राष्ट्रपति

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने डूरंड कप 2025 की ट्रॉफियों का अनावरण किया | जानिए इतिहास, महत्व और आयोजन की पूरी जानकारी

ताज़ा ख़बरें देश न्यूज़ लाइब्रेरी

राष्ट्रपति भवन 

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक भव्य समारोह में 134वें डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट 2025 की ट्रॉफियों का विधिवत अनावरण किया और उन्हें देशभर में आयोजित होने वाले मैचों के लिए रवाना किया। यह टूर्नामेंट भारत का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित फुटबॉल टूर्नामेंट है, जिसकी ऐतिहासिक विरासत 1888 से जुड़ी हुई है। समारोह में रक्षा मंत्रालय, भारतीय सशस्त्र बलों, खेल मंत्रालय, ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन और विभिन्न फुटबॉल क्लबों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि खेल न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि ये अनुशासन, टीम भावना और राष्ट्रीय एकता के प्रेरक भी हैं। उन्होंने डूरंड कप को भारतीय फुटबॉल की विरासत का प्रतीक बताते हुए इस आयोजन की निरंतरता और लोकप्रियता के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की।

फुटबॉल

राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली संबोधन में कहा, “फुटबॉल केवल एक खेल नहीं है, यह एक जुनून है। यह रणनीति, धैर्य और साझे लक्ष्य की ओर एकजुट होकर काम करने का प्रतीक है।” उन्होंने कहा कि जब भारत अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेता है और जब ओलंपिक जैसे मंच पर तिरंगा फहराया जाता है, तो संपूर्ण राष्ट्र गर्व से झूम उठता है। इसी भावना का संचार फुटबॉल जैसे खेलों के ज़रिए भी होता है।

उन्होंने आगे कहा कि डूरंड कप जैसे आयोजन खेल प्रतिभाओं के लिए मंच तैयार करते हैं, जहां युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना भविष्य संवार सकते हैं।

डूरंड कप—इतिहास और महत्व

डूरंड कप की शुरुआत वर्ष 1888 में ब्रिटिश भारत में हुई थी और यह विश्व के सबसे पुराने फुटबॉल टूर्नामेंटों में से एक है। इस टूर्नामेंट की विरासत भारतीय फुटबॉल के साथ-साथ सैन्य परंपराओं से भी गहराई से जुड़ी हुई है। भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना इस आयोजन को न केवल प्रायोजित करती हैं, बल्कि इसे एक राष्ट्रीय आयोजन के रूप में प्रतिष्ठा भी दिलाती हैं।

इस वर्ष का डूरंड कप देश के विभिन्न शहरों—कोलकाता, गुवाहाटी, पुणे और चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा। कुल 24 टीमें इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भाग लेंगी, जिनमें आईएसएल, आई-लीग और आर्मी क्लब की टीमें प्रमुख हैं। आयोजन का फाइनल सितंबर 2025 में कोलकाता के विवेकानंद युबा भारती क्रीड़ांगन में होने की संभावना है।

सशस्त्र बलों की भूमिका और आयोजन की व्यापकता

राष्ट्रपति ने समारोह के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा डूरंड कप की भावना को जीवंत बनाए रखने की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह सैन्य परंपराओं और नागरिक समाज के बीच सेतु का कार्य करती है।

डूरंड कप आज केवल एक टूर्नामेंट नहीं रह गया है, बल्कि यह सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता का उत्सव बन चुका है। इसमें भाग लेने वाली टीमें न केवल प्रतिस्पर्धा करती हैं, बल्कि मित्रता, सम्मान और अनुशासन के उच्च आदर्शों को भी प्रदर्शित करती हैं। यह आयोजन न केवल खेल कौशल को प्रदर्शित करता है बल्कि राष्ट्र की विविधता को भी एकता के सूत्र में पिरोता है।

भविष्य की पीढ़ी के लिए प्रेरणा

अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रपति ने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि “खेलों से न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि यह मानसिक शक्ति और नेतृत्व कौशल को भी बढ़ाता है। फुटबॉल जैसे खेल टीम वर्क, सामूहिक सोच और लक्ष्य आधारित दृष्टिकोण को मजबूत करते हैं, जो आज के प्रतिस्पर्धी युग में अत्यंत आवश्यक है।”

उन्होंने डूरंड कप को भविष्य के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन युवाओं को आगे बढ़ने, हार-जीत को समझने और जीवन मूल्यों को आत्मसात करने का अवसर प्रदान करते हैं। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि डूरंड कप 2025 सभी आयोजनों में श्रेष्ठ सिद्ध होगा और भारतीय फुटबॉल को एक नई दिशा देगा।

24 टीमों की प्रतिस्पर्धा

डूरंड कप 2025 में कुल 24 टीमें हिस्सा लेंगी। इनमें इंडियन सुपर लीग (आईएसएल), आई-लीग, और भारतीय सशस्त्र बलों की टीमें शामिल होंगी। यह टीम संरचना न केवल प्रतिस्पर्धा को रोमांचक बनाएगी बल्कि भारतीय फुटबॉल के व्यापक प्रतिनिधित्व को भी दर्शाएगी।

इस टूर्नामेंट में युवा खिलाड़ियों को बड़े मंच पर खेलने का मौका मिलेगा, जिससे भविष्य के लिए प्रतिभा तैयार हो सकेगी। डूरंड कप ने पिछले वर्षों में कई शानदार खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।

 देशभर से जुड़ेंगे दर्शक

डूरंड कप का आयोजन इस बार कोलकाता, गुवाहाटी, पुणे और चंडीगढ़ में किया जाएगा। इन शहरों में आधुनिक स्टेडियम, दर्शकों का जुनून और फुटबॉल की गहरी संस्कृति है, जिससे यह टूर्नामेंट और भी सफल रहने की उम्मीद है।

कोलकाता में टूर्नामेंट का उद्घाटन और समापन समारोह होने की संभावना है, जबकि अन्य शहरों में ग्रुप और नॉकआउट मुकाबले खेले जाएंगे।

एक गौरवशाली विरासत

 डूरंड कप ट्रॉफी – परंपरा की धरोहर
डूरंड कप ट्रॉफी इस टूर्नामेंट की मूल और सबसे पुरानी ट्रॉफी है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1888 में हुई थी। यह ट्रॉफी भारतीय फुटबॉल की नींव का प्रतीक मानी जाती है और इसकी ऐतिहासिक विरासत इसे देश के सबसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कारों में शामिल करती है।

 प्रेसिडेंट्स ट्रॉफी – राष्ट्र का सम्मान
वर्ष 1940 में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल द्वारा स्थापित प्रेसिडेंट्स ट्रॉफी, इस टूर्नामेंट की दूसरी प्रमुख ट्रॉफी है। इसे भारतीय गणराज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद का प्रतिनिधित्व माना जाता है और यह विजेता टीम को राष्ट्र की ओर से सम्मान के रूप में प्रदान की जाती है।

डूरंड शील्ड – विजेता की विशेष भेंट
तीसरी ट्रॉफी, जिसे आमतौर पर “शील्ड” कहा जाता है, फाइनल जीतने वाली टीम को विशेष रूप से भेंट की जाती है। यह ट्रॉफी खिलाड़ियों की मेहनत, टीम भावना और विजयी जज़्बे की प्रतीक मानी जाती है।

डूरंड कप की ये तीनों ट्रॉफियां केवल धातु की मूर्तियाँ नहीं, बल्कि भारतीय फुटबॉल की आत्मा से जुड़ी हुई प्रतीकात्मक धरोहरें हैं। वे हर उस खिलाड़ी और दर्शक के लिए प्रेरणा हैं जो इस खेल को अपने दिल से चाहते हैं। समय के साथ इन ट्रॉफियों का गौरव और भी बढ़ा है, और यह टूर्नामेंट आज भी भारतीय फुटबॉल संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है।

भारतीय सेना और सरकार का समर्पण

डूरंड कप का आयोजन भारतीय सेना द्वारा किया जाता है, जो इसके पीछे की मुख्य शक्ति है। सेना के सहयोग से यह आयोजन न केवल अनुशासित और भव्य रहता है, बल्कि यह सैनिक परंपराओं को भी खेलों से जोड़ने का कार्य करता है।

रक्षा मंत्रालय, खेल मंत्रालय और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) का भी इस आयोजन में पूरा समर्थन रहता है। यह समन्वय ही डूरंड कप को एक सफल और लोकप्रिय टूर्नामेंट बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *