Correspondent: GT Express | 18.07.2025 | Ghar Tak Express |
भारतीय नौसेना की पूर्वी बेड़े की एक महत्वपूर्ण परिचालन यात्रा के तहत आईएनएस दिल्ली, आईएनएस सतपुड़ा, आईएनएस शक्ति और आईएनएस किल्टन ने 16 जुलाई 2025 को सिंगापुर के तट पर आगमन किया। रियर एडमिरल सुशील मेनन के नेतृत्व में इस संयुक्त टास्क ग्रुप का गर्मजोशी से स्वागत सिंगापुर नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और सिंगापुर स्थित भारतीय उच्चायोग के प्रतिनिधियों ने किया।
यह यात्रा केवल औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और परिचालन दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और समुद्री कूटनीति को ठोस धरातल पर उतारती है।
पूर्वी बेड़े की यह तैनाती भारतीय नौसेना की दक्षिण पूर्व एशिया में निरंतर और संगठित उपस्थिति का प्रतीक है। यह यात्रा ‘पूर्वी बेड़े’ की नियमित परिचालन तैनाती का हिस्सा है, जिसमें क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समुद्री डोमेन जागरूकता सुनिश्चित करना प्रमुख उद्देश्य होता है।
भारतीय नौसेना की ओर से इस तरह की तैनाती दक्षिण चीन सागर, मलक्का जलडमरूमध्य और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक रक्षा सहयोग और सामरिक समन्वय को एक नई दिशा दे सकती है।
इस यात्रा के दौरान सिंगापुर की नौसेना के साथ पेशेवर मुलाक़ातें, संयुक्त प्रशिक्षण सत्र, और समुद्री रणनीति, संयुक्त अभ्यास और समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर गहन विमर्श आयोजित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, भारतीय नौसेनिक अधिकारियों और सिंगापुर के सामरिक शिक्षाविदों के बीच विद्वत संवाद (Academic Interactions) भी प्रस्तावित हैं।
जहाँ एक ओर ये कार्यक्रम द्विपक्षीय विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ाते हैं, वहीं दूसरी ओर यह क्षेत्रीय भागीदारी की आधारशिला को मजबूत करते हैं।
सिंगापुर की यह यात्रा सामरिक साझेदारी के अलावा भारतवंशी समुदाय के साथ भावनात्मक जुड़ाव का भी माध्यम बनेगी। भारतीय उच्चायोग के तत्वावधान में, भारतीय नौसेना के अधिकारी व नौसैनिक स्थानीय भारतीय समुदाय से संवाद करेंगे। इससे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को विदेशों में भी जीवंत रखा जा सकेगा।
इन मुलाकातों का उद्देश्य ना केवल सांस्कृतिक जुड़ाव है, बल्कि यह संदेश देना भी है कि भारतीय नौसेना, विश्वभर में फैले अपने नागरिकों की सुरक्षा, प्रतिष्ठा और सम्मान के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।
इन वर्षों में दोनों देशों ने नौवहन की स्वतंत्रता, आतंकवाद निरोध, समुद्री डकैती से निपटने, और मानवीय सहायता व आपदा राहत (HADR) जैसे क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग को कई गुना बढ़ाया है।
आईएनएस दिल्ली, भारत का पहला स्वदेशी गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर, इस दल का नेतृत्व कर रहा है। अत्याधुनिक रडार, ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली, और लंबी दूरी की निगरानी क्षमताओं से सुसज्जित यह जहाज भारत की नौसैनिक क्षमताओं का प्रतीक है।
दौरान अन्य जहाजों को आवश्यक ईंधन और रसद सहायता प्रदान करता है। आईएनएस किल्टन, एक एंटी-सबमरीन युद्धक पोत है, जिसे पूर्वोत्तर भारत के नागालैंड राज्य के एक प्रमुख जनजातीय क्षेत्र के नाम पर नामित किया गया है।
सिंगापुर की ओर से भी इस यात्रा को लेकर उत्साह दिखाई दे रहा है। वहां के रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे ‘साझेदारी में विश्वास’ का प्रतीक बताया। सिंगापुर नौसेना के प्रवक्ता ने कहा, “भारतीय नौसेना के जहाजों की यात्रा हमारे बीच विश्वास, संवाद और रणनीतिक तालमेल को और प्रगाढ़ करेगी।”
सिंगापुर के प्रमुख रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा भारत की समुद्री कूटनीति के विस्तार और ASEAN क्षेत्र के साथ स्थायी सहयोग का स्पष्ट संकेत है।
भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति, जो कि क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को प्राथमिकता देती है, का नौसैनिक संस्करण इस प्रकार की यात्राओं के माध्यम से ही ज़मीन पर उतरता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरते सामरिक तनावों, चीन की आक्रामक उपस्थिति, और समुद्री संसाधनों की सुरक्षा के मद्देनज़र यह यात्रा बेहद प्रासंगिक बन जाती है।
भारत की सक्रिय समुद्री उपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि वह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
प्रमुख नौसैनिक अभ्यास
भारत और सिंगापुर के बीच वर्ष 1994 से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला द्विपक्षीय युद्धाभ्यास SIMBEX (Singapore-India Maritime Bilateral Exercise), एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सबसे लंबे और संगठित द्विपक्षीय अभ्यासों में से एक है।
पनडुब्बी रोधी अभ्यास, वायु निगरानी और सामरिक संचालन के उन्नत संस्करण शामिल हो चुके हैं।
रणनीतिक उद्देश्य:
भारत और सिंगापुर के बीच समुद्री साझेदारी के रणनीतिक उद्देश्य बहुआयामी हैं:
समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जहाजों और व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा बनी रहे।
आतंकवाद विरोधी संचालन जिसमें समुद्री आतंकवाद और अवैध गतिविधियों पर निगरानी रखी जाती है।
HADR (Humanitarian Assistance and Disaster Relief) के क्षेत्र में आपसी तालमेल विकसित करना।
Watch & Warning Systems विकसित करना ताकि संभावित खतरे की जानकारी साझा की जा सके।
प्रमुख सहयोग क्षेत्र
दोनों देशों की नौसेनाएं मलक्का जलडमरूमध्य — जो दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है — की सुरक्षा में सामूहिक भूमिका निभा रही हैं।
यह क्षेत्र सामरिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है और चीन की आक्रामक समुद्री गतिविधियों को संतुलित करने में भारत-सिंगापुर की भूमिका विशेष महत्व रखती है। साथ ही यह सहयोग ASEAN देशों के साथ भारत के मजबूत और भरोसेमंद रिश्तों का विस्तार करता है।
भारतीय जहाज
सिंगापुर यात्रा पर भेजे गए चार प्रमुख भारतीय नौसेनिक पोत हैं:
INS Shakti: फ्लीट सपोर्ट टैंकर, जो तैनात जहाजों को ईंधन, जल, रसद और गोला-बारूद की आपूर्ति करता है।
INS Kiltan: अत्याधुनिक एंटी-सबमरीन युद्धक पोत, जो उन्नत सोनार प्रणाली और स्टील्थ डिज़ाइन से युक्त है।
सिंगापुर के उत्तरदाता
इस सहयोग में सिंगापुर की ओर से उत्तरदायी इकाइयाँ हैं:
सिंगापुर नौसेना (Republic of Singapore Navy), जो तकनीकी दक्षता और मॉड्यूलर युद्ध क्षमताओं के लिए जानी जाती है।
सिंगापुर रक्षा मंत्रालय (MINDEF), जो रणनीतिक नीति और समुद्री सुरक्षा ढाँचे का संचालन करता है।
सामरिक थिंक टैंक और रक्षा विश्लेषक संस्थान, जैसे RSIS (S. Rajaratnam School of International Studies), जो समुद्री सहयोग के नीति पक्षों पर कार्य करते हैं।
सहयोग का इतिहास
भारत और सिंगापुर के बीच तीन दशकों से अधिक समय का नौसेनिक संबंध है, जो नियमित अभ्यासों, उच्च स्तरीय समन्वय और तकनीकी आदान-प्रदान के माध्यम से लगातार गहराता गया है।
शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में तालमेल, जैसे मरीन इंजीनियरिंग कोर्स, सामरिक सेमिनार और स्टाफ कॉलेज सहयोग, इस संबंध की बौद्धिक नींव मजबूत करते हैं।
सिविल डिप्लोमेस
इस यात्रा के दौरान नौसैनिक अधिकारियों द्वारा प्रवासी भारतीय समुदाय से सीधा संवाद किया जाता है। यह भारत की सॉफ्ट पावर को विदेशों में सुदृढ़ करता है।
सिंगापुर में रहने वाले लाखों भारतीयों के लिए यह न केवल गर्व का क्षण होता है, बल्कि यह उन्हें यह विश्वास भी देता है कि भारतीय नौसेना वैश्विक स्तर पर भी उनके साथ खड़ी है।
कूटनीतिक संदेश
यह यात्रा केवल नौसैनिक अभ्यास नहीं, बल्कि भारत के समुद्री लोकतंत्र, नियम-आधारित व्यवस्था, और बहुपक्षीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत है।
यह यात्रा यह संदेश देती है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संप्रभुता, स्थिरता और शांतिपूर्ण सहयोग के सिद्धांतों के पक्ष में खड़ा है |
Source : PIB
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