जहां बंदूकें युद्ध के लिए चलाई जाती हैं, वहीं भारत के जांबाज़ सैनिकों ने उन्हें खेल के मैदान में अपनी कौशल का प्रतीक बना दिया है। नॉर्वे के एल्वेरुम शहर में आयोजित 55वीं CISM वर्ल्ड मिलिट्री शूटिंग चैंपियनशिप में भारत ने अपनी सैन्य ताकत को खेलों में भी सिद्ध कर दिखाया। न केवल तकनीकी उत्कृष्टता, बल्कि आत्मसंयम, नेतृत्व और सामूहिक संकल्प ने इस जीत को ऐतिहासिक बना दिया।
🔥 कहानी की शुरुआत: मिशन ‘एल्वेरुम’
जनवरी 2025 की ठिठुरती सुबह में, भारत की सेना, नौसेना और वायुसेना से चयनित 40 खिलाड़ियों ने एक संकल्प लिया — CISM 2025 में भारत को शीर्ष पर पहुँचाना। उस समय यह केवल एक सपना था, लेकिन जून के अंत तक वह सपना इतिहास बन चुका था।
छह महीनों की कठिन ट्रेनिंग, मनोवैज्ञानिक कंडीशनिंग और उच्च स्तरीय तैयारी के बाद भारत का दल नॉर्वे पहुँचा — हर खिलाड़ी केवल एक लक्ष्य लेकर आया था: भारत का तिरंगा सबसे ऊँचा लहराना।
🧭 नेतृत्व जो मिसाल बन गया: कैप्टन विजय कुमार
कैप्टन विजय कुमार, लंदन ओलंपिक 2012 के रजत पदक विजेता, इस बार कोच नहीं बल्कि कमांडर की भूमिका में थे। लेकिन उनकी भूमिका केवल तकनीकी कोचिंग तक सीमित नहीं रही — वे एक प्रेरक, संरक्षक और रणनीतिकार बन गए। उन्होंने खिलाड़ियों को सिखाया कि निशाना केवल लक्ष्य पर नहीं, मन पर भी साधा जाता है।
“शूटिंग केवल ट्रिगर खींचने की कला नहीं, यह आत्मा की स्थिरता का विज्ञान है।”
– कैप्टन विजय कुमार, टीम इंडिया के हेड कोच
उनकी गहरी योजना, व्यक्तिगत मार्गदर्शन और अनुभव का लाभ पूरे दल को मिला, खासकर युवा निशानेबाज़ों को।
🎯 एक नाम, जो इतिहास बन गया: ओंकार सिंह MCPO
जब भारतीय नौसेना के मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर (MCPO) ओंकार सिंह ने 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल प्रतियोगिता जीती, बल्कि ‘बेस्ट पिस्टल शूटर ऑफ द टूर्नामेंट’ का खिताब भी हासिल किया, तो यह क्षण केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया।
🌟 उनकी उपलब्धियाँ:
-
10 मीटर एयर पिस्टल: स्वर्ण पदक
-
बेस्ट पिस्टल शूटर (CISM 2025) – पहली बार किसी भारतीय को यह सम्मान
-
पिछले चार वर्षों में लगातार अंतर-सेवा शूटिंग चैंपियनशिप विजेता
“मेरी बंदूक एक हथियार नहीं, मेरे देश की पहचान है।”
– ओंकार सिंह
उनकी इस उपलब्धि ने भारत को न केवल पदक तालिका में ऊँचाई दी, बल्कि दुनिया को बताया कि भारतीय सैनिक युद्ध ही नहीं, खेल में भी अग्रणी हैं।
📊 प्रतियोगिता का रूप, स्तर और वैश्विक महत्त्व
CISM वर्ल्ड मिलिट्री शूटिंग चैंपियनशिप को सैन्य खेलों की ओलंपिक कहा जाता है। इस वर्ष के आयोजन में कुल 38 देशों ने भाग लिया। इनमें अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस, इटली, दक्षिण कोरिया और ब्राजील जैसे सैन्य दिग्गज भी शामिल थे।
इस प्रतियोगिता की खास बात यह थी कि इसका उद्देश्य न केवल प्रतिस्पर्धा, बल्कि आपसी सहयोग, शांति और “Friendship through Sport” की भावना को भी प्रोत्साहित करना था।
🗓️ महत्वपूर्ण तिथियाँ:
-
शुरुआत: 23 जून 2025
-
समापन: 30 जून 2025
-
स्थान: एल्वेरुम मिलिट्री शूटिंग रेंज, नॉर्वे
🛡️ भारतीय दल की शानदार रणनीति और प्रदर्शन
भारतीय दल ने न केवल पिस्टल, बल्कि राइफल, स्टैंडर्ड पिस्टल, और टीम इवेंट्स में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया।
🥉
🥉 टीम पिस्टल इवेंट – कांस्य पदक
भारत की पुरुष टीम ने सामूहिक प्रयास और सटीक निशानेबाज़ी के दम पर टीम पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम किया। यह प्रदर्शन टीम तालमेल और उच्च स्तर के अभ्यास का प्रमाण था।
🥇 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत – स्वर्ण पदक
भारतीय नौसेना के मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर ओंकार सिंह ने 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। साथ ही उन्हें पूरे टूर्नामेंट का ‘बेस्ट पिस्टल शूटर’ भी घोषित किया गया — यह सम्मान किसी भारतीय को पहली बार प्राप्त हुआ।
🎯 25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल टीम इवेंट – टॉप-5 में भारत का प्रवेश
