📿 1. आध्यात्मिक दर्शन और संस्कृति
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धनखड़ 30 मई 2024 को अपने एक दिवसीय उत्तराखंड दौरे के अंतर्गत कैंची धाम (नीम करौली मंदिर) पहुंचे; वहाँ उन्हें स्थानीय युवतियों ने चंदन-तिलक लगाकर पुष्पवर्षा से सम्मानित किया
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उन्होंने मंदिर में लगभग एक घंटे तक पूजा-अर्चना की, ध्यान किया और कहा कि “मैं कैंची धाम में आकर अभिभूत हूं… यह देवभूमि है… संस्कृति बेमिसाल है…”।
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मंदिर समिति ने बाबा नीम करौली जी की प्रतिमा उपहार स्वरूप चढ़ाई और उनका स्वागत बेहद सादगी और श्रद्धा के साथ किया गया।
🎓 2. शिक्षा क्षेत्र में संवाद
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धार्मिक दर्शन के पश्चात उपराष्ट्रपति सड़क मार्ग से आर्मी कैंट हल्द्वानी पहुँचे, फिर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय (G.B. Pant University) में कृषि व शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लिया ।
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उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों तथा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों से बातचीत की, जिससे स्थानीय शिक्षा और कृषि योजनाओं पर ठोस दिशा मिल सकी।
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इस प्रकार उन्होंने न सिर्फ धार्मिक बल्कि शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों को भी सक्रिय रूप से छुआ।
🗣 3. संवाद और युवा संपर्क
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धनखड़ ने स्थानीय प्रशासन, विधायकों, शिक्षाविदों और जनता से सीधे संवाद किया। इस में उन्हें शिक्षा सुधारों और युवा सशक्तिकरण पर विशेष संदेश देने का मौका मिला।
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हाल में जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालयों में NEP एवं भाषा विविधता पर उनके हस्तक्षेप को देखते हुए, नैनीताल में यह संवाद चारित्रिक विकास एवं भाषाई एकता के संदेशों को भी आगे बढ़ाने का काम रहा ।
🔐 4. सुरक्षा व्यवस्था—पुख़्ता तैयारी
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प्रशासन ने उनके दौरे के लिए विस्तृत सुरक्षा बंदोबस्त किए: 10 प्लाटून पीएसी, 723 पुलिसकर्मियों, तीन SP तथा पांच SSP द्वारा तैनाती, ‘जीरो ज़ोन’ की घोषणा और कई पुलिस चौकियाँ बनाईं गईं ।
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इस व्यवस्था ने उन्हें धार्मिक स्थल, सड़क मार्ग और कार्यक्रम स्थलों पर सहज व सुरक्षित यात्रा करने का अवसर दिया।
🧭 5. यात्रा सारांश
पहलू | विवरण |
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तिथि | 30 मई 2024 |
प्रमुख स्थल | कैंची धाम, आर्मी कैंट हल्द्वानी, पंतनगर विश्वविद्यालय |
कार्यक्रम | धर्म, शिक्षा, युवा संवाद |
संदेश | धार्मिक भक्ति, शिक्षा सुधार, सांस्कृतिक–भाषाई एकता |
🎯 प्रमुख संकेत
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संस्कृति और आध्यात्म: नैनीताल दौरे के जरिये भारतीय संस्कृति की विविधता और आध्यात्मिक विरासत को मान्यता मिली।
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शिक्षा में नवाचार: संवादों एवं विश्वविद्यालय सहभागिता के माध्यम से NEP तथा कृषि-शिक्षा पर जागरूकता फैली।
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युवा सशक्तिकरण: प्रशासन, छात्र, वैज्ञानिक, शिक्षक व स्थानीय युवाओं से मिलने के दौरान उन्हें जोड़ने का प्रयास हुआ।
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सरकारी प्रभाव: एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक सेटअप से दौरे की सफलता का प्रमाण स्पष्ट हुआ।
भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ 25 जून से 27 जून, 2025 तक उत्तराखंड के नैनीताल के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे। इस आधिकारिक यात्रा का उद्देश्य राज्य के दो प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के ऐतिहासिक समारोहों में भाग लेना और शैक्षणिक संवाद को प्रोत्साहित करना है। इस दौरान वे कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह और शेरवुड कॉलेज के 156वें स्थापना समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगे। साथ ही वे नैनीताल स्थित राजभवन का भी दौरा करेंगे।
यह यात्रा न केवल शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्तराखंड के शैक्षणिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक जीवन में एक प्रेरणास्पद अध्याय जोड़ने जा रही है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय: स्वर्णिम सफर का सम्मान
उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ 25 जून को कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह की अध्यक्षता करेंगे। विश्वविद्यालय ने 50 वर्षों की अपनी उत्कृष्ट शिक्षण यात्रा पूरी कर ली है, जिसने उत्तराखंड और आसपास के क्षेत्रों में शिक्षा, शोध और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समारोह में विश्वविद्यालय के छात्र, शिक्षक, पूर्व छात्र, शोधकर्ता और अनेक विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे।
कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल और अल्मोड़ा में फैले अपने परिसरों के साथ राज्य का एक अग्रणी संस्थान है, जो विज्ञान, मानविकी, सामाजिक विज्ञान, पर्यावरण अध्ययन और तकनीकी विषयों में उच्च शिक्षा प्रदान करता है। विश्वविद्यालय ने बीते पाँच दशकों में हजारों विद्यार्थियों को शिक्षित कर समाज की मुख्यधारा में सशक्त रूप से स्थापित किया है।
स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति का संबोधन शिक्षा की वर्तमान चुनौतियों, युवाओं की भूमिका, भारत की वैश्विक शिक्षा शक्ति के रूप में पहचान, और डिजिटल युग में शिक्षण की दिशा पर केंद्रित हो सकता है।
शेरवुड कॉलेज: 156 वर्षों की गौरवगाथा
27 जून को, उपराष्ट्रपति शेरवुड कॉलेज, नैनीताल के 156वें स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। यह संस्थान भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में से एक है, जिसकी स्थापना 1869 में हुई थी। यह विद्यालय अंग्रेज़ी माध्यम से संचालित आवासीय विद्यालय है और देश-विदेश में प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों के लिए जाना जाता है।
शेरवुड कॉलेज की पहचान शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुशासन, और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्टता के लिए है। इस संस्थान ने भारत के अनेक प्रसिद्ध लेखक, वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी, सैन्य अधिकारी, फिल्म कलाकार और उद्यमी तैयार किए हैं।
संस्थान के 156वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति का उद्बोधन शिक्षा के साथ मूल्यों की अनिवार्यता, चरित्र निर्माण, राष्ट्रीय चेतना और वैश्विक नागरिकता जैसे विषयों को संबोधित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, वे छात्रों को स्वावलंबन, नवाचार और सेवा की भावना से राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
राजभवन नैनीताल का दौरा
अपनी यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति नैनीताल स्थित राजभवन का भी दौरा करेंगे। यह राजभवन, उत्तराखंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है, जो ब्रिटिश काल की वास्तुकला और शिल्पकला का बेजोड़ उदाहरण है। पहाड़ियों के बीच स्थित यह स्थल वर्षों से प्रांतीय शासन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और वर्तमान में उत्तराखंड के राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन आवास है।
राजभवन दौरे के दौरान उपराष्ट्रपति राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों से भी मुलाकात कर सकते हैं। यह अवसर राज्य के विकास, शिक्षा, पर्यटन, और पर्यावरण संरक्षण जैसे प्रमुख मुद्दों पर संवाद और सहकार्य को बढ़ावा देगा।
प्रशासनिक तैयारियाँ और सुरक्षा व्यवस्था
उपराष्ट्रपति की यात्रा को लेकर नैनीताल जिला प्रशासन, राज्य पुलिस, सुरक्षा एजेंसियाँ और दोनों शैक्षणिक संस्थानों के प्रशासन ने विशेष तैयारियाँ की हैं। सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं, साथ ही कार्यक्रम स्थलों की साफ-सफाई, यातायात व्यवस्था और नागरिक सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय और शेरवुड कॉलेज दोनों ही संस्थानों में सजावट, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, छात्र प्रदर्शनियों और स्वागत कार्यक्रमों की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। उपराष्ट्रपति के स्वागत के लिए स्थानीय छात्र-छात्राएँ और शिक्षकगण विशेष सत्रों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और संवाद कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
युवाओं को संदेश देने का अवसर
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यह दौरा छात्रों, शिक्षकों और नागरिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने जा रहा है। उनके अनुभव, प्रशासनिक समझ और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता से युवाओं को न केवल शिक्षा के महत्व की गहराई समझने का अवसर मिलेगा, बल्कि उन्हें राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए भी प्रेरणा मिलेगी।
संभावना है कि वे शिक्षा में नवाचार, डिजिटल भारत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, ग्रामीण शिक्षा, और विश्वविद्यालयों की वैश्विक रैंकिंग जैसे विषयों पर विचार व्यक्त करेंगे। साथ ही वे छात्रों को स्वयं पर विश्वास रखने, आलोचनात्मक सोच विकसित करने और नैतिक नेतृत्व को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे।
नैनीताल के लिए गौरव का क्षण
उपराष्ट्रपति का यह दौरा नैनीताल के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण अवसर है। नैनीताल न केवल एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, बल्कि यह शिक्षा, संस्कृति और संवाद का भी केंद्र है। उपराष्ट्रपति की उपस्थिति इस क्षेत्र की राष्ट्रीय मान्यता और महत्व को और अधिक बढ़ाएगी।
नैनीतालवासियों के लिए यह तीन दिवसीय दौरा एक ऐसा क्षण होगा, जिसमें वे भारत के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को अपने मध्य में पाकर प्रेरित होंगे। यह दौरा राज्य के छात्रों, शिक्षकों, और शिक्षा प्रेमियों के लिए यादगार बन जाएगा।
निष्कर्ष
श्री जगदीप धनखड़ का उत्तराखंड दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, संस्कृति और नेतृत्व का संगम है। यह उस भारत की झलक है जहाँ संवैधानिक संस्थाएँ, शैक्षणिक संस्थान और नागरिक समाज मिलकर एक समावेशी, शिक्षित और सशक्त राष्ट्र के निर्माण की दिशा में अग्रसर हैं।
कुमाऊं विश्वविद्यालय और शेरवुड कॉलेज की ऐतिहासिक उपलब्धियों को सम्मान देने के साथ-साथ उपराष्ट्रपति का यह दौरा शिक्षा जगत को नई दिशा, नव ऊर्जा और गहन आत्ममंथन का अवसर प्रदान करेगा।