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भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना ने हासिल किया नया मुकाम समुद्री सुरंग का पहला खंड पूरा

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Correspondent: GT Express | 15.07.2025 | Ghar Tak Express |

भारत की महत्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। परियोजना के तहत बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स (बीकेसी) और ठाणे के बीच प्रस्तावित 21 किलोमीटर लंबी समुद्री सुरंग का पहला खंड सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। यह भारत में किसी रेलवे परियोजना के अंतर्गत बनाई जा रही पहली समुद्री सुरंग है, जो न केवल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है बल्कि देश की तेज़ रफ्तार भविष्य की दिशा में मील का पत्थर भी है।

निर्माण की गति और प्रगति

इस परियोजना में 310 किलोमीटर लंबे विशेष वायडक्ट (ऊँचे पुलों) का निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। निर्माण कार्य की गति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि बुलेट ट्रेन योजना अब केवल कल्पना नहीं, बल्कि साकार होती हकीकत है। ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर बिछाने, स्टेशनों का निर्माण, नदी-पुलों की संरचना तथा अन्य सिविल कार्यों की प्रगति उल्लेखनीय है। अब तक 15 नदी पुल पूर्ण हो चुके हैं, और 4 पुल अंतिम चरण में हैं। परियोजना के 12 प्रस्तावित स्टेशनों में से 5 पूरी तरह बनकर तैयार हैं, जबकि 3 का कार्य लगभग समाप्ति पर है।

बीकेसी स्टेशन की विशेष संरचना

बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स में बनने वाला बुलेट ट्रेन स्टेशन आधुनिक इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह भूमिगत स्टेशन 32.5 मीटर की गहराई पर स्थित होगा। विशेष बात यह है कि इसकी नींव इतनी मजबूत बनाई गई है कि इसके ऊपर 95 मीटर ऊंची बहुमंजिला इमारत का निर्माण संभव होगा। यह स्टेशन यात्री सुविधाओं, संरचनात्मक मजबूती, और शहर के विकास की दृष्टि से रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जापानी तकनीक और साझेदारी

मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना पूरी तरह जापान की विश्वप्रसिद्ध शिंकानसेन तकनीक से तैयार की जा रही है। जापानी तकनीक की खास बात उसकी गति, सुरक्षा और विश्वसनीयता है, जिसने इसे विश्व में सर्वोत्तम हाई-स्पीड ट्रेन नेटवर्क में शामिल किया है। भारत और जापान के बीच रणनीतिक सहयोग के तहत अब इस परियोजना में नई पीढ़ी की ई10 शिंकानसेन ट्रेन को चलाने का निर्णय लिया गया है। यह ट्रेन जापान और भारत में एक साथ शुरू की जाएगी, जिससे दोनों देशों के तकनीकी सहयोग और आपसी विश्वास का नया अध्याय शुरू होगा।

रोलिंग स्टॉक में नया अध्याय – ई10 शिंकानसेन

जापान की मौजूदा तेज़ रफ्तार ट्रेन ई5 सीरीज़ के बाद अब ई10 शिंकानसेन भारत के लिए नई उम्मीद लेकर आ रही है। यह अत्याधुनिक ट्रेन तकनीक न केवल अधिक गति बल्कि उच्च स्तर की सुरक्षा और ऊर्जा दक्षता के लिए भी जानी जाती है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस ट्रेन की विशेष अनुकूलन क्षमता इसे जलवायु, भौगोलिक परिस्थिति और यात्री आवश्यकता।

भविष्य की योजनाओं की नींव

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना न केवल भारत की पहली हाई-स्पीड रेल परियोजना है, बल्कि यह भविष्य की अन्य बुलेट ट्रेन कॉरिडोर परियोजनाओं के लिए आधारशिला भी बन रही है। केंद्र सरकार ने चेन्नई-बेंगलुरु, दिल्ली-वाराणसी, दिल्ली-अमृतसर जैसे अन्य हाई-स्पीड कॉरिडोरों पर सक्रियता से विचार शुरू कर दिया है। अगर एमएएचएसआर परियोजना समय से पूरी होती है, तो यह भारत को तेज़ रफ्तार परिवहन में वैश्विक मानचित्र पर एक मज़बूत स्थान दिलाने में मददगार साबित होगी।

निर्माण में कार्यरत एजेंसियां और तकनीकी भागीदार

इस परियोजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के पास है। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) द्वारा वित्तपोषित इस परियोजना में कई भारतीय और जापानी कंपनियाँ तकनीकी और निर्माण कार्यों में शामिल हैं। सुरंग निर्माण में टनल बोरिंग मशीन (TBM) से लेकर सेगमेंटल लॉन्चिंग गैन्ट्री तक आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

यह परियोजना केवल एक ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का वाहक भी है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच की यात्रा 2 घंटे से भी कम समय में पूरी होगी, जो वर्तमान में सड़क या रेल मार्ग से 6-8 घंटे में होती है। इससे व्यापार, पर्यटन, रोजगार और शहरी विकास को नई दिशा मिलेगी। इसके अलावा, परियोजना ने अब तक हज़ारों इंजीनियरों, श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को रोजगार प्रदान किया है।

1. कुल दूरी: 508 किलोमीटर
मुंबई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की कुल लंबाई 508 किलोमीटर है। यह भारत का पहला उच्च गति रेल गलियारा है, जो दो प्रमुख आर्थिक और शहरी केंद्रों को जोड़ता है। इस गलियारे के निर्माण से दो राज्यों – महाराष्ट्र और गुजरात – को आपस में तीव्र गति से जोड़ने का एक सशक्त साधन विकसित होगा।

2. अधिकतम रफ्तार: 320 किलोमीटर प्रति घंटा
इस हाई-स्पीड रेल परियोजना में प्रयुक्त ट्रेनों की अधिकतम गति 320 किमी/घंटा होगी। यह भारत की पारंपरिक रेलवे गति से लगभग तीन गुना तेज होगी। इससे मुंबई और अहमदाबाद के बीच की यात्रा, जो फिलहाल 6-8 घंटे में होती है, घटकर मात्र 2 घंटे के करीब रह जाएगी।

3. सुरंगों की कुल लंबाई: 27 किलोमीटर, जिसमें से 21 किलोमीटर समुद्र के नीचे
इस परियोजना में कुल 27 किलोमीटर लंबी सुरंगें बनाई जा रही हैं, जिनमें सबसे उल्लेखनीय 21 किलोमीटर लंबी समुद्री सुरंग है। यह भारत की पहली अंडरसी रेलवे सुरंग होगी जो बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स (बीकेसी) से ठाणे के बीच बनाई जा रही है। सुरंग निर्माण में टनल बोरिंग मशीन (TBM) और न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) जैसी आधुनिकतम तकनीकों का प्रयोग हो रहा है।

4. नदी पुल: 19 (15 पूर्ण, 4 निर्माणाधीन)
रेल गलियारे के मार्ग में कुल 19 नदी पुल प्रस्तावित हैं। इनमें से 15 का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि शेष 4 पुलों पर कार्य अंतिम चरण में है। यह पुल विभिन्न नदियों के पार रेल ट्रैक की निरंतरता सुनिश्चित करते हैं और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में सुरक्षित परिचालन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

5. स्टेशन: 12 (5 पूर्ण, 3 निर्माणाधीन)
इस परियोजना में कुल 12 आधुनिक हाई-स्पीड रेल स्टेशन प्रस्तावित हैं। इन स्टेशनों को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है, जिनमें अत्याधुनिक यात्री सुविधाएँ, मल्टी-मॉडल ट्रांज़िट विकल्प, और हरित निर्माण तकनीकें शामिल हैं। अब तक 5 स्टेशन बनकर पूरी तरह तैयार हो चुके हैं, जबकि 3 पर कार्य तेजी से जारी है।

6. रोलिंग स्टॉक: ई10 शिंकानसेन (जापान)
बुलेट ट्रेन संचालन के लिए जापान की उन्नत तकनीक से निर्मित ई10 शिंकानसेन ट्रेनें भारत को उपलब्ध कराई जा रही हैं। ये ट्रेनें उच्च गति, अत्याधुनिक ब्रेकिंग सिस्टम, ऊर्जा दक्षता, और सुरक्षा मानकों के लिए जानी जाती हैं। ई10 ट्रेनें विशेष रूप से भारत की जलवायु परिस्थितियों और यात्रियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की जा रही हैं।

7. मुख्य साझेदार देश: जापान
भारत-जापान के बीच रणनीतिक एवं तकनीकी साझेदारी इस परियोजना की आधारशिला है। जापान की सरकार और उसकी कंपनियों ने भारत को शिंकानसेन तकनीक उपलब्ध कराई है, जो बुलेट ट्रेन नेटवर्क की रीढ़ है। यह सहयोग केवल वित्तीय ही नहीं बल्कि तकनीकी प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और प्रबंधन तक फैला है।

8. फाइनेंसिंग: जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA)
परियोजना को आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रमुख दायित्व जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) का है। JICA ने परियोजना के लिए लगभग 81% वित्त ऋण के रूप में प्रदान किया है, जिसकी ब्याज दर मात्र 0.1% है और पुनर्भुगतान अवधि 50 वर्ष तय की गई है। इस तरह की वित्तीय साझेदारी वैश्विक विकास सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है।

9. संचालन एजेंसी: नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL)
इस पूरी परियोजना की योजना, निर्माण और संचालन की जिम्मेदारी नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के पास है। यह एक विशेष प्रयोजन इकाई (SPV) है, जो भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार और गुजरात सरकार के संयुक्त स्वामित्व में कार्यरत है। NHSRCL ने जापानी तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस परियोजना को वैश्विक मानकों के अनुसार संचालित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

10. अनुमानित समय-सीमा: 2026 तक आंशिक संचालन, 2028 तक पूर्ण संचालन लक्ष्य
परियोजना के संचालन की योजना दो चरणों में की गई है – 2026 तक अहमदाबाद से वापी या सूरत के बीच ट्रेन सेवा का आंशिक संचालन आरंभ किया जाना है। 2028 तक पूरे 508 किलोमीटर कॉरिडोर पर पूर्ण ट्रेन परिचालन शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए निर्माण कार्य को कई खंडों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक पर अलग-अलग एजेंसियाँ तीव्र गति से कार्य कर रही हैं।

Source : PIB

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