चंद्रयान

भारत का बेटा चंद्रयान मिशन की सफलता पर शुक्ला परिवार में उल्लास

देश ताज़ा ख़बरें

Correspondent: GT Express | 14.07.2025 | Ghar Tak Express |

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। चंद्रयान-एक्स मिशन के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अनुसंधान कार्यों को सफलतापूर्वक संपन्न कर चुके भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की भारत वापसी को लेकर उनके परिवार में विशेष उत्साह और गौरव का वातावरण है। शुभांशु 15 जुलाई को आईएसएस से पृथ्वी पर लौटेंगे, और उनका स्प्लैशडाउन भारतीय समयानुसार शाम 7:45 बजे प्रशांत महासागर में तय किया गया है।

इस ऐतिहासिक क्षण को लेकर जहां पूरा देश गर्व से रोमांचित है, वहीं लखनऊ के गोमतीनगर में स्थित शुक्ला परिवार के घर में इस सफलता को धार्मिक आस्था और भावनात्मक उमंगों के साथ मनाया जा रहा है। परिवार ने सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और बेटे की सकुशल वापसी के लिए प्रार्थना की।

सावन के पहले सोमवार की विशेष पूजा

परिवार के मुखिया, सेवानिवृत्त शिक्षक श्री शंभु दयाल शुक्ला ने भावुक होकर बताया, “आज सावन का पहला सोमवार था। हमने मंदिर जाकर भगवान शिव का अभिषेक किया और फिर घर पर भी विशेष पूजा की। भोलेनाथ की कृपा से शुभांशु ने अंतरिक्ष में जो भी लक्ष्य तय किए थे, उन्हें पूरा किया है। हमें भरोसा है कि भगवान शिव की कृपा और पूरे देश की दुआओं से वह सुरक्षित लौटेंगे।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्पेस फॉर इंडिया’ विजन के बिना यह असंभव था। “मैं प्रधानमंत्री को कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने भारतीय युवाओं को विश्वस्तरीय मंच उपलब्ध कराया,” उन्होंने कहा।

मां की ममता और राष्ट्रगौरव

शुभांशु की मां, श्रीमती आशा शुक्ला, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने बेटे की उपलब्धि पर आंखों में खुशी के आंसू लिए कहा, “घर में उत्सव का माहौल है। मैंने सुबह ही शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया और बेटे की रक्षा के लिए विशेष व्रत रखा। मैं हर पल ईश्वर से प्रार्थना कर रही हूं कि वह सकुशल लौटे।”

उन्होंने आगे कहा, “हिंदुस्तान पहले से ही महान है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह और ऊंचाइयों तक पहुंच रहा है। यह मिशन न केवल विज्ञान की सफलता है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से भी जुड़ा है।”

बहन का आत्मिक उत्साह और तकनीकी समझ

शुभांशु की बहन, शुचि मिश्रा, जो लखनऊ विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग की सहायक प्रोफेसर हैं, ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पारिवारिक भावनाओं का संतुलन दर्शाते हुए कहा, “हम सभी बेहद उत्साहित हैं, लेकिन थोड़ा घबराए हुए भी हैं। यह मिशन का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण है — पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी।”

उन्होंने बताया कि परिवार ने सावन सोमवार के दिन विशेष पूजा के साथ ही क्षेत्रीय शिव मंदिर में 108 बेलपत्र चढ़ाए और ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का सामूहिक जाप कराया। “शुभांशु ने मिशन के सभी वैज्ञानिक उद्देश्य पूरे किए, लेकिन वह कुछ और समय अंतरिक्ष में रहकर अनुसंधान करना चाहते थे। उनकी यह प्रतिबद्धता हमें और भी गर्वित करती है।”

प्रधानमंत्री की प्रेरणा और भारत का अंतरिक्ष युग

शुचि मिश्रा ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति 2023 में किए गए सुधारों का ही परिणाम है कि भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है। “शुभांशु के लिए प्रधानमंत्री खुद एक प्रेरणा स्रोत रहे हैं। उनके भाषणों, योजनाओं और इसरो के प्रति समर्थन ने उसे हमेशा प्रेरित किया,” उन्होंने कहा।

उन्होंने गर्व से कहा, “अंतरिक्ष से जब शुभांशु ने भारत की रात में जलती रोशनियों को देखा, तो उन्होंने कहा — ‘यह केवल रोशनी नहीं, यह देश की ऊर्जा है।’

शुभांशु शुक्ला
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का नाम आज भारत के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है। वे उन चुनिंदा वैज्ञानिकों और यात्रियों में शामिल हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में जाकर देश के लिए अग्रणी भूमिका निभाई। उनका नाम आज भारत के युवाओं के लिए विज्ञान, समर्पण और देशभक्ति का प्रतीक बन चुका है।

लखनऊ, उत्तर प्रदेश
शुभांशु का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक शिक्षित और संस्कारी परिवार में हुआ। उनके पिता शंभु दयाल शुक्ला एक सेवानिवृत्त विज्ञान शिक्षक हैं और माता आशा शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के प्रतिष्ठित विद्यालय से प्राप्त की और फिर आगे की पढ़ाई इंजीनियरिंग तथा एयरोस्पेस विषय में की।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
शुभांशु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने ISRO द्वारा चयनित अंतरिक्ष यात्रियों की उस प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया, जिसे ‘गगनयान एक्सटेंशन प्रोग्राम’ के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय मिशनों के लिए तैयार किया गया था। उन्होंने न केवल तकनीकी दक्षता प्रदर्शित की, बल्कि अपने नेतृत्व और वैज्ञानिक सोच से मिशन में केंद्रीय भूमिका निभाई।

चंद्रयान-X — पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा तक जैव-प्रयोग आधारित अनुसंधान
चंद्रयान-X भारत का अब तक का सबसे जटिल और महत्वाकांक्षी मानवयुक्त अनुसंधान मिशन था, जिसमें अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के माध्यम से चंद्र कक्षा तक पहुंचाकर जैव-प्रयोग और ग्रह-निगरानी से संबंधित कार्य सौंपे गए थे। शुभांशु शुक्ला ने मिशन में कई क्रांतिकारी प्रयोगों को संपन्न किया, जैसे कि:

जीवाणु और कोशिकाओं पर शून्य गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव

मानव स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली ‘मेडिट्रैक’ का संचालन

चंद्रमा की सतह से प्राप्त सूक्ष्म तत्वों की प्राथमिक जांच

भारतीय चंद्र रोवर ‘प्रज्ञान 3.0’ का कक्षा से रिमोट नियंत्रण

इस मिशन की सफलता भारत को वैश्विक अंतरिक्ष स्वास्थ्य और जैवविज्ञान अनुसंधान में अग्रणी स्थान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

रूस, फ्रांस और भारत में कुल 30 महीने का कठोर प्रशिक्षण
शुभांशु को मिशन के लिए विशिष्ट रूप से तैयार किया गया था। उन्हें रूस के स्टार सिटी में अंतरिक्ष यान नियंत्रण और सिम्युलेशन, फ्रांस में जीवन समर्थन प्रणाली तथा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन संचालन और भारत के बेंगलुरु स्थित इसरो केंद्र में भारतीय यंत्रों, रोवर नियंत्रण और हिंदी में निर्देशों के अभ्यास का कठोर प्रशिक्षण दिया गया। कुल 30 महीनों के इस व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्होंने अंतरिक्ष चिकित्सा, माइक्रोग्रैविटी में प्रतिक्रिया, मानसिक सहनशीलता, और अंतरिक्ष कूटनीति जैसी महत्वपूर्ण विषयों में दक्षता प्राप्त की।

▪कुल समय अंतरिक्ष में: 78 दिन
इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला ने कुल 78 दिन अंतरिक्ष में बिताए। यह अवधि न केवल उनकी शारीरिक सहनशीलता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अब लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों में भी आत्मनिर्भर हो चुका है। उन्होंने ISS से लेकर चंद्रमा की कक्षा तक यात्रा कर वैज्ञानिक उद्देश्यों को समय से पूरा किया।

 अंतरिक्ष जैवविज्ञान, पृथ्वी-निरीक्षण, और भारतीय चंद्र रोवर नियंत्रण
शुभांशु का प्रमुख योगदान तीन क्षेत्रों में रहा:

अंतरिक्ष जैवविज्ञान:
उन्होंने अंतरिक्ष में मानव कोशिकाओं पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का अध्ययन किया और इसके आधार पर पृथ्वी पर कैंसर, तंत्रिका विकारों और प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित शोधों में मददगार डेटा एकत्रित किया।

पृथ्वी-निरीक्षण:
शुभांशु ने उन्नत कैमरों और सेंसरों के माध्यम से दक्षिण एशिया की पारिस्थितिकी, वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन के संकेतों का विश्लेषण किया।

भारतीय चंद्र रोवर नियंत्रण:
ISRO द्वारा भेजे गए ‘प्रज्ञान 3.0’ रोवर को उन्होंने चंद्र कक्षा से नियंत्रित किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत अब कक्षा से चंद्रमा पर रिमोट मिशन संचालन में भी दक्ष है।

Source : DD News

1 thought on “भारत का बेटा चंद्रयान मिशन की सफलता पर शुक्ला परिवार में उल्लास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *