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आगजनी के मामले में लापरवाही, पुलिस पर मुकदमा न दर्ज करने का आरोप

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आगजनी के मामले में लापरवाही, पुलिस पर मुकदमा न दर्ज करने का आरोप
थाना अहिरौली बाजार क्षेत्र के ग्राम भलुही की घटना, महिला की सुरक्षा पर उठे सवाल


उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद में आए दिन हो रही आपराधिक घटनाएं कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं। ताजा मामला थाना अहिरौली बाजार क्षेत्र के ग्राम भलुही से सामने आया है, जहां एक महिला के घर पर दो बार आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया। आरोप है कि पीड़िता द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे आरोपियों के हौसले बुलंद हैं और वे एक के बाद एक वारदात को अंजाम दे रहे हैं।


घटना का विवरण

ग्राम भलुही निवासी ममता देवी पत्नी संजय सिंह ने स्थानीय थाना अहिरौली बाजार में दी गई तहरीर में आरोप लगाया कि बीते 10 जुलाई 2025 को पुरानी रंजिश के चलते कुछ अज्ञात लोगों ने उनके घर के सामने खड़ी मोटरसाइकिल पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। इस घटना में मोटरसाइकिल पूरी तरह जलकर खाक हो गई।

पीड़िता ने तत्काल इसकी सूचना आपातकालीन नंबर 112 और 198 पर दी तथा स्थानीय थाने पर भी तहरीर देकर आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की। हालांकि, ममता देवी का कहना है कि पुलिस ने उनकी तहरीर को गंभीरता से नहीं लिया और कोई केस दर्ज नहीं किया गया।


दूसरी बार हुई घटना ने बढ़ाई चिंता

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पहली घटना के कुछ ही दिनों बाद, 22 जुलाई 2025 की रात करीब 11 बजे, एक बार फिर से उसी महिला के घर को निशाना बनाया गया। इस बार एक बाइक पर सवार तीन लोग आए और उन्होंने ममता देवी के घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे और दीवार पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। इस दुस्साहसिक घटना ने न सिर्फ महिला को, बल्कि पूरे गांव को भयभीत कर दिया है।


थाना प्रभारी की प्रतिक्रिया

जब इस संबंध में थाना प्रभारी निरीक्षक संजय दूबे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि “यह मामला अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर तहरीर दी गई है तो उसकी जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”

थाना प्रभारी के इस जवाब से साफ है कि या तो प्रशासनिक स्तर पर संवादहीनता है या फिर जानबूझकर मामले को दबाया जा रहा है।


ग्रामीणों में आक्रोश

इस दोहरी आगजनी की घटना से ग्राम भलुही के लोग भी काफी आक्रोशित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुलिस ने पहली घटना के बाद समय रहते कार्रवाई की होती, तो दूसरी घटना नहीं होती। ग्रामीणों का कहना है कि यदि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय नहीं मिला, तो जनता का पुलिस प्रशासन से भरोसा उठ जाएगा।


पुनरावृत्ति क्यों हो रही है?

इस मामले में दो पहलू सामने आते हैं —

  1. पुलिस की निष्क्रियता – बार-बार तहरीर देने के बावजूद मुकदमा न दर्ज करना और आरोपियों को खुला छोड़ देना।

  2. कानूनी डर का अभाव – जब किसी अपराधी को कोई सजा नहीं मिलती, तो अपराध करने की प्रवृत्ति बढ़ती है।

यह दोनों ही बातें न सिर्फ इस केस के लिए गंभीर हैं, बल्कि समाज में न्याय और सुरक्षा की व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं।


महिला की मानसिक स्थिति और सुरक्षा पर सवाल

ममता देवी ने बताया कि इन घटनाओं के बाद से वह मानसिक रूप से बेहद आहत हैं और रात में चैन से सो नहीं पा रही हैं। उन्हें हर वक्त डर लगा रहता है कि कहीं फिर कोई हमला न हो जाए।

यह स्थिति बताती है कि कैसे एक आम महिला कानूनी संरक्षण के अभाव में लगातार पीड़ित होती जा रही है, और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।


सरकारी अधिकारियों की भूमिका

इस पूरे मामले में अब प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका अहम हो जाती है। यदि उच्च अधिकारी समय रहते संज्ञान लेकर इस मामले में निष्पक्ष जांच कराएं, तो न सिर्फ पीड़िता को न्याय मिल सकता है, बल्कि आरोपियों के हौसले भी टूट सकते हैं।

महिला सुरक्षा के दावों पर सवाल

राज्य सरकार द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर किए गए तमाम दावों के बावजूद, भलुही गांव की यह घटना उन दावों को झुठलाने के लिए पर्याप्त है। महिला का यह आरोप कि पुलिस ही आरोपियों को संरक्षण दे रही है, न केवल गंभीर है बल्कि राज्य प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।

अगर एक महिला दो बार जानलेवा हमले का शिकार हो चुकी है और फिर भी पुलिस उसे सुरक्षा प्रदान नहीं कर पा रही है, तो यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर सुरक्षा तंत्र पूरी तरह निष्क्रिय है।


सामाजिक दृष्टिकोण से स्थिति

इस प्रकार की घटनाएं समाज में भय और असुरक्षा की भावना को जन्म देती हैं। जब एक पीड़िता न्याय के लिए दर-दर भटकती है और प्रशासन चुप्पी साधे रहता है, तो इससे समाज के बाकी कमजोर वर्गों में भी कानून से भरोसा उठने लगता है।

वहीं, दूसरी ओर, अपराधियों के हौसले और भी बुलंद हो जाते हैं। यह स्थिति अंततः कानून व्यवस्था को खोखला बना देती है।


जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

चौंकाने वाली बात यह भी है कि इस घटना के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। न कोई सांत्वना, न कोई प्रशासनिक दबाव। इससे साफ जाहिर होता है कि जनता की समस्याएं आज भी राजनीति की प्राथमिकता में नहीं हैं।


प्रश्न 1: आगजनी की घटना कब-कब हुई और पीड़िता कौन है?

उत्तर:
पहली आगजनी की घटना 10 जुलाई 2025 को और दूसरी 22 जुलाई 2025 की रात को ग्राम भलुही, थाना अहिरौली बाजार में हुई। पीड़िता का नाम ममता देवी पत्नी संजय सिंह है, जिनके घर के सामने बाइक को जलाया गया और फिर दीवार व कैमरे पर पेट्रोल डालकर आग लगाई गई।


प्रश्न 2: क्या पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी?

उत्तर:
हाँ, पीड़िता ने 112 और 198 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई और साथ ही स्थानीय थाना अहिरौली बाजार में लिखित तहरीर भी दी। लेकिन महिला का आरोप है कि किसी भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई


प्रश्न 3: पुलिस की तरफ से अब तक क्या कदम उठाए गए?

उत्तर:
थाना प्रभारी संजय दूबे ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। यानी अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है और न ही कोई सांविधिक/फॉरेंसिक जांच प्रारंभ की गई है।


प्रश्न 4: पीड़िता ने पुलिस पर क्या आरोप लगाए हैं?

उत्तर:
ममता देवी का आरोप है कि पुलिस इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही और जानबूझकर कार्रवाई से बच रही है। साथ ही यह भी दावा किया कि पुलिस आरोपियों को संरक्षण दे रही है, जिससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो गए हैं।


प्रश्न 5: अब पीड़िता को क्या कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं?

उत्तर:

  • महिला SP या DM को लिखित शिकायत भेज सकती है।

  • RTI के तहत पूछताछ कर सकती है कि एफआईआर क्यों नहीं दर्ज हुई।

  • मानवाधिकार आयोग या महिला आयोग में शिकायत की जा सकती है।

  • IPC की धाराओं के तहत कोर्ट में प्रत्यक्ष याचिका (Direct Petition under CrPC 156(3)) दायर कर सकती है।

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