✅ शिविर का उद्देश्य:
इस शिविर का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे स्थल पर देना है। इनमें विधवा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, आयुष्मान भारत कार्ड, श्रमिक कार्ड, किसान सम्मान निधि, राशन कार्ड सुधार, वृद्धावस्था पेंशन, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, स्वास्थ्य सेवाएं, और अन्य सेवाएं शामिल हैं।
🏕️ शिविर की कार्यप्रणाली:
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यह शिविर तहसील या पंचायत स्तर पर आयोजित किए जाते हैं, जहां संबंधित विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, और जनप्रतिनिधि मौजूद रहते हैं।
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आमजन की शिकायतों को मौके पर सुना जाता है और तत्काल समाधान का प्रयास किया जाता है।
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सरकारी योजनाओं की जानकारी पोस्टर, बैनर और प्रचार वाहन के माध्यम से दी जाती है।
🧓 लाभार्थियों की प्रतिक्रियाएं:
शिविर में आने वाले कई वृद्ध, महिलाएं, दिव्यांगजन और ग्रामीण युवा बताते हैं कि पहले उन्हें छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब एक ही स्थान पर सभी विभागों की सेवाएं मिलने से न केवल समय और पैसा बचता है, बल्कि उन्हें सम्मान और सरलता के साथ सहायता भी मिलती है।
📊 सांख्यिकीय प्रभाव:
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एक शिविर में औसतन 800 से 1000 लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
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लगभग 20 से अधिक विभागों की सेवाएं एक स्थान पर सुलभ हैं।
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समयबद्ध निस्तारण और ट्रैकिंग व्यवस्था से कार्य में पारदर्शिता बनी रहती है।
🤝 प्रशासन और जनता के बीच सेतु:
अंत्योदय संबल शिविर प्रशासन और नागरिकों के बीच विश्वास की मजबूत कड़ी बनते जा रहे हैं। ये शिविर सरकारी तंत्र को संवेदनशील, उत्तरदायी और जनोन्मुखी बना रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अंतिम पंक्ति तक बैठे व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा ने हजारों जरूरतमंद परिवारों को राहत पहुंचाई है। 24 से 30 जून तक प्रदेशभर में आयोजित हो रहे इन शिविरों में ग्रामीण जनता की वर्षों पुरानी समस्याएं भी तत्काल समाधान पा रही हैं। इस अभियान के तहत जिला प्रशासन, विभागीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि और पंचायतें मिलकर स्थानीय समस्याओं को मौके पर हल कर रहे हैं।
शिविर स्थल बना राहत का केंद्र: सुल्तानिया में पेयजल संकट का समाधान
24 जून को ग्राम पंचायत सुल्तानिया में आयोजित शिविर के दौरान, स्थानीय निवासी गणेश नारायण शर्मा और अन्य ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी श्री राकेश कुमार (फागी) के समक्ष पेयजल कनेक्शन से जुड़ी अपनी समस्या रखी। पूर्व में आपसी विवाद के कारण इन घरों में नल कनेक्शन नहीं हो पा रहे थे। शिकायत मिलते ही उपखंड अधिकारी ने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता श्री सुरेश कुमार मीणा को निर्देशित किया कि नियमानुसार शीघ्र नल कनेक्शन कर पेयजल आपूर्ति बहाल की जाए https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/pali/bali/news/pandit-deendayal-upadhyay-antyodaya-sambal-fortnight-135315788.html।
यह समस्या केवल तकनीकी नहीं थी, बल्कि सामाजिक स्तर पर आपसी मतभेद ने वर्षों तक इन घरों को जल सुविधा से वंचित रखा था। लेकिन उपखंड अधिकारी की संवेदनशील पहल और संयमित समझाइश के चलते गाँव में आपसी समझ बनी और लोगों ने मिलकर समस्या का हल निकाला। परिणामस्वरूप, 100 मीटर पाइपलाइन मंगवाकर 10 घरों में तुरंत नल कनेक्शन दिए गए और जैसे ही जलधारा बहना शुरू हुई, पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।
80 ग्रामीणों के चेहरे पर लौटी मुस्कान
इन 10 घरों में पेयजल सुविधा चालू होते ही 80 से अधिक ग्रामीणों को राहत मिली। वर्षों की परेशानी के बाद मिली यह सुविधा उनके लिए किसी उत्सव से कम नहीं थी। ग्रामीणों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा शुरू करने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा का आभार जताया।
20 साल से इंतज़ार कर रहे मकान के मालिक को मिला पट्टा
26 जून को ग्राम पंचायत पचाला में लगे शिविर में एक और मार्मिक घटना घटी। गणेश सेन नामक ग्रामीण ने विकास अधिकारी चरण सिंह चौधरी के समक्ष गुहार लगाई कि वह पिछले 20 वर्षों से अपने पुश्तैनी मकान में रह रहा है, लेकिन उसे अब तक उसका कानूनी स्वामित्व नहीं मिला।
विकास अधिकारी ने मौके पर दस्तावेजों की जांच कर, नियमों के तहत तत्काल पट्टा एवं स्वामित्व पत्र जारी किया। जैसे ही गणेश सेन ने वर्षों की प्रतीक्षा के बाद दस्तावेज अपने हाथ में लिए, उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। यह दृश्य वहां उपस्थित सभी लोगों को भावुक कर गया।
गणेश सेन ने कहा, “मैंने सोचा नहीं था कि मेरी पुकार पर इतनी जल्दी सुनवाई होगी। आज मेरा वर्षों पुराना सपना पूरा हो गया। मैं राज्य सरकार और जिला प्रशासन का जीवनभर आभारी रहूंगा।”
अंत्योदय संबल पखवाड़ा: ग्रामीण प्रशासनिक प्रणाली को मिला नया आधार
पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा केवल एक शिविर श्रृंखला नहीं, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही, जनसंवाद, और समावेशी विकास की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम बन गया है।
राज्य सरकार के निर्देशानुसार इस अभियान में मुख्य रूप से निम्न विभाग भाग ले रहे हैं:
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राजस्व विभाग
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जलदाय विभाग
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पंचायती राज
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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग
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श्रम विभाग
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महिला एवं बाल विकास विभाग
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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
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ग्रामीण विकास
प्रत्येक शिविर में 50 से अधिक योजनाओं से संबंधित समस्याओं और लाभार्थियों को मौके पर ही सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।
शिविरों में हो रही प्रमुख गतिविधियां:
क्रमांक | सेवा/समस्या | समाधान का तरीका |
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1. | जल संकट व नल कनेक्शन | पीएचईडी द्वारा पाइपलाइन और कनेक्शन |
2. | भूमि स्वामित्व व पट्टा वितरण | पट्टे व स्वामित्व पत्र जारी |
3. | वृद्धावस्था पेंशन | पात्रता जांच कर स्वीकृति |
4. | जनाधार और भामाशाह सुधार | मोबाइल वैन द्वारा ऑन-स्पॉट सुधार |
5. | रोजगार और मनरेगा कार्ड | ऑन-स्पॉट कार्ड निर्गम |
6. | आयुष्मान भारत कार्ड | CSC केंद्र द्वारा पंजीकरण |
7. | विकलांग सहायता व उपकरण वितरण | सामाजिक न्याय विभाग द्वारा सहयोग |
8. | महिला कल्याण योजनाएं | महिला विभाग से संवाद व रजिस्ट्रेशन |
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की भूमिका
पखवाड़ा शिविरों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सरपंचों, बीडीओ, एसडीएम, तहसीलदार, और विभागीय अधिकारी खुद शिविर स्थल पर पहुंच रहे हैं। यह उनकी जनसरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन शिविरों के माध्यम से प्रशासन ने खुद को जनता के दरवाज़े तक पहुंचाने की भावना को मूर्त रूप दिया है।
उदाहरण के लिए:
फागी क्षेत्र के बीडीओ चरण सिंह चौधरी ने हर शिकायतकर्ता से व्यक्तिगत संवाद किया और यह सुनिश्चित किया कि कोई भी नागरिक निराश न लौटे।
शिविरों का मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव
अंत्योदय संबल शिविरों का प्रभाव केवल प्रशासनिक नहीं है, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ये शिविर वर्षों से उपेक्षित और हाशिये पर खड़े नागरिकों को सुनवाई और समाधान का अनुभव दे रहे हैं।
प्रमुख सामाजिक प्रभाव:
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आपसी मतभेदों में कमी: सुल्तानिया गांव की तरह अनेक गांवों में शिविरों के दौरान आपसी विवाद सुलझे।
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सामाजिक एकता का संबल: जब लोग एक मंच पर आकर समस्याएं साझा करते हैं, तब आपसी सहयोग बढ़ता है।
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ग्राम पंचायतों की विश्वसनीयता में वृद्धि: जनता को स्थानीय प्रशासन पर भरोसा बढ़ा है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का दृष्टिकोण
राज्य के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने इस पखवाड़ा की शुरुआत करते हुए कहा था,
“हमारा लक्ष्य अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है। जब तक गांव का अंतिम व्यक्ति भी विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ता, तब तक हमारी योजनाएं अधूरी हैं।”
उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा कि वे जनसुनवाई को औपचारिकता न मानें, बल्कि उसे जनसेवा का पुनीत अवसर समझें।
निष्कर्ष: सेवा, संवाद और समाधान की नई इबारत
पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा के जरिए राजस्थान सरकार ने प्रशासन और जनता के बीच की दूरी को कम करने की दिशा में एक प्रभावशाली कदम उठाया है। यह न केवल समस्याओं के समाधान का मंच बना है, बल्कि जनविश्वास का सेतु भी सिद्ध हुआ है।
पेयजल संकट हो या भूमि स्वामित्व की समस्या, पेंशन न मिले या पहचान पत्रों में त्रुटियां—हर स्तर की पीड़ा का निदान इन शिविरों में किया जा रहा है। शिविरों में उमड़ती भीड़, समाधान मिलने के बाद चेहरे पर खिलती मुस्कानें और आभार से भरे शब्द इस बात का प्रमाण हैं कि राज्य सरकार की यह पहल आमजन के दिल तक पहुंच रही है।
इन शिविरों से सिर्फ योजनाओं का लाभ नहीं, बल्कि सम्मान, संवाद और सहयोग की संस्कृति को भी बढ़ावा मिला है, जो किसी भी लोकतंत्र की असली पहचान है।