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भारत-अमेरिका 10 साल का रक्षा समझौता तय: तेजस विमान के लिए GE F404 इंजन डिलीवरी होगी तेज

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🇮🇳 भारत और अमेरिका के बीच 10-वर्षीय रक्षा ढांचा तैयार: तेजस के लिए GE F404 इंजन डिलीवरी की मांग तेज

🔰 प्रस्तावना

भारत और अमेरिका के बीच सामरिक और सैन्य साझेदारी पिछले कुछ वर्षों में नए आयाम छू रही है। इसी क्रम में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है—पेंटागन ने पुष्टि की है कि भारत और अमेरिका एक 10 साल के रक्षा सहयोग ढांचे पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। इस रक्षा ढांचे के तहत दोनों देश रक्षा उत्पादन, तकनीकी स्थानांतरण और सैन्य अभियानों में सहयोग को मजबूती देंगे।

इसी बातचीत के दौरान, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से फोन पर बात करते हुए, विशेष रूप से तेजस हल्के लड़ाकू विमान के लिए GE F404 इंजन की शीघ्र डिलीवरी की अपील की है। यह मुद्दा अब दोनों देशों के बीच सामरिक प्राथमिकता बन चुका है।


🛰️ भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों का विस्तार

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी, लेकिन 21वीं सदी में यह भागीदारी तेजी से गहराई है। 2005 में हुए “भारत-अमेरिका रक्षा ढांचा समझौते” के बाद, 2015 में इसे नवीनीकृत किया गया और अब 2025 में फिर से 10 वर्षों के लिए इसे विस्तारित किया जा रहा है।

यह ढांचा केवल रक्षा उपकरणों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि:

  • संयुक्त सैन्य अभ्यास

  • तकनीकी सहयोग

  • इंटेलिजेंस साझाकरण

  • को-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स

  • साइबर और स्पेस डिफेंस रणनीति

जैसे पहलुओं को भी शामिल करता है।


🛩️ तेजस लड़ाकू विमान और GE F404 इंजन का महत्व

तेजस भारत द्वारा निर्मित हल्का लड़ाकू विमान (LCA) है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है। यह भारतीय वायुसेना की स्वदेशीकरण योजना का एक प्रमुख हिस्सा है।

GE F404 इंजन, अमेरिकी जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी द्वारा निर्मित, तेजस को शक्ति प्रदान करता है। फिलहाल भारत को अपनी तेजस स्क्वाड्रन के निर्माण और आपूर्ति कार्यक्रम को तेज करने के लिए इन इंजनों की तुरंत आवश्यकता है।

भारत की माँग:

राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री को स्पष्ट रूप से बताया कि भारत को GE F404 इंजन की तत्काल डिलीवरी चाहिए ताकि:

  • तेजस के प्रोडक्शन को गति दी जा सके

  • वायुसेना की स्क्वाड्रन की संख्या बढ़ाई जा सके

  • घरेलू रक्षा उत्पादन को मजबूती मिल सके


🧩 सामरिक महत्व

भारत का यह कदम केवल एक सैन्य आवश्यकता नहीं है, बल्कि एक सामरिक रणनीति भी है:

  • चीन और पाकिस्तान की ओर से बढ़ते खतरों के मद्देनजर, भारत को अपनी हवाई ताकत मजबूत करनी है।

  • अमेरिका के साथ दीर्घकालिक रक्षा ढांचे से तकनीकी आत्मनिर्भरता और भविष्य के संयुक्त प्रोजेक्ट्स को बल मिलेगा।

  • तेजस और इंजन के मामले में अमेरिका से समर्थन भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।


🤝 रक्षा समझौते की प्रमुख बातें

नया 10-वर्षीय भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग ढांचा इन प्रमुख बिंदुओं को शामिल कर सकता है:

  1. साझा रक्षा अनुसंधान और विकास (R&D)

  2. अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों का को-प्रोडक्शन

  3. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य रणनीतिक सहयोग

  4. नवाचार, साइबर सुरक्षा, AI, और डिफेंस टेक्नोलॉजी में संयुक्त प्रयास

  5. नौसेना और वायुसेना के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सहयोग


🇮🇳 भारत की आत्मनिर्भरता योजना और यह सौदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” योजना के अंतर्गत भारत घरेलू रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता दे रहा है। तेजस प्रोजेक्ट इसका जीता-जागता उदाहरण है।

इस संदर्भ में अमेरिका का सहयोग:

  • भारत के लिए ग्लोबल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है

  • भारत में जॉब क्रिएशन और टेक्नोलॉजी अपग्रेड को गति देगा

  • अमेरिका के लिए एशिया में एक विश्वसनीय रक्षा सहयोगी सुनिश्चित करेगा


🔎 आलोचना और चुनौतियां

जहां एक ओर यह सौदा सामरिक दृष्टिकोण से लाभकारी है, वहीं कुछ विशेषज्ञों ने निम्नलिखित चिंताएं भी जताई हैं:

  • GE F404 इंजन की डिलीवरी में देरी पहले भी देखी गई है

  • टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में अमेरिका का इतिहास सीमित रहा है

  • चीन और रूस की नाराजगी की संभावना भी बनी रहेगी

फिर भी, भारत अपने दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए इस समझौते को अंतिम रूप दे रहा है।


📈 भविष्य की दिशा

  1. आने वाले हफ्तों में भारत-अमेरिका रक्षा सचिव स्तर की बैठक में इस समझौते पर हस्ताक्षर की संभावना है।

  2. GE कंपनी द्वारा भारत में इंजन निर्माण यूनिट स्थापित करने पर भी बातचीत चल रही है।

  3. भारत चाहता है कि भविष्य के तेजस वर्जन (मार्क 2 और नेवल वर्जन) के लिए और भी शक्तिशाली इंजन GE से मिलें, जो मेक इन इंडिया के तहत निर्मित हों।

