Correspondent: GT Express | 19.07.2025 | Ghar Tak Express |
राजस्व असूचना निदेशालय (डीआरआई), बेंगलुरु की क्षेत्रीय इकाई ने 18 जुलाई 2025 की सुबह एक बड़ी सफलता हासिल की जब खुफिया जानकारी के आधार पर उन्होंने बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दोहा से आए एक भारतीय पुरुष यात्री को हिरासत में लिया। यह कार्रवाई उस वक्त हुई जब यात्री देश की सीमा में प्रवेश कर चुका था, लेकिन अधिकारियों की सतर्क निगाहों ने उसकी गतिविधियों में असमान्यता को भांप लिया।
कॉमिक्स के कवर में छुपाई गई 4 किलो कोकीन
पूरी तलाशी प्रक्रिया के दौरान यात्री के सामान की विशेष रूप से जांच की गई। उसमें दो सुपरहीरो कॉमिक्स/पत्रिकाएं मिलीं, जो सामान्य से काफी भारी थीं। डीआरआई अधिकारियों को इन पत्रिकाओं की बनावट और वजन पर संदेह हुआ। जब उन्होंने पत्रिकाओं के कवर की गहराई से जांच की, तो उनके भीतर से सफेद रंग का पाउडर बरामद हुआ। रासायनिक परीक्षण में इस पाउडर को कोकीन के रूप में पहचाना गया, जिसका कुल वजन 4,006 ग्राम (अर्थात् 4 किलोग्राम से अधिक) था। इस कोकीन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत लगभग ₹40 करोड़ रुपये आंकी गई है।
एनडीपीएस अधिनियम के तहत गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत
बरामद कोकीन को एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत तुरंत जब्त कर लिया गया और आरोपी यात्री को उसी दिन कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। उसे 18 जुलाई को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहाँ से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अधिकारियों का मानना है कि यह तस्करी अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा हो सकती है और इसके पीछे संगठित तस्करी गिरोह का हाथ हो सकता है।
गुप्त तंत्र की सक्रियता और सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता
इस कार्रवाई ने फिर एक बार यह सिद्ध कर दिया है कि देश की सीमाओं पर तैनात खुफिया एजेंसियां और जांच इकाइयाँ कितनी सतर्क और तकनीकी रूप से दक्ष हैं। डीआरआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि उन्हें पहले से गुप्त सूचना मिली थी कि एक भारतीय यात्री दोहा से ड्रग्स की खेप के साथ भारत पहुंचने वाला है। इसी सूचना के आधार पर बेंगलुरु हवाई अड्डे पर निगरानी बढ़ाई गई थी। यात्री की प्रोफाइलिंग, सामान की स्कैनिंग और संदिग्ध व्यवहार पर तुरंत कार्रवाई की गई, जिससे यह सफलता हासिल हुई।
ड्रग्स तस्करी के बदलते तौर-तरीके
आजकल ड्रग्स की तस्करी पारंपरिक माध्यमों से हटकर अधिक चतुर और तकनीकी हो गई है। पुस्तकें, खिलौने, पेंटिंग्स, खाद्य सामग्री और अब कॉमिक्स जैसे “निर्दोष” दिखने वाले सामान भी तस्करी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि तस्कर सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करने के लिए लगातार नए रास्ते तलाश रहे हैं।
बेंगलुरु की घटना इस बात का उदाहरण है कि तस्कर अब मनोरंजन सामग्री को भी मादक पदार्थों की तस्करी के लिए माध्यम बना रहे हैं। यही कारण है कि सुरक्षा एजेंसियां अब हर वस्तु को संदिग्ध दृष्टि से जांचने लगी हैं, चाहे वह दिखने में कितनी भी आम क्यों न हो।
डीआरआई की प्रेस विज्ञप्ति का अंश
“इस केस में हमने सुपरहीरो कॉमिक्स जैसी आम वस्तु के भीतर कोकीन छिपाने की एक अत्यंत परिष्कृत तकनीक को बेनकाब किया है। यात्री का पासपोर्ट, यात्रा इतिहास और संचार रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह किसी अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह से जुड़ा है या नहीं।”
तकनीक और मानव खुफिया का मेल
डीआरआई अधिकारियों के अनुसार, भविष्य में ऐसी तस्करी को रोकने के लिए एयरपोर्ट्स पर AI आधारित स्कैनिंग सिस्टम, माइक्रो-वेट एनालिसिस, और संदिग्ध प्रोफाइलिंग एल्गोरिद्म को तेज़ी से लागू किया जाएगा। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगरानी और सूचना आदान-प्रदान को भी अधिक सुदृढ़ बनाया जाएगा।
राजस्व असूचना निदेशालय ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की जानकारी तुरंत संबंधित एजेंसियों को दें। खासकर विदेश यात्रा करने वाले यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे दूसरों का सामान बिना जांच के न ले जाएं और किसी भी संदिग्ध अनुरोध से सावधान रहें।
एनडीपीएस (NDPS) अधिनियम, 1985 भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक विशेष कानून है जिसका मुख्य उद्देश्य नशे के लिए इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स और नशीले पदार्थों की तस्करी, उत्पादन, खरीद-बिक्री, उपयोग और भंडारण को कानूनी रूप से रोकना है।
इस कानून के तहत भारत में अवैध रूप से चल रहे ड्रग्स व्यापार पर कड़ा नियंत्रण किया जाता है ताकि समाज को खासकर युवाओं को नशे की गिरफ्त में जाने से रोका जा सके। यह अधिनियम देश की सार्वजनिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
एनडीपीएस अधिनियम को लागू करने और इसके तहत कार्रवाई करने के लिए भारत सरकार ने कई केंद्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों को जिम्मेदारी दी है:
डीआरआई (DRI – Directorate of Revenue Intelligence): अंतर्राष्ट्रीय तस्करी और सीमा पार ड्रग्स ले जाने वाले मामलों में प्रमुख भूमिका निभाता है।
राज्य पुलिस बल: हर राज्य में नारकोटिक्स विंग होती है जो स्थानीय स्तर पर ड्रग्स से संबंधित अपराधों को रोकती है।
इसके अलावा, सीमा शुल्क (Customs), सीबीआई, ईडी (ED) और अन्य एजेंसियाँ भी इस काम में सहयोग करती हैं।
एनडीपीएस अधिनियम के तहत सज़ा का निर्धारण ड्रग्स की मात्रा और अपराध की गंभीरता के आधार पर किया जाता है:
यदि कोई व्यक्ति पहले भी यही अपराध कर चुका है, तो दोहरे अपराध पर सजा और भी कठोर हो सकती है।
न्यायालय चाहे तो दोषी की संपत्ति जब्त करने का आदेश भी दे सकता है।
ड्रग्स की तस्करी एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए संचालित होती है। इसे रोकने के लिए भारत सरकार ने कई अंतरराष्ट्रीय समझौते और संस्थाओं से सहयोग लिया है:
भारत संयुक्त राष्ट्र (UN) की तीन प्रमुख संधियों का हिस्सा है जो ड्रग्स नियंत्रण के लिए बनाई गई हैं।
INTERPOL के ज़रिए दुनिया भर में ड्रग्स से जुड़े अपराधियों पर नजर रखी जाती है।
भारत ने अनेक देशों के साथ प्रत्यर्पण (Extradition) और कानूनी सहयोग (Legal Assistance) समझौते किए हैं ताकि ड्रग्स से जुड़े अपराधियों को पकड़ा जा सके और सजा दी जा सके।
एनडीपीएस अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सरकार और एजेंसियों ने तकनीक और निगरानी व्यवस्था को काफी मजबूत किया है:
एयरपोर्ट, सीमाएं और बंदरगाहों पर हाई-टेक स्कैनर, एक्स-रे मशीन, बॉडी स्कैनर और स्निफर डॉग्स का उपयोग किया जाता है।
अब AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और डाटा एनालिटिक्स के माध्यम से संदिग्ध यात्रियों की पहचान की जाती है।
यात्रियों की गतिविधियों, यात्रा इतिहास और प्रोफाइल की जांच करके उन्हें जोखिम के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
केंद्र और राज्य सरकारें नारकोटिक्स अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग और आधुनिक उपकरण देती हैं ताकि वे ड्रग्स की पहचान और पकड़ जल्दी कर सकें।
Source : PIB
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