भारत-कनाडा संबंधों की पृष्ठभूमि
भारत और कनाडा के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इन संबंधों में खटास आ गई थी। खासकर खालिस्तान समर्थक तत्वों को लेकर दोनों देशों में तीखी बयानबाज़ी और राजनयिक खींचतान देखने को मिली। कनाडा में भारतीय राजनयिकों पर आरोप, और भारत द्वारा वीजा सेवाओं पर रोक जैसे कई घटनाक्रमों ने आपसी विश्वास को झटका दिया।
लेकिन अब मार्क जे. कार्नी के नेतृत्व में कनाडा में एक नई राजनीतिक हवा चली है, जो भारत के साथ फिर से सहयोग का संकेत दे रही है।
G7 सम्मेलन: एक कूटनीतिक अवसर
हाल ही में हुए G7 सम्मेलन में भारत को एक विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन, वैश्विक व्यापार, और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। इस दौरान उनकी मुलाकात कनाडा के पीएम मार्क जे. कार्नी से हुई।
दोनों नेताओं की बातचीत सौहार्दपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण रही। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर सहयोग के नए रास्तों पर चर्चा हुई।
मुख्य चर्चा बिंदु: मोदी और कार्नी की बातचीत
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व्यापारिक संबंधों को पुनर्जीवित करना:
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को गति देने पर सहमति जताई। भारत और कनाडा के बीच वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 11.2 बिलियन डॉलर था, लेकिन हालिया राजनीतिक तनावों के कारण इसमें गिरावट आई थी। -
शिक्षा और अकादमिक सहयोग:
कनाडा में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 3 लाख है। पीएम मोदी ने छात्रों की सुरक्षा और वीजा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की। कार्नी ने भी इस पर सहमति जताई और सहयोग का आश्वासन दिया। -
आतंकवाद पर सख्त रुख:
पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी प्रकार के अलगाववाद या आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। कार्नी ने भरोसा दिलाया कि कनाडा की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा। -
जलवायु परिवर्तन और तकनीकी सहयोग:
दोनों देशों ने हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्वच्छ तकनीक के क्षेत्रों में साझेदारी को आगे बढ़ाने की बात कही।
राजनीतिक संदेश: बदलते रुख का संकेत
यह बैठक एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश भी देती है। कनाडा में लिबरल पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने मार्क जे. कार्नी, जो पूर्व बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रह चुके हैं, एक संतुलित और वैश्विक दृष्टिकोण रखने वाले नेता माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में कनाडा की विदेश नीति में व्यावहारिकता और संतुलन की उम्मीद की जा रही है।
उनका भारत के प्रति सकारात्मक रुख यह दर्शाता है कि कनाडा अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए एक नई शुरुआत करना चाहता है।
G7 में भारत की भूमिका और प्रभाव
भारत ने इस बार G7 सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ बनने का प्रयास किया। पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल समावेश और वैश्विक आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत की सशक्त भूमिका प्रस्तुत की।
G7 में भारत की उपस्थिति न केवल उसकी वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विश्व भारत को गंभीरता से ले रहा है।
भारत-कनाडा संबंधों का भविष्य
इस बैठक के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि भारत और कनाडा के बीच:
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द्विपक्षीय वार्ता फिर से शुरू होंगी
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उच्च स्तरीय अधिकारियों की यात्राएं बढ़ेंगी
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विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए वीजा प्रक्रिया आसान होगी
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सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोग को बल मिलेगा
विशेषज्ञों की राय
प्रोफेसर रमेश उपाध्याय (अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ):
“यह बैठक दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच बर्फ पिघलने की शुरुआत है। अगर दोनों सरकारें नीयत और नीति में संतुलन रखती हैं, तो आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय संबंध पहले से कहीं अधिक प्रगाढ़ हो सकते हैं।”
G7 शिखर सम्मेलन 2025 के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क जे. कार्नी के बीच एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक बैठक आयोजित हुई। यह मुलाकात सम्मेलन के इतर हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने और भविष्य की रणनीतियों पर गंभीर चर्चा की।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री मार्क जे. कार्नी के साथ G7 सम्मेलन के दौरान उपयोगी बातचीत हुई। हमने व्यापार, ऊर्जा, अंतरिक्ष, महत्वपूर्ण खनिजों, उर्वरकों और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने पर सहमति व्यक्त की।”
प्रमुख मुद्दों पर बनी सहमति:
🔹 व्यापार और निवेश:
भारत और कनाडा ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही। जल्द ही व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान और संभावित मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत तेज की जाएगी।
🔹 ऊर्जा सहयोग:
दोनों देशों ने ऊर्जा सुरक्षा और हरित ऊर्जा में सहयोग को लेकर रुचि जताई। कनाडा की तकनीक और भारत की ऊर्जा मांग इस साझेदारी को लाभदायक बना सकती है।
🔹 अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच मिशन-आधारित साझेदारी पर बातचीत हुई, जिससे सैटेलाइट, संचार और अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति हो सके।
🔹 महत्वपूर्ण खनिज (Critical Minerals):
भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा की योजनाओं के लिए आवश्यक लिथियम, कोबाल्ट जैसे खनिजों की आपूर्ति के लिए कनाडा से रणनीतिक सहयोग की योजना बनी।
🔹 कृषि और उर्वरक:
भारतीय किसानों के लिए आवश्यक उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कनाडा से दीर्घकालिक समझौतों की संभावना पर बात हुई।
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती
यह बैठक ऐसे समय हुई है जब वैश्विक चुनौतियाँ जैसे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान चरम पर हैं। ऐसे में भारत और कनाडा का मिलकर काम करना केवल द्विपक्षीय हितों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।
कनाडा के पीएम मार्क जे. कार्नी ने भी बैठक को उपयोगी बताया और भारत के साथ मजबूत संबंधों के लिए प्रतिबद्धता दोहराई।
निष्कर्ष
G7 सम्मेलन की यह भेंटवार्ता भारत-कनाडा संबंधों को नई दिशा और गहराई प्रदान करती है। अब यह देखना रोचक होगा कि इस बातचीत के परिणाम आने वाले महीनों में कितनी तेजी से ज़मीन पर उतरते हैं।
परिचय
इटली के अपुलिया क्षेत्र में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन न केवल वैश्विक कूटनीति का केंद्र बना, बल्कि भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से ठंडे पड़े संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की शुरुआत का भी साक्षी बना। इस सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नवनियुक्त प्रधानमंत्री मार्क जे. कार्नी के बीच हुई मुलाकात को दोनों देशों के संबंधों में एक “नई शुरुआत” के रूप में देखा जा रहा है।