भारत की प्राचीन जलमार्ग :
भारत की प्राचीन जलमार्ग परंपरा अब आधुनिक युग में नया आयाम ले रही है। केंद्र सरकार की पहल पर देश के 5000 किलोमीटर लंबे नौगम्य जलमार्गों को ASEAN (एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस) देशों से जोड़ते हुए एकीकृत क्रूज़ नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक कदम भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
यह घोषणा केंद्रीय जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने चेन्नई में आयोजित प्रथम ASEAN-भारत क्रूज़ संवाद के उद्घाटन अवसर पर की।
🇮🇳 2047 का विकसित भारत और 2045 का ASEAN: साझा भविष्य की संकल्पना
मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” दृष्टिकोण को ASEAN समुदाय के “ASEAN विजन 2045” से जोड़ते हुए कहा कि दोनों क्षेत्रों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को अब आधुनिक क्रूज़ संपर्क के माध्यम से फिर से जीवंत किया जाएगा।
सोनोवाल ने कहा:
“हम व्यापार से आगे बढ़कर अब संस्कृति और लोगों को जोड़ने के लिए समुद्री पुल बना रहे हैं। क्रूज़ संपर्क केवल यात्रा नहीं, बल्कि सभ्यता को जोड़ने की यात्रा है।”
🛳️ क्रूज़ पर्यटन में भारत की ऐतिहासिक छलांग
📈 102 से 14,272 क्रूज़ कॉल्स तक का सफर
जहां वर्ष 2013-14 में भारत में केवल 102 क्रूज़ कॉल्स होते थे, वहीं अब यह संख्या 2024-25 में बढ़कर 14,272 हो चुकी है। यह प्रगति सरकार की सतत नीति, रणनीतिक सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास का परिणाम है।
🏖️ 2029 तक 1 मिलियन क्रूज़ यात्रियों का लक्ष्य
भारत सरकार की सागरमाला परियोजना के अंतर्गत 2029 तक 10 लाख यात्रियों को आकर्षित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।
🌍 5000 किमी जलमार्ग नेटवर्क: ASEAN-भारत एकीकृत क्रूज़ कनेक्टिविटी
सरकार अब भारत के 5000 किलोमीटर नौगम्य जलमार्गों को थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे ASEAN देशों से जोड़ने के लिए आधुनिक नेटवर्क में तब्दील कर रही है।
सोनोवाल ने कहा:
“यह नेटवर्क न केवल बंदरगाहों को जोड़ेगा, बल्कि सीमा शुल्क, आव्रजन और रीयल टाइम ट्रैकिंग जैसी स्मार्ट तकनीकों से सुसज्जित होगा।”
⚓ तमिलनाडु: प्राचीन समुद्री शक्ति से आधुनिक जलदूत
तमिलनाडु राज्य को क्रूज़ नेटवर्क का केंद्र मानते हुए मंत्री ने बताया कि इस राज्य में 16 से अधिक बंदरगाह हैं, जिनके ऐतिहासिक संबंध चीन, मिस्र, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया से रहे हैं।
“तमिलनाडु भारत का समुद्री अतीत और डिजिटल भविष्य का संगम है,” उन्होंने कहा।
📜 नीतिगत और कानूनी सुधार: एक संगठित परिवर्तन
पिछले एक दशक में केंद्र सरकार ने:
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क्रूज़ नीति का आधुनिकीकरण
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सीमा शुल्क और आव्रजन प्रक्रिया का सरलीकरण
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PPP मॉडल द्वारा निजी निवेश को प्रोत्साहन
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बंदरगाहों पर यात्रियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं का विकास
इन सभी प्रयासों ने भारत को वैश्विक क्रूज़ मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
🤝 जन-जन से जुड़ाव: सांस्कृतिक संपर्क की दिशा में कदम
मंत्री ने कहा कि क्रूज़ मार्ग केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि भारत और ASEAN के बीच सांस्कृतिक पुनःसंवाद का माध्यम बनेंगे। उन्होंने नए क्रूज़ सर्किट्स के सह-निर्माण और सह-प्रचार की भी घोषणा की।
📌 प्रस्तावित प्रमुख क्रूज़ सर्किट्स
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कोलकाता – म्यांमार – थाईलैंड – वियतनाम
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चेन्नई – इंडोनेशिया – मलेशिया – सिंगापुर
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कोच्चि – मालदीव – श्रीलंका – म्यांमार
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विशाखापत्तनम – बाली – सिंगापुर – फिलीपींस
ये सर्किट भारत की “एक्ट ईस्ट नीति”, “नील क्रांति” और “सागरमाला योजना” के समन्वित विकास को गति देंगे।
📡 स्मार्ट पोर्ट और डिजिटल ट्रैकिंग का युग
सभी प्रमुख भारतीय बंदरगाहों को रीयल टाइम ट्रैकिंग, स्मार्ट पोर्ट मैनेजमेंट, और ई-कस्टम्स जैसी डिजिटल सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है जिससे क्रूज़ संचालन में पारदर्शिता और दक्षता आएगी।
💼 निजी क्षेत्र की भूमिका: साझेदारी से समृद्धि
सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन योजनाएँ:
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लॉन्ग-टर्म लीज़ आधारित संचालन
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टैक्स लाभ
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सिंगल विंडो क्लियरेंस
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विदेशी क्रूज़ कंपनियों के लिए अनुकूल पॉलिसी
इनसे निजी निवेशकों के लिए भारत एक आकर्षक क्रूज़ डेस्टिनेशन बन रहा है।
🌐 ASEAN देशों की भागीदारी और प्रतिक्रिया
संवाद में भाग लेने वाले ASEAN देशों के प्रतिनिधियों — मलेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया और सिंगापुर — ने संयुक्त क्रूज़ योजनाओं और बायलेटरल टूरिज्म प्रोजेक्ट्स में भागीदारी की इच्छा जताई।
🎓 रोज़गार और कौशल विकास: युवाओं को नया अवसर
क्रूज़ नेटवर्क के विस्तार से हजारों नए रोजगार उत्पन्न होंगे। सरकार ने घोषणा की है कि 2029 तक:
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50,000 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा
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क्रूज़ हॉस्पिटैलिटी, मरीन इंजीनियरिंग, और टूर गाइडिंग जैसे क्षेत्रों में कौशल विकास होगा
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महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी
✨ निष्कर्ष: समुद्री भारत का पुनर्जागरण
भारत का यह क्रूज़ दृष्टिकोण केवल समुद्री संपर्क नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और रणनीतिक साझेदारी की ओर एक संगठित प्रयास है। यह ‘नवभारत’ के वैश्विक दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है।
सोनोवाल ने कहा:
“क्रूज़ मार्ग केवल समुद्री रेखाएं नहीं, बल्कि सभ्यताओं को जोड़ने वाले पुल हैं। भारत और ASEAN को जोड़ने वाला हर जहाज़ एक सांस्कृतिक दूत है।”
यह एक ऐसा युग है, जहाँ जहाज़ केवल सामान नहीं, संस्कृतियों को भी ढोते हैं — और भारत, एक बार फिर, वैश्विक समुद्री मानचित्र पर अग्रणी बनने को तैयार है।
🇮🇳🤝🌏 भारत-ASEAN क्रूज़ संवाद – FAQ
1. भारत-ASEAN क्रूज़ संवाद क्या है?
भारत-ASEAN क्रूज़ संवाद एक बहुपक्षीय जल परिवहन और सांस्कृतिक सहयोग परियोजना है, जो भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (ASEAN) को 5000 किमी लंबे जलमार्ग के माध्यम से जोड़ने का उद्देश्य रखती है। इसका मकसद क्षेत्रीय व्यापार, पर्यटन और सभ्यताओं के ऐतिहासिक रिश्तों को पुनर्जीवित करना है।
2. इस क्रूज़ रूट में कौन-कौन से देश शामिल होंगे?
