Correspondent: GT Express | 23.07.2025 | Ghar Tak Express |
भारत सरकार द्वारा संचालित और प्रसार भारती के अधीन कार्यरत डीडी फ्री डिश ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व विस्तार किया है। देश के सुदूर और सीमावर्ती इलाकों तक इसकी पहुँच न केवल डिजिटल समावेशन को साकार कर रही है, बल्कि सरकार की योजनाओं और जन जागरूकता अभियानों को आम जनता तक पहुँचाने में भी सहायक सिद्ध हो रही है।
ग्रामीण और सीमावर्ती भारत के लिए आशा की नई किरण
डीडी फ्री डिश, एक फ्री-टू-एयर डायरेक्ट-टू-होम (DTH) सेवा है, जिसे किसी मासिक शुल्क के बिना देखा जा सकता है। यह सेवा खासतौर पर उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जो दूरदराज़ और सीमावर्ती इलाकों में निवास करते हैं, जहाँ निजी डीटीएच सेवाओं की पहुँच या तो महंगी है या सीमित।
स्वच्छ भारत अभियान, जल जीवन मिशन, आयुष्मान भारत, डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों की जानकारी अब देश के कोने-कोने तक सहजता से पहुँच रही है।
दक्षिण भारत के लिए बढ़ी प्रतिनिधित्व की भूमिका
2025 में आयोजित ई-नीलामी के दौरान डीडी फ्री डिश ने दक्षिण भारतीय भाषाओं के चैनलों के लिए आरक्षित स्लॉट प्रदान किए। तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषाओं में प्रसारण करने वाले चैनलों के लिए यह एक सुनहरा अवसर बना, जिससे उन्हें देश भर के दर्शकों तक पहुँचने का मंच मिला।
इसका नतीजा यह हुआ कि अब दर्शकों को न केवल डीडी तमिल, डीडी सप्तगिरि, डीडी चंदना, डीडी यादगिरि और डीडी मलयालम जैसे दूरदर्शन के पारंपरिक क्षेत्रीय चैनल देखने को मिल रहे हैं, बल्कि निजी चैनल भी शामिल हो गए हैं।
निजी प्रसारकों को बढ़ावा और नई भागीदारी
सरकार द्वारा नीलामी के पात्रता मानदंडों में ढील देने से दक्षिण भारत के निजी प्रसारकों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस ढील से छोटे और मध्यम स्तर के चैनल भी अब डीडी फ्री डिश पर अपना स्थान बना पा रहे हैं।
1 अप्रैल 2025 से तीन प्रमुख निजी चैनल – टीवी9 तेलुगु, आस्था कन्नड़ और आस्था तेलुगु – को भी इस प्लेटफ़ॉर्म पर शामिल किया गया है। यह एक ऐतिहासिक पहल है, जिससे दक्षिण भारतीय भाषाओं की पहुंच भारत के उत्तर, पूर्व और पश्चिमी हिस्सों तक और प्रभावशाली हो गई है।
इन चैनलों के शामिल होने से न केवल भाषाई विविधता को बल मिला है, बल्कि सांस्कृतिक समन्वय और एकता को भी बढ़ावा मिला है।
शिक्षा और तकनीकी उन्नयन में डीडी फ्री डिश की भूमिका
डीडी फ्री डिश केवल मनोरंजन और सूचना का ही माध्यम नहीं है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में प्लेटफ़ॉर्म पर 27 शैक्षणिक चैनल उपलब्ध हैं, जो दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी शिक्षा सामग्री प्रदान करते हैं।
सरकार द्वारा डीडी के क्षेत्रीय चैनलों को तकनीकी रूप से उन्नत करने और उनकी दृश्यता बढ़ाने के लिए विपणन, ब्रांडिंग और डिजिटल रणनीतियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि दर्शक उच्च गुणवत्ता की सामग्री और स्पष्ट सिग्नल का अनुभव कर सकें।
49 मिलियन घरों तक पहुँच (2024 तक)
वर्तमान में डीडी फ्री डिश की पहुँच देश के लगभग 49 मिलियन यानी 4.9 करोड़ घरों तक हो चुकी है। यह आँकड़ा न केवल भारत की विशाल जनसंख्या तक सूचना पहुँचाने की क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि फ्री-टू-एयर सेवाओं की मांग देश में तेजी से बढ़ रही है। इन घरों में डीडी फ्री डिश का उपयोग मुख्य रूप से ग्रामीण, आदिवासी, सीमावर्ती और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवार करते हैं, जो प्राइवेट डीटीएच सेवाओं की लागत वहन नहीं कर सकते।
33 मिलियन (2018) से 49 मिलियन तक की वृद्धि
