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गाजियाबाद में बना भारत का पहला अत्याधुनिक हरित डेटा सेंटर: योगी-मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया शिलान्यास

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गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश | विशेष संवाददाता

देश की डिजिटल संरचना और सतत विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के तहत, आज उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद में स्थित केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में एक अत्याधुनिक हरित डेटा सेंटर का शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संयुक्त रूप से भूमि पूजन एवं शिलापट का अनावरण किया।

इस डेटा सेंटर को भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य (Net Zero Target 2070) की दिशा में एक ठोस पहल माना जा रहा है, जो देश को पर्यावरणीय संरक्षण और डिजिटल शक्ति दोनों में अग्रणी बनाएगा।


हरित डेटा सेंटर: तकनीक और पर्यावरण का संगम

यह डेटा सेंटर न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत होगा, बल्कि यह ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, और पर्यावरणीय सततता के सिद्धांतों पर आधारित होगा। यह केंद्र 30 मेगावाट की विशाल क्षमता के साथ बनाया जाएगा, जिसमें 1000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जा रहा है https://www.jagran.com/uttar-pradesh/ghaziabad-cm-yogi-adityanath-inaugurates-data-center-at-cel-in-ghaziabad-40003046.html

प्रमुख हरित विशेषताएं:

1️⃣ ऊर्जा कुशल बिल्डिंग डिज़ाइन (Energy Efficient Building Design)

यह डेटा सेंटर ग्रीन बिल्डिंग मानकों पर आधारित है। इसकी संरचना इस तरह से तैयार की गई है कि सूर्य की ऊष्मा को कम से कम प्रवेश करने दिया जाए, जिससे एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता घटे।

  • निर्माण में इन्सुलेटेड दीवारों और डबल ग्लेज़िंग वाली खिड़कियों का उपयोग किया गया है।

  • प्राकृतिक वेंटिलेशन और सूरज की रोशनी के अनुसार सौर पथ अभिविन्यास का ध्यान रखा गया है।

  • LEED या GRIHA जैसी ग्रीन रेटिंग्स प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।


2️⃣ न्यूनतम जल उपयोग प्रणाली (Minimal Water Usage)

पारंपरिक डेटा सेंटर्स में कूलिंग के लिए बड़ी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है। यह केंद्र नवीनतम तकनीकों के माध्यम से जल की खपत को न्यूनतम करेगा।

  • रीसायक्लिंग वॉटर ट्रीटमेंट सिस्टम के माध्यम से इस्तेमाल किए गए पानी का पुनः उपयोग।

  • एयर कूल्ड कंडेंसर और क्लोज्ड लूप वॉटर सर्कुलेशन प्रणाली को प्राथमिकता दी गई है।


3️⃣ सौर ऊर्जा आधारित संचालन (Solar-Powered Operations)

इस केंद्र की विद्युत आपूर्ति में सौर ऊर्जा को प्रमुख स्रोत के रूप में उपयोग किया जाएगा।

  • छत और आसपास के परिसर में CEL द्वारा निर्मित सोलर पैनल लगाए जाएंगे।

  • ग्रिड-इंटीग्रेटेड सोलर सिस्टम और बैटरी स्टोरेज की व्यवस्था होगी, ताकि दिन और रात दोनों समय स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग संभव हो सके।


4️⃣ डिजिटल थर्मल कंट्रोल (Digital Thermal Control System)

डेटा सेंटर के भीतर तापमान नियंत्रण एक बड़ी चुनौती होती है।

  • इस सेंटर में AI आधारित सेंसर नेटवर्क लगाया जाएगा, जो विभिन्न क्षेत्रों के तापमान को मॉनिटर और ऑटोमैटिकली नियंत्रित करेगा।

  • IoT उपकरण प्रत्येक सर्वर रैक के तापमान को पढ़कर HVAC सिस्टम को निर्देश देंगे।

  • इससे ऊर्जा अपव्यय कम होगा और प्रदूषण में भी कटौती होगी।


5️⃣ स्मार्ट शीतलन प्रणाली (Smart Cooling System)

पारंपरिक शीतलन प्रणाली की तुलना में यह सेंटर कई गुना अधिक कुशल स्मार्ट कूलिंग तकनीकों से सुसज्जित होगा।

  • इन-रैक कूलिंग, हॉट और कोल्ड आइल कन्फाइनमेंट जैसे आधुनिक उपाय।

  • Liquid cooling और direct-to-chip cooling जैसी तकनीकें भी अपनाई जा सकती हैं, जिससे सर्वरों को सीधा ठंडा किया जा सके।


6️⃣ वर्षा जल संचयन और रिफ्लेक्टिव रूफ (Rainwater Harvesting & Reflective Roof)

  • भवन की छतों पर वर्षा जल संग्रह प्रणाली (Rainwater Harvesting System) लगाई जाएगी, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

  • रिफ्लेक्टिव रूफ पेंट्स का उपयोग कर छत से आने वाली गर्मी को 70% तक कम किया जा सकता है, जिससे भीतर का तापमान स्वाभाविक रूप से ठंडा रहता है।


7️⃣ प्रति मंज़िल 200 हाई-डेंसिटी रैक्स की क्षमता (200 High-Density Racks Per Floor)

  • प्रत्येक मंज़िल पर 200 रैक यूनिट स्थापित की जाएंगी, जो हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC), बिग डेटा एनालिटिक्स, और AI कार्यभार संभालने में सक्षम होंगी।

  • हर रैक में 40 किलोवॉट तक लोड हैंडलिंग की क्षमता होगी।

  • ये रैक क्लाउड सेवा प्रदाताओं, सरकारी संस्थानों, और स्टार्टअप्स के लिए बड़े पैमाने पर डेटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग में सहायक होंगे।


8️⃣ टियर-III/TIA/अपटाइम अनुपालन (Tier-III/TIA/Uptime Compliant Design)

  • यह डेटा सेंटर टियर-III मानक पर आधारित होगा, जिसका मतलब है कि इसमें N+1 Redundancy यानी सभी महत्वपूर्ण सिस्टम में एक अतिरिक्त बैकअप मौजूद रहेगा।

  • इसमें किसी एक घटक के फेल हो जाने पर भी ऑपरेशन निरंतर चलता रहेगा।

  • इससे यह सुनिश्चित होगा कि डेटा सेवाएं 99.982% समय तक उपलब्ध रहें।


9️⃣ 40 Gbps रिंग फाइबर नेटवर्क (40 Gbps Ring Fiber Network)

  • डेटा सेंटर को भारत के प्रमुख इंटरनेट बैकबोन से जोड़ने के लिए रिंग टोपोलॉजी में हाई-स्पीड 40 गीगाबिट प्रति सेकंड (Gbps) नेटवर्क बिछाया जाएगा।

  • यह डिज़ाइन फॉल्ट टॉलरेंस सुनिश्चित करता है — यदि एक मार्ग बंद हो जाए, तो ट्रैफिक तुरंत वैकल्पिक मार्ग से चलेगा।

  • इससे लो लेटेंसी और फास्ट डेटा एक्सेस सुनिश्चित किया जाएगा।


🔟 डुअल 10 Gbps लिंक फॉर DR एंड क्लाउड इंटीग्रेशन (Dual 10 Gbps DR/Cloud Connectivity)

    • डेटा की सुरक्षा के लिए हरित डेटा सेंटर को डिजास्टर रिकवरी (DR) साइट से जोड़ने के लिए दो 10 Gbps की लिंक प्रदान की जाएंगी।

    • इससे किसी भी आपदा की स्थिति में डेटा का बैकअप तुरंत दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा सकेगा।

    • क्लाउड सेवा एकीकरण के लिए यह लिंक AWS, Azure, NIC Cloud, आदि से सीधा इंटरफेस प्रदान करेगी।

यह डेटा सेंटर खासतौर पर स्टार्टअप्स, MSME इकाइयों, और सरकारी संस्थानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन: हरित ऊर्जा और नवाचार का भविष्य

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने CEL की प्रशंसा करते हुए कहा:

“सीईएल की सौर फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी ने जनजातीय और दूरदराज के क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह सिर्फ एक तकनीकी कंपनी नहीं, बल्कि भारत के विकास का इंजन है।”

मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से CEL की भूमिका को रेलवे सिग्नलिंग, डिजिटल साक्षरता, और ग्रामीण क्षेत्रों की डिजिटल पहुँच में मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अब केवल एक कृषि और जनसंख्या प्रधान राज्य नहीं रहा, बल्कि यह तकनीकी नवाचार, विज्ञान और हरित ऊर्जा का केंद्र बनता जा रहा है।


डॉ. जितेंद्र सिंह का संबोधन: आत्मनिर्भर भारत की नींव

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा:

“यह डेटा सेंटर भारत की वैश्विक डिजिटल शक्ति बनने की यात्रा में एक मील का पत्थर है। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत के मूलमंत्र को मूर्त रूप देती है।”

CEL का पुनरुद्धार:

डॉ. सिंह ने CEL की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को साझा करते हुए बताया कि इसकी स्थापना वर्ष 1974 में स्वदेशी तकनीकों के व्यावसायिक उपयोग के लिए की गई थी। वर्ष 1977 में CEL ने भारत का पहला सौर सेल प्रस्तुत किया, जब दुनिया ने अभी सौर ऊर्जा की क्षमता को समझना शुरू भी नहीं किया था।

हालांकि, हाल के वर्षों में CEL को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा और यह विनिवेश के कगार पर था। लेकिन सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से CEL ने पुनरुद्धार किया और अब इसे “मिनीरत्न” का दर्जा प्राप्त है।


रक्षा क्षेत्र में CEL का योगदान: ऑपरेशन सिंदूर और उससे आगे

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आकाश मिसाइल प्रणाली में CEL के रडार के उपयोग को विशेष रूप से रेखांकित किया, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की तकनीकी शक्ति का परिचायक बना। उन्होंने कहा कि CEL का दायरा केवल रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रेलवे, सौर ऊर्जा, और डिजिटल नवाचार में भी एक विश्वसनीय भारतीय नाम बन चुका है।

“CEL का यह परिवर्तन अन्य पीएसयू के लिए एक प्रेरणा है – यह रणनीतिक सहयोग और नवाचार का आदर्श उदाहरण है।”


वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचारों की श्रृंखला

डॉ. सिंह ने देश के वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रगति को दर्शाते हुए कई उल्लेखनीय उपलब्धियों का जिक्र किया:

108 पंखुड़ियों वाला आनुवंशिक कमल

CSIR-NBRI द्वारा विकसित यह कमल प्रतीकात्मक और अनुसंधान दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।

आउट-ऑफ-सीजन ट्यूलिप

पालमपुर संस्थान द्वारा विकसित ट्यूलिप को राम मंदिर, अयोध्या में चढ़ाया गया, जो मौसम-स्वतंत्र कृषि का उदाहरण है।

सूर्य तिलक प्रणाली

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने सूर्य की किरणों को रामलला की प्रतिमा पर केंद्रित करने हेतु खगोलीय इंजीनियरिंग से इस प्रणाली का निर्माण किया।

कुंभ मेला मल कीचड़ उपचार संयंत्र

परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा लगाए गए तीन संयंत्रों ने 1.5 मिलियन टन कचरे का उपचार कर स्वच्छता सुनिश्चित की।


उत्तर प्रदेश: विज्ञान और उद्यमिता का नया केंद्र

योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा की गई घोषणाओं में राज्य की तकनीकी दिशा स्पष्ट दिखती है:

📌 लखनऊ में जैव प्रौद्योगिकी औद्योगिक पार्क की स्थापना

जो जैविक अनुसंधान और फार्मा स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगा।

📌 स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 की मेजबानी

यह वैश्विक नवाचारकर्ताओं और निवेशकों को लखनऊ में आमंत्रित करेगा।

डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए गोमती नगर में CAT कार्यालय के उद्घाटन में उनकी भूमिका को भी याद किया।


डेटा सेंटर की रणनीतिक विशेषताएं

🔹 वृहद संरचना:

प्रति मंजिल 200 हाई डेंसिटी रैक्स की क्षमता के साथ टियर III स्तर की संरचना।

🔹 नेटवर्क और आपदा प्रबंधन:

40 Gbps रिंग फाइबर नेटवर्क और डुअल 10 Gbps DR लिंक।

🔹 हरित निर्माण:

ऊर्जा दक्षता, वर्षा जल संचयन, स्मार्ट शीतलन और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के आधुनिकतम मानकों को अपनाया गया है।

🔹 समावेशिता:

यह केंद्र स्टार्टअप, सरकारी एजेंसियों और MSMEs के लिए पूरी तरह सुसज्जित होगा, जिससे स्थानीय रोजगार, सक्षम मानव संसाधन और नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।


विकसित भारत @2047: डॉ. सिंह की अपील

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने वक्तव्य का समापन करते हुए कहा:

“हमारा लक्ष्य है भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना। इसके लिए विज्ञान, तकनीक और नवाचार को साझेदारी आधारित मिशन बनाना होगा।”

उन्होंने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र के बीच बेहतर तालमेल और सहयोग से ही भारत की वास्तविक क्षमता को पूरी तरह से उपयोग में लाया जा सकता है।


निष्कर्ष: एक नई वैज्ञानिक क्रांति की ओर भारत

उत्तर प्रदेश में CEL द्वारा संचालित यह हरित डेटा सेंटर न केवल तकनीकी दृष्टि से अग्रणी पहल है, बल्कि यह भारत के हरित ऊर्जा, डिजिटल समावेश, और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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