25 मीटर स्टैंडर्ड पिस्टल स्पर्धा में भारत ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पाँचवाँ स्थान हासिल किया। यह उपलब्धि इस श्रेणी में भारत के निरंतर विकास और तकनीकी प्रशिक्षण के महत्व को दर्शाती है।
👩✈️ भारतीय महिला टीम – क्वालीफाइंग राउंड में टॉप स्कोरिंग टीमों में शामिल
भारतीय महिला निशानेबाज़ों ने भी प्रतियोगिता में दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। क्वालीफाइंग राउंड में उनका स्कोर टॉप टीमों में से एक रहा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि महिला सैन्य खिलाड़ी भी वैश्विक मंच पर पूरी क्षमता के साथ मुकाबला कर रही हैं।
🔍 प्रदर्शन की विशेषताएँ: तकनीकी श्रेष्ठता से प्रेरित अनुशासन
भारतीय टीम का हर शॉट इस बात का प्रमाण था कि वे न केवल तकनीकी दृष्टि से दक्ष हैं, बल्कि मानसिक मजबूती और अनुशासन के स्तर पर भी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में शामिल हैं।
चाहे वह ओंकार सिंह की सटीकता हो या पूरी टीम का तालमेल — हर पहलू में भारत ने सैन्य खेलों के स्तर को ऊपर उठाया।
📣 विशेषज्ञों की राय
कैप्टन विजय कुमार, जो टीम के मार्गदर्शक और कोच थे, ने कहा:
“यह प्रदर्शन भारतीय सशस्त्र बलों की खेल भावना, संकल्प और तैयारी का परिणाम है। इस प्रतियोगिता ने सिद्ध किया कि हम न केवल सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम हैं, बल्कि खेल के मैदान पर भी विश्व स्तर पर पहचान बना सकते हैं।”
🇳🇴 भारतीय दूतावास की भूमिका और सम्मान
ओस्लो स्थित भारतीय दूतावास ने न केवल टीम का स्वागत और समर्थन किया, बल्कि पूरे आयोजन में टीम के साथ खड़ा रहा। एक औपचारिक बयान में उन्होंने कहा:
“भारतीय निशानेबाज़ी दल का प्रदर्शन देश के प्रति समर्पण, सैन्य अनुशासन और वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा का प्रतीक है।”
🧑✈️ ओंकार सिंह: एक योद्धा, एक प्रेरणा
ओंकार सिंह का सफर बेहद प्रेरणादायक है। एक छोटे से कस्बे से उठकर भारतीय नौसेना में भर्ती होना, फिर राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनना — यह एक ऐसे सैनिक की कहानी है, जो हर दिन अपने भीतर से लड़कर बड़ा बनता गया।
उनके कमांडर का कहना है:
“ओंकार न सिर्फ निशानेबाज़ है, बल्कि वह अनुशासन और देशभक्ति का मूर्त रूप है।”
🧠 मानसिक प्रशिक्षण: सफलता की चाबी
CISM जैसे उच्चस्तरीय मंच पर मानसिक संतुलन बेहद जरूरी होता है। इसके लिए भारतीय सेना ने विशेष मनोवैज्ञानिकों और योग प्रशिक्षकों की सहायता ली। खिलाड़ियों को ध्यान, प्राणायाम, और मानसिक थकावट से उबरने की तकनीकें सिखाई गईं।
🤝 CISM: युद्ध नहीं, मैत्री का संदेश
CISM का आदर्श —
“Soldiers compete, not to kill, but to connect.”
इस प्रतियोगिता के माध्यम से यह सिद्ध हो गया कि सैनिक सिर्फ सीमा के रक्षक नहीं, बल्कि विश्व के शांतिदूत भी हो सकते हैं।
📣 राजनीतिक और राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
🗨️ रक्षा मंत्री:
“भारतीय सैनिकों ने फिर दिखाया है कि देशभक्ति केवल युद्ध में नहीं, खेल में भी परिलक्षित होती है।”
🗨️ प्रधानमंत्री:
“ओंकार सिंह और पूरी टीम को मेरी हार्दिक बधाई। यह विजय नए भारत की नई ऊर्जा का प्रमाण है।”
📈 भविष्य की दिशा: CISM 2026 और उससे आगे
भारतीय सेना अब इस जीत को एक मॉडल बनाकर, एक राष्ट्रीय मिलिट्री शूटिंग प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। साथ ही, 2026 में होने वाली CISM प्रतियोगिता के लिए नई प्रतिभाओं की खोज और विकास का कार्य भी शुरू हो चुका है।
🏁 निष्कर्ष: एक जीत, जो भविष्य बदल सकती है
नॉर्वे की धरती पर गूंजता भारत का राष्ट्रगान, तिरंगे की ऊँचाई, और सैनिकों की आंखों में गर्व — यह सिर्फ एक पदक की कहानी नहीं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि के पुनर्निर्माण की शुरुआत है।
ओंकार सिंह जैसे सिपाही हमें यह सिखाते हैं कि सैनिक केवल सीमा के प्रहरी नहीं, बल्कि देश की प्रेरणा भी होते हैं।
2 thoughts on “भारत का सैन्य पराक्रम खेल के मैदान पर भी अद्वितीय: CISM शूटिंग चैंपियनशिप में ऐतिहासिक जीत”