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भारत कैबिनेट ने दी 1 लाख करोड़ की अनुसंधान व नवाचार योजना को मंजूरी

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भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 1 लाख करोड़ रुपये की ‘अनुसंधान, विकास और नवाचार योजना (RDI स्कीम)’ को मंजूरी दे दी है। इस योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र को वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी विकास और नवाचार गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

यह योजना भारत को एक आत्मनिर्भर और नवोन्मेषी राष्ट्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसका उद्देश्य देश को वैश्विक तकनीकी महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है, जहां उच्च तकनीकी शोध, नवाचार और उद्योगों में तकनीकी क्रांति को बढ़ावा मिले।


🔷 योजना की मुख्य विशेषताएं

  1. योजना की कुल राशि:
    केंद्र सरकार इस योजना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन करेगी। यह फंड अगले कुछ वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

  2. निजी क्षेत्र को बढ़ावा:
    यह पहली बार है कि सरकार इस पैमाने पर निजी क्षेत्र को अनुसंधान और नवाचार के लिए सीधे वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इसका उद्देश्य निजी कंपनियों, स्टार्टअप्स और औद्योगिक संस्थानों को प्रोत्साहन देना है।

  3. फोकस सेक्टर्स:
    इस योजना में उन्नत तकनीक जैसे

    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

    • सेमीकंडक्टर्स

    • क्वांटम कंप्यूटिंग

    • ड्रोन तकनीक

    • जैव-प्रौद्योगिकी

    • ग्रीन एनर्जी

    • अंतरिक्ष विज्ञान
      जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

  4. भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र बनाना:
    यह योजना भारत को अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।


🔷 सरकार की मंशा और दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह योजना “विज्ञान आधारित विकास” (Science-based Development) की दृष्टि को साकार करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि “इस योजना से भारत के युवाओं को वैश्विक तकनीकी चुनौतियों से निपटने और उनमें नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा।”

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस योजना से भारत में रिसर्च कल्चर को बढ़ावा मिलेगा और यह नीति Gati Shakti, Make in India और Digital India जैसी पहलों को मजबूती देगी।


🔷 फंडिंग और क्रियान्वयन ढांचा

  • विशेष फंडिंग मैकेनिज्म:
    योजना के तहत एक नॉन-लैप्सेबल रिसर्च फंड (non-lapsable fund) बनाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि इस योजना के लिए आवंटित धन किसी वित्तीय वर्ष में खर्च न हो पाने की स्थिति में अगले वर्ष में स्थानांतरित हो जाएगा।

  • PPP मॉडल:
    यह योजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत संचालित की जाएगी, जिसमें निजी क्षेत्र और सरकारी संस्थाएं मिलकर रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर काम करेंगी।

  • गवर्निंग बॉडी:
    योजना को एक उच्चस्तरीय तकनीकी समिति की निगरानी में लागू किया जाएगा, जिसमें वैज्ञानिक, उद्योग प्रतिनिधि और नीति विशेषज्ञ शामिल होंगे।


🔷 प्रभाव और संभावित लाभ

  1. नवाचार को बढ़ावा:
    स्टार्टअप्स और MSMEs को तकनीकी नवाचारों के लिए वित्तीय और बौद्धिक समर्थन मिलेगा।

  2. रोजगार के अवसर:
    नई तकनीकों के विकास से देश में लाखों नौकरियों का सृजन होगा, खासकर इंजीनियरिंग, बायोटेक, डेटा एनालिटिक्स और रिसर्च क्षेत्रों में।

  3. विदेशी निवेश को प्रोत्साहन:
    इस योजना के तहत उन्नत तकनीकों पर केंद्रित नीति से विदेशी कंपनियां भारत में R&D यूनिट्स स्थापित करेंगी।

  4. वैज्ञानिक प्रतिभाओं का संरक्षण:
    इससे देश के भीतर ही प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को अवसर मिलेगा, जिससे ब्रेन ड्रेन को रोका जा सकेगा।


🔷 चुनौतियां और समाधान

चुनौती संभावित समाधान
पारदर्शिता की कमी फंड आवंटन में डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करना
कॉर्पोरेट हावी हो सकते हैं सरकारी विनियमन और स्वतंत्र मूल्यांकन तंत्र
छोटे स्टार्टअप्स को फंडिंग नहीं मिल पाना अलग से MSME और स्टार्टअप्स फंडिंग विंग की स्थापना

🔷 समर्थन में उठाए गए अन्य कदम

  • नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF):
    सरकार पहले ही NRF की घोषणा कर चुकी है, जिसे 50,000 करोड़ रुपये के फंड से शुरू किया गया है।

  • सेमीकंडक्टर मिशन:
    भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए पहले से ही 76,000 करोड़ रुपये की स्कीम चलाई जा रही है।

  • Digital India Innovation Fund:
    डिजिटल उत्पादों के लिए नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अलग से फंडिंग की जा रही है।

    🔷 कैसे बदलेगी यह योजना भारत का तकनीकी परिदृश्य?