वर्ष 2018 में यह संख्या लगभग 33 मिलियन थी, जो कुछ ही वर्षों में 49 मिलियन तक पहुँच गई। यह लगभग 48% की वृद्धि को दर्शाता है, जो डीडी फ्री डिश की लोकप्रियता और प्रसार भारती द्वारा उठाए गए प्रभावी कदमों का प्रमाण है। इस तेजी से बढ़ती पहुँच के पीछे बेहतर तकनीकी सुविधाएँ, सरल सेट-टॉप बॉक्स उपलब्धता, और दूरदर्शन के चैनलों की व्यापक सामग्री रणनीति अहम कारक हैं।
27 शैक्षणिक चैनल, जिनमें कई दक्षिण भारतीय भाषाओं में
डीडी फ्री डिश केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह शिक्षा का भी एक सशक्त मंच बन चुका है। प्लेटफ़ॉर्म पर 27 शैक्षणिक चैनल उपलब्ध हैं, जिनमें से कई चैनल दक्षिण भारतीय भाषाओं — तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम — में भी सामग्री प्रस्तुत करते हैं।
इन चैनलों के माध्यम से विद्यार्थी कक्षा 6 से 12 तक के विषय, उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, और डिजिटल साक्षरता से जुड़े कार्यक्रमों का लाभ उठा सकते हैं। यह पहल ग्रामीण और भाषाई विविधता वाले क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है।
टीवी9 तेलुगु, आस्था कन्नड़ और आस्था तेलुगु शामिल
सरकार ने डीडी फ्री डिश को और अधिक भाषाई प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2025 से तीन नए दक्षिण भारतीय भाषाओं के निजी चैनल प्लेटफ़ॉर्म में शामिल किए हैं:
टीवी9 तेलुगु – प्रमुख समाचार चैनल, जो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अत्यधिक लोकप्रिय है।
आस्था कन्नड़ – धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रमों का कन्नड़ भाषा में प्रसारण करता है।
आस्था तेलुगु – तेलुगु भाषा में आध्यात्मिक व सांस्कृतिक सामग्री प्रस्तुत करता है।
इन चैनलों के जुड़ने से डीडी फ्री डिश पर दक्षिण भारत के दर्शकों की भागीदारी और जुड़ाव में वृद्धि हुई है।
डीडी के क्षेत्रीय चैनल: डीडी तमिल, डीडी सप्तगिरि, डीडी चंदना, डीडी यादगिरि और डीडी मलयालम
डीडी फ्री डिश पर दूरदर्शन के क्षेत्रीय चैनल पहले से ही उपलब्ध हैं और इनकी भूमिका लगातार सशक्त हो रही है:
डीडी तमिल – तमिलनाडु के दर्शकों के लिए
डीडी सप्तगिरि – आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए
डीडी चंदना – कर्नाटक के दर्शकों हेतु
डीडी यादगिरि – तेलुगु भाषा में वैकल्पिक सामग्री
डीडी मलयालम – केरल के दर्शकों के लिए
इन चैनलों को तकनीकी रूप से उन्नत किया जा रहा है, साथ ही इनकी दृश्यता को बढ़ाने हेतु प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है, ताकि अधिकतम लोग इनसे लाभान्वित हो सकें।
ई-नीलामी 2025 में दक्षिण भारत के चैनलों को विशेष स्लॉट
2025 में आयोजित हुई ई-नीलामी में सरकार ने दक्षिण भारतीय भाषाओं के चैनलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष स्लॉट आरक्षित किए। यह एक दूरदर्शी कदम था, जिसके माध्यम से क्षेत्रीय और भाषाई विविधता वाले चैनलों को डीडी फ्री डिश जैसे राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर स्थान मिला। इससे निजी प्रसारकों में भागीदारी की भावना बढ़ी और दर्शकों को उनकी मातृभाषा में गुणवत्तापूर्ण कंटेंट देखने का अवसर मिला।
प्रसार भारती द्वारा संचालित, मासिक शुल्क नहीं
डीडी फ्री डिश का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि यह प्रसार भारती के अधीन एक फ्री-टू-एयर सेवा है, यानी इसके लिए किसी मासिक सब्सक्रिप्शन शुल्क की आवश्यकता नहीं होती।
केवल एक बार सेट-टॉप बॉक्स और डिश एंटीना की लागत वहन करने के बाद, उपभोक्ता को लगातार दर्जनों चैनल बिल्कुल मुफ्त में उपलब्ध रहते हैं। यह खासतौर पर ग्रामीण भारत और निम्न आय वर्ग के लिए एक अत्यंत लाभकारी माध्यम है।
Source : PIB
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