मुख्य रूप से ये देश इस रूट में सम्मिलित होंगे:
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भारत
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म्यांमार
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थाईलैंड
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लाओस
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कंबोडिया
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वियतनाम
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मलेशिया
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इंडोनेशिया
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सिंगापुर
3. क्रूज़ मार्ग की लंबाई कितनी है?
इस प्रस्तावित समुद्री और अंतर्देशीय जलमार्ग की कुल लंबाई लगभग 5,000 किलोमीटर होगी। यह मार्ग बंगाल की खाड़ी, मलक्का जलसंधि, और दक्षिण चीन सागर जैसे सामुद्रिक रास्तों से होकर गुज़रेगा।
4. इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
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सांस्कृतिक संवाद: प्राचीन भारत-आसियान सभ्यताओं के ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्जीवित करना।
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टूरिज्म: क्रूज़ पर्यटन के ज़रिए क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देना।
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आर्थिक सहयोग: व्यापार, निवेश और समुद्री अर्थव्यवस्था को नई दिशा देना।
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स्ट्रैटजिक कनेक्टिविटी: भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और आसियान की ‘लुक वेस्ट’ रणनीति को मूर्त रूप देना।
5. क्या यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति से जुड़ा है?
हाँ, यह पहल भारत की “Act East Policy” का हिस्सा है, जिसके ज़रिए भारत आसियान देशों के साथ अपने संबंधों को राजनीतिक, रणनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्तर पर मज़बूत करना चाहता है।
6. क्या यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल होगी?
सरकार और संबंधित एजेंसियाँ “ग्रीन क्रूज़ टूरिज्म” की अवधारणा को लागू करने की दिशा में काम कर रही हैं। ईंधन विकल्प, समुद्री जीवन की रक्षा, और कचरा प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाएगी।
7. इससे किन शहरों को फायदा होगा?
भारत में संभावित रूप से निम्नलिखित बंदरगाह और शहर इससे लाभान्वित होंगे:
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कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
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हल्दिया
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पारादीप (ओडिशा)
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विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश)
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चेन्नई (तमिलनाडु)
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पोर्ट ब्लेयर (अंडमान-निकोबार)
ASEAN देशों में:
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यंगून (म्यांमार)
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बैंकॉक (थाईलैंड)
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हो ची मिन्ह सिटी (वियतनाम)
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कुआलालंपुर (मलेशिया)
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जकार्ता (इंडोनेशिया)
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सिंगापुर
8. इस पहल से भारत को क्या-क्या लाभ होंगे?
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सांस्कृतिक नेतृत्व: भारत-आसियान के ऐतिहासिक संबंधों को फिर से जगाने में नेतृत्व भूमिका।
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पर्यटन आय में वृद्धि: लाखों पर्यटक भारत की संस्कृति, मंदिर, योग और हस्तशिल्प से जुड़ सकेंगे।
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रोज़गार के अवसर: क्रूज़ संचालन, बंदरगाह विकास, टूर गाइड, सुरक्षा, होटलिंग में नई नौकरियाँ।
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बंदरगाह इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
9. क्या ASEAN देश भी इसे समर्थन दे रहे हैं?
हाँ, ASEAN देशों ने इस पहल का सकारात्मक स्वागत किया है। कुछ देशों ने तो संयुक्त बंदरगाह प्रबंधन, क्रूज़ पैकेज निर्माण और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के आयोजन में रुचि भी जताई है।
10. क्रूज़ रूट पर कौन-कौन सी गतिविधियाँ और अनुभव मिल सकते हैं?
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ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण (अंगकोरवाट, बगान, बाली)
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भारत और ASEAN के सांस्कृतिक कार्यक्रम
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समुद्री भोजन व स्थानीय बाजार
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योग, आयुर्वेदिक सत्र
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ऑनबोर्ड एंटरटेनमेंट (नृत्य, संगीत)