Correspondent: GT Express | 22.07.2025 | Ghar Tak Express |
भारत, जिसे सांस्कृतिक विविधता की भूमि माना जाता है, ने पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर अपनी सांस्कृतिक पहचान को सशक्त रूप से प्रस्तुत करने के लिए कई पहलें की हैं। संस्कृति मंत्रालय ने 2021 से अब तक 41 देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों (Cultural Exchange Programmes – CEPs) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनका उद्देश्य विभिन्न देशों के साथ भारतीय कला, संगीत, नृत्य, रंगमंच और साहित्य जैसे विविध कला रूपों को साझा करना और अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देना है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से भारत और अन्य देशों के बीच आपसी समझ और सांस्कृतिक सौहार्द को गहराई मिली है।
भारत द्वारा आयोजित “भारत महोत्सव” जैसे आयोजनों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने का एक सशक्त माध्यम प्रदान किया है। हाल ही में मार्च 2023 में कुवैत और जुलाई 2023 में फ्रांस में ऐसे महोत्सवों का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य, पारंपरिक हस्तकला और खानपान की झलक पेश की गई।
संरक्षण और संरक्षण की नई सोच
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारकों और स्थलों की रक्षा और देखभाल को एक प्राथमिक कार्य के रूप में लिया गया है। स्मारकों की समय-समय पर निगरानी, संरक्षण की स्थिति का मूल्यांकन और डिजिटल मानचित्रण के माध्यम से उनके दस्तावेज़ीकरण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय संरक्षण नीति के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रत्येक स्मारक की संरक्षण आवश्यकताओं को उनकी प्राथमिकता और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर पूरा किया जाए। डिजिटल अभिलेखों की पहल न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देती है बल्कि शोधकर्ताओं और पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों की विस्तृत जानकारी भी सुलभ कराती है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मूर्त रूप
संस्कृति मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ (EBSB) कार्यक्रम के अंतर्गत ‘युवा संगम’ और ‘काशी-तमिल संगम’ जैसी दो प्रमुख पहलों की शुरुआत की गई है, जिनका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है।
युवा संगम कार्यक्रम के तहत दो राज्यों के युवाओं के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक यात्राएं आयोजित की जाती हैं। इन दौरों के माध्यम से युवा प्रतिभागियों को दूसरे राज्यों की जीवनशैली, कला, इतिहास और परंपराओं को प्रत्यक्ष रूप से जानने का अवसर मिलता है।
काशी तमिल संगम एक अनूठा प्रयास है, जो उत्तर भारत की प्राचीन नगरी काशी और दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के बीच ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्स्थापित करता है। इस पहल के तहत साहित्यिक गोष्ठियाँ, शास्त्रीय नृत्य-मंचन और पारंपरिक व्यंजन प्रदर्शन जैसे आयोजन किए जाते हैं।
विलुप्त होती लोककलाओं को पुनर्जीवन
भारत की बहुरंगी लोक और जनजातीय परंपराएं देश की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। इन पारंपरिक कला रूपों के संरक्षण के लिए क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (Zonal Cultural Centres – ZCCs) ने अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 के मध्य सातों सांस्कृतिक क्षेत्रों में संभागीय स्तर पर ‘विलुप्त लोक एवं जनजातीय कला उत्थान महोत्सव’ का आयोजन किया।
इस आयोजन में प्रत्येक सप्ताह 15-21 दिनों की कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिनमें देशभर से लोक कलाकारों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। इन कार्यशालाओं में कलाकारों को पारंपरिक वाद्ययंत्रों, नृत्य शैलियों, चित्रकला और हस्तशिल्पों का गहन प्रशिक्षण दिया गया। वस्त्र मंत्रालय, राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों की सहभागिता ने इन आयोजनों को और भी प्रभावशाली बनाया।
इतिहास को डिजिटल स्वरूप में सहेजने का प्रयास
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और गुमनाम नायकों को याद करने के उद्देश्य से ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ वेबसाइट को ‘अमृत काल पोर्टल’ में परिवर्तित किया गया है। यह पोर्टल स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कहानियों, घटनाओं, आंदोलनकारियों और उनके बलिदानों का डिजिटल संग्रह प्रस्तुत करता है।
इस पोर्टल को आठ प्रमुख उपखंडों में विभाजित किया गया है:
डिजिटल ज़िला संग्रह – देश के हर जिले के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी घटनाओं का दस्तावेजीकरण।
गुमनाम नायक – उन सेनानियों को श्रद्धांजलि जिन्हें ऐतिहासिक दस्तावेजों में कम स्थान मिला।
जन योगदान पोर्टल – आम नागरिकों को अपनी कहानियाँ साझा करने का मंच।
स्वतंत्रता स्वर – प्रतिबंधित क्रांतिकारी साहित्य और कविताओं का संग्रह।
पॉडकास्ट – स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित ऑडियो कहानियाँ।
राज्यगीत – राज्यों की सांस्कृतिक पहचान को रेखांकित करते गीत।
स्वतंत्रता कोना – भारत की आज़ादी की प्रेरक कहानियों का समुच्चय।
प्रदर्शनियाँ – विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, एकता महोत्सव आदि आयोजनों का रिकॉर्ड।
आजादी के दीवाने’ – एक भावनात्मक संग्रहालय
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा दिल्ली के लाल किले परिसर में स्थापित ‘आजादी के दीवाने’ नामक संग्रहालय पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को समर्पित है। यह संग्रहालय मल्टीमीडिया, इंटरएक्टिव डिस्प्ले और 3डी प्रोजेक्शन के माध्यम से दर्शकों को आज़ादी के लिए दी गई कुर्बानियों की एक जीवंत झलक देता है।
यह संग्रहालय न केवल युवाओं में देशभक्ति की भावना जाग्रत करता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि भारत की आज़ादी केवल कुछ प्रमुख नेताओं की नहीं, बल्कि असंख्य गुमनाम नायकों की तपस्या और बलिदान का परिणाम है।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (CEPs) भारत और विभिन्न देशों के बीच संगीत, नृत्य, रंगमंच, साहित्य, संग्रहालयों, पुरातत्व, विज्ञान संग्रहालयों, और अन्य सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।
इन कार्यक्रमों के अंतर्गत कलाकारों के आदान-प्रदान, संयुक्त प्रदर्शनी, कार्यशालाएँ, सांस्कृतिक उत्सव और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह भारत को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करते हैं, साथ ही विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देते हैं।
भारत महोत्सव (Festival of India Abroad)
भारत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत विदेशों में भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन किया जाता है। ये महोत्सव भारतीय दूतावासों और विदेश मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किए जाते हैं और इनमें शास्त्रीय एवं लोक नृत्य, संगीत, चित्रकला, योग, पारंपरिक खानपान, और हस्तकला जैसे तत्वों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाता है।
हाल ही में, मार्च 2023 में कुवैत और जुलाई 2023 में फ्रांस में भारत महोत्सव का सफल आयोजन हुआ। इन आयोजनों के माध्यम से भारत ने अपनी ‘सॉफ्ट पावर’ को सशक्त किया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सांस्कृतिक सद्भाव को गहराई दी है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत (Ek Bharat Shreshtha Bharat – EBSB)
यह राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक अखंडता को बढ़ावा देने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके अंतर्गत दो प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं:
युवा संगम: यह एक सांस्कृतिक-सह-शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रम है, जिसमें दो भिन्न राज्यों के युवाओं को एक-दूसरे के सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और विकासात्मक पहलुओं को प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर दिया जाता है।
काशी तमिल संगम: यह कार्यक्रम उत्तर भारत की प्राचीन नगरी काशी और दक्षिण भारत के तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक, भाषाई और शैक्षणिक रिश्तों को मजबूत करने हेतु विशेष रूप से आयोजित किया गया। इस आयोजन में साहित्य, कला, संगीत, और धार्मिक परंपराओं को साझा करने वाले कार्यक्रम शामिल थे।
इन कार्यक्रमों ने युवाओं में राष्ट्रीय एकता की भावना, बहुसांस्कृतिक समझ, और समरसता को गहराई दी है।
विलुप्त लोक एवं जनजातीय कला उत्थान महोत्सव
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (ZCCs) द्वारा अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 के बीच सातों सांस्कृतिक क्षेत्रों में संभागीय स्तर पर विलुप्त हो रही लोक और जनजातीय कलाओं के संरक्षण और संवर्धन हेतु यह महोत्सव आयोजित किया गया।
इस पहल में लोक कलाकारों, शिल्पकारों और परंपरागत गुरुओं के माध्यम से 15-21 दिनों की गहन कार्यशालाएं चलाई गईं, जिनमें प्रतिभागियों को प्राचीन कला रूपों का प्रशिक्षण दिया गया। वस्त्र मंत्रालय, राज्य सरकारों और अकादमिक संस्थानों ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया।
इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक कला रूपों को पुनर्जीवित करना, अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित करना, और उन्हें व्यावसायिक रूप से भी सक्षम बनाना रहा है।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव‘ के अंतर्गत प्रारंभ किया गया ‘इतिहास कोना’ अब ‘अमृत काल पोर्टल’ में परिवर्तित हो चुका है। यह पोर्टल भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी अनकही कहानियों, गुमनाम नायकों, ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक विरासतों का एक डिजिटल संग्रहालय है।
इस पोर्टल में आठ उप-खंड शामिल हैं:
डिजिटल ज़िला संग्रह
गुमनाम नायक
जन योगदान पोर्टल
स्वतंत्रता स्वर
पॉडकास्ट श्रृंखला
राज्यगीत
स्वतंत्रता कोना
प्रदर्शनियाँ
यह पोर्टल न केवल जनता के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि शोधकर्ताओं और शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेजों और कहानियों का एक मुक्त स्रोत बन चुका है।
लाल किला संग्रहालय – ‘आजादी के दीवाने’
विवरण:
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा स्थापित संग्रहालय ‘आजादी के दीवाने’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है।
इस संग्रहालय में इंटरएक्टिव डिजिटल डिस्प्ले, 3D प्रोजेक्शन, आर्ट इंस्टॉलेशन, और अन्य आधुनिक तकनीकों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं को भावनात्मक और जानकारीपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को उन नायकों की प्रेरणादायक गाथाओं से जोड़ना है, जिन्हें इतिहास में वह स्थान नहीं मिल पाया जिसके वे हकदार थे। यह संग्रहालय भारतीय स्वतंत्रता की गाथा को जन-सामान्य तक सजीव रूप में पहुँचाने का माध्यम बन चुका है।
Source : PIB