Laborer dies after being buried under soil in Ajmer : अजमेर में मजदूर की मिट्टी में दबकर मौत पर एनएचआरसी का संज्ञान

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Correspondent: GT Express | 26.07.2025 | Ghar Tak Express |

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राजस्थान के अजमेर जिले में सीवर का गड्ढा खोदते समय एक मजदूर की मौत से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने इस घटना को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन मानते हुए राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और अजमेर के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया जाना अनिवार्य होगा कि मृतक के परिवार को कोई मुआवजा प्रदान किया गया है या नहीं

घटना का विवरण – एक मजदूर की दर्दनाक मौत

घटना 14 जुलाई 2025 को अजमेर जिले के एक बिजली घर परिसर में हुई, जहां 50 वर्षीय मजदूर एक सीवर के लिए लगभग 30 फीट गहरा गड्ढा खोद रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़ित जब लगभग 18 फीट गहराई पर कार्यरत था, तभी अचानक मिट्टी का एक बड़ा हिस्सा धंस गया और वह पूरी तरह से उसके नीचे दब गया।

इस हादसे में साथ काम कर रहे अन्य मजदूरों ने किसी तरह भाग कर जान बचाई, लेकिन पीड़ित मिट्टी के नीचे फँस गया। 6 से 7 घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद शव को बाहर निकाला गया और पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया

सुरक्षा मानकों की अनदेखी और ठेकेदार की भूमिका

घटना के सामने आने के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या ठेकेदार और प्रशासन ने काम शुरू करने से पहले जरूरी सुरक्षा उपाय अपनाए थे या नहीं। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, न तो मजदूरों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए थे और न ही कार्य स्थल पर संरचनात्मक स्थिरता की कोई तकनीकी निगरानी की गई थी।

स्थानीय मजदूर संगठनों का कहना है कि अक्सर ठेकेदार मजदूरों से असुरक्षित परिस्थितियों में काम करवाते हैं, जिससे ऐसे हादसे होते हैं। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों के साथ किस प्रकार की लापरवाही बरती जाती है।

आयोग की चेतावनी और अपेक्षित रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि यदि मीडिया रिपोर्ट सच्ची है, तो यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि मजदूर के बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि संबंधित अधिकारियों को यह बताना होगा:

क्या पीड़ित मजदूर को सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए थे?

क्या गड्ढा खोदने से पहले सुरक्षा ऑडिट या तकनीकी सर्वेक्षण किया गया था?

मृतक के परिजनों को मुआवजा और पुनर्वास सहायता दी गई या नहीं?

घटना के लिए किस अधिकारी या ठेकेदार की लापरवाही जिम्मेदार मानी गई है?

रिपोर्ट प्राप्त न होने की स्थिति में आयोग स्वतः जांच प्रक्रिया शुरू कर सकता है।

मजदूर के परिवार की स्थिति

मृतक की पहचान रामकिशोर (बदला गया नाम), उम्र 50 वर्ष के रूप में हुई है, जो अजमेर जिले के एक गांव का निवासी था। वह बीते दो वर्षों से निर्माण कार्यों में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। उसके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। हादसे के बाद परिवार पर अचानक आर्थिक और मानसिक संकट टूट पड़ा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि परिवार को अभी तक कोई सरकारी सहायता या मुआवजा नहीं मिला है, और प्रशासन की ओर से केवल खानापूर्ति की जा रही है।

मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न

यह घटना एक बार फिर इस बात को उजागर करती है कि भारत में निर्माण और सफाई क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिक किस हद तक असुरक्षित हैं। अधिकांश कार्यस्थलों पर व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता (Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020) का पूर्ण अनुपालन नहीं होता।

विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक ठेकेदारी व्यवस्था की जवाबदेही तय नहीं होगी, और सुरक्षा मानकों का नियमित मूल्यांकन नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी।

कानूनी प्रावधान और मानवाधिकार संरक्षण

भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को जीवन और गरिमा के साथ जीने का अधिकार देता है (अनुच्छेद 21)। किसी भी कार्यस्थल पर यदि कोई श्रमिक बिना सुरक्षा उपायों के कार्य कर रहा है और उसकी जान जाती है, तो यह सीधे-सीधे मानवाधिकारों और श्रम कानूनों का उल्लंघन है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का यह हस्तक्षेप इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य और ठेकेदारों की साझा जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि ऐसी घटनाओं की प्रभावी जांच हो, और दोषियों को दंड मिले।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

अजमेर जिला प्रशासन ने मीडिया के दबाव और आयोग की नोटिस के बाद बयान जारी कर कहा है कि घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, और रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, मृतक के परिजनों को राज्य सरकार की योजनाओं के तहत राहत राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

हालाँकि, स्थानीय संगठनों का आरोप है कि यह प्रतिक्रिया केवल आयोग की कार्रवाई के बाद सामने आई है, जबकि प्रशासन ने पहले इस मामले को दबी आवाज़ में निपटाने की कोशिश की थी।

