गोरखपुर (महराजी)।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के गृह जनपद गोरखपुर के एक छोटे से गांव महराजी स्थित प्राथमिक विद्यालय ने एक बड़ी सोच को आकार दिया है। मंगलवार को विद्यालय परिसर में आयोजित एक विशेष जागरूकता अभियान के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने शिक्षा के महत्व को लेकर गांव में एक रैली निकाली, जिसमें बच्चों ने अपने मासूम लेकिन दृढ़ शब्दों में शिक्षा के संदेश को ग्रामीणों तक पहुँचाया।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री ओमप्रकाश तिवारी की अगुवाई में यह अभियान न सिर्फ सफल रहा, बल्कि यह ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरक उदाहरण भी बन गया। रैली का उद्देश्य था — बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित कराना, बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना, और शिक्षा से जुड़ी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुँचाना।
पहला अनुच्छेद: बच्चों की रैली ने जगाई चेतना
सुबह 9 बजे से ही छात्र-छात्राएं विद्यालय में एकत्रित हो गए थे। उन्होंने पोस्टर, तख्तियाँ और रंग-बिरंगे झंडों के साथ “शिक्षा रैली” की तैयारी शुरू की। छात्राओं ने “बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ” के नारे लगाए, वहीं छात्रों ने “हर बच्चे का अधिकार – शिक्षा सशक्त विचार” जैसे नारों से वातावरण को जागरूकता से भर दिया।
रैली पूरे गांव में घूमी। बच्चे गलियों में गूंजते हुए नारे लगाते चले —
“न दहेज चाहिए, न गहना चाहिए – बेटी को पढ़ाने का गहना चाहिए।”
“जो आज पढ़ेगा, वो कल बढ़ेगा।”
इस रैली को देखकर कई ग्रामीण अपनी दुकानों और खेतों से बाहर आकर बच्चों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनने लगे।
दूसरा अनुच्छेद: प्रधानाध्यापक और शिक्षकों की प्रेरणादायी भूमिका
प्रधानाध्यापक श्री तिवारी ने कहा, “मेरा मानना है कि शिक्षा को केवल किताबों तक सीमित न रखकर व्यवहारिक रूप में गांव तक पहुंचाना चाहिए। यदि बच्चा खुद अपने मां-बाप और पड़ोसियों से कहे कि स्कूल भेजो, तो उसका असर गहरा होता है।”
शिक्षकों ने भी इस अभियान को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। सहायक अध्यापक श्रीमती किरण सिंह ने ग्रामीण महिलाओं से संवाद कर उन्हें बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मिड-डे मील, छात्रवृत्ति योजना, यूनिफॉर्म वितरण और स्वच्छता जागरूकता की जानकारी सरल भाषा में दी।
तीसरा अनुच्छेद: अभिभावकों और ग्रामीणों की प्रतिक्रियाएं
गांव के एक किसान श्री रामदीन यादव ने कहा, “जब अपने बच्चे खुद हमें समझाने आए, तो हमें शर्म सी आई कि हम क्यों उन्हें समय पर स्कूल नहीं भेजते। अब हर दिन उन्हें तैयार करके भेजेंगे।”
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि श्री जितेन्द्र सिंह भी मौके पर उपस्थित रहे। उन्होंने कहा, “विद्यालय का यह प्रयास सराहनीय है। गांव की तस्वीर शिक्षा से ही बदलेगी। पंचायत की तरफ से भी इस मुहिम में हर संभव सहयोग दिया जाएगा।”
चौथा अनुच्छेद: छात्राओं ने बताया अपने अनुभव
छात्रा काजल (कक्षा 5) ने कहा, “मैं चाहती हूं कि मेरी छोटी बहन भी स्कूल आए। आज मैंने खुद उसकी मां से बात की।” वहीं छात्र सूरज (कक्षा 4) ने बताया, “जब मैंने अपने ताऊ जी को समझाया कि पढ़ाई जरूरी है, तो उन्होंने मुझे 10 रुपये इनाम दिए।”
इन बच्चों ने यह सिद्ध किया कि यदि उन्हें अवसर और मार्गदर्शन मिले, तो वे स्वयं अपने समाज को बदलने की शक्ति रखते हैं।
1. समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan):
यह केंद्र सरकार की एक प्रमुख एकीकृत योजना है, जिसका उद्देश्य विद्यालय स्तर पर समावेशी, न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक के विद्यालयों में बुनियादी ढांचा मजबूत किया जा रहा है, जिसमें कक्षाओं की मरम्मत, स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, शौचालय, विज्ञान प्रयोगशालाएं और दिव्यांग विद्यार्थियों हेतु सुविधाएं शामिल हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक प्रशिक्षण, ICT-साक्षरता, विद्यार्थियों की मूल्यांकन प्रणाली और स्कूली प्रबंधन समिति (SMC) को सक्रिय करने जैसे कार्यों को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
2. मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (Mukhyamantri Bal Seva Yojana):
