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चेन्नई में DRI की बड़ी कार्रवाई: 18.2 करोड़ की विदेशी सिगरेट व 15 करोड़ का सोना जब्त

देश

🔍 डीआरआई की सटीक कार्रवाई

चेन्नई में राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence – DRI) ने एक बड़ी तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है। यह कार्रवाई हाल ही में चेन्नई हवाई अड्डे और कुछ निजी परिसरों में एक साथ की गई, जिसमें करोड़ों रुपये की तस्करी की गई विदेशी वस्तुएं बरामद की गईं। डीआरआई की इस छापेमारी से अंतरराष्ट्रीय तस्करों के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है जो विदेशों से महंगी वस्तुएं भारत में अवैध तरीके से ला रहे थे।


📦 क्या-क्या हुआ जब्त?

डीआरआई अधिकारियों ने बताया कि इस छापेमारी के दौरान 12 किलो से अधिक सोना, बड़ी मात्रा में विदेशी सिगरेट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, स्मार्टफोन, लैपटॉप, विदेशी ब्रांडेड घड़ियां, लग्जरी परफ्यूम और विदेशी मुद्रा जब्त की गई। जब्त किए गए सामान की कुल कीमत 15 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।


🌍 कैसे काम करता था यह तस्करी गिरोह?

जांच में पता चला है कि यह गिरोह खाड़ी देशों से भारत में तस्करी कर रहा था। मुख्य रूप से दुबई, सिंगापुर और मलेशिया से फ्लाइट्स के जरिए तस्करी की जा रही थी। तस्करी के लिए ये लोग ‘कैरियर’ नाम के व्यक्तियों का इस्तेमाल करते थे, जो सामान्य यात्रियों की तरह यात्रा करते थे और अपने सामान में सोना या अन्य महंगे उत्पाद छिपा कर लाते थे। कैरियर को इसके बदले मोटी रकम दी जाती थी।


🧠 तकनीक का इस्तेमाल

इस गिरोह ने तस्करी में तकनीक का भी इस्तेमाल किया। वे एयरपोर्ट सुरक्षा और स्कैनर सिस्टम की जानकारी के आधार पर सोने को ऐसे छिपाते थे कि वह आसानी से पकड़ा न जाए। डीआरआई की टीम ने सीसीटीवी फुटेज, एयरपोर्ट इंटेलिजेंस और कई हफ्तों की निगरानी के बाद इनकी गतिविधियों को ट्रैक किया।


🚔 गिरफ्तारियां और आगे की जांच

इस कार्रवाई में डीआरआई ने अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें मुख्य सरगना भी शामिल है। सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। डीआरआई की टीम अब यह जांच कर रही है कि इस नेटवर्क के तार देश के किन-किन शहरों से जुड़े हैं और इसमें कोई एयरपोर्ट अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल है या नहीं।


📢 अधिकारियों का बयान

डीआरआई के वरिष्ठ अधिकारी ने प्रेस को बताया, “यह कार्रवाई हमारी अब तक की सबसे बड़ी संयुक्त छापेमारी में से एक है। तस्करी के खिलाफ हमारी लड़ाई लगातार जारी है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”


भारत सरकार के राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) ने एक बार फिर अवैध तस्करी के विरुद्ध बड़ी सफलता हासिल की है। 23 जून 2025 को, डीआरआई की चेन्नई जोनल यूनिट ने एक विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर 92.1 लाख विदेशी सिगरेट जब्त कीं, जिनकी कुल कीमत लगभग 18.2 करोड़ रुपये आँकी गई है। यह कार्रवाई चेन्नई स्थित जे-माताडी एफटीडब्ल्यूजेड (Free Trade Warehousing Zone) में की गई।


बाथरूम फिटिंग्स के नाम पर सिगरेट की तस्करी

डीआरआई अधिकारियों को जानकारी मिली थी कि दुबई से भारत में “बाथरूम और सैनिटरी फिटिंग्स” के नाम पर विदेशी सिगरेटों की तस्करी की जा रही है। इस सूचना के आधार पर एक संदिग्ध कंटेनर को पकड़ा गया, जिसे जे-माताडी एफटीडब्ल्यूजेड भेजा जा रहा था। जब कंटेनर की जांच की गई तो उसमें घोषित सामान की बजाय विदेशी मूल की लाखों सिगरेटें पाई गईं।


अवैध रूप से आयात की गई सिगरेट के ब्रांड

कंटेनर से जो सिगरेटें बरामद की गईं, वे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स की थीं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • Manchester United Kingdom

  • Manchester United Kingdom – Special Edition

  • MAC Ice Superslims Cool Blast

इन सभी सिगरेटों की पैकेजिंग पर COTPA 2003 (Cigarettes and Other Tobacco Products Act) के तहत अनिवार्य स्वास्थ्य चेतावनियाँ नहीं थीं। न ही इन पर भारत में बिक्री हेतु किसी प्रकार की वैध मार्किंग अथवा लेबलिंग थी। इससे स्पष्ट है कि यह पूरी खेप गैरकानूनी और तस्करी के माध्यम से भारत लाई गई थी।


कानून का उल्लंघन और जब्ती

डीआरआई ने जब्त की गई सिगरेटों को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के अंतर्गत प्रतिबंधित वस्तु मानते हुए जब्त कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि यह तस्करी कस्टम कानून, स्वास्थ्य सुरक्षा नियमों और भारतीय व्यापार मानकों का घोर उल्लंघन है।

इन सिगरेटों में वैधानिक जानकारी जैसे – स्वास्थ्य चेतावनी, निकोटीन एवं टार का स्तर, निर्माण तिथि, निर्माता की जानकारी, और एमआरपी – का पूरी तरह से अभाव था, जो उन्हें भारतीय बाज़ार में बेचना गैरकानूनी बनाता है।


पहले भी हुई है बड़ी तस्करी

पिछले वर्ष 2024 में डीआरआई ने चेन्नई बंदरगाहों पर एक अन्य ऑपरेशन के दौरान 79.67 करोड़ रुपये मूल्य की 4.4 करोड़ से अधिक विदेशी सिगरेटों की तस्करी का भंडाफोड़ किया था। लगातार हो रही ऐसी तस्करी यह दर्शाती है कि भारत के बड़े बंदरगाह जैसे चेन्नई, कोलकाता और मुंबई, तंबाकू उत्पादों की अवैध तस्करी के लिए निशाने पर हैं।


राजस्व हानि और स्वास्थ्य खतरे

विदेशी सिगरेटों की तस्करी केवल आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और सरकार के राजस्व को भी भारी नुकसान पहुँचाती है। भारत सरकार को तंबाकू उत्पादों से मिलने वाले करों में यह तस्करी सीधा असर डालती है।

साथ ही, इन सिगरेटों की गुणवत्ता जांच नहीं होती, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। ये सिगरेटें अक्सर स्वास्थ्य चेतावनियों से रहित, रासायनिक मिलावट युक्त और मानव शरीर के लिए अत्यधिक हानिकारक होती हैं।


डीआरआई की जांच और आगे की कार्रवाई

डीआरआई ने बताया है कि इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है। तस्करी के इस नेटवर्क से जुड़े एजेंटों, फर्मों और अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं की पहचान की जा रही है। जल्द ही इस मामले में कई गिरफ्तारियां भी संभव हैं।

डीआरआई अधिकारियों का कहना है कि यह केवल एक कंटेनर की बरामदगी नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक संगठित अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट काम कर रहा है, जिसकी जड़ें भारत में फैली हो सकती हैं।


सरकार का सख्त रुख

भारत सरकार ने पहले ही अवैध तंबाकू व्यापार के खिलाफ सख्त कदम उठाने का संकल्प जताया है। स्वास्थ्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) मिलकर एक व्यापक योजना बना रहे हैं ताकि ऐसी तस्करी पर रोक लगाई जा सके और दोषियों को कठोर दंड दिया जा सके।


निष्कर्ष

चेन्नई में डीआरआई द्वारा की गई यह जब्ती तस्करी के खिलाफ सरकार की सख्त नीति और डीआरआई की सतर्कता का प्रमाण है। 92 लाख से अधिक विदेशी सिगरेटों की बरामदगी केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और क़ानून व्यवस्था की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब तंबाकू तस्करी और स्वास्थ्य से जुड़े अपराधों को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं करेगा। डीआरआई जैसे संस्थानों की तत्परता और कड़ी निगरानी भविष्य में भी ऐसे अपराधों पर नकेल कसने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

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