भारतीय नौसेना को मिला अत्याधुनिक युद्धपोत ‘तमाल’, रूस में हुआ हस्तांतरण
नई दिल्ली, 23 जून 2025 — भारतीय नौसेना को अपनी सामरिक क्षमता को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मिली है। रूस में निर्मित और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस युद्धपोत ‘तमाल’ (INS Tamal) को आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है। यह युद्धपोत न केवल भारत-रूस रक्षा सहयोग का प्रतीक है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री शक्ति को भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगा।
🔹 क्या है INS ‘तमाल’?
INS तमाल भारतीय नौसेना के लिए रूस द्वारा निर्मित एक उन्नत युद्धपोत है, जिसे Project 11356 (ग्रिगोरोविच क्लास) के तहत विकसित किया गया है। यह युद्धपोत कई अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों, सेंसर और मिसाइलों से लैस है जो इसे बहु-आयामी युद्धक क्षमताएं प्रदान करते हैं। यह सतह से सतह, सतह से वायु, पनडुब्बी रोधी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के क्षेत्रों में सक्षम है।
🔹 निर्माण और सौंपने की प्रक्रिया
INS तमाल को रूस के यंतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद में बनाया गया है। यह भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे चार युद्धपोतों की श्रृंखला का एक हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2016 में मंजूरी दी गई थी और निर्माण प्रक्रिया को भारत और रूस की नौसेनाओं के बीच गहन सहयोग के माध्यम से अंजाम दिया गया।
23 जून 2025 को आयोजित एक औपचारिक समारोह में, रूस के रक्षा अधिकारियों और भारतीय दूतावास के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इसे भारत को सौंपा गया। भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे भारत की रक्षा ताकत के लिए “एक मील का पत्थर” बताया।
🔹 INS तमाल की विशेषताएं
INS तमाल में निम्नलिखित प्रमुख क्षमताएं और तकनीकी विशेषताएं हैं:
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ब्राह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली – यह मिसाइल प्रणाली इसे सतह से सतह पर सटीक और दूरगामी हमला करने में सक्षम बनाती है।
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एयर डिफेंस सिस्टम – इसमें अत्याधुनिक ‘Shtil-1’ एंटी एयर मिसाइल सिस्टम लगा है जो हवा से हमले को रोकने में दक्ष है।
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पनडुब्बी रोधी क्षमता – इसमें टॉरपीडो ट्यूब्स, रॉकेट लॉन्चर और सोनार सिस्टम लगे हैं जो पनडुब्बियों की पहचान और नष्ट करने में मदद करते हैं।
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इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और निगरानी – अत्याधुनिक रडार और सेंसर इसे दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने और साइबर तथा इलेक्ट्रॉनिक हमलों से बचने की क्षमता प्रदान करते हैं।
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स्पीड और रेंज – यह युद्धपोत करीब 30 नॉट्स की गति से चल सकता है और एक बार ईंधन भरने पर हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।
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स्वदेशीकरण का मिश्रण – भले ही इसका निर्माण रूस में हुआ हो, लेकिन इसमें भारत में विकसित कई सिस्टम और उपकरण भी शामिल किए गए हैं।
🔹 रणनीतिक महत्व
भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक उभरती समुद्री शक्ति है। चीन जैसे देशों की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति और समुद्री चुनौतियों के बीच INS तमाल जैसे युद्धपोत भारत की स्थिति को मजबूती प्रदान करते हैं।
यह युद्धपोत पूर्वी और पश्चिमी दोनों नौसैनिक कमानों में तैनात किया जा सकता है और गश्ती, निगरानी, युद्धाभ्यास व सामरिक आक्रामक अभियानों में प्रयोग किया जा सकता है।
भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने कहा,
“INS तमाल न केवल हमारी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भागीदारी और प्रभाव को भी बढ़ाएगा। यह भारत-रूस सैन्य सहयोग की एक सफल गाथा है।”
🔹 भारत-रूस रक्षा सहयोग
भारत और रूस के बीच दशकों से रक्षा सहयोग बना हुआ है। रूस ने भारत को मिग-29K विमान, सुखोई-30, टी-90 टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली और अब INS तमाल जैसे जटिल और उन्नत हथियार प्रणाली मुहैया कराई हैं।