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित इस योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चों को सहायता प्रदान की जाती है, जिन्होंने कोविड-19 काल या अन्य कारणों से अपने माता-पिता या अभिभावकों को खो दिया है। योजना का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो।
इन बच्चों को न केवल मुफ्त शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें मासिक आर्थिक सहायता, मुफ्त यूनिफॉर्म, किताबें, छात्रवृत्ति, और अन्य शैक्षणिक सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है। उच्च शिक्षा की तैयारी के लिए विशेष मार्गदर्शन और कोचिंग सुविधाएं भी दी जाती हैं।
3. मिड-डे मील योजना (Mid-Day Meal Scheme):
यह योजना विशेष रूप से सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को दोपहर का पौष्टिक एवं गरम भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जाती है।
इसका प्रमुख लक्ष्य बच्चों में कुपोषण को कम करना, स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति दर बढ़ाना तथा छात्रों को पढ़ाई में केंद्रित रखने के लिए पोषण देना है।
योजना के अंतर्गत स्थानीय स्तर पर स्व-सहायता समूह, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं रसोइयों की मदद से भोजन तैयार किया जाता है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिलता है। भोजन की गुणवत्ता की नियमित निगरानी भी की जाती है।
4. मुफ्त यूनिफॉर्म और पाठ्यपुस्तक वितरण:
राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में दो सेट यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, स्वेटर, स्कूल बैग और सभी पाठ्यपुस्तकें मुफ्त में प्रदान की जाती हैं।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी बच्चे की शिक्षा केवल आर्थिक तंगी के कारण बाधित न हो।
यह योजना न केवल छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाती है, बल्कि उन्हें समानता की भावना भी प्रदान करती है, जिससे वे विद्यालय में अधिक सहज अनुभव करते हैं।
5. शारदा अभियान (Sharda Abhiyan):
“शिक्षा के लिए हर दिन आएं” (School Har Din Aaye – SHARDA) अभियान के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि ड्रॉपआउट या स्कूल से वंचित बच्चों की पहचान की जाए और उन्हें पुनः विद्यालय में नामांकित कराया जाए।
ब्लॉक स्तर पर टीमें गठित कर ऐसे बच्चों के घर-घर सर्वेक्षण किए जाते हैं। इस अभियान में बाल संरक्षण इकाइयों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षक समितियों और स्थानीय पंचायतों की भागीदारी रहती है।
इसके अंतर्गत बच्चों को विशेष “पुनः प्रविष्टि कक्षाएं” (Bridge Courses) कराई जाती हैं ताकि वे अपनी पिछली पढ़ाई को पकड़ सकें और कक्षा के साथ तालमेल बिठा सकें।
प्र.1: महराजी गांव में यह रैली किस उद्देश्य से निकाली गई थी?
उ. यह रैली बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने, बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने और सरकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों तक पहुँचाने के उद्देश्य से निकाली गई थी।
प्र.2: इस रैली की अगुवाई किसने की?
उ. रैली की अगुवाई प्राथमिक विद्यालय महराजी के प्रधानाध्यापक श्री ओमप्रकाश तिवारी ने की।
प्र.3: रैली में छात्रों ने कौन-कौन से नारे लगाए?
उ. छात्रों ने “हर बच्चे का अधिकार – शिक्षा सशक्त विचार”, “बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ”, और “न दहेज चाहिए, न गहना चाहिए – बेटी को पढ़ाने का गहना चाहिए” जैसे जागरूकता भरे नारे लगाए।
प्र.4: ग्रामीणों की इस रैली पर क्या प्रतिक्रिया रही?
उ. ग्रामीणों ने बच्चों की बातों को गंभीरता से सुना और कई अभिभावकों ने माना कि वे अब बच्चों को समय पर स्कूल भेजने की जिम्मेदारी निभाएंगे।
प्र.5: “समग्र शिक्षा अभियान” क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
उ. समग्र शिक्षा अभियान केंद्र सरकार की योजना है जिसका उद्देश्य स्कूल स्तर पर समावेशी, न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है। इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षक प्रशिक्षण, स्मार्ट क्लास, और SMC जैसे कई पहलुओं को शामिल किया गया है।
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