    इस योजना से भारत न केवल नवाचार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि ग्लोबल टेक्नोलॉजी वैल्यू चेन में भी बड़ी भूमिका निभा सकेगा। पहले जहां भारत तकनीकी उत्पादों का केवल उपभोक्ता था, अब वह निर्माता और निर्यातक बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

    👉 उदाहरण के लिए:

    • सेमीकंडक्टर निर्माण: भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण की क्षमता विकसित होने से मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भरता आएगी।

    • AI और क्वांटम कंप्यूटिंग: भविष्य के युद्ध, स्वास्थ्य सेवाएं और औद्योगिक स्वचालन AI और क्वांटम कंप्यूटिंग पर आधारित होंगे। यह योजना भारत को इस तकनीकी दौड़ में आगे रखने के लिए जरूरी है।


    🔷 शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के लिए लाभ

    योजना में न केवल कॉरपोरेट सेक्टर, बल्कि उच्च शिक्षा संस्थानों को भी विशेष फंड मिलेगा। IITs, NITs, IISc और विश्वविद्यालयों में रिसर्च लैब्स को अपग्रेड किया जाएगा।

    • इंडस्ट्री-एकेडेमिया सहयोग: कॉलेज और विश्वविद्यालय अब उद्योगों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट्स पर काम करेंगे। इससे विद्यार्थियों को उद्योगोन्मुखी शिक्षा मिलेगी।

    • पीएचडी और शोधवृत्ति: अनुसंधान करने वाले छात्रों को आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे रिसर्च करने वाले युवाओं की संख्या में वृद्धि होगी।


    🔷 नवाचार को कैसे मिलेगा संरक्षण और पेटेंट सहयोग?

    भारत में इनोवेशन को पेटेंट कराना अभी भी एक जटिल प्रक्रिया है। इस योजना के तहत:

    • पेटेंट प्रक्रिया में तेजी: सरकार R&D फर्मों और स्टार्टअप्स को पेटेंट प्राप्त करने में तकनीकी और कानूनी सहायता देगी।

    • इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) हेल्पडेस्क: एक केंद्रीकृत हेल्पडेस्क स्थापित की जाएगी, जहां इनोवेशन को कानूनी संरक्षण दिलाने में मदद मिलेगी।


    🔷 स्टार्टअप्स के लिए विशेष प्रावधान

    इस योजना का बड़ा लाभ टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स को मिलेगा:

    • सीड फंडिंग: नए विचारों पर आधारित स्टार्टअप्स को योजना से प्रारंभिक फंड मिलेगा।

    • टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर: प्रमुख शहरों में टेक इनक्यूबेटर्स की स्थापना की जाएगी, जहां स्टार्टअप्स को प्रशिक्षण, मेंटरशिप और संसाधन मिलेंगे।


    🔷 महिला वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए अवसर

    महिला शोधकर्ताओं को विशेष अनुदान और अवसर दिए जाएंगे। यह कदम जेंडर इक्विटी को बढ़ावा देगा।

    • विशेष स्कॉलरशिप योजनाएं: महिला छात्रों के लिए STEM विषयों में रिसर्च के लिए विशेष छात्रवृत्तियां दी जाएंगी।

    • महिला नेतृत्व में रिसर्च प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता: जिन प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व महिला वैज्ञानिक करेंगी, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।


    🔷 क्या कहती है इंडस्ट्री?

    इन्फोसिस, रिलायंस, टाटा ग्रुप, और DRDO जैसी प्रमुख कंपनियों और संस्थाओं ने इस योजना की सराहना की है। उनका मानना है कि इससे भारत टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बन सकेगा और रिसर्च कल्चर को विश्व स्तरीय स्तर पर बढ़ावा मिलेगा।

    नासकॉम (NASSCOM) ने कहा है:

    “यह स्कीम भारत के डिजिटल भविष्य की नींव रखेगी। इससे भारत को ‘इनोवेशन डेस्टिनेशन’ बनने में मदद मिलेगी।”


    🔷 अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भारत की वैश्विक भूमिका

    यह योजना भारत को G20 देशों में एक अग्रणी नवाचार हब बना सकती है। इससे भारत:

    • तकनीकी निर्यात बढ़ा सकेगा,

    • विदेशी निवेश आकर्षित करेगा,

    • और ग्लोबल रिसर्च नेटवर्क्स से जुड़ पाएगा।

    मेक इन इंडिया से लेकर इंडिया इनोवेट करता है — यह परिवर्तन अब दूर नहीं है।


    🔷 नागरिकों के लिए क्या लाभ होंगे?

    • बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं: बायोटेक्नोलॉजी और मेडिकल रिसर्च से नई दवाएं और तकनीकें आएंगी।

    • सस्ती टेक्नोलॉजी: भारत में विकसित तकनीकें आम जनता को कम कीमत में उपलब्ध होंगी।

    • रोज़गार के अवसर: डेटा साइंटिस्ट, AI इंजीनियर, रिसर्चर, टेक डेवलपर जैसे रोजगार क्षेत्रों में बूम आएगा।


    🔷 आने वाले वर्षों की रूपरेखा

    वर्ष फोकस क्षेत्र अनुमानित निवेश
    2025-26 AI, सेमीकंडक्टर ₹20,000 करोड़
    2026-27 बायोटेक, हेल्थटेक ₹25,000 करोड़
    2027-28 क्वांटम, स्पेस टेक ₹30,000 करोड़
    2028-30 क्लीन एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन ₹25,000 करोड़

    🔷 निष्कर्ष (अंतिम विचार)

    1 लाख करोड़ रुपये की यह अनुसंधान, विकास और नवाचार योजना भारत के वैज्ञानिक, आर्थिक और तकनीकी भविष्य की नींव रखेगी। इससे न केवल भारत नवाचार में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक तकनीकी नेता के रूप में उभरेगा।

    यह योजना आने वाली पीढ़ियों को “सपनों से समाधान तक” की यात्रा में मार्गदर्शन करेगी। विज्ञान आधारित नीति, युवाओं का सहयोग और उद्योगों की भागीदारी मिलकर भारत को 2047 तक “विकसित राष्ट्र” के लक्ष्य तक पहुंचा सकती है।