INS तमाल के साथ ही भारत को Project 11356 के तहत कुल चार युद्धपोत मिलने हैं — दो रूस में और दो भारत में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनेंगे। यह ‘मेक इन इंडिया’ और वैश्विक रक्षा सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है।
🔹 भविष्य की योजनाएं
INS तमाल को जल्द ही भारत लाकर मुंबई में भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान में शामिल किया जाएगा। इसके बाद इसमें भारतीय नौसैनिक स्टाफ का प्रशिक्षण शुरू होगा। इसे भारतीय परिस्थितियों में तैनात करने से पहले व्यापक समुद्री परीक्षण भी किए जाएंगे।
सरकार और रक्षा मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि आने वाले वर्षों में नौसेना के लिए और भी अत्याधुनिक जहाज, ड्रोन्स, और पनडुब्बियाँ शामिल की जाएंगी ताकि भारत को ‘ब्लू वाटर नेवी’ के रूप में विकसित किया जा सके।
🔹 प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर INS तमाल के हस्तांतरण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“INS तमाल भारतीय नौसेना की ताकत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह जहाज देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में अहम भूमिका निभाएगा।”
🔹 निष्कर्ष
INS तमाल का भारतीय नौसेना में शामिल होना सिर्फ एक नया युद्धपोत जोड़ना नहीं है, बल्कि यह भारत की बदलती सामरिक सोच, वैश्विक रक्षा साझेदारियों और नौसेना की आधुनिकरण योजना का महत्वपूर्ण कदम है।
यह युद्धपोत न केवल भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि शांति, स्थायित्व और समुद्री व्यापार की सुरक्षा में भी योगदान देगा। भारत के “विकसित नौसेना” दृष्टिकोण की ओर यह एक और ठोस कदम है, जो भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में बेहद कारगर सिद्ध होगा।
भारतीय नौसेना 1 जुलाई, 2025 को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने जा रही है। रूस के कैलिनिनग्राद स्थित यांतर शिपयार्ड में निर्मित अत्याधुनिक बहुउद्देशीय स्टील्थ फ्रिगेट युद्धपोत ‘तमाल’ का भव्य जलावतरण किया जाएगा। यह कार्यक्रम पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वीएडीएम संजय जे सिंह की अध्यक्षता में आयोजित होगा। समारोह में भारत और रूस के उच्चस्तरीय सरकारी एवं रक्षा अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
‘तमाल’ युद्धपोत भारत-रूस रक्षा सहयोग की नई ऊँचाइयों का प्रतीक है। यह क्रिवाक श्रेणी के युद्धपोतों की श्रृंखला में आठवां जहाज है और तुशील श्रेणी का दूसरा जलयान है, जो तलवार और तेग श्रेणी के फ्रिगेट्स का उन्नत और आधुनिक संस्करण है। भारत इस परियोजना के तहत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में त्रिपुट श्रेणी के दो और जहाजों का निर्माण भी कर रहा है।
‘तमाल’ में 26% स्वदेशी उपकरण लगे हैं, जिनमें सबसे प्रमुख ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह युद्धपोत रडार से बच निकलने में सक्षम स्टील्थ तकनीक से लैस है। इसकी लंबाई 125 मीटर और वज़न 3900 टन है। इसमें तैनात हथियारों में लंबवत प्रक्षेपित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 100 मिमी की उन्नत तोप, टॉरपीडो, पनडुब्बी रोधी रॉकेट और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली शामिल हैं। इसके डेक से हेलीकॉप्टरों का संचालन भी संभव है।
‘तमाल’ की डिज़ाइन रूस के सेवेरनोये डिजाइन ब्यूरो के सहयोग से भारतीय नौसेना के विशेषज्ञों द्वारा उन्नत की गई है। यह जहाज अत्याधुनिक संचार, नेविगेशन और डेटा-लिंक सिस्टम से सुसज्जित है। इस जहाज के निर्माण में ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, टाटा नोवा सिस्टम्स सहित कई भारतीय कंपनियों ने भागीदारी निभाई है।
इस युद्धपोत का नाम ‘तमाल’ पौराणिक कथाओं में इंद्र की तलवार से प्रेरित है, जबकि इसका शुभंकर ‘जाम्बवंत’ और यूरेशियन भूरे भालू की विरासत को दर्शाता है। इसकी पहचान ‘द ग्रेट बियर्स’ के नाम से की जाएगी। इसका आदर्श वाक्य है – ‘सर्वदा सर्वत्र विजय’ (हर समय, हर स्थान पर विजय)।
तमाल अब पश्चिमी नौसेना कमान के अधीन भारतीय नौसेना की ‘स्वॉर्ड आर्म’ यानी पश्चिमी बेड़े में शामिल होकर देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में अभूतपूर्व योगदान देगा। यह जलयान न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के विजन को भी साकार करेगा।
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