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Drugs : नशीली दवाओं की बरामदगी भारत में नशे की समस्या आंकड़ों में सच्चाई, कार्रवाई में प्रतिबद्धता

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Correspondent: GT Express | 22.07.2025 | Ghar Tak Express |

भारत में नशे की समस्या केवल सामाजिक ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, युवाओं के भविष्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक गम्भीर संकट बन चुकी है। हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रस्तुत 2022 तक के आंकड़ों ने यह स्पष्ट किया है कि देश में नशीली दवाओं की जब्ती और इस संदर्भ में पंजीकृत मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 से 2022 के बीच जब्ती और गिरफ्तारी में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है, जिससे यह सिद्ध होता है कि यह समस्या न केवल बनी हुई है, बल्कि और भी जटिल होती जा रही है।

एनसीबी द्वारा 2020 से मई 2025 तक 116 बड़े ड्रग मामलों की जांच की गई, जिनमें कुल 1,09,318 किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किए गए। ये जब्तियां केवल मात्रा में बड़ी नहीं थीं, बल्कि इनके तार अंतरराष्ट्रीय गिरोहों से जुड़े हुए पाए गए। एनसीबी ने आपूर्तिकर्ताओं, वाहकों और प्राप्तकर्ताओं की धरपकड़ के साथ-साथ ड्रग माफिया की आर्थिक रीढ़ को तोड़ने के लिए वित्तीय जांच भी की। ड्रग्स से संबंधित अपराधों में बार-बार संलिप्त व्यक्तियों पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 68 के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की गई है।

देश में मादक पदार्थों के उपयोग की व्यापकता को लेकर 2019 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एम्स, नई दिल्ली के तहत एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण कराया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 2.9 करोड़ वयस्क कैनबिस का, 1.9 करोड़ नशीली औषधियों का और 1.1 करोड़ शामक दवाओं का सेवन करते हैं। चौंकाने वाली बात यह रही कि 10–17 वर्ष के किशोरों में भी नशे का प्रचलन बढ़ रहा है, जिससे देश का भविष्य खतरे में है।

इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा व्यापक बहुआयामी रणनीति अपनाई गई है। एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत कड़ी सजा का प्रावधान, एनसीओआरडी जैसी संस्थाएं, एएनटीएफ की स्थापना, संयुक्त समन्वय समिति और बंदरगाहों पर इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग जैसी तकनीकी पहल सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। वहीं नशामुक्त भारत अभियान (एनएमबीए), नशा विरोधी हेल्पलाइन (14446 और 1933), और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना से पीड़ितों को सहायता प्रदान की जा रही है।

एनसीआरबी के अनुलग्नक-I के अनुसार, वर्ष 2022 में देश में कुल 20.80 लाख किलोग्राम मादक पदार्थ, 1.75 करोड़ से अधिक गोलियां/टेबलेट और 46 लाख लीटर से अधिक तरल मादक पदार्थ जब्त किए गए। अकेले उत्तर प्रदेश में 10.5 लाख किलोग्राम से अधिक ड्रग्स पकड़े गए, जो देश में सर्वाधिक है। वहीं पंजाब, राजस्थान, असम, त्रिपुरा और ओडिशा जैसे राज्यों में भी बड़ी मात्रा में जब्ती हुई है। दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे केंद्रशासित प्रदेशों में भी उल्लेखनीय आंकड़े सामने आए हैं।

एनसीआरबी के अनुलग्नक-II में दर्ज आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2018 में जहां कुल 63,137 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2022 में यह संख्या 1,15,236 तक पहुंच गई। केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, और राजस्थान जैसे राज्य शीर्ष पर हैं। यह बढ़ोत्तरी केवल बढ़ते अपराध का संकेत नहीं देती, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्रवर्तन एजेंसियां अब पहले से अधिक सक्रिय और सक्षम हो रही हैं।

इस मुहिम में सरकार द्वारा उठाए गए अतिरिक्त कदमों में नौसेना, तटरक्षक बल, रेलवे सुरक्षा बल और सीमा सुरक्षा बल को भी ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए सशक्त बनाया गया है। एनसीबी नियमित रूप से विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचना साझाकरण कर अंतर्राष्ट्रीय गिरोहों पर लगाम लगाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए म्यांमार, बांग्लादेश, ईरान जैसे देशों से सहयोग समझौते भी किए गए हैं।

सरकार छात्रों, शिक्षकों, और अभिभावकों को इस विषय में संवेदनशील बनाने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT), केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) जैसी संस्थाओं के माध्यम से कार्यशालाएं और प्रशिक्षण सत्र चला रही है। इसके साथ ही 10,000 से अधिक मास्टर स्वयंसेवकों के माध्यम से जमीनी स्तर पर जागरूकता फैलाई जा रही है, जिससे यह मुहिम अब एक सामाजिक जनआंदोलन का रूप ले रही है।

