प्रस्तावना: आत्मनिर्भर समुद्री रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम
भारत की समुद्री शक्ति में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। 1 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना को देश में निर्मित प्रोजेक्ट 17ए के दूसरे स्टील्थ फ्रिगेट ‘उदयगिरि’ को सफलतापूर्वक सौंपा गया। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) द्वारा निर्मित यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की संचालन क्षमता को नया आयाम देने वाला है। स्वदेशी तकनीक से सुसज्जित, आधुनिक हथियारों और सेंसरों से युक्त यह जहाज भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता और औद्योगिक क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
‘उदयगिरि’: भारत की गौरवगाथा का आधुनिक संस्करण
उदयगिरि, भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला जहाज, अपने पूर्ववर्ती आईएनएस उदयगिरि का आधुनिक अवतार है। आईएनएस उदयगिरि भाप से चलने वाला एक फ्रिगेट था, जो राष्ट्र की सेवा में 31 वर्षों तक रहा और 24 अगस्त 2007 को सेवा से निवृत्त हुआ। नए उदयगिरि का नाम भी भारत की एक पवित्र पहाड़ी ‘उदयगिरि’ के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
यह नया फ्रिगेट न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत है, बल्कि यह भारत के सामरिक दृष्टिकोण और क्षेत्रीय समुद्री प्रभुत्व को दर्शाने वाला एक मजबूत प्रतीक भी है।
प्रोजेक्ट 17ए: समुद्री सुरक्षा में स्वदेशी शक्ति का नया अध्याय
प्रोजेक्ट 17ए भारतीय नौसेना के लिए डिजाइन और निर्माण की गई अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स की एक महत्वाकांक्षी श्रृंखला है। इसके तहत कुल सात जहाजों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से तीन एमडीएल मुंबई और चार गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में तैयार हो रहे हैं।
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‘उदयगिरि’ इस श्रृंखला का दूसरा युद्धपोत है।
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इसे रिकॉर्ड 37 महीनों में बनाकर सौंपा गया है।
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इसका निर्माण ‘एकीकृत निर्माण’ (Integrated Construction) पद्धति से हुआ है, जिसमें पहले से ब्लॉक स्तर पर तैयार भागों को जोड़ा जाता है।
तकनीकी विशिष्टताएं: समुद्री युद्ध की नई परिभाषा
‘उदयगिरि’ को अनेक अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है, जो इसे एक मल्टी-रोल स्टील्थ युद्धपोत बनाते हैं।
1. स्टील्थ विशेषताएं:
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इसका डिज़ाइन रडार, सोनार और अन्य जासूसी उपकरणों से बचने में सक्षम है।
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रडार प्रतिबिंब (Radar Cross Section) को कम करने वाले संरचनात्मक और मटेरियल उपाय शामिल किए गए हैं।
2. हथियार प्रणाली:
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सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली।
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मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली।
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76 मिमी गन और तीव्र गति से गोलाबारी करने वाली 30 मिमी तथा 12.7 मिमी की तोपें।
3. प्रणोदन प्रणाली (Propulsion):
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CO-DOG (Combined Diesel or Gas) आधारित प्रणाली।
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एक डीजल इंजन और एक गैस टरबाइन।
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नियंत्रित पिच प्रोपेलर (CPP) के माध्यम से गति और दिशा नियंत्रण।
4. प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली:
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एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) द्वारा जहाज के सभी यांत्रिक, विद्युत और हथियार प्रणालियों का केंद्रीय नियंत्रण।
निर्माण प्रक्रिया: आत्मनिर्भरता और तकनीकी उत्कृष्टता का उदाहरण
उदयगिरि का निर्माण पूरी तरह स्वदेशी तकनीकों और संसाधनों से किया गया है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों की सफलता को दर्शाता है।
प्रमुख बिंदु:
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200 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) इस परियोजना में शामिल रहे।
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4,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और 10,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ।
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प्रमुख हथियार और सेंसर स्वदेशी OEM (Original Equipment Manufacturer) से प्राप्त किए गए।
सुरक्षा के साथ आर्थिक समृद्धि: रणनीतिक और सामाजिक प्रभाव
1. सामरिक लाभ:
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हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री उपस्थिति को मजबूत करता है।
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पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने की क्षमता।
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मल्टी-रोल ऑपरेशन – युद्ध, मानवीय सहायता, निगरानी, शांति स्थापना इत्यादि।
2. सामाजिक-आर्थिक लाभ:
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जहाज निर्माण क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में वृद्धि।
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घरेलू उद्योग को बढ़ावा और रोजगार के नए अवसर।
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रक्षा निर्यात की संभावनाओं में इजाफा।
‘उदयगिरि’ की सौंपने की रस्म: एक भव्य समारोह
01 जुलाई 2025 को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में एक गरिमामय समारोह के दौरान ‘उदयगिरि’ को नौसेना को सौंपा गया। समारोह में निम्न प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित रहे:
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नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार
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रक्षा उत्पादन सचिव अजय कुमार
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एमडीएसएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री संजय कुमार
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अन्य नौसेना अधिकारी, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और मीडिया कर्मी
इस अवसर पर नौसेना प्रमुख ने कहा:
“उदयगिरि न केवल हमारे बेड़े को मजबूती देगा, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का भी प्रतीक है।”
भारतीय नौसेना का भविष्य: शेष पांच युद्धपोतों की तैयारी
प्रोजेक्ट 17ए के तहत अभी पाँच और युद्धपोत निर्माणाधीन हैं:
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तीन एमडीएल, मुंबई में
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दो जीआरएसई, कोलकाता में
प्रस्तावित डिलीवरी समय:
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सभी युद्धपोत 2026 के अंत तक नौसेना को सौंपे जाने की योजना है।
इन सभी युद्धपोतों की डिज़ाइन और निर्माण भारतीय नौसेना के यान डिज़ाइन ब्यूरो (Directorate of Naval Design) द्वारा किए जा रहे हैं।
युद्धपोतों के निर्माण में भारत की बदलती रणनीति
भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं रहा, बल्कि एक मजबूत निर्माता और निर्यातक बनने की दिशा में अग्रसर है। ‘उदयगिरि’ इसका सजीव प्रमाण है।
भारत की रणनीति:
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“डिज़ाइन इन इंडिया” → “मेक इन इंडिया” → “एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया”
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रक्षा बजट में स्वदेशी खरीद को प्राथमिकता।
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निजी क्षेत्र और MSMEs की बढ़ती भूमिका।
निष्कर्ष: समुद्री शक्ति में आत्मनिर्भर भारत की ऐतिहासिक छलांग
उदयगिरि की नौसेना में औपचारिक तैनाती केवल एक युद्धपोत की सौंपने की रस्म नहीं थी, बल्कि यह भारत की रक्षा निर्माण यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण था—एक ऐसा मील का पत्थर, जो दशकों की प्रतिबद्धता, तकनीकी आत्मनिर्भरता और राष्ट्र की समुद्री महत्वाकांक्षाओं को具 रूप में प्रस्तुत करता है।
यह युद्धपोत केवल इस्पात और तकनीक से बना एक ढांचा नहीं, बल्कि इसमें संकल्प की लौ, आत्मविश्वास की आंच और राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति निष्ठा का तेज समाहित है।
‘उदयगिरि’ के माध्यम से भारत ने समूचे विश्व को यह स्पष्ट संदेश दिया है:
🔹 भारत अब केवल एक रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक और नवप्रवर्तक राष्ट्र है।
🔹 भारत में अब वह सामर्थ्य है कि वह स्वदेशी तकनीक से विश्वस्तरीय हथियार प्रणाली विकसित कर सकता है।
🔹 हिंद महासागर, जो कभी औपनिवेशिक ताकतों का रणक्षेत्र रहा, आज भारत की रणनीतिक दृष्टि और शांतिप्रिय प्रभुत्व का केंद्र बन रहा है।
जहां पहले भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर था, वहीं आज वह अपने स्वयं के कंधों पर खड़ा होकर महासागर की लहरों को चुनौती देने को तैयार है।
‘उदयगिरि’ न केवल तेज और स्टील्थ तकनीक से युक्त एक आधुनिक युद्धपोत है, बल्कि यह भारत की नवजागृत सैन्य चेतना का वह प्रतीक है, जो कहती है—
“हम रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं, और हमारी सीमाएं अब केवल सीमाएं नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की रेखाएं हैं—जिन्हें पार करना अब किसी के लिए आसान नहीं।”
भारत अब समंदरों की शांति का रक्षक है, अपने व्यापारिक और रणनीतिक हितों का सजग प्रहरी है, और एक ऐसी शक्ति है जो युद्ध नहीं चाहती, पर यदि लाया गया युद्ध, तो उसे निर्णायक रूप से समाप्त करना जानती है।
‘उदयगिरि’ भारत की इस नवचेतना का घोष है — तेजस्वी, प्रबल और अजेय।