सामाजिक संगठनों की माँगें

राजस्थान के मानवाधिकार कार्यकर्ता, श्रमिक संगठन, और सिविल सोसायटी समूह लगातार यह माँग कर रहे हैं कि:

सभी निर्माण स्थलों की सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य की जाए

श्रमिकों को हेलमेट, रेस्क्यू बेल्ट और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा दी जाए

ठेकेदारों को लाइसेंस जारी करने से पहले उनकी सुरक्षा रिकॉर्ड जांची जाए

दुर्घटनाओं में मारे गए श्रमिकों के परिवार को कम से कम ₹10 लाख का मुआवजा दिया जाए

श्रमिकों का बीमा और सामाजिक सुरक्षा पंजीकरण अनिवार्य किया जाए

लंबे समय से चली आ रही समस्या

इस तरह की घटनाएँ नई नहीं हैं। भारत में हर वर्ष दर्जनों श्रमिक सीवर सफाई, गड्ढा खुदाई या निर्माण कार्य के दौरान असुरक्षित परिस्थितियों के कारण जान गंवाते हैं। 2013 से 2023 के बीच 1,000 से अधिक मौतें ऐसे ही कार्यों में हो चुकी हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत में मैनुअल स्केवेंजिंग, गहरी खुदाई और बिना तकनीकी निगरानी वाले कार्य, अभी भी मानव जीवन के लिए घातक बने हुए हैं।

14 जुलाई 2025 को अजमेर में सीवर खुदाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत

राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित एक बिजली घर परिसर में 14 जुलाई 2025 को एक अत्यंत दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई, जब एक 50 वर्षीय मजदूर सीवर लाइन बिछाने के लिए खुदाई के दौरान मिट्टी के नीचे दब गया और उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब वह अनुमानित 30 फीट गहरे गड्ढे में कार्यरत था। घटना ने न केवल मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि प्रशासन की ज़िम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला।

मृतक 30 फीट गहरे गड्ढे में काम कर रहा था, 18 फीट पर मिट्टी में दबा

प्रत्यक्षदर्शियों और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, मृतक मजदूर जब खुदाई करते हुए लगभग 18 फीट की गहराई तक पहुँचा था, तभी अचानक मिट्टी का बड़ा हिस्सा ढह गया। इस अप्रत्याशित घटना के चलते वह पूरी तरह से मिट्टी के नीचे दब गया और उसे बचाने का कोई तत्काल उपाय नहीं हो पाया। घटनास्थल पर कोई सुरक्षा प्रबंध या तकनीकी निगरानी उपलब्ध नहीं थी।

6 से 7 घंटे की मशक्कत के बाद निकाला गया शव

 रस्सियों और हाथ से खुदाई के माध्यम से दबे हुए मजदूर को बाहर निकाला गया। जब तक शव बाहर लाया गया, तब तक मजदूर की मृत्यु हो चुकी थी। उसका शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

लिया संज्ञान, दो शीर्ष अधिकारियों को नोटिस

इस गंभीर घटना पर 15 जुलाई 2025 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने स्वतः कार्रवाई करते हुए इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला करार दिया। आयोग ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और अजमेर के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की है, जिसमें घटना की पूरी जानकारी और प्रशासनिक जवाबदेही स्पष्ट रूप से माँगी गई है।

मुआवजा, पुनर्वास और सुरक्षा उपायों पर रिपोर्ट की माँग

एनएचआरसी ने अपने नोटिस में यह भी स्पष्ट किया है कि अधिकारियों को यह बताना होगा कि मृतक के निकटतम परिजन को मुआवजा या सहायता राशि प्रदान की गई है या नहीं। साथ ही, यह भी जांचा जाएगा कि क्या काम शुरू होने से पहले सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था, तथा किस स्तर पर लापरवाही हुई। आयोग इस मामले को एक संवेदनशील मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए उचित कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

ठेकेदार और परियोजना पर्यवेक्षण पर गंभीर लापरवाही के आरोप

घटना के तुरंत बाद मजदूर संगठनों और स्थानीय लोगों ने ठेकेदार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उसने साइट पर आवश्यक सुरक्षा इंतज़ाम नहीं किए थे। न तो मजदूरों को और गैर-जवाबदेही ने सीधे तौर पर एक व्यक्ति की जान ले ली।

मजदूर संगठनों की ठोस नीति और सुरक्षा सुधारों की माँग

राजस्थान और देशभर के श्रमिक संगठनों ने इस घटना के बाद सरकार से यह माँग की है कि:

सभी निर्माण एवं सीवर परियोजनाओं में सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य किया जाए

श्रमिकों के लिए सुरक्षा उपकरण, बीमा, और प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य हों

काम शुरू होने से पहले सुरक्षा क्लियरेंस और तकनीकी निरीक्षण अनिवार्य हों

असुरक्षित परिस्थितियों में काम करवाने वाले ठेकेदारों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए

दुर्घटना में मारे गए श्रमिकों के परिवार को कम से कम ₹10 लाख मुआवजा तथा नौकरी और पुनर्वास सहायता दी जाए

 

Source : PIB

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