भारत के आमों की मिठास अबू धाबी में बिखरी – ‘मैंगो मेनिया 2025’ का भव्य आयोजन

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अबू धाबी, जुलाई 2025 भारतीय कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने एक बार फिर भारतीय कृषि उत्पादों को वैश्विक मानचित्र पर दमदार तरीके से स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्यरत एपीडा ने अबू धाबी के प्रतिष्ठित खालिदिया मॉल स्थित लुलु हाइपरमार्केट में ‘भारतीय मैंगो मेनिया 2025’ के नाम से आम संवर्धन कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया, जिसने न केवल भारतीय आमों की वैश्विक उपस्थिति को नया आयाम दिया बल्कि प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से भावनात्मक रूप से जोड़ने का कार्य भी किया।


भारतीय आमों की खुशबू खाड़ी तक पहुंची

यह आयोजन भारतीय आमों की समृद्ध परंपरा, क्षेत्रीय विविधता और उच्च गुणवत्ता का जीवंत प्रदर्शन था। कार्यक्रम में भारत के अलग-अलग हिस्सों से लाए गए जीआई-टैग प्राप्त और क्षेत्रीय विशिष्टता वाली किस्मों को प्रदर्शित किया गया। इनमें उत्तर प्रदेश का बनारसी लंगड़ा और दशहरी, बिहार का चौसा और लक्ष्मण भोग, पश्चिम बंगाल का मालदा और फजली, मध्य प्रदेश की सुंदरजा, झारखंड का भारत भोग, ओडिशा की प्रभा शंकर, और दक्षिण भारत की आम्रपाली और मल्लिका जैसी किस्में प्रमुख रहीं।

इन सभी किस्मों ने अपनी महक, स्वाद और बनावट के ज़रिए भारतीयों के साथ-साथ स्थानीय उपभोक्ताओं का भी ध्यान खींचा। आयोजन स्थल पर उमड़ी भीड़ ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय आमों की मांग केवल प्रवासी भारतीयों तक सीमित नहीं, बल्कि खाड़ी के स्थानीय बाज़ारों में भी यह फल विशेष स्थान रखता है।


राजनयिक और कारोबारी नेतृत्व की उपस्थिति में उद्घाटन

‘मैंगो मेनिया 2025’ का औपचारिक उद्घाटन संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत श्री संजय सुधीर द्वारा किया गया। उनके साथ मंच पर लुलु समूह के अध्यक्ष श्री यूसुफ अली एमए, भारतीय दूतावास के काउंसलर (व्यापार एवं निवेश) श्री रोहित मिश्रा और एपीडा के उप महाप्रबंधक डॉ. सीबी सिंह मौजूद थे।

राजदूत संजय सुधीर ने अपने संबोधन में कहा,
“उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और मध्य भारत के किसानों की मेहनत अब खाड़ी के हर घर तक पहुंचेगी। यह सिर्फ फल नहीं, संस्कृति और समर्पण की पैकिंग है।”
उन्होंने एपीडा के सतत प्रयासों और लुलु समूह की वैश्विक पहुंच की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सहयोग भारत के किसानों के लिए नए बाज़ार खोलने की दिशा में एक मील का पत्थर है।


लुलु समूह भारतीय उत्पादों का वैश्विक संवाहक

लुलु समूह के अध्यक्ष यूसुफ अली एमए ने भारत के प्रति अपने विशेष लगाव और भारतीय कृषि उत्पादों के लिए वैश्विक मंच तैयार करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा,
“हमारी खुदरा श्रृंखला भारत के सर्वोत्तम उत्पादों को वैश्विक प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध है। आम केवल फल नहीं है, यह भारतीय कृषि की आत्मा है।”

10 से अधिक देशों में 250 से अधिक हाइपरमार्केट चलाने वाला लुलु समूह न केवल खाड़ी देशों में भारतीय उत्पादों का सबसे बड़ा वितरक है, बल्कि भारत में कई एग्री-प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित करके किसानों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जोड़ने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।


आंकड़ों में सफलता की कहानी

2024 में भारत से संयुक्त अरब अमीरात को 12,000 मीट्रिक टन आमों का निर्यात किया गया, जिसकी कुल कीमत $20 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारतीय आमों की मांग खाड़ी क्षेत्र में लगातार बढ़ रही है। यह आयोजन ऐसे समय पर आयोजित किया गया जब आमों का मौसम चरम पर था, जिससे उपभोक्ताओं को ताज़गी और उच्च गुणवत्ता का संयोजन प्राप्त हुआ।

एपीडा अध्यक्ष श्री अभिषेक देव ने अपने संदेश में कहा,
“भारत का बागवानी खंड, विशेष रूप से आम, केवल कृषि उत्पाद नहीं बल्कि सांस्कृतिक प्रतिनिधि हैं। एपीडा किसानों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।”


