'Mack for the World' in India's rail manufacturing sector

‘Mack for the World’ in India’s rail manufacturing sector : भारत के रेल निर्माण क्षेत्र में ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का बढ़ता प्रभाव

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वडोदरा, गुजरात – भारत के रेल निर्माण परिदृश्य में आत्मनिर्भरता और वैश्विक नवाचार को नया बल देते हुए, केन्‍द्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने 27 जुलाई 2025 को वडोदरा स्थित एल्सटॉम के सावली संयंत्र का दौरा किया। यह संयंत्र भारत में रेलवे वाहनों के निर्माण का एक प्रमुख केन्‍द्र है और मेक इन इंडिया तथा मेक फॉर द वर्ल्ड जैसी राष्ट्रीय पहलों का व्यावहारिक उदाहरण भी। मंत्री ने संयंत्र के विभिन्न परिचालनों का मूल्यांकन किया, तकनीकी टीमों से चर्चा की और संयंत्र की कार्यक्षमता एवं निर्यात सफलता की प्रशंसा की।

श्री वैष्णव ने संयंत्र में एल्सटॉम की उत्पादन प्रणाली की समीक्षा करते हुए उस अनूठी कार्यप्रणाली की सराहना की, जिसमें प्रत्येक ऑर्डर के लिए विशिष्‍ट व्‍यवसायिक ज़रूरतों के अनुरूप समाधान तैयार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह मॉडल भारतीय रेलवे के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है। मंत्री ने गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ मिलकर संयंत्र-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ करने का प्रस्ताव भी रखा और यह सुझाव दिया कि रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधकों को सावली संयंत्र का शैक्षिक और प्रशिक्षण दौरा करना चाहिए।

इस दौरे के दौरान रखरखाव प्रक्रियाओं पर विशेष चर्चा हुई, जहां निवारक रखरखाव के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सेंसर प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचार किया गया। मंत्री ने कहा कि एल्सटॉम जैसी इकाइयों के तकनीकी नवाचार भारतीय रेलवे की दक्षता और सुरक्षा दोनों को सुदृढ़ कर सकते हैं। उन्होंने संयंत्र की डिज़ाइन, निर्माण और परीक्षण प्रक्रियाओं की सराहना करते हुए कहा कि एल्सटॉम भारत की औद्योगिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

सावली संयंत्र विशेष रूप से अत्याधुनिक ट्रांजिट ट्रेन कारों के निर्माण में विशेषज्ञता रखता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होते हैं। संयंत्र का कार्य नवाचार, गुणवत्ता और समयबद्ध निर्यात पर केंद्रित है। 2016 से अब तक भारत से 1,002 रेल कारें विश्व के कई देशों को निर्यात की जा चुकी हैं। इनमें से 450 रेल कारें सावली में निर्मित होकर ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड मेट्रो परियोजना के लिए भेजी गईं, जो भारत की निर्माण क्षमता और वैश्विक भरोसे का प्रमाण हैं।

रेल मंत्री ने बताया कि एल्सटॉम का भारत स्थित डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर, जो बेंगलुरु में स्थित है, 120 से अधिक अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में सहयोग कर रहा है। यह केंद्र आईओटी, ब्लॉकचेन, एआई और साइबर सुरक्षा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से सिग्नलिंग के क्षेत्र में नया अध्याय लिख रहा है। वर्तमान में भारत 27 अंतरराष्ट्रीय सिग्नलिंग परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है, जबकि 40 अतिरिक्त परियोजनाओं में सहायक भूमिका निभा रहा है।

एल्सटॉम का उत्पादन केवल कोच निर्माण तक सीमित नहीं है। सावली संयंत्र ने अब तक जर्मनी, मिस्र, स्वीडन, ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को 3,800 से अधिक बोगियों का निर्यात किया है। इसके अलावा, ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना को 4,000 से अधिक फ्लैटपैक (रेल मॉड्यूल) उपलब्ध कराए गए हैं। कंपनी की मनेजा इकाई ने 5,000 से अधिक ऑपरेशन्‍स पावर सिस्टम्स भी विभिन्न वैश्विक परियोजनाओं के लिए भेजे हैं।

भारतीय रेल उत्पादों की वैश्विक मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। आज भारत से ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को मेट्रो कोच, यूके, सऊदी अरब, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया को बोगियाँ, तथा फ्रांस, मैक्सिको, स्पेन, रोमानिया और इटली को संचालन प्रणालियाँ निर्यात की जा रही हैं। वहीं, मोजाम्बिक, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों को यात्री कोच तथा इंजन भेजे जा चुके हैं। ये आँकड़े भारत के रेल उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को दर्शाते हैं।

इस क्षेत्र में इंटीग्रा, एनोवी, हिंद रेक्टिफायर, हिताची एनर्जी और एबीबी जैसी अग्रणी कंपनियाँ सक्रिय हैं, जो निर्माण, विद्युत प्रणाली और आंतरिक सज्जा में विशेषज्ञता रखती हैं। ये कंपनियाँ संयंत्र की दक्षता को और सशक्त बनाती हैं।

मीडिया से बातचीत में श्री वैष्णव ने कहा, “मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड की भावना अब ज़मीनी स्तर पर दिखाई दे रही है। भारत सिर्फ घरेलू ज़रूरतों को नहीं, बल्कि वैश्विक रेलवे की मांग को भी पूरा कर रहा है। इससे न केवल हमारे इंजीनियरों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर कार्य करने का अनुभव मिल रहा है, बल्कि देश के लिए रोजगार और आर्थिक समृद्धि के नए द्वार भी खुल रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत अब ‘डिज़ाइन इन इंडिया, बिल्ट फॉर द वर्ल्ड’ की परिकल्पना को साकार कर रहा है। जब भारतीय इंजीनियर जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के लिए रेल उत्पाद डिज़ाइन करते हैं, तो वे न केवल तकनीकी दक्षता प्राप्त करते हैं, बल्कि भारतीय औद्योगिक कौशल की प्रतिष्ठा को भी वैश्विक पटल पर स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत विश्व का सबसे बड़ा रेल विनिर्माण केंद्र बन सकता है।


एल्सटॉम का यह प्रमुख विनिर्माण संयंत्र वडोदरा, गुजरात के सावली क्षेत्र में स्थित है। यह संयंत्र भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत एक रणनीतिक केंद्र के रूप में कार्य करता है और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले रेल वाहनों के उत्पादन के लिए जाना जाता है।

कुल मेट्रो कोच निर्माण
अब तक संयंत्र ने विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड मेट्रो परियोजना के लिए 450 से अधिक आधुनिक मेट्रो कोचों का निर्माण किया है। यह निर्माण भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों द्वारा किया गया, जो एल्सटॉम की वैश्विक डिज़ाइन और गुणवत्ता मानकों का पालन करते हैं।

कुल रेल कार निर्यात
वर्ष 2016 से अब तक, भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए कुल 1,002 रेल कारों का सफलतापूर्वक निर्माण और निर्यात किया है। इससे भारत को आधुनिक रेल तकनीक के क्षेत्र में एक विश्वसनीय वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में पहचान मिली है।

निर्यातित बोगियां
एल्सटॉम की सावली इकाई ने अब तक जर्मनी, मिस्र, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील जैसे देशों को 3,800 से अधिक बोगियां (ट्रेन के चलने वाले ढांचे) सफलतापूर्वक भेजी हैं। यह भारत की धातुकर्म, इंजीनियरिंग और गुणवत्ता नियंत्रण क्षमताओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

संचालन प्रणालियों का निर्यात
वडोदरा स्थित एल्सटॉम की मनेजा इकाई ने 5,000 से अधिक संचालन शक्ति प्रणालियाँ (Traction Systems) फ्रांस, मैक्सिको, स्पेन, इटली, रोमानिया और जर्मनी जैसे देशों को भेजी हैं। ये प्रणालियाँ ट्रेन के चालित भागों को ऊर्जा और गति प्रदान करने में सक्षम हैं और पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित की गई हैं।

🧠 डिज़ाइन परियोजनाओं में भारत की अगुवाई:
भारत वर्तमान में एल्सटॉम की 27 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सिग्नलिंग परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है। साथ ही, दुनिया भर की 40 अन्य परियोजनाओं को तकनीकी सहायता भी दे रहा है, जिनमें से अधिकांश का तकनीकी केंद्र बेंगलुरु स्थित डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर है।

तकनीकी नवाचार और फोकस क्षेत्र
एल्सटॉम की भारतीय इकाइयाँ उन्नत तकनीकों पर केंद्रित हैं, जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्र प्रमुख हैं। ये तकनीकें अगली पीढ़ी की रेलवे प्रणालियों में सिग्नलिंग, निगरानी, डेटा प्रबंधन और सुरक्षा को नई ऊँचाइयों पर ले जाती हैं।

स्थानीय औद्योगिक सहयोग
सावली संयंत्र के आसपास एक सशक्त स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला विकसित हो चुकी है, जिसमें 5 से अधिक प्रमुख भारतीय आपूर्तिकर्ता शामिल हैं – जैसे कि इंटीग्रा, एनोवी, हिंद रेक्टिफायर, हिताची एनर्जी और एबीबी। ये कंपनियाँ संरचनात्मक विनिर्माण, आंतरिक सज्जा और विद्युत प्रणालियों में विशेषज्ञता रखती हैं।

प्रमुख निर्यात गंतव्य देश
एल्सटॉम भारत से निर्यात किए गए उत्पादों को अब विश्व के अनेक देशों में भेजा जा चुका है, जिनमें प्रमुख नाम हैं:

  • ऑस्ट्रेलिया (मेट्रो कोच)
  • कनाडा (मेट्रो कोच)
  • फ्रांस, इटली, जर्मनी (संचालन प्रणालियाँ)
  • सऊदी अरब, यूके (बोगियाँ)
  • मोजाम्बिक, श्रीलंका, बांग्लादेश (यात्री कोच और रेल इंजन)

Source : PIB

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