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कप्तानगंज में खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त व्यापारियों को वितरित किए गए प्रमाण पत्र, बिना प्रशिक्षण नहीं मिलेगा लाइसेंस: खाद्य आयुक्त प्रदीप कुमार राय

खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त व्यापारियों में प्रमाण पत्र वितरित: व्यापारियों का व्यवसाय में प्रशिक्षण लेना अनिवार्य — खाद्य आयुक्त प्रदीप कुमार राय
कुशीनगर, यूपी – भारत सरकार के निर्देशानुसार खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता और सुदृढ़ीकरण के क्रम में पी-टेक एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा कुशीनगर जनपद के कप्तानगंज कस्बे में खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के समापन अवसर पर शनिवार को कप्तानगंज स्थित सिद्धि विनायक रेस्टोरेंट किसान चौक में प्रमाण पत्र वितरण समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सहायक आयुक्त खाद्य द्वितीय श्री प्रदीप कुमार राय ने प्रशिक्षित व्यापारियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।
प्रशिक्षण से व्यापार में गुणवत्ता और उपभोक्ता विश्वास
प्रमाण पत्र वितरण के दौरान श्री राय ने कहा कि सरकार अब खाद्य क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक व्यवसायी को अनिवार्य रूप से खाद्य सुरक्षा का प्रशिक्षण देने की योजना पर कार्य कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “अब कोई भी खाद्य व्यवसायी बिना प्रशिक्षण लिए व्यवसाय नहीं चला सकेगा, क्योंकि बिना प्रमाण पत्र के लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि भारत सरकार की ओर से चलाए जा रहे इस विशेष अभियान का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण एवं मानक के अनुरूप खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना है। प्रशिक्षण से व्यापारियों को न केवल सरकारी दिशा-निर्देशों की जानकारी मिलती है, बल्कि खाद्य प्रसंस्करण के दौरान होने वाली त्रुटियों से बचने के उपाय भी समझ में आते हैं।
व्यापारियों के हित में प्रशिक्षण – आधी जानकारी से नुकसान
कार्यक्रम में जिला कोऑर्डिनेटर श्री संतोष कुमार चौधरी ने कहा कि अधिकतर व्यापारी खाद्य सुरक्षा कानूनों और प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं रखते हैं, जिससे उन्हें लाइसेंसिंग, निरीक्षण या अन्य नियमों का पालन करने में परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि पी-टेक एजुकेशनल ट्रस्ट, भारत सरकार के साथ मिलकर नगरों और कस्बों में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है ताकि हर खाद्य संचालक को उचित जानकारी और प्रशिक्षण मिल सके।
उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रशिक्षण में स्वच्छता, खाद्य हैंडलिंग, भंडारण, प्रसंस्करण तकनीक, तापमान नियंत्रण, तथा एफएसएसएआई (FSSAI) के दिशा-निर्देशों की विस्तृत जानकारी दी जाती है। इससे न केवल उपभोक्ता स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है, बल्कि व्यापारी पर भी कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होती।
व्यापार मंडल का समर्थन और अपील
कार्यक्रम में व्यापार मंडल के अध्यक्ष श्री रमेश अग्रहरी एवं महामंत्री श्री मनोज कुमार उपाध्याय भी उपस्थित रहे। दोनों नेताओं ने व्यापारियों से आग्रह किया कि वे इस प्रशिक्षण के महत्व को समझें और अन्य व्यापारियों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि यह न केवल सरकार की नीति है, बल्कि व्यापारिक हित में भी आवश्यक है कि सभी खाद्य संचालक सही तरीके से प्रशिक्षित हों।
अगला प्रशिक्षण शिविर जल्द, व्यापारी रहें तैयार
जिला कोऑर्डिनेटर श्री चौधरी ने यह भी घोषणा की कि अगला प्रशिक्षण शिविर जल्द ही आयोजित किया जाएगा, और व्यापारियों को इसमें समय से पंजीकरण कर लेना चाहिए ताकि वे प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकें और अपने व्यापार को वैध रूप से संचालित कर सकें।
उपस्थित गणमान्य लोग एवं व्यापारियों की भागीदारी
इस अवसर पर शैलेश साहनी, राजेश कुमार गुप्ता, जगदंबा सिंह, शिव परस राम, महाराजा मद्धेशिया, सुरेंद्र गुप्ता, ओमप्रकाश बरनवाल, वीरेंद्र मद्धेशिया, दिलीप कुमार, संदीप कुमार गुप्ता, उमाशंकर पांडेय, बेगलाल मोदनवाल, हरदेव गुप्ता, आदित्य, राहुल सहित दर्जनों खाद्य संचालक और व्यापारी उपस्थित रहे। सभी ने प्रशिक्षण के लाभ और अनुभव साझा किए और इसे व्यापार के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
प्रशिक्षण का महत्व
प्रशिक्षण प्राप्त व्यापारियों ने बताया कि उन्हें अब माल की खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण, सफाई, एवं ग्राहक सेवा के मानकों की बेहतर जानकारी हो गई है। इससे न केवल उनके व्यापार की छवि सुधरेगी, बल्कि ग्राहक का विश्वास भी बढ़ेगा। कई व्यापारियों ने सुझाव दिया कि यह प्रशिक्षण समय-समय पर निःशुल्क आयोजित होता रहे ताकि हर व्यापारी इससे लाभान्वित हो सके।
सरकार की ओर से स्पष्ट संदेश
सहायक आयुक्त प्रदीप कुमार राय ने अंत में स्पष्ट किया कि “खाद्य व्यवसाय में सरकार की प्राथमिकता उपभोक्ता की सुरक्षा है। कोई भी व्यापारी अब बिना प्रमाणित प्रशिक्षण के काम नहीं कर पाएगा।” उन्होंने पी-टेक ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम सरकार और व्यापारियों के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं।

‘Mack for the World’ in India’s rail manufacturing sector : भारत के रेल निर्माण क्षेत्र में ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का बढ़ता प्रभाव
वडोदरा, गुजरात – भारत के रेल निर्माण परिदृश्य में आत्मनिर्भरता और वैश्विक नवाचार को नया बल देते हुए, केन्द्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने 27 जुलाई 2025 को वडोदरा स्थित एल्सटॉम के सावली संयंत्र का दौरा किया। यह संयंत्र भारत में रेलवे वाहनों के निर्माण का एक प्रमुख केन्द्र है और मेक इन इंडिया तथा मेक फॉर द वर्ल्ड जैसी राष्ट्रीय पहलों का व्यावहारिक उदाहरण भी। मंत्री ने संयंत्र के विभिन्न परिचालनों का मूल्यांकन किया, तकनीकी टीमों से चर्चा की और संयंत्र की कार्यक्षमता एवं निर्यात सफलता की प्रशंसा की।
श्री वैष्णव ने संयंत्र में एल्सटॉम की उत्पादन प्रणाली की समीक्षा करते हुए उस अनूठी कार्यप्रणाली की सराहना की, जिसमें प्रत्येक ऑर्डर के लिए विशिष्ट व्यवसायिक ज़रूरतों के अनुरूप समाधान तैयार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह मॉडल भारतीय रेलवे के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है। मंत्री ने गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ मिलकर संयंत्र-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ करने का प्रस्ताव भी रखा और यह सुझाव दिया कि रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधकों को सावली संयंत्र का शैक्षिक और प्रशिक्षण दौरा करना चाहिए।