भारत सरकार द्वारा नशीली दवाओं की समस्या से निपटने के लिए लागू किया गया एनडीपीएस अधिनियम, 1985 (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985) एक सख्त कानून है, जिसके तहत मादक पदार्थों के उत्पादन, निर्माण, कब्जा, बिक्री, खरीद और तस्करी पर कड़ी सजा का प्रावधान है। इसमें आजीवन कारावास और भारी जुर्माने तक की सजा दी जा सकती है।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) देश की प्रमुख नोडल एजेंसी है जो मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों की जांच, निगरानी और समन्वय करती है। यह संस्था केंद्र व राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर ड्रग्स के स्रोत, आपूर्ति चैन और अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क को ट्रैक करती है।

दो प्रमुख हेल्पलाइन संचालित हैं:
14446मदद चाहने वालों के लिए टोल-फ्री नंबर, जो व्यसन पीड़ितों को परामर्श और सहायता प्रदान करता है।
1933सूचना देने हेतु ड्रग्स विरोधी हेल्पलाइन, जिस पर आम नागरिक मादक पदार्थों की गतिविधियों की गुप्त जानकारी दे सकते हैं।

सरकार द्वारा वित्तपोषित विभिन्न पुनर्वास और उपचार केंद्रों की स्थापना की गई है:
352 एकीकृत पुनर्वास केंद्र (IRCA) – व्यसनों से पीड़ित लोगों को दीर्घकालीन पुनर्वास सेवाएं।
46 सीपीएलआई केंद्र (Community Peer Led Intervention) – सामुदायिक स्तर पर युवाओं को नशे से रोकने के लिए।
148 व्यसन उपचार केंद्र (ATF) – अस्पतालों से जुड़े औषधीय उपचार केंद्र।
138 जिला नशामुक्ति केंद्र (DDAC) – ज़िला स्तर पर सहायता प्रदान करने के लिए।

नशामुक्त भारत अभियान (NMBA) का उद्देश्य है जन-जागरूकता के माध्यम से नशीली दवाओं के प्रयोग को हतोत्साहित करना। अब तक 16.49 करोड़ से अधिक लोगों तक इस अभियान की पहुंच हो चुकी है, जिसमें 5.51 करोड़ युवा, 3.43 करोड़ महिलाएं और अन्य नागरिक शामिल हैं।

अभियान की रीढ़ 10,000 से अधिक प्रशिक्षित मास्टर वॉलंटियर्स हैं, जो गाँव-गाँव, स्कूलों, कॉलेजों और शहरी बस्तियों में जाकर नशे के दुष्परिणामों पर कार्यशालाएं, संवाद सत्र और नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से जागरूकता फैलाते हैं।

मादक पदार्थों की तस्करी एक वैश्विक चुनौती है, इसलिए भारत सरकार ने म्यांमार, बांग्लादेश, ईरान, नेपाल आदि देशों के साथ समझौता ज्ञापनों और समन्वय बैठकें की हैं। NCB इन देशों के साथ सूचना साझा करता है, संयुक्त ऑपरेशन संचालित करता है, और ट्रांसनेशनल नेटवर्क को नष्ट करने में सहयोग करता है।

Source : PIB

1. नशामुक्त भारत अभियान (NMBA) क्या है?

उत्तर: यह एक राष्ट्रीय जन-जागरूकता कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य नशीली दवाओं के सेवन को रोकना और युवाओं को इसके दुष्परिणामों से अवगत कराना है। यह 2020 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।

2. इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

उत्तर:

  • नशीली दवाओं के सेवन को रोकना

  • लोगों में जागरूकता फैलाना

  • पुनर्वास सेवाओं को मजबूत करना

  • युवाओं को सशक्त बनाना

  • समाज को नशामुक्त बनाना

3. भारत में ड्रग्स से जुड़ी प्रमुख कानूनी व्यवस्था क्या है?

उत्तर: एनडीपीएस अधिनियम, 1985 (NDPS Act) भारत में मादक पदार्थों से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया प्रमुख कानून है। इसके तहत कठोर सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है।

4. एनसीबी (NCB) क्या है और इसका क्या कार्य है?

उत्तर: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) एक केंद्रीय एजेंसी है जो ड्रग्स से संबंधित अपराधों की जाँच, रोकथाम और नियंत्रण करती है। यह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है।

5. अगर कोई व्यक्ति नशे की लत से पीड़ित है तो वह कहाँ संपर्क करे?

उत्तर:

  • हेल्पलाइन 14446: परामर्श और सहायता के लिए

  • हेल्पलाइन 1933: ड्रग्स से जुड़ी गोपनीय जानकारी देने के लिए

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