिलने के बाद और गति मिलेगी। इससे स्थानीय रोजगार, गाइड सेवा, शिल्प विकास और सांस्कृतिक प्रदर्शनों को बढ़ावा मिलेगा।

स्थानीय समुदायों की भागीदारी

इस धरोहर की पहचान केवल भव्य इमारतों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शामिल हैं स्थानीय परंपराएं, लोककथाएं, उत्सव, पोशाकें और भाषा। यूनेस्को ने यह मान्यता स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक भागीदारी को ध्यान में रखकर दी है।

शैक्षणिक और शोध की दृष्टि से अवसर

विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के बाद इन किलों पर वैश्विक स्तर पर शोध, डॉक्यूमेंटेशन और संरक्षण कार्य को नई दिशा मिलेगी। भारतीय विश्वविद्यालय, ऐतिहासिक संस्थान और पुरातत्व विभाग अब इन्हें लेकर संपन्न अध्ययन कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा

इन सभी किलों के केंद्र में हैं – छत्रपति शिवाजी महाराज, जिनकी दूरदृष्टि, सैन्य कौशल और प्रशासनिक दक्षता ने मराठा साम्राज्य को स्थायित्व और महत्ता दी। उनका जीवन आज भी साहस, न्याय और स्वाभिमान का प्रतीक है। प्रधानमंत्री द्वारा साझा की गई रायगढ़ यात्रा की तस्वीरें इसी प्रेरणा को जीवन्त करती हैं।

ऐतिहासिक कालखंड (17वीं से 19वीं सदी तक का युग)

मराठा सैन्य परिदृश्य का उद्भव और विस्तार 17वीं सदी में छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व में हुआ और यह परंपरा 19वीं सदी तक पेशवाओं के शासनकाल में भी बनी रही। इस कालखंड को भारतीय इतिहास में एक सांस्कृतिक और सैन्य पुनर्जागरण के युग के रूप में देखा जाता है, जिसमें स्थानीय शासन, जनकल्याण, और आत्मरक्षा के सिद्धांतों को नई परिभाषा मिली।
शिवाजी महाराज ने एक ऐसा सैन्य तंत्र खड़ा किया, जो आक्रमणकारियों का प्रतिरोध करने के साथ-साथ प्रशासनिक दृष्टि से सुव्यवस्थित था। किले केवल युद्ध के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक और न्यायिक व्यवस्थाओं के केंद्र भी थे। यही कारण है कि इस काल के किले एक राजनीतिक-प्रशासनिक केन्द्र के रूप में भी जाने जाते हैं।

सैन्य रणनीति का अनुपम उदाहरण

मराठा किलों का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उनकी रणनीतिक स्थिति और निर्माण की योजना है। इन किलों को हमेशा भौगोलिक स्थिति के अनुसार चुना गया – जैसे कि ऊँचाई वाले पर्वत, समुद्र तट, या घने जंगल।
इन किलों में प्राकृतिक अवरोधों को सुरक्षा के उपकरण की तरह प्रयोग किया गया। उदाहरण के लिए, तोरणा और लोहगढ़ जैसे किले ऊँचाई पर स्थित हैं, जो शत्रुओं के लिए दुर्गम थे।
हर किले में जल संरक्षण व्यवस्था, भूमिगत सुरंगें, गुप्त द्वार, ऊँचे द्वारों की वास्तुकला, और सीमित पहुंच जैसे तत्त्व सम्मिलित थे। यह सब इस बात का प्रमाण हैं कि मराठा साम्राज्य की रणनीति केवल युद्ध कौशल तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह पूर्व नियोजित सैन्य इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण भी थी।

भौगोलिक विविधता – पर्वत, तट और पठारों का समावेश

‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’ में सम्मिलित 12 किले अलग-अलग भौगोलिक परिदृश्यों पर स्थित हैं। इनमें से कुछ किले समुद्र किनारे जैसे जंजीरा और अलिबाग, कुछ पहाड़ी क्षेत्रों जैसे राजगढ़, लोहगढ़, और कुछ पठारी इलाकों जैसे साल्हेर और तोरणा में स्थित हैं।
इस विविधता का कारण यह था कि मराठा साम्राज्य ने अपने सैन्य नियंत्रण को भौगोलिक रूप से संतुलित किया और हर क्षेत्र के लिए विशिष्ट सामरिक रणनीति अपनाई। किलों का ऐसा वितरण न केवल दुश्मनों की गतियों को सीमित करता था, बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से दक्षता भी बढ़ाता था।

 मराठा मिलिट्री लैंडस्केप क्या है?

उत्तर:
मराठा मिलिट्री लैंडस्केप भारत में मराठा साम्राज्य द्वारा 17वीं से 19वीं सदी के बीच निर्मित 12 ऐतिहासिक किलों का समूह है। यह समूह अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। ये किले भारत की सैन्य रणनीति, स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विरासत के अद्वितीय उदाहरण हैं।


इन किलों को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में क्यों शामिल किया गया?

उत्तर:
इन किलों को उनकी:

  • ऐतिहासिक प्रासंगिकता,

  • अद्वितीय सैन्य रणनीति,

  • पर्यावरणीय समन्वय,

  • स्थापत्य कला,

  • और सांस्कृतिक धरोहर
    के आधार पर चुना गया है।
    इनमें सामरिक सोच, आत्मनिर्भर प्रशासन और स्थानीय कारीगरों की शिल्पकला का अद्भुत मेल है।


 इस लैंडस्केप में कौन-कौन से किले शामिल हैं?

उत्तर:
इस सूची में निम्न 12 किले शामिल हैं:

  1. शिवनेरी किला (शिवाजी महाराज का जन्मस्थान)

  2. तोरणा किला

  3. लोहगढ़ किला

  4. साल्हेर किला

  5. राजगढ़ किला

  6. सिंहगढ़ किला

  7. प्रतापगढ़ किला

  8. जंजीरा किला

  9. सुपेगड़ किला

  10. अलिबाग किला

  11. गिंगी किला (तमिलनाडु)

  12. (एक अतिरिक्त संरचना) — समर्पित यात्री मार्ग और प्रशासनिक व्यवस्था से संबंधित


 इन किलों का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

उत्तर:
इन किलों ने मराठा साम्राज्य को:

  • विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा प्रदान की,

  • प्रशासनिक केन्द्रों के रूप में कार्य किया,

  • जल प्रबंधन, भंडारण और छिपे मार्गों के जरिए युद्धकालीन चुनौतियों का सामना किया।
    ये किले शिवाजी महाराज की रणनीतिक सोच और भारत की स्वतंत्र सैन्य परंपरा को दर्शाते हैं।


 ये किले किस भौगोलिक क्षेत्रों में फैले हुए हैं?

उत्तर:
इनमें से 11 किले महाराष्ट्र में और 1 किला तमिलनाडु में स्थित है।
इनकी भौगोलिक विविधता उल्लेखनीय है:

  • पहाड़ी किले (जैसे लोहगढ़, सिंहगढ़)

  • तटीय किले (जैसे जंजीरा, अलिबाग)

  • पठारी क्षेत्र के किले (जैसे साल्हेर)

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