कुलगाम, जम्मू-कश्मीर:
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में शुक्रवार रात को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक आतंकवादी को मार गिराया गया है। यह अभियान सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त प्रयास से अंजाम दिया गया। इस मुठभेड़ के बाद इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है।
मुठभेड़ की शुरुआत कैसे हुई?
पुलिस के मुताबिक, कुलगाम के फ्रिसल यारीपोरा क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना मिली थी। इसके बाद राष्ट्रीय राइफल्स, सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने घेराबंदी शुरू की। जैसे ही जवान संदिग्ध घर की ओर बढ़े, वहां छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में एक आतंकवादी मारा गया।
कौन था मारा गया आतंकी?
मारे गए आतंकवादी की पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि वह स्थानीय आतंकी था और हाल के दिनों में कुलगाम और अनंतनाग में कई वारदातों में शामिल था। उसके पास से AK-47 राइफल, ग्रेनेड और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं।
इंटरनेट सेवाएं बंद
सुरक्षा कारणों से कुलगाम और आसपास के इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गईं। यह कदम अफवाहों को फैलने से रोकने और अभियान की संवेदनशीलता को देखते हुए उठाया गया।
इलाका सील, सर्च ऑपरेशन जारी
मुठभेड़ समाप्त होने के बाद भी सुरक्षाबलों ने इलाके को पूरी तरह से सील कर दिया है और अन्य आतंकियों की संभावित मौजूदगी को देखते हुए सघन तलाशी अभियान जारी है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे सुरक्षाबलों के साथ सहयोग करें और किसी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत जानकारी दें।
स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रिया
मुठभेड़ के दौरान स्थानीय निवासियों ने गोलीबारी की आवाजें सुनी और पूरे क्षेत्र में डर और तनाव का माहौल रहा। हालांकि सुरक्षाबलों ने यह सुनिश्चित किया कि किसी नागरिक को कोई नुकसान न हो। स्कूलों और बाजारों को फिलहाल बंद रखा गया है।
एक स्थानीय निवासी मुहम्मद इमरान ने कहा,
“गोलियों की आवाज़ रातभर आती रही। हम डरे हुए थे लेकिन सुबह जब सुरक्षाबलों ने बताया कि सब ठीक है तब जाकर राहत मिली।”
जम्मू-कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों की स्थिति
जम्मू-कश्मीर में साल 2025 में अब तक करीब 142 आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें से अधिकांश स्थानीय आतंकवादी थे, जो पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठनों से जुड़े हुए थे। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि घरेलू भर्ती को रोकने के लिए बड़े स्तर पर साइकोलॉजिकल ऑपरेशन भी चलाए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार और सेना की नीति
केंद्र सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म’ नीति के तहत ऐसे अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि
“जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जारी रहेगी और कोई भी आतंकी बच नहीं पाएगा।”
स्थानीय युवाओं को गुमराह करने की साजिश
मारे गए आतंकवादी के बारे में प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि वह कुछ महीने पहले ही आतंकी संगठन से जुड़ा था। बताया जा रहा है कि वह सोशल मीडिया और कट्टरपंथी धार्मिक विचारधाराओं के ज़रिए गुमराह हुआ।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में बैठे आतंकी हैंडलर्स अभी भी इंटरनेट के माध्यम से कश्मीर के युवाओं को उकसाने और भर्ती करने की साजिश में जुटे हैं। हालांकि, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ऐसे ऑनलाइन कंटेंट पर निगरानी रखने के लिए साइबर सेल को सशक्त किया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद कई राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं:
- केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सुरक्षाबलों की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा, “हमारी सरकार आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है। इस तरह के अभियानों से जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति की दिशा में रास्ता साफ होगा।”
- पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर स्थानीय युवाओं की बहाली पर बल देते हुए कहा, “हमें युवाओं को बंदूक से नहीं, कलम से जोड़ना होगा। उन्हें शिक्षा और रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ना ज़रूरी है।”
शांति और विकास की दोहरी रणनीति
जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार एक साथ दो मोर्चों पर काम कर रही है —
- आतंकवाद का सफाया
- विकास की रफ्तार बढ़ाना
प्रधानमंत्री विकास पैकेज, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, और नई औद्योगिक नीति 2021 जैसे कार्यक्रमों से घाटी में निवेश को बढ़ावा दिया गया है। ये योजनाएं युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और उग्रवाद से दूर रखने में सहायक बन रही हैं।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता
हाल के वर्षों में देखा गया है कि आतंकवादी अक्सर ऐसे घरों में शरण लेते हैं जहां महिलाएं और बच्चे होते हैं, ताकि वे मानव ढाल की तरह उनका इस्तेमाल कर सकें। लेकिन अब सुरक्षाबलों की रणनीति ऐसी है कि सामान्य नागरिकों को नुकसान पहुंचाए बिना आतंकियों का सफाया किया जा रहा है। इस मुठभेड़ में भी यही दृष्टिकोण अपनाया गया।
मुठभेड़ से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया
मुठभेड़ के बाद मैजिस्ट्रेट जांच अनिवार्य रूप से कराई जाती है। एफआईआर दर्ज होती है, पोस्टमॉर्टम के बाद शव की पहचान कराई जाती है, और परिवार को सूचित किया जाता है। यदि कोई आतंकी विदेशी हो, तो डीएनए प्रोफाइलिंग की जाती है और जानकारी केंद्र सरकार को भेजी जाती है।
सुरक्षाबलों की सफलता का आँकड़ा
वर्ष मारे गए आतंकवादी पकड़े गए आत्मसमर्पण 2021 182 120 21 2022 172 103 26 2023 159 98 18 2025 (अब तक) 142 89 14 इन आँकड़ों से साफ है कि आतंकवाद पर लगातार नियंत्रण पाया जा रहा है, और युवाओं को मुख्यधारा में लाने की नीति असरदार हो रही है।
दृश्य वर्णन
घटना स्थल की तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि ऑपरेशन के दौरान सेना की बख्तरबंद गाड़ियाँ, ड्रोन कैमरे, और नाइट विजन डिवाइसेस का इस्तेमाल किया गया। सुरक्षा बलों ने पूरे मोहल्ले को चारों ओर से घेरकर आतंकियों के भागने के सारे रास्ते बंद कर दिए थे।
जनता-सुरक्षाबलों के बीच विश्वास बढ़ा
पिछले कुछ वर्षों में जनता और सुरक्षाबलों के बीच भरोसा बढ़ा है, खासकर उन इलाकों में जहां पहले आतंकवादियों को स्थानीय समर्थन मिलता था। स्कूल, कॉलेज और पंचायत भवनों को फिर से शुरू किया गया है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती मिली है।
शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक पहल
घाटी में कई एनजीओ, मनोवैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थान युवाओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि उन्हें हिंसा के रास्ते से हटाकर शिक्षा और कला-संस्कृति की ओर मोड़ा जा सके।
Leave a Reply