व्यंजनों में आम की बहार परंपरा, नवाचार और स्वाद का संगम

‘मैंगो मेनिया 2025’ केवल एक आम प्रदर्शनी नहीं थी, बल्कि एक पाक-कलात्मक उत्सव भी था। भारतीय आमों के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और पारंपरिक व्यंजन तैयार किए गए, जिन्हें चार मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया:

 बेकरी और मिठाइयाँ – आम के विदेशी अवतार

  • मैंगो पेस्ट्री: लेयर्ड क्रीम और स्पंज के साथ आम का सुंदर मेल

  • मैंगो स्विस रोल: बच्चों का पसंदीदा, क्रीमी आम फिलिंग से भरा

  • मैंगो डोनट्स: ग्लेज़ किया हुआ आम स्नैक

  • मैकरून: फ्रेंच डेज़र्ट में भारतीय स्वाद

  • मैंगो केक और ब्रेड: पारंपरिक बेकिंग में ताज़गी का स्पर्श

  •  पारंपरिक भारतीय व्यंजन – माँ के हाथों की मिठास
  • मंबाझा पायसम (केरल): आम, नारियल दूध और गुड़ का त्रिवेणी संगम
  • आम पुलाव: चावल और आम का मीठा-खट्टा संतुलन

  • आम मछली करी: खट्टे स्वाद के साथ मछली की अनूठी प्रस्तुति

  • आम की खिचड़ी और चटनी: पूर्वी भारत की खास पेशकशें

 स्नैक्स और सलाद – हल्का लेकिन चटपटा

  • आम के पकौड़े: तले हुए पके आम के टुकड़े

  • आम चाट: नींबू, नमक और मिर्च के साथ तीखा आनंद

  • आम रायता: दही में आम की मिठास

  • ट्रॉपिकल मैंगो सलाद: हेल्दी मिश्रण में ताज़गी

🍢 ग्लोबल फ्यूज़न – अंतरराष्ट्रीय शैली में भारतीय स्वाद

  • मैंगो सुशी: जापानी डिश में आम का प्रयोग

  • मैंगो-स्टफ्ड चिकन: तीखा और मीठा का आकर्षक मिश्रण

  • मैंगो चपली कबाब: कबाब में आम पल्प की नवीनता


अचार, मुरब्बा और पेय – स्वाद की विरासत

 अचार और मुरब्बा

  • आम-खजूर अचार: मिठास और मसाले का संतुलन

  • लहसुन-आम अचार: तीखा भारतीय स्वाद

  • कश्मीरी आम अचार: शाही मसालों का प्रयोग

 पेय पदार्थ और परिरक्षित उत्पाद

  • ताज़ा आम रस: बिना परिरक्षक के शुद्ध रस

  • मैंगो स्मूदी: योगर्ट और पल्प का हेल्दी पेय

  • मैंगो पल्प और जैम: घरेलू और औद्योगिक दोनों उपयोगों के लिए


प्रवासी भारतीयों के लिए भावनात्मक जुड़ाव

इस आयोजन का एक भावनात्मक पहलू यह भी था कि खाड़ी देशों में बसे भारतीयों को अपने देश की महक और स्वाद का अनुभव मिला। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी वर्गों के लोगों ने इस उत्सव में भाग लिया। भारत के गांवों में उगाए गए आम अब अबू धाबी की रसोई तक पहुंचे, जिससे एक सांस्कृतिक सेतु भी स्थापित हुआ।


बॉक्स न्यूज़ सेक्शन: संक्षिप्त जानकारी

🔹 भारत से यूएई को आम निर्यात (2024):

  • निर्यात मात्रा: 12,000 मीट्रिक टन

  • मूल्य: $20 मिलियन

  • प्रमुख किस्में: दशहरी, चौसा, आम्रपाली, मालदा, फजली

  • परिवहन: प्रमुखतः हवाई मार्ग से

🔹 एपीडा की भूमिका:

  • स्थापना: 1986

  • 700+ कृषि उत्पादों को समर्थन

  • GI टैग उत्पादों के संवर्धन में अग्रणी

  • किसानों, एफपीओ व निर्यातकों को सहायता

🔹 लुलु समूह का विस्तार:

  • 10+ देशों में 250+ हाइपरमार्केट

  • खाड़ी में सबसे बड़ा भारतीय उत्पाद वितरक

  • भारत में कई एग्री-प्रोसेसिंग केंद्र


निष्कर्ष 

‘भारतीय मैंगो मेनिया 2025’ ने यह दर्शाया कि भारतीय कृषि उत्पादों की वैश्विक मांग केवल स्वाद या गुणवत्ता की वजह से नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपी संस्कृति, विरासत और किसान का समर्पण भी है। यह आयोजन “लोकल से ग्लोबल” की परिकल्पना को साकार करता है — जहां एक भारतीय किसान की मेहनत दुनिया की रसोई तक पहुंच रही है। एपीडा, लुलु समूह और भारतीय राजनयिक मिशन की संयुक्त पहल ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत की मिठास अब सीमाओं से परे हर दिल में बसे।

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