इस दौरे के दौरान रखरखाव प्रक्रियाओं पर विशेष चर्चा हुई, जहां निवारक रखरखाव के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सेंसर प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचार किया गया। मंत्री ने कहा कि एल्सटॉम जैसी इकाइयों के तकनीकी नवाचार भारतीय रेलवे की दक्षता और सुरक्षा दोनों को सुदृढ़ कर सकते हैं। उन्होंने संयंत्र की डिज़ाइन, निर्माण और परीक्षण प्रक्रियाओं की सराहना करते हुए कहा कि एल्सटॉम भारत की औद्योगिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
सावली संयंत्र विशेष रूप से अत्याधुनिक ट्रांजिट ट्रेन कारों के निर्माण में विशेषज्ञता रखता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होते हैं। संयंत्र का कार्य नवाचार, गुणवत्ता और समयबद्ध निर्यात पर केंद्रित है। 2016 से अब तक भारत से 1,002 रेल कारें विश्व के कई देशों को निर्यात की जा चुकी हैं। इनमें से 450 रेल कारें सावली में निर्मित होकर ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड मेट्रो परियोजना के लिए भेजी गईं, जो भारत की निर्माण क्षमता और वैश्विक भरोसे का प्रमाण हैं।
रेल मंत्री ने बताया कि एल्सटॉम का भारत स्थित डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर, जो बेंगलुरु में स्थित है, 120 से अधिक अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में सहयोग कर रहा है। यह केंद्र आईओटी, ब्लॉकचेन, एआई और साइबर सुरक्षा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से सिग्नलिंग के क्षेत्र में नया अध्याय लिख रहा है। वर्तमान में भारत 27 अंतरराष्ट्रीय सिग्नलिंग परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है, जबकि 40 अतिरिक्त परियोजनाओं में सहायक भूमिका निभा रहा है।
एल्सटॉम का उत्पादन केवल कोच निर्माण तक सीमित नहीं है। सावली संयंत्र ने अब तक जर्मनी, मिस्र, स्वीडन, ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को 3,800 से अधिक बोगियों का निर्यात किया है। इसके अलावा, ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना को 4,000 से अधिक फ्लैटपैक (रेल मॉड्यूल) उपलब्ध कराए गए हैं। कंपनी की मनेजा इकाई ने 5,000 से अधिक ऑपरेशन्स पावर सिस्टम्स भी विभिन्न वैश्विक परियोजनाओं के लिए भेजे हैं।
भारतीय रेल उत्पादों की वैश्विक मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। आज भारत से ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को मेट्रो कोच, यूके, सऊदी अरब, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया को बोगियाँ, तथा फ्रांस, मैक्सिको, स्पेन, रोमानिया और इटली को संचालन प्रणालियाँ निर्यात की जा रही हैं। वहीं, मोजाम्बिक, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों को यात्री कोच तथा इंजन भेजे जा चुके हैं। ये आँकड़े भारत के रेल उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को दर्शाते हैं।
इस क्षेत्र में इंटीग्रा, एनोवी, हिंद रेक्टिफायर, हिताची एनर्जी और एबीबी जैसी अग्रणी कंपनियाँ सक्रिय हैं, जो निर्माण, विद्युत प्रणाली और आंतरिक सज्जा में विशेषज्ञता रखती हैं। ये कंपनियाँ संयंत्र की दक्षता को और सशक्त बनाती हैं।
मीडिया से बातचीत में श्री वैष्णव ने कहा, “मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड की भावना अब ज़मीनी स्तर पर दिखाई दे रही है। भारत सिर्फ घरेलू ज़रूरतों को नहीं, बल्कि वैश्विक रेलवे की मांग को भी पूरा कर रहा है। इससे न केवल हमारे इंजीनियरों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर कार्य करने का अनुभव मिल रहा है, बल्कि देश के लिए रोजगार और आर्थिक समृद्धि के नए द्वार भी खुल रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत अब ‘डिज़ाइन इन इंडिया, बिल्ट फॉर द वर्ल्ड’ की परिकल्पना को साकार कर रहा है। जब भारतीय इंजीनियर जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के लिए रेल उत्पाद डिज़ाइन करते हैं, तो वे न केवल तकनीकी दक्षता प्राप्त करते हैं, बल्कि भारतीय औद्योगिक कौशल की प्रतिष्ठा को भी वैश्विक पटल पर स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत विश्व का सबसे बड़ा रेल विनिर्माण केंद्र बन सकता है।
एल्सटॉम का यह प्रमुख विनिर्माण संयंत्र वडोदरा, गुजरात के सावली क्षेत्र में स्थित है। यह संयंत्र भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत एक रणनीतिक केंद्र के रूप में कार्य करता है और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले रेल वाहनों के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
कुल मेट्रो कोच निर्माण
अब तक संयंत्र ने विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड मेट्रो परियोजना के लिए 450 से अधिक आधुनिक मेट्रो कोचों का निर्माण किया है। यह निर्माण भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों द्वारा किया गया, जो एल्सटॉम की वैश्विक डिज़ाइन और गुणवत्ता मानकों का पालन करते हैं।
कुल रेल कार निर्यात
वर्ष 2016 से अब तक, भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए कुल 1,002 रेल कारों का सफलतापूर्वक निर्माण और निर्यात किया है। इससे भारत को आधुनिक रेल तकनीक के क्षेत्र में एक विश्वसनीय वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में पहचान मिली है।
निर्यातित बोगियां
एल्सटॉम की सावली इकाई ने अब तक जर्मनी, मिस्र, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील जैसे देशों को 3,800 से अधिक बोगियां (ट्रेन के चलने वाले ढांचे) सफलतापूर्वक भेजी हैं। यह भारत की धातुकर्म, इंजीनियरिंग और गुणवत्ता नियंत्रण क्षमताओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
संचालन प्रणालियों का निर्यात
वडोदरा स्थित एल्सटॉम की मनेजा इकाई ने 5,000 से अधिक संचालन शक्ति प्रणालियाँ (Traction Systems) फ्रांस, मैक्सिको, स्पेन, इटली, रोमानिया और जर्मनी जैसे देशों को भेजी हैं। ये प्रणालियाँ ट्रेन के चालित भागों को ऊर्जा और गति प्रदान करने में सक्षम हैं और पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित की गई हैं।
🧠 डिज़ाइन परियोजनाओं में भारत की अगुवाई:
भारत वर्तमान में एल्सटॉम की 27 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सिग्नलिंग परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है। साथ ही, दुनिया भर की 40 अन्य परियोजनाओं को तकनीकी सहायता भी दे रहा है, जिनमें से अधिकांश का तकनीकी केंद्र बेंगलुरु स्थित डिजिटल एक्सपीरियंस सेंटर है।
तकनीकी नवाचार और फोकस क्षेत्र
एल्सटॉम की भारतीय इकाइयाँ उन्नत तकनीकों पर केंद्रित हैं, जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्र प्रमुख हैं। ये तकनीकें अगली पीढ़ी की रेलवे प्रणालियों में सिग्नलिंग, निगरानी, डेटा प्रबंधन और सुरक्षा को नई ऊँचाइयों पर ले जाती हैं।
स्थानीय औद्योगिक सहयोग
सावली संयंत्र के आसपास एक सशक्त स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला विकसित हो चुकी है, जिसमें 5 से अधिक प्रमुख भारतीय आपूर्तिकर्ता शामिल हैं – जैसे कि इंटीग्रा, एनोवी, हिंद रेक्टिफायर, हिताची एनर्जी और एबीबी। ये कंपनियाँ संरचनात्मक विनिर्माण, आंतरिक सज्जा और विद्युत प्रणालियों में विशेषज्ञता रखती हैं।
प्रमुख निर्यात गंतव्य देश
एल्सटॉम भारत से निर्यात किए गए उत्पादों को अब विश्व के अनेक देशों में भेजा जा चुका है, जिनमें प्रमुख नाम हैं:
- ऑस्ट्रेलिया (मेट्रो कोच)
- कनाडा (मेट्रो कोच)
- फ्रांस, इटली, जर्मनी (संचालन प्रणालियाँ)
- सऊदी अरब, यूके (बोगियाँ)
- मोजाम्बिक, श्रीलंका, बांग्लादेश (यात्री कोच और रेल इंजन)
Source : PIB

रामसेवक निषाद के तालाब में मछलियों की रहस्यमयी मौत, आजीविका पर संकट
संवाददाता महाराजगंज : ग्राम बिनटोलिया, मौलागंज, जो कि उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद के पनियारा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है, वहां के एक मेहनतकश ग्रामीण रामसेवक निषाद के जीवन में 24 जुलाई 2025 को सुबह एक भयावह मोड़ आया। वे जब अपने नियमित कार्यानुसार अपने निजी तालाब पर पहुँचे, तो वहां का दृश्य देखकर स्तब्ध रह गए। तालाब में सैकड़ों की संख्या में मछलियां मृत अवस्था में पाई गईं। यह दृश्य न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी था, बल्कि पूरे गांव के लिए एक चेतावनी भी बन गया।
आजीविका का मुख्य आधार
रामसेवक निषाद वर्ष 2013 से मछली पालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते रहे हैं। उनके तालाब में प्रायः रोहू, कतला, मृगला जैसी प्रजातियाँ पाली जाती थीं, जिन्हें आस-पास के मंडियों में बेचा जाता था। उनका यह व्यवसाय मेहनत, ईमानदारी और ग्रामीण आत्मनिर्भरता का उदाहरण था। तालाब में लगभग 5 क्विंटल मछली थी, जिसकी बाजार में कीमत ₹3-4 लाख आंकी जा रही है। इस अप्रत्याशित नुकसान से उनकी आर्थिक रीढ़ लगभग टूट चुकी है।
पुलिस जांच और प्रशासन की प्रतिक्रिया
रामसेवक निषाद ने 24 जुलाई को ही घटना की मौखिक सूचना पनियारा थाना को दी। पुलिस तत्काल घटनास्थल पर पहुँची और मछलियों की मौत के कारणों की जांच प्रारंभ की। प्रारंभिक जांच में शक जताया जा रहा है कि किसी ने तालाब में कोई जहरीला रसायन डाला, जिससे यह त्रासदी घटी। हालांकि अभी तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं।
ग्रामीणों की आशंका और आक्रोश:
ग्रामीणों ने इसे ‘साजिशन हमला’ बताया है। कई ग्रामीणों का कहना है कि यह जल-प्रदूषण जानबूझकर किया गया है ताकि रामसेवक निषाद को आर्थिक नुकसान हो और वे इस व्यवसाय से पीछे हट जाएं। वहीं कुछ लोगों ने इसे जल-स्रोतों में कीटनाशकों या कृषि रसायनों के बहाव का परिणाम भी बताया। ग्रामीणों ने मिलकर प्रशासन से मांग की है कि इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए, ताकि भविष्य में कोई और मेहनतकश इस प्रकार की आपदा का शिकार न हो।
24 जुलाई 2025, सुबह लगभग 6:30 बजे
रामसेवक निषाद रोजाना की तरह अपने तालाब पर सुबह-सुबह गए थे। यह समय उनके लिए मछलियों की देखरेख और आहार वितरण का होता है। लेकिन इस दिन उन्हें तालाब के जल में सैकड़ों मरी हुई मछलियां तैरती दिखाई दीं। यह दृश्य बेहद पीड़ादायक और अप्रत्याशित था। अनुमान है कि घटना रात के किसी समय या तड़के हुई होगी।
ग्राम बिनटोलिया, मौलागंज, पनियारा थाना, जिला महाराजगंज
यह गांव उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद के अंतर्गत आता है और पनियारा थाना क्षेत्र में स्थित है। यह एक ग्रामीण एवं कृषिप्रधान क्षेत्र है, जहां कुछ परिवार मत्स्य पालन जैसे कार्यों से भी जुड़े हुए हैं। रामसेवक निषाद इसी गांव के निवासी हैं और यहां पिछले एक दशक से अधिक समय से मछली पालन कर रहे हैं।
रामसेवक निषाद, आय का मुख्य स्रोत – मछली पालन
रामसेवक निषाद एक मेहनती किसान हैं, जिन्होंने पारंपरिक कृषि से हटकर मछली पालन को अपनाया था। उनके पास लगभग आधा एकड़ का निजी तालाब है जिसमें रोहू, कतला, मृगला जैसी प्रजातियों की मछलियां पालते थे। यही उनका प्रमुख आय-स्रोत था और इसी से वे अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
₹3 से ₹4 लाख रुपये तक
मछलियों की औसत संख्या और उनकी बाजार दर के अनुसार, इस तालाब में मरने वाली मछलियों का कुल भार करीब 5 क्विंटल आंका गया है। यदि प्रति किलो ₹80-₹100 का बाजार मूल्य जोड़ा जाए तो यह राशि ₹4 लाख तक पहुँचती है। यह नुकसान केवल मछलियों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके अगले चक्र (रीस्टॉकिंग), तालाब की सफाई, नए निवेश आदि को भी प्रभावित करता है।
24 जुलाई को पनियारा थाना को मौखिक रूप से
घटना के तुरंत बाद रामसेवक निषाद ने पनियारा थाना जाकर मौखिक रूप से पुलिस को सूचित किया। उन्होंने बताया कि उन्हें संदेह है कि तालाब में कोई जहरीला पदार्थ डाला गया है। लेकिन पुलिस ने मौखिक सूचना के आधार पर तत्परता से कार्यवाही प्रारंभ कर दी।
स्थानीय पुलिस टीम, प्रारंभिक निरीक्षण किया
मौखिक सूचना के कुछ घंटों के भीतर थाना पनियारा की एक पुलिस टीम मौके पर पहुंची। उन्होंने तालाब की स्थिति देखी, मरी हुई मछलियों का निरीक्षण किया और पानी की सतह पर उपस्थित किसी असामान्य तत्व की जाँच की। पुलिस कर्मियों ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए फोटो भी लिए ।
तालाब में रसायन डालकर मछलियों की हत्या
रामसेवक निषाद और अन्य ग्रामीणों को संदेह है कि यह घटना प्राकृतिक नहीं है। तालाब के जल की सतह पर एक प्रकार की झाग और बदबू पाई गई जो सामान्यतः रासायनिक प्रदूषण के लक्षण होते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि किसी ने जानबूझकर विषाक्त रसायन या कीटनाशक तालाब में डाला, जिससे मछलियों की सामूहिक मृत्यु हुई।
दोषियों की गिरफ्तारी, मुआवजा और सुरक्षा उपाय
रामसेवक निषाद ने प्रशासन से मांग की है कि इस घटना की गहन जांच कर दोषियों को गिरफ्तार किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने अपने नुकसान की भरपाई हेतु सरकार से आर्थिक मुआवजे की मांग की है। उन्होंने और गांव के अन्य लोगों ने भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सरकार से मत्स्य पालकों के लिए सुरक्षा व्यवस्था, बीमा योजना और निगरानी तंत्र लागू करने की भी अपील की है।
Q1. यह घटना कब और कहाँ हुई?
उत्तर: यह घटना 24 जुलाई 2025 को सुबह लगभग 6:30 बजे उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद के पनियारा थाना क्षेत्र के ग्राम बिनटोलिया, मौलागंज में हुई।
Q2. पीड़ित व्यक्ति कौन हैं और उनका पेशा क्या है?
उत्तर: पीड़ित रामसेवक निषाद हैं, जो मछली पालन करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। वे पिछले एक दशक से निजी तालाब में मछलियां पाल रहे थे।
Q3. मछलियों की मृत्यु का कारण क्या बताया जा रहा है?
उत्तर: प्रारंभिक आशंका है कि किसी ने तालाब में विषाक्त रसायन या कीटनाशक पदार्थ डाला, जिससे मछलियों की सामूहिक मृत्यु हुई। जांच जारी है।
Q4. कितना आर्थिक नुकसान हुआ है?
उत्तर: अनुमानित रूप से 5 क्विंटल मछली मरी है, जिसकी बाजार कीमत ₹3 से ₹4 लाख तक आंकी गई है। साथ ही तालाब की सफाई व पुनर्निवेश की लागत भी जुड़ती है।
Q5. क्या पुलिस को सूचना दी गई थी?
उत्तर: हाँ, रामसेवक निषाद ने 24 जुलाई को मौखिक रूप से पनियारा थाना को सूचना दी थी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुँची और जांच शुरू की।


