ब्रिक्स नेताओं ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई

ताज़ा ख़बरें देश न्यूज़

ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में चल रहे 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत के जम्मू-कश्मीर स्थित पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए, ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवाद के विरुद्ध सामूहिक वैश्विक प्रयास की आवश्यकता को दोहराया है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।

ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के राष्ट्राध्यक्षों ने इस क्रूर हमले की “सबसे कड़ी शब्दों में” निंदा करते हुए स्पष्ट किया कि आतंकवाद किसी भी स्वरूप में स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ कोई दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जा सकता। उनके संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद के लिए वित्तीय सहायता, सीमा-पार घुसपैठ और सुरक्षित पनाहगाहों के मुद्दे पर चिंता जताई गई और सदस्य राष्ट्रों से पूर्ण सहयोग की अपील की गई।

शिखर सम्मेलन में “शांति और सुरक्षा” विषय पर हुई चर्चा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स नेताओं का भारत के साथ खड़े होने और पहलगाम हमले की निंदा करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह हमला केवल भारत के नागरिकों पर नहीं बल्कि हमारे आत्मसम्मान, हमारी सांस्कृतिक पहचान और समूची मानवता पर सीधा आघात है।”

उन्होंने अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि “आतंकवाद के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति या नरमी का रवैया वैश्विक सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में किसी प्रकार का संकोच नहीं होना चाहिए और सभी देशों को मिलकर संकल्प लेना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता ही एकमात्र मार्ग है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक जिम्मेदार लोकतंत्र होने के नाते शांति, संवाद और कूटनीति में विश्वास रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की नीति सदा से संघर्षों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की रही है और वह वैश्विक शांति स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में सभी ब्रिक्स नेताओं को अगले वर्ष भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “हम भारत की भूमि पर अगला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित कर इस साझेदारी को और मजबूत करना चाहते हैं।”

घोषणापत्र में कहा गया है कि “ब्रिक्स देश आतंकवाद के हर स्वरूप और उसकी समस्त अभिव्यक्तियों की निंदा करते हैं। सदस्य देशों ने आतंकियों के सीमा पार आवागमन, आतंक वित्तपोषण, साइबर आतंकवाद और प्रचार-प्रसार के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग पर गंभीर चिंता जताई है।”

ब्रिक्स नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र और इसके संबंधित संगठनों से यह भी अनुरोध किया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानूनों और प्रस्तावों के तहत आतंक के खिलाफ और कठोर कदम उठाएं। चीन और रूस जैसे सदस्य देशों ने भी पहली बार किसी भारत-विरोधी हमले पर इतनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए घोषणा की कि वे आतंकियों को पनाह देने वाले किसी भी देश या समूह के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन करते हैं।

ब्रिक्स समूह ने यह भी निर्णय लिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक स्थायी ब्रिक्स आतंकवाद विरोधी कार्यबल (Anti-Terror Task Force) का गठन किया जाएगा, जो सूचना साझा करने, संयुक्त प्रशिक्षण और डिजिटल निगरानी में सहयोग करेगा। यह समूह आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए भी एक साझा नीति बनाएगा।

इसके अतिरिक्त, ब्रिक्स देशों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन नेटवर्क्स की निगरानी पर भी जोर दिया है ताकि आतंकवाद से जुड़ी डिजिटल सामग्री का प्रभावी ढंग से निवारण किया जा सके। साइबर आतंकवाद के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए एक साझा ‘साइबर टास्क यूनिट’ के गठन की भी योजना की घोषणा की गई है।

ब्रिक्स नेताओं ने 22 अप्रैल को भारत के जम्मू-कश्मीर स्थित पहलगाम क्षेत्र में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि यह हमला न केवल भारत की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता पर हमला है, बल्कि यह संपूर्ण मानवता की मूल भावना पर भी चोट है। घोषणापत्र में इस बात को दोहराया गया कि किसी भी देश के नागरिकों पर इस प्रकार के हमले को “सिर्फ एक देश की समस्या” के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे वैश्विक आतंकवाद की चुनौती के रूप में समझा जाना चाहिए। इस हमले में मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए, नेताओं ने पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना भी प्रकट की।

घोषणापत्र में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार की सहिष्णुता नहीं बरती जानी चाहिए और उसे समाप्त करने के लिए ‘Zero Tolerance’ नीति ही अपनाई जानी चाहिए। नेताओं ने यह भी चेताया कि यदि किसी देश या संस्था द्वारा आतंकवाद को राजनीतिक लाभ या रणनीतिक संतुलन के लिए प्रयोग किया जाता है, तो यह वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने यह अपील की कि सभी राष्ट्र आतंकवाद को केवल सुरक्षा का मसला न मानें, बल्कि इसे मानवाधिकार और वैश्विक नैतिकता का मुद्दा भी समझें और मिलकर ठोस कदम उठाएं।

