पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवाद की भयावह छाया एक बार फिर गहराती जा रही है। 3 जुलाई 2025 को, एक बारूदी सुरंग (आईईडी) विस्फोट ने बाजौर जिले को दहला दिया, जिसमें एक सहायक आयुक्त सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और पुलिसकर्मियों समेत चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 11 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले की ज़िम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के एक कट्टरपंथी गुट उसूद-उल-हरब ने ली है।
घटना का विवरण
यह धमाका उस समय हुआ जब बाजौर जिले के लोई सम इलाके से होकर एक सरकारी काफिला गुजर रहा था। इस काफिले में सहायक आयुक्त (Assistant Commissioner) और तहसीलदार (Revenue Officer) सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। काफिले की सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस के जवान भी तैनात थे। इसी दौरान सड़क के किनारे छुपाकर रखे गए एक शक्तिशाली आईईडी में विस्फोट हुआ। विस्फोट इतना तीव्र था कि जिस वाहन में वरिष्ठ अधिकारी सवार थे, वह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
विस्फोट में सहायक आयुक्त और तहसीलदार की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो पुलिसकर्मी, जो सुरक्षा ड्यूटी पर थे, भी शहीद हो गए। अन्य 11 लोग, जिनमें आम नागरिक, पुलिसकर्मी और कुछ अन्य अधिकारी शामिल हैं, गंभीर रूप से घायल हो गए।
हमले की जिम्मेदारी और आतंकवादी संगठन की भूमिका
इस भयावह हमले की जिम्मेदारी उसूद-उल-हरब नामक संगठन ने ली है, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का एक गुट है। यह संगठन पहले भी खैबर पख्तूनख्वा और अफगान सीमा से लगे क्षेत्रों में सुरक्षाबलों और प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बनाता रहा है। उसूद-उल-हरब ने सोशल मीडिया के माध्यम से जारी एक बयान में कहा कि यह हमला “सरकारी अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए” किया गया।
टीटीपी, जो कि 2007 में अस्तित्व में आया, पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। इस संगठन ने विशेष रूप से पाकिस्तान के पश्चिमी इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों को अशांत कर रखा है। यह हमला इस बात का प्रमाण है कि टीटीपी और उसके सहयोगी गुट अब भी पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा ढांचे को चुनौती दे रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
बाजौर के उपायुक्त (Deputy Commissioner) ने घटना की पुष्टि करते हुए इसे “सरासर आतंकवाद” बताया और कहा कि मारे गए अधिकारियों की सेवा निष्ठा हमेशा याद रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों को तत्काल घटनास्थल पर भेजा गया और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें पेशावर और इस्लामाबाद के प्रमुख चिकित्सा केंद्रों में एयरलिफ्ट कर भेजा गया।
प्रांतीय गृह विभाग ने भी बयान जारी कर कहा कि आतंकवादी तत्वों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। खुफिया एजेंसियों को जांच के आदेश दिए गए हैं और प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार यह हमला योजनाबद्ध और सुनियोजित था।
प्रधानमंत्री और राष्ट्र स्तर की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और कहा, “हमारे बहादुर अधिकारी, जो समाज की सेवा में लगे थे, उन्हें इस कायराना हमले में निशाना बनाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में और मजबूत होकर उभरेंगे।”
उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और शहीद अधिकारियों के बलिदान को देश के लिए अमूल्य बताया। साथ ही उन्होंने हमले की गहन जांच के आदेश दिए और दोषियों को जल्द पकड़ने का निर्देश दिया।
विपक्षी दलों और नागरिक समाज ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (PML-N) के नेताओं ने कहा कि सरकार को खैबर पख्तूनख्वा में कानून-व्यवस्था पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और आतंकवाद के नेटवर्क को जड़ से समाप्त करना चाहिए।
बाजौर संवेदनशील सीमावर्ती इलाका
बाजौर जिला अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है और वर्षों से आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां टीटीपी और अन्य चरमपंथी गुटों की पैठ रही है। भौगोलिक स्थिति और दुर्गम इलाके इन संगठनों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करते हैं। इसके अलावा, अफगानिस्तान की अस्थिरता और सीमावर्ती क्षेत्रों की कमजोर निगरानी आतंकी संगठनों के लिए लाभकारी साबित होती रही है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बाजौर जैसे इलाकों में आतंकवादियों की बढ़ती गतिविधियों के पीछे सीमापार से मिलने वाली सहायता, कट्टरपंथी वैचारिक समर्थन और स्थानीय सहयोग का बड़ा हाथ है।
आईईडी का आतंक रणनीति और विधि
आईईडी यानी ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ एक किफायती लेकिन अत्यंत घातक हथियार है जिसे आतंकी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। बाजौर विस्फोट में जिस प्रकार से वाहन को निशाना बनाया गया, उससे यह स्पष्ट होता है कि हमलावरों ने मार्ग की पूर्व-रेकी की थी और संभावित यात्रा मार्गों को ध्यान में रखते हुए विस्फोटक को स्थापित किया था।
आईईडी के माध्यम से लक्ष्य को दूर से और अपेक्षाकृत कम जोखिम में हमला किया जा सकता है, जिससे हमलावर पकड़े नहीं जाते और ज्यादा क्षति पहुंचाई जा सकती है। पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में यह तकनीक बार-बार प्रयोग में लाई जा रही है।
प्रभावित परिवारों की व्यथा
हमले में मारे गए अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के परिजनों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। सहायक आयुक्त के भाई ने मीडिया से बातचीत में कहा, “वह देश के लिए जान देने को हमेशा तैयार रहते थे, लेकिन हमने एक होनहार बेटे, भाई और पति को खो दिया।” वहीं, तहसीलदार के छोटे बेटे ने कहा, “अब कौन स्कूल भेजेगा? कौन हमारे लिए कमाएगा?”
सरकार ने प्रत्येक मृतक अधिकारी और जवान के परिवार को 50 लाख पाकिस्तानी रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। घायलों के इलाज का खर्च भी सरकार उठाएगी।
पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया
हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान आर्मी और फ्रंटियर कॉर्प्स ने संयुक्त तलाशी अभियान चलाया। पूरे इलाके को सील कर दिया गया और संभावित छिपने की जगहों पर छापेमारी की गई। कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है।
सुरक्षा बलों का मानना है कि इस हमले को स्थानीय स्तर पर टीटीपी के समर्थकों की मदद से अंजाम दिया गया और इसमें सीमापार तत्वों की भी भूमिका हो सकती है।
आंतरिक अस्थिरता और बढ़ती चुनौतियां
पाकिस्तान पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और सामाजिक तनाव से जूझ रहा है। ऐसे में आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाएं आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन गई हैं। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे प्रांत लगातार हिंसा के चपेट में हैं, जिससे आम जनता में असुरक्षा और डर का माहौल है।
आतंकवादी संगठनों की नई रणनीति स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बनाकर शासन व्यवस्था को पंगु करने की है। यह पाकिस्तान की शासन क्षमता और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कठिन परीक्षा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत सहित कई देशों ने इस हमले की निंदा की है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और निर्दोष लोगों को निशाना बनाना कायरता की चरम सीमा है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी पाकिस्तान को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है, साथ ही आतंकवाद के खिलाफ समन्वय बढ़ाने पर बल दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस हमले को ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन’ करार देते हुए कहा कि प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े लोगों को निशाना बनाना वैश्विक नियमों के खिलाफ है।
आगे की राह सुरक्षा और रणनीति
सरकार के सामने अब दोहरी चुनौती है – एक ओर आतंकवाद का सफाया करना और दूसरी ओर आम जनता के भरोसे को बहाल करना। खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना, सीमाओं की निगरानी बढ़ाना और स्थानीय समुदायों के सहयोग से आतंकियों को अलग-थलग करना अब समय की मांग है।
विशेषज्ञों के अनुसार सरकार को ‘डर और दहशत’ की राजनीति के आगे झुकने के बजाय एक समावेशी, दीर्घकालिक और सख्त नीति बनानी चाहिए, जिसमें आतंकी संगठनों के समर्थन नेटवर्क को तोड़ा जाए।
निष्कर्ष
बाजौर में हुआ यह आईईडी विस्फोट पाकिस्तान की सुरक्षा प्रणाली के सामने एक गंभीर चेतावनी है। यह घटना सिर्फ चार लोगों की मौत नहीं, बल्कि प्रशासनिक संरचना पर किया गया सीधा हमला है। इसका उद्देश्य सिर्फ भय फैलाना नहीं बल्कि प्रशासन को पंगु करना है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को मिलकर न सिर्फ इस घटना के दोषियों को पकड़ना होगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रणनीतिक और सामरिक स्तर पर निर्णायक कदम उठाने होंगे।
आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई केवल हथियारों की नहीं बल्कि विचारों, सहयोग और सशक्त नेतृत्व की भी है। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान इस खतरे को केवल सुरक्षा का विषय न मानकर राष्ट्रीय अस्तित्व के संकट के रूप में देखे और पूरी ताकत से इसका मुकाबला करे।