    🌐 भारत-अमेरिका रक्षा सौदे के वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव

    🌍 इंडो-पैसिफिक में भारत की भूमिका

    इंडो-पैसिफिक क्षेत्र आज के समय में सबसे अधिक भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बना हुआ है, विशेषकर अमेरिका और चीन के बीच। अमेरिका इस क्षेत्र में भारत को एक प्राकृतिक और रणनीतिक सहयोगी मानता है, जो:

    • समुद्री सुरक्षा (Maritime Security)

    • समुद्री यातायात की स्वतंत्रता (Freedom of Navigation)

    • आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई

    • और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

    इस संदर्भ में 10 साल का रक्षा समझौता अमेरिका की “Free and Open Indo-Pacific” नीति का समर्थन करता है और भारत की “Act East” नीति को मजबूत करता है।


    🇨🇳 चीन की चिंता और प्रतिसाद

    चीन के लिए यह भारत-अमेरिका गठबंधन रणनीतिक दबाव उत्पन्न करता है। खासकर तब जब भारत दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी नौसेना के साथ युद्धाभ्यास करता है या क्वाड (QUAD) जैसी साझेदारियों में सक्रिय भूमिका निभाता है।

    GE F404 इंजन जैसी उन्नत अमेरिकी तकनीक भारत के तेजस जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट को और प्रतिस्पर्धी बनाती है, जिससे चीन की सैन्य रणनीति को चुनौती मिलती है।


    🔧 GE F404 इंजन की तकनीकी विशेषताएं

    GE F404 इंजन एक विश्वसनीय, हल्का और उच्च प्रदर्शन देने वाला टर्बोफैन इंजन है, जिसे खासकर लड़ाकू विमानों के लिए डिजाइन किया गया है।

    🚀 प्रमुख विशेषताएं:

    • थ्रस्ट: लगभग 84kN

    • इंजन वज़न: करीब 1,100 किलोग्राम

    • डिजिटल कंट्रोल सिस्टम (FADEC) से लैस

    • इंजन का जीवनकाल: 4,000 घंटे से अधिक

    • अत्यधिक ऊँचाई और तापमान पर प्रदर्शन में स्थिरता

    इन गुणों के कारण यह तेजस मार्क-1A और मिग जैसे विमानों के लिए उपयुक्त इंजन है। HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) ने GE के साथ दीर्घकालिक डील की है, लेकिन भारत अब इसकी डिलीवरी में तेजी चाहता है।


    🏗️ भारत में इंजन निर्माण: तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर

    भारत सरकार GE से न सिर्फ इंजन की डिलीवरी, बल्कि इसके निर्माण और असेंबली को भारत में स्थापित करने की मांग कर रही है। इस डील के तहत संभावनाएं हैं कि:

    • Bangalore या Nashik जैसे रक्षा औद्योगिक केंद्रों में GE का उत्पादन यूनिट खुले

    • भारत में 100 से अधिक इंजनों का निर्माण हो

    • इंजनों के साथ-साथ भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी मिले

    यदि यह सफल होता है तो भारत न केवल तेजस के लिए आत्मनिर्भर होगा, बल्कि भविष्य में दूसरे देशों को भी इंजन सप्लाई करने की स्थिति में आ जाएगा।


    ✈️ तेजस प्रोजेक्ट की सामरिक रणनीति

    भारत का तेजस प्रोजेक्ट न केवल वायुसेना की ज़रूरतों को पूरा करता है, बल्कि यह डिफेंस एक्सपोर्ट पॉलिसी 2020 के तहत एक निर्यात योग्य उत्पाद भी बन चुका है। तेजस को अर्जेंटीना, मलेशिया, मिस्र और श्रीलंका जैसे देशों ने प्राथमिकता दी है।

    GE F404 इंजन मिलने के बाद:

    • तेजस की डिलीवरी टाइमलाइन सुधरेगी

    • HAL अधिक यूनिट्स का निर्माण कर सकेगा

    • भारत की वैश्विक रक्षा बाजार में छवि मजबूत होगी


    🛡️ क्वाड और बहुपक्षीय सहयोग में भारत की बढ़ती भूमिका

    भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर क्वाड (Quad) का एक सक्रिय सदस्य है। क्वाड देशों के बीच रक्षा सहयोग और तकनीकी साझेदारी अब और प्रगाढ़ होती जा रही है। भारत और अमेरिका का यह नया रक्षा ढांचा:

    • क्वाड के साइबर डिफेंस, AI इंटीग्रेशन, और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे क्षेत्रों में मदद करेगा

    • भारत को संयुक्त अभियानों और इंटरऑपरेबिलिटी में सहयोगी बनाएगा

    • भारतीय सेनाओं को मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस के लिए तैयार करेगा



    📌 निष्कर्ष: भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों का नया युग

    भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित 10-वर्षीय रक्षा सहयोग ढांचा एक नई रक्षा-रणनीति की शुरुआत है, जिसमें तकनीकी स्थानांतरण, संयुक्त उत्पादन, सामरिक संचालन, और इंडो-पैसिफिक रणनीति सभी शामिल हैं।

    GE F404 इंजन की तेज डिलीवरी केवल एक तकनीकी सौदा नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक सामरिक प्रतिष्ठा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

    आने वाले समय में यदि यह सहयोग सफल होता है, तो:

    • भारत तेजस मार्क-2 और AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) जैसे उन्नत विमानों के लिए अमेरिका से और सहयोग प्राप्त कर सकता है

    • रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जा सकता है

    • भारत की सामरिक तैयारी और आत्मनिर्भरता दोनों को नया बल मिलेगा

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