ब्रिक्स नेताओं ने यह माना कि आतंकवाद अब केवल स्थानीय या राष्ट्रीय स्तर पर सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह एक वैश्विक नेटवर्क का रूप ले चुका है, जिसमें सीमा-पार गतिविधियाँ, धनशोधन (money laundering), हवाला नेटवर्क और ऑनलाइन भर्तियाँ शामिल हैं। घोषणापत्र में कहा गया कि आतंकवादियों को सीमाओं के आर-पार आने-जाने की छूट देना, उन्हें धन मुहैया कराना, हथियारों और प्रशिक्षण की सुविधा देना तथा कुछ देशों द्वारा उन्हें राजनीतिक संरक्षण देना — ये सभी आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कारक हैं और इन पर संयुक्त रूप से कार्रवाई होनी चाहिए।

ब्रिक्स नेताओं ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि उन देशों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो आतंकियों को पनाह देते हैं या उनकी गतिविधियों पर आंख मूंदे रहते हैं। पनाहगाहों (safe havens) के पूर्ण उन्मूलन की मांग की गई ताकि आतंकवादियों को कोई सुरक्षित स्थान न मिले जहाँ वे छिप सकें और आगे की योजना बना सकें।

घोषणापत्र में यह भी अपील की गई कि संयुक्त राष्ट्र (UN) और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF – Financial Action Task Force) जैसे अंतरराष्ट्रीय निकाय आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कदम उठाएं। विशेष रूप से उन देशों के खिलाफ जिनके खिलाफ बार-बार आतंकी संगठनों को समर्थन देने के प्रमाण सामने आते हैं।

FATF से अनुरोध किया गया कि वह ऐसे देशों को ‘ग्रे लिस्ट’ या ‘ब्लैक लिस्ट’ में डालने की प्रक्रिया को तेज करे और आतंक से जुड़े वित्तीय नेटवर्क को समाप्त करने के लिए सदस्य देशों से कड़े अनुपालन की मांग करे। वहीं संयुक्त राष्ट्र से यह अपेक्षा की गई कि वह आतंकियों के नाम संयुक्त प्रतिबंध सूची (UN Sanctions List) में डालने की प्रक्रिया को त्वरित और पारदर्शी बनाए और किसी भी देश द्वारा इसे राजनीतिक कारणों से रोकने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करे।

 ब्रिक्स एंटी-टेरर टास्क 
यह एक स्थायी तंत्र होगा जिसमें ब्रिक्स के सदस्य देश खुफिया जानकारी साझा करेंगे, आतंकी गतिविधियों की निगरानी करेंगे, संदिग्धों की सूची तैयार करेंगे और संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे। यह टास्क फोर्स आतंकी संगठनों की कार्यप्रणाली, उनकी फंडिंग और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पर व्यापक निगरानी रखेगा।


चूंकि वर्तमान में आतंकवाद का एक बड़ा हिस्सा ऑनलाइन माध्यमों से संचालित हो रहा है — जैसे सोशल मीडिया, एन्क्रिप्टेड ऐप्स, ब्लॉकचेन आधारित फंडिंग, आदि — इसलिए एक संयुक्त ‘ब्रिक्स साइबर यूनिट’ का गठन किया जाएगा। इसका उद्देश्य इंटरनेट पर आतंकवाद से जुड़ी सामग्री, वेबसाइट, वीडियो और नेटवर्क का विश्लेषण करके उन्हें हटाना, ब्लॉक करना और डिजिटल निगरानी को प्रभावी बनाना होगा।

यह यूनिट डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर आतंकियों के प्रचार-प्रसार को रोकने और युवाओं के कट्टरपंथीकरण से बचाने के लिए भी रणनीति बनाएगी।

भारत के लिए वैश्विक समर्थन: पहलगाम हमले के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिले समर्थन का यह उदाहरण BRICS मंच पर स्पष्ट रूप से देखा गया। पहली बार सभी सदस्य राष्ट्रों ने एक स्वर में भारत के साथ एकजुटता प्रकट की।

नरम रुख वाले देशों की स्थिति में बदलाव: विशेष रूप से चीन और रूस जैसे देशों की स्पष्ट निंदा इस बात का संकेत है कि वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल बदल रहा है और आतंकवाद अब किसी भी देश के लिए ‘रणनीतिक संपत्ति’ नहीं रह गया है।

FATF और वैश्विक संस्थाओं की भूमिका: ब्रिक्स नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि यदि कोई देश लगातार आतंकवादियों को संरक्षण देता है तो उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।

भारत की नेतृत्वकारी भूमिका: प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल हमले के प्रति संवेदना मांगी बल्कि वैश्विक आतंकवाद-रोधी फ्रेमवर्क की नींव रखने की दिशा में एक नया प्रस्ताव भी रखा – संयुक्त निगरानी, संयुक्त प्रशिक्षण और साझा प्रतिबंधों की नीति।

ब्रिक्स की नीति में बदलाव: अब तक आर्थिक और विकास साझेदारी पर केंद्रित BRICS अब शांति, सुरक्षा और वैश्विक आतंकवाद के मुद्दे पर भी गंभीरता से रणनीति बना रहा है। यह एक बड़े बदलाव की शुरुआत है।

अगले वर्ष भारत में सम्मेलन: भारत में अगला BRICS शिखर सम्मेलन होगा, जहां इन सभी प्रस्तावों को औपचारिक रूप से रूपरेखा दी जाएगी और BRICS के अंदर ‘ब्रिक्स सुरक्षा मंच’ का गठन संभव है।

FAQ

2 thoughts on “ब्रिक्